ज्योतिष में सौतन के ग्रह योग

- डी.एस. परिहार

पाराशर ज्योतिष मे योग में चैथा भाव सौतन का होता है। चैथे भाव पर सूर्य, राहू ,शनि का योग या पाप प्रभाव हो । लग्न या चन्द्र से 7 वे मंगल पर राहू का प्रभाव हो। मंगल या शनि के साथ राहू का गोचर हो। स्त्री के जमांक मे चन्द्र, बुध या शुक्र के साथ सूर्य, राहू शनि की युति हो चैथे भाव में चन्द्र राहू योग हो या लग्न, चन्द्र या मंगल से 7 वें भाव मे राहू हो तो स्त्री जातिका के जीवन मे सौतन आयेगी।

सौतन के ग्रह योग- मेजर एस. जी. खोत ने अपनी पुस्तक सेक्स एंड मैरिज इन एस्ट्रोलाॅजी में सौतन के निम्न ज्योतिषीय सूत्र बताये है। स्त्री जातक में चतुर्थ भाव से सौतनों का अध्ययन किया जाता है। चतुर्थ भाव पर यदि सूर्य, शनि व राहू की युति या दृष्टि का पाप प्रभाव हो तो सौतन के कारण तनाव होगा चतुर्थ भाव पारिवारिक सुख का भाव है। पति का विवाहेतर संबध चतुर्थ व द्वादशभाव से देखते हैं 12 वां भाव सप्तम भाव से छठा भाव है। जो वैवाहिक जीवन के शत्रुओं व विरोधियों को बताता है। 12 वें भाव पाप ग्रह युति व दृष्टि सौतन द्वारा वैवाहिक व बिस्तर सुख का नाष करता है। 12 वों भाव जातिका के बिस्तर सुख का है। स्त्री जातक में निम्न ग्रह योग सौतन से हानि बताते है।
1. लग्न, या चन्द्र लग्न या कारक शुक्र से 7 वे भाव मे राहू की युति हो।
2. चतुर्थ भाव या 12 वें भाव मे चन्द्र राहू युति हो।
3. 7 में भाव मे कई पाप ग्रह उतनी सौतनों को बताते है।
4. यदि चन्द्र, बुध व षुक्र पापग्रह से युुत हो।
5. स्त्री जातक मे 7 वां भाव पति का 7 वें भाव से पंचम भाव यानि एकादश भाव पति की प्रेमिकाओं का है। यदि किसी महिला के जमांक में सप्तमेश की लाभेश से युति या परस्पर दृष्टि या परस्पर राशि परिवर्तन कायोग हो तो जातिका के पति की प्रेमिकायें अवश्य होंगी जिनसे जातिका को मानसिक पीड़ा होगी।
6. स्त्री जमांक में यदि बुध की मंगल से या शुक्र से युति हो या मंगल व शुक्र के मध्य बुघ हो तो पति की गर्लफ्रेन्ड होगी जो निम्न जमांकों से स्पष्ठ है।
(1) एम. भटनागर- 26 सितम्बर 1976। रात्रि-10.55। मिथुन लग्न 6 अंश। कर्क में चन्द्र व गुरू, सिंह मे शनि , कन्या मंे सूर्य बुध, व राहू, तुला मे शुक्र व मंगल, मीन मे केतु जातिका बैंक इम्पलाई थी जातिका के पति ने दूसरी महिला से विवाह कर जातिका को तलाक दिया द्वितीय भी विवाह टूट गया तो तीसरा विवाह किया चैथे चतुर्थ भाव मे सूर्य राहू युति है। बुघ व षुक्र पापग्र्रस्त ने सौतन दी
(2) सी. शुक्ला- 31 मई 1980। 4.12 प्रातः।
वृष लग्न मे सूर्य, 16 अंष, मिथुन में षु, बुध, सिंह मे षनि, मंगल, राहू, गुरू, वृश्चिक मे चन्द्र कुंभ मे केतु। जातिका के जमंाक के चतुर्थ भाव पर यदि सूर्य, शनि व राहू की युति या दृष्टि का पाप प्रभाव है। पति के एक विवाहित ब्राहमण प्रेमिका है।
(3) ए. कटियार:-28 दिसम्बर 1972। सुबह पांच बजे। कन्या लग्न में, तुला मे सूर्य, वृश्चिक मे बुध, चन्द्र, शुक्र, धनु मे राहू, मकर मे गुरू, मेष में मंगल। मिथुन मे केतु, शनि। जातिका के जमंाक के चतुर्थ भाव पर राहू की युति या षनि की दृष्टि का पाप प्रभाव है। पति के अमीर युवती से संबन्ध हो।


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