दिल का क्या कसूर

अजय मेरी जिन्दगी से बहुत दूर चला गया। इतनी दूर की मेरी परछाई भी उसके ऊपर नहीं पड़ सकती, लेकिन आज भी उस दिन को याद करते ही मेरी आंखों से सावन-भादों उमड़ पड़ते हैं। मैं आज जिन्दगी की दो राहों पर खड़ी थी। काॅलेज में सबसे हसीन व खूबसूरत थी। कितनी निगाहें मुझे हमेशा घूरती रहती। जिसमें आनन्द और अजय सबसे आगे थे। जहाँ आनन्द एक अमीर बाप का बेटा था, वहीं अजय मध्यवर्गीय परिवार से वास्ता रखता था। आनन्द के पास वैभव की कमी नहीं थी। जरूरत से ज्यादा पैसे मिलते, जिससे आवारा दोस्तों के साथ अय्याशी करता। अजय आनन्द से बिलकुल परे हटकर खामोश रहने वाला युवक था। एक बहन के अलावा माता-पिता तथा एक छोटा भाई भी था। वह काॅलेज में अन्य लड़के-लड़कियों की अपेक्षा पढ़ने-लिखने में काफी आगे था। मैं इस बात को महसूस करती कि कई लड़कियाँ अजय पर दिलोजान से फिदा हैं, लेकिन वह तो सिर्फ मुझे ही चाह रहा था। आज पेपर का अन्तिम दिन था। मैं काॅलेज से निकलकर नहर पार करने लगी कि अचानक कुछ लड़कों ने मुझे दबोच लिया। मैं उन छात्रों से दया की भीख माँग रही थी, लेकिन तब तक अचानक वहाँ आनन्द पहुंच गया और मेरी इज्जत बचा ली। मैं सिसकती हुई आनन्द की बाँहों में समा गई। मैं और आनन्द लगातार प्रतिदिन एक-दूसरे से मिलते रहे। आनन्द के एक इशारे पर मैं दीवानी हो उसकी बांहों में समा जाती।
अजय ने इस बीच कई बार मेरे करीब आने की कोशिश की और एक दिन मौका पाकर मुझसे कहा, 'सरला' मैं तुमसे प्यार करता हूँ।' अजय की यह बात सुनते ही पता नहीं क्यों मैने कई तमाचे उसके गालों पर रसीद कर दिये। उसने गाल सहलाते हुए कहा, सरला तूने अच्छा सिला दिया मेरे प्यार का। सरला, इसमें मेरे दिल का क्या कसूर? अगर इस दिल ने जिन्दगी में किसी को चाहा था तो सिर्फ तुम्हें। इतना याद रखना सरला कि मेरा प्यार पवित्र था। कहता हुआ अजय वहाँ से चला गया। एक शाम मैंने आनन्द से मिलकर कहा कि अब हम दोनों को जल्दी ही शादी कर लेनी चाहिए तो आनन्द ने कहा, 'शादी... और तुमसे, जिस लड़की का अपने कुल और मर्यादा का ठिकाना नहीं, उसके साथ शादी कर लूँ' तुम उस लायक नहीं हो। आज तुम्हें यह भी बता दूँ कि उस दिन जिन लड़कों से तुम्हें बचाया था, वह मेरे भेजे हुए थे, ताकि तुम मेरी ओर आकर्षित हो जाओ।'यह तुम क्या कह रहे हो आनन्द?'ठीक कह रहा हूँ सरला। तुम नारी जाति के नाम पर कलंक हो।' लेकिन तुमने मुझे अपनी दुल्हन बनाने का वादा किया था आनन्द..? झोपड़ी में रहने वाली अगर महलों का ख्वाब देखने लगे तो इसमें मैं क्या कर सकता हूँ। इतना कहकर आनन्द आगे बड़ गया। मैं घर पहंुचकर बिस्तर पर जा लेटी और अजय के बारे में सोचकर बरबस रो पड़ी। अजय से मिलने का फैसला लिया, ताकि उससे माफी मांग सकूँ। अपने विचारों में खोई अजय के घर पहुंच गई। अजय की बहन बैठने के लिए कहकर चाय बना लाई और बोली, सरला चाय लो। मैं चाय की पहली घूंट लेकर बोली, ममता अजय कहीं दिखाई नहीं दे रहें हैं? सरला भईया अचानक देहरादून चले गये। उनका एक खत आया है, यह देखो। मैंने पत्र लेकर अजय का पता नोट कर लिया। ममता से विदा लेकर घर वापस आ गई। मन ही मन अपने को कोसने लगी। अजय मेरी बेवफाई के कारण ही घर छोड़ दिया है।
फिर उसके नाम एक खत लिखने लगी... प्रिय अजय,
तुम जहाँ भी हो लौट आओ। मैं जानती हूँ कि तुम अब मुझसे नफरत करते होगे, लेकिन अजय, एक दिन तुमने कहा था कि सरला, मैं तुमसे प्यार करता हूं। यह दिल है, इस पर किसी का वश नहीं चलता। इसमें दिल का क्या कसूर? अजय, मैंने आनन्द के बहकावे में आकर तुम्हारे साथ जो सलूक किया। उसके लिए क्षमा कर दो और मेरी जिन्दगी में फिर से बहार बनकर वापस लौट आओ...! मैं तुमसे यह नहीं कहूंगी अजय कि मुझसे शादी कर लो। बस मुझे इस बात की खुशी होगी कि मैं किसी देवता की छांव में हूँ। सिर्फ एक बार अपने चरण छू लेने दो, ताकि इस कलंकिनी सरला का गन्दा जिस्म पवित्र हो सके। एक अभागिन सरला!
दो महीने बाद अजय घर वापस लौट आया। मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा, परन्तु पुनः मुख-मण्डल पर उदासी छा गई। मैं उससे मिलने नहीं जाऊंगी। बढ़ते कदम पुनः घर वापस लौट आये, लेकिन तभी किसी के कदमों की आहट सुनाई पड़ी। मुड़कर देखा, सामने अजय खड़ा था। दौड़कर उसके चरणों में गिर गई। उसने मुझे उठाकर बांहों में भींच लिया। मुझे दोड़ दो अजय, अब मैं तुम्हारे काबिल नहीं रही! पागल हो गई हो सरला। मैं आज भी तुमसे इतना ही प्यार करता हूँ, जितना काॅलेज के जमाने में किया करता था! लेकिन अजय, तुम्हे सच्चाई शायद मालूम नहीं। मैं अपवित्र हो चुकी हूँ। मुझे सब मालूम है सरला, न तू कल अपवित्र थी और न ही आज। लेकिन अजय, मेरी बात समझने की कोशिश करो। मैं तुम्हारे काबिल नहीं रही। फिर किस कमबख्त ने कहा कि तुम मेरे काबिल नहीं हो। 'अगर सुबह का भूला, शाम को वापस लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते। जो कुछ तुमसे हुआ उसमें तुम्हारा क्या कसूर है? क्यों? मुझसे शादी करने की हिम्मत है?... अजय। और मैं हमेशा-हमेशा के लिए एक-दूसरे की बांहो में समा गये। (काल्पनिक कहानी)


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