बालारिष्ट योग के कुछ जमांक

अप्राकृतिक व अकाल मृत्यु के योग:-
1. लग्न, तृतीय षष्ठ, अष्ठम  भाव मे यदि पाप ग्रह या उनमें  त्रिकेश हों उनके स्वामी यदि नीच, वक्री, अस्त, या पापग्रह युत हो या उन पर पाप ग्रह की दृष्टि तो अकाल मृत्य हो।
2. गुरू से 2 व 12 भाव खाली 7 वे शत्रु ग्रह अल्पायु गुरू शुक्र व  राहू दो शत्रु ग्रहों से संबध बनाये अल्पायु बनाये कन्या मे गुरू द्वितीय राहू 12 वें बुध दोनांे शत्रु 7 वां भाव खाली राहू के आगे कोई ग्रह नही अल्पायु योग दे रहा गुरू से 10 व 11 वें भाव खाली अल्पायु, गुरू के पीछे पाप ग्रह आगे भाव खाली अल्पायु होगे गुरू से 2 व 12 भाव खाली 7 वे शत्रु ग्रह अल्पायु हो। यदि लग्नेश या अष्टमेश वक्री, नीच, अस्त या पाप कर्तरी में हो लग्न या अष्टम में वक्री, नीच, अस्त ग्रह या यह भाव पाप कर्तरी में हो। गुरू से 1,7 वा 12वां भाव खाली हो।  
3. राहू, केतु त्रिकेश, वक्री ग्रह व प्लूटो, नेप्चून, हर्षल कार्मिक कन्ट्रोल है। राहू केतु के राशि ग्रह यदि स्वामी यदि राहू केतु या त्रिकेशों या वक्री ग्रह या प्लूटो,नेप्चून, हर्षल से युत हो अकाल या अल्पायु मृत्य।ु 
4. किसी बच्चे के जमांक मे निर्बल, शत्रु राशि गत या पापकर्तरी लग्नेश या अष्ठमेश से या दो या अधिक पाप ग्रहों के योग से कई पाप ग्रहों का गोचर हो।
5. गुरू से अगले भावों में केवल राहू हो दोनों के बीच में कोई ग्रह न हो और गुरू पर कोई शुभ प्रभाव न हो। 
1ः- बालक-जंम 26 नवम्बर 1946। 10.05 सुबह, बंगलौर।
3 जुलाई 1962 को 4 दोस्तों के साथ तालाब मे नहाते वक्त दिन मे 11 बजे डूब गया मकर लग्न वृष मे राहू, कर्क मे शनि तुला मे गुरू व शुक्र, वृश्चिक मे सूर्य, बुध, केतु, मंगल धनु मे चन्द्र-7 अंश। केतु का राशीश मंगल केतु युत है। लग्नेश शनि, पंचमेश शुक्र व षष्ठेश/ भाग्येश बुध तीनों वक्री है। वक्री लग्नेश अल्पायु दे। (एस्ट्रोलाॅजिकल  मैगजीन, अक्टूबर 1962)।
2:- आरूषी तलवार केस-आरूषी का जंम 24 मई 1993 को मिथुन लग्न में ग्रेटर नोएडा मे हुआ था, नवीं की छात्रा आरूषी ने एडवेंचर के लिये अपनी दो दोस्तों बिन्दू व श्रेया के कहने पर अपने नेपाली नौकर हेमराज के साथ यौन संबध बनाये थे, जिसकी जानकारी तलवार दंपति को हो गई थी उन्होने 15/16 मई 2008 की रात करीब दो बजेे तेज धारदार हथियार से आरूषी और नौकर हेमराज की हत्या कर दी 
आरूषी का जंमाक इस प्रकार है। मिथुन लग्न में चन्द 12 अंश, कर्क मे मंगल 19 अंश, कन्या मे गुरू वक्री 11 अंश, तुला मे मंदि, वृश्चिक मे राहू 18 अंश, कंुभ मे शनि 6 अंश, मीन मे शुक्र 25 अंश व वृष मे सूर्य 9 अंश, बुध 19 अंश, केतु 18 अंश। मंगल राहू व शुक्र परस्पर त्रिकोण मे है। नवांश मे मकर मे चन्द, कुंभ मे शुक्र, मीन मे सूर्य, मेष मे गुरू, मिथुन मे बुध केतु, वृश्चिक मे शनि धनु मे राहू, मंगल।
3. हाई वोल्टेज करंट से मृत्यु- 3 अप्रैल 2004। जंम समय-11.30 रात्रि, लखनऊ वृश्चिक लग्न मीन नवांश उ0 फा0 नक्षत्र प्रथम चरण, वृश्चिक लग्न मीन मे सूर्य, मेष मे बुध राहू, वृष मे शुक्र मंगल, मिथुन मे शनि, सिंह मे वक्री गुरू व चन्द्रमा, तुला मे केतु। चन्द्र से 7, 8, 9 भाव मे पापी ग्रह, चन्द्र से अष्ठमेश गुरू वक्री होकर स्पष्ठ अल्पायु योग बनारहा है। लग्न से अष्ठमेश शनि पाप कर्तरी मे कार्मिक कन्ट्रोल ग्रह राहू केतु के राशि स्वामी पापी भाव के स्वामी होकर युत है राहू का राशि स्वामी मंगल द्वादेश शुक्र से युत है। तथा केतु का राशि स्वामी शुक्र षष्ठेश मंगल से युत है। दिनांक 20 अक्टूबर, 2018 को सांय 7.30 बजे दुर्घटनाग्रस्त हुआ और 9 नवम्बर 2018 को उसकी मृत्यु हो गई। चन्द्रमा से अष्टमेश वक्री है तथा लग्न से अष्टमेश राहू युत है। अतः बालक अपने परिवार में पुनः जन्म लेगा।
4. बालिका जंम 15 अगस्त 1980। प्रातः-2.35। कलकत्ता। मिथुन लग्न मे शुक्र 13 अंश पर, कर्क मे राहू 16 अंश पर, सूर्य 16 अंश पर, बुध 17 अंश पर, सिंह मे गुरू 21 अंश, कन्या मे मंगल 27 अंश, शनि 21 अंश,चन्द्र 14 अंश, मकर मे केतु 26 अंश पर । जंम के समय ज्योतिषी ने बता दिया था कि मंगल मे बुध की दशा के बाद जातिका जीवित नही रहेगी 1983 मे ज्योतिषी ने चेतावनी दी कि परन्तु माता पिता ने ज्योतिषीय उपचारों की उपेक्षा की 13 सितम्बर 1984 मे गुर्दे फेल होने से बालिका की मृत्यु हो गई 
5. विशाल कश्यप पुत्र गोविंद नारायण प्लम्बर नरहई। जंम 6 अप्रैल 1986। रात्रि-8.23। लखनऊ। पूर्वाभाद्रपद प्रथम चरण तुुला लग्न कुंभ नवंाश लग्न मे केतु,  वृश्चिक मे शनि16, धनु मे मंगल11, कुंभ मे चन्द्र 22, बुध, 26 , गुरू 17, छठे मे मीन का सूर्य 23, मेष मे शुक्र 12 व राहू 6, केतु का राशि स्वामी या शुक्र राहू युत व अष्ठमेश राहू यु अल्पायु दे। नवांश लग्न कुंभ मीन मे गुरू मेष मे चन्द्र, वृष मे बुध व राहू कर्क मे मंगल व शुक्र, वृश्चिक मे शनि व केतु, मकर मे सूर्य। 17 अगस्त 2011 को गाजियाबाद मे सड़क दुर्घटना मे मृत्यु।
कुणाल -जंम 7 अप्रैल 2003। 3.52 दोपहर। लखनऊ। सिंह लग्न वृश्चिक मे केतु, धनु मे मंगल, कंुभ मे शुक्र मीन  मे सूर्य व बुध वृष मे चन्द्र शनि व राहू तथा कर्क मे गुरू। कुछ दिन पूर्व सर मे भी चोट लगी थी जातक को दिमागी बुखार हुआ कई दिनों तक वो कोमा मे रहा 30 सितम्बर 2010 को सुबह 7 बजे मृत्यु। शनि व चन्द्र से 8 वे राहू का गोचर शनि व शुक्र मे परिवर्तन।
 


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