छोटा उम्र का पति


- डी.एस. परिहार

बदलते आर्थिक व समाजिक परिवेश मे भारतीय समाज मे अनेकों नये परिवर्तन आये हैं। समाज की कई पुरानी संस्थायें, मान्यतायें परम्परायें या तो टूट चुकी हैं या उनमें आमूल-चूल परिवर्तन आये हैं। जैसे प्रेम विवाह, विधवा विवाह, तलाक के बाद पुर्नविवाह, अन्र्तजातीय विवाह आदि। जैसे विवाह में एक नया टेªन्ड आया है कि अनेकों लड़के अपने से बड़ी उम्र की लड़की से शादी करते है। इसका मूल कारण लड़के और लड़कियों की विवाह हेतु जरुरतों में बदलाव आया है। पुराने समय में लड़की की सुन्दरता, कुल, गुण, सेवाभाव, विनम्रता, दान दहेज को प्राथमिकता दी लाती थी लेकिन आज नई पीढी जीवन साथी में हाई और प्रौफेशनल एजूकेशन, रेपुटेटेड जाॅब को तथा समान मेंटल स्टेटस जैसे गुण खोजता है। ऐसे वर खोजने और अपना कैरियर बनाने के चक्कर मे अक्सर लड़कियाँ ओवरएज हो जाती हैं और उनके पास कम आय और लो स्टेटस वाले रिश्ते आने लगते है। लड़कांे को भी अपने से छोटी ऐसी लड़कियाँ मिलती है। जिनका शैक्षिक और कैरियर उनके मनमुताबिक ना होकर घटिया होता है। क्योंकि कि उच्च शिक्षा और उँचा जाॅब हासिल करने में काफी समय लगता है जो उन्हें अपने से अधिक उम्र की लड़कियों के पास मिल जाता है। अतः वे मेच्योर लड़कियों से शादी कर लेते है। ऐसे विवाह लव और अरेन्ज दोनों प्रकार के होते हैं। हांलाकि भारतीय ज्योतिष में ऐसे विवाहों का वर्णन बेमेल या अनमेल विवाह के रूप में किया गया लेकिन अनेक ऐसे सूत्र का वर्णन है। जो बताते है कि जातक को सामान्य आयु से छोटी या बड़ी उम्र की कन्या प्राप्त होगी या कन्या को बूढा या छोटी उम्र का पति प्राप्त होगा ऐसे कुछ ग्रह योग निम्नलिखित हैं। 

1. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य, चन्द्र, गुरू अधेड़ उम्र के शनि व राहू़ वृद्ध ग्रह माने जाते है और मंगल, शुक्र और बुध युवा और कम उम्र के ग्रह माने जाते है।
2. स्त्री जातक मे सप्तम भाव, सप्तमेश और पति कारक मंगल मतान्तर से गुरू से जब युवाग्रहों की युति या दृष्टि या राशि परिवर्तन जैसा संबध बने तो कन्या को अपने से कम आयु का पति या प्रेमी प्राप्त होगा।
3. पुरूष जातक में सप्तम भाव, सप्तमेश और पत्नी कारक शुक्र से जब युवाग्रहों की युति या दृष्टि या राशि परिवर्तन जैसा संबध बने तो जातक को अपने से अधिक आयु की पत्नी या प्रेमिका प्राप्त होगी।
4. ऐसे विवाहों मे शनि और बुघ ग्रह की प्रमुख होती भूमिका सप्तम भाव पर शनि की युति या कन्या को अपने से कम आयु का वर और पुरुष जातक को अपने से काफी छोटी आयु की पत्नी या अपने से बड़ी आयु की पत्नी देता है। 
5. अक्सर ऐसी कन्या के जमंाकों मे विवाह विलंब के स्पष्ट योग पाये जाते है। सप्तम भाव दूषित होता है। और कुछ केसेस में तलाक या विधवा होने के योग भी योग होते है। क्योंकि समाज मे कभी कभी लड़के अपने से बड़ी उम्र की धनी विधवा या तलाकशुदा महिला से भी शादी की लेते है। 
6. यदि शुक्र 7 वें भाव में हो और मंगल के नवंाश में जाये तथा शुक्र पर किसी शुभग्रह की दृष्टि या प्रभाव हो तो जातक विवाहित या अपने से बड़ी आयु की महिला से विवाह या यौन संबध रखेगा।
7.यदि शुक्र 7 वें भाव में हो और मंगल के नवंाश मे जाये तथा शुक्र पर किसी शनि की दृष्टि या युति हो और किसी शुभग्रह की दृष्टि या प्रभाव ना हो जातक जातक अपने से बड़ी आयु की विवाहित महिला से विवाह या यौन संबध रखेगा। 
8. यदि शुक्र 7 वें भाव में हो और शनि के नवंाश मे जाये तथा शुक्र पर मंगल की दृष्टि या युति हो जातक और किसी शुभग्रह की दृष्टि या प्रभाव ना हो।
9. यदि नवम भाव में पापग्रस्त चन्द्रमा हो तो जातक और किसी शुभग्रह की दृष्टि या प्रभाव ना हो जातक अपने से बड़ी आयु की महिला से विवाह या यौन संबध रखेगा। चन्द्रमा पर शनि राहू या सूर्य का प्रभाव ऐसे योगों को जंम देगा। 


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