हाॅरर फिल्मों का इतिहास

हिन्दी थ्रिलर और हाॅरर फिल्मों का इतिहास रामसे की फिल्मों के बगैर लिखना संभव नही है। रामसे वास्तव मे रामसिंघानी है। जो विभाजन के पूर्व कराची और लाहौर मे इलेक्ट्राॅनिक्स की दुकान चलाते थे, विभाजन के बाद फतेहचन्द्र यू रामसे अपने बेटों के साथ बम्बई चले आये और बम्बई की लैमिंगटन रोड पर उन्होने इलेक्ट्राॅनिक्स की दुकान खोली फिल्मी दुनिया की चकाचैंध से प्रभावित होकर उन्होने शो बिजनेस मे कदम रखा और उन्हांेने 1954 मे शहीदे आजम भगत सिंह, 1963 मे रूस्तम सोहराब और 1970 मे एक नन्ही मुन्नी लड़की थी बनाई। बदकिस्मती से सभी फिल्में पिट गयीं और रामसे भारी कर्ज मे आ गये तभी उन्हें एक नया विचार आया एक नन्ही मुन्नी लड़की थी में एक सीन था जिसमे पृथ्वीराज कपूर अपने चेहरे पर एक डरावना चेहरा लगा कर चोरी करते है फिल्म पिटने के बावजूद भी वह दृश्य काफी चर्चित हुआ जिससे उत्साहित होकर उन्होने आधे घंटे मे ही रेडियो के देर रात प्रोग्राम मे आगामी फिल्म दो गज जमीन के नीचे बनाने की घोषणा की। 1975 में आई मात्र 15 कलाकारों वाली व एक महीने मे बनी कम बजट की यह फिल्म हिट हो गई उसके साथ ही रामसे इन्डस्ट्री मे पूरी तरह स्थापित हो गये, आगे चलकर इन्होंने पैंतालिस सालों मे 32 से अधिक हाॅरर फिल्में बनाई उनकी पहली फिल्म दो गज जमीन के नीचे उनके लिये व हिन्दी भुतहा फिल्म उद्योग के लिये मील का पत्थर साबित हुयी उन दिनांे जब एक औसत हिन्दी फिल्म एक साल मे करीब 50 लाख की लागत से बनती थी गज जमीन के नीचे मात्र साढे तीन लाख की लागत से 40 दिन में शूट हो गई रामसे अपनी पत्नी सातों बेटों, बहुओं व बेरोजगार कलाकारों की छोटी सी टीम के साथ किराये की बस से महाबलीपुरम के सरकारी गेस्ट हाउस पहुँचे और 12 रूपये रोज के हिसाब से आठ कमरे किराये पर लिये फिल्मों के विभिन्न विभाग उनके बेटों ने संभाले। लोकेशन पर शूटिंग होने के कारण उन्होंने सेट पर कोई पैसा नही खर्च किया कलाकारों के कपड़े भी कलाकारों के लाये अपने ही थे कैमरे किराये पर लिये  फिल्म पहले सप्ताह हाउसफुल गई जिससे रामसे को 45 लाख रूपये की आय हुयी 1975 में आई उनकी अगली फिल्म      अंधेरा भी हिट रही 1978 में अनिल धवन, इम्तियाज खान, शक्ति कपूर को लेकर दरवाजा बनाई जो सिल्वर जुबली हिट हुयी उन्होने 1979 में सचिन, ओमशिवपुरी पद्य़मिनी कपिला को लेकर और कौन बनाई उसी वर्ष उनकी फिल्म हवेली आई  1980 में उन्होने प्रेमकिशन, प्रेमनाथ और देवकुमार को लेकर गेस्ट हाउस बनाई जिसमें कटे हुये खूनी पंजा के सीन बेहद हिट रहा 1980 में ही उनकी नवीन निश्चल, विद्या सिंहा, काजल किरन व विनोद मेहरा प्रेम चोपड़ा, ओम शिवपुरी, जैसे सितारों से सजी फिल्म सबूत आई 1981 में उनकी चार फिल्में सन्नाटा, दहशत, घुंघरू की आवाज, और होटल  आई सन्नाटा में दीपक पाराशर, सारिका, भरत कपूर, महमूद, विनोद मेहरा और होटल में प्रेमकिशन नवीन निश्चल, राकेश रोशन बिंदिया गोस्वामी, रंजीत जैसे मँझे कलाकार थे। दहशत में नवीन निश्चल, सारिका, ओमशिवपुरी थे 1984 में रामसे की सबसे बड़ी हिट और सर्वाधिक डरावनी फिल्म पुराना मंदिर आई जिसने हाॅरर  फिल्मों में नया इतिहास रच दिया जो आज भी उतनी ही हिट है। प्रदीप कुमार, मोहनीश बहल, आरती अग्रवाल, पुनीत इस्सर, सदाशिव अमरापुर से सजी इस फिल्म ने देश के कई शहरों में सिल्वर जुबली बनाई सामरी के रूप में अजय ने बेमिसाल अभिनय किया 1985 में उनकी थ्री डी टेकनिक से सजी सामरी आई, 1985 मंें उन्होने शत्रुहन सिंहा, परवीन बाॅबी, दीप्ति नवल, प्रेम चोपड़ा,को लेकर टेलीफोन बनाई रामसे ने 1986 में तहखाना, डाकबंगला 1987 में डाकबंगला, 1988 में उनकी एक और डरावनी फिल्म वीराना आई जो बेहद हिट रही  1989 में आई पुरानी हवेली और शैतानी ईलाका पिट गयीं लेकिन 1990 में उनकी फिल्म बंद दरवाजा ने पुनः उनकी पुरानी सफलता को दोहराया राम गोपाल वर्मा की रात मे नये तरीके के हाॅरर से प्रभावित होकर उन्होंने ए नाइटमेयर आॅन एलम स्ट्रीट की तर्ज पर महाकाल बनाई जो बुरी तरह पिट गई उनकी अगली फिल्म आखिरी चीख भी पिट गई। तब रामसे ब्रदर्स जी हाॅरर शो बनाने लगे जिसमें वे बेहद कामयाब रहे 1999 में उनकी फिल्म खोज आई डैनी, किमी काटकर, ऋषि कपूर, नसीरूददीन अभिनीत यह फिल्म हिट रही सन 2000 के बाद रामसे की दो भुतहा फिल्में आत्मा और घुटन आई दोनो ही औसत रही 2014 में रामसे फिर एक भयानक फिल्म नेबर्स लेकर आये वैम्पायर पर बनी यह बेहद डरावनी फिल्म मार्केटिंग के अभाव में गुमनामी में खो गई लेकिन रामसे आज भी उसी शानो शौकत और बुलंदी के साथ खड़े हैं। किसी भी निर्माता निर्देशक की सभी फिल्में हिट नही होती सफलता असफलता का चक्र चलता ही रहता है। लेकिन उनके पिछले 45 सालों में 32 हाॅरर फिल्मों के योगदान को भुलाया नही जा सकता ।


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