फूल जिनको खिजा खा गई

 


 यह दुनिया की एक कड़वी और दुःखद सच्चाई है कि दुनिया मे तमाम बुद्धिमान और प्रतिभाशाली लोग बेहद कम उम्र मे ही दुनियां से रूखसत कर जाते है। बेहद खूबसूरत और हसीन नवयुवतिया कम उम्र मे ही मौत के आगोश मे चली जाती है। जिनसे देश समाज और दुनियां को भारी उम्मीदें होती है और उनके जाने के बाद लोग अफसोस करते है कि काश यह लोग अगर लंबी उम्र जीते तो दुनियाँ व समाज की तरक्की मे चार चंद लग जाते, उनकी प्रतिभा का बेहद योगदान होता। वैसे तो ऐसे लोग जिदंगी के हर क्षेत्र विज्ञान, साहित्य, कला, फिल्म, धर्म से पाये जाते है। लेकिन इस लेख मे केवल फिल्म से जुड़े लोगों को शामिल किया किया है। इनमे से कुछ नाम है। अभिनेत्री स्मिता पाटिल, दक्षिण की नायिका सिल्क स्मिता, पांचवे दशक के बेहद प्रतिभाशाली अभिनेता, निर्माता, निर्देशक गुरूदत्त, कवि शैली, आदि।
1. स्मिता पाटिल- टी वी और फिल्म अभिनेत्री स्मिता पाटिल का जंम 17 अक्टूबर 1955 को षाम- 5. 30 पर पूना मे हुआ था (साभार-द टाइम्स सेलेक्ट होरास्कोप) उन्होंने पूना फिल्म इन्टीटयूट से ग्रेजुएषन किया था उन्होंने अपना फिल्मी कैरियर 1975 मे श्याम बेनेगल की फिल्म चरणदास चोर से शुरू किया था वह समान्तर सिनेमा और भारतीय सिनेमा मे नवयुग आन्दोलन की प्रमुख नायिका थी। उन्हें दो बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (भूमिका व चक्र) एक बार फिल्मफेयर एवार्ड (चक्र, अर्थ) तथा 1985 मे पद्यम् श्री से भी सम्मानित किया गया था उन्होंने अभिनेता राज बब्बर से विवाह किया था, 13 दिसम्बर 1985 को पुत्र को जंम देते हुये उनकी मात्र 31 वर्ष की आयु मे मृत्यु हो गई थी। उन्होंने गोविन्द निहलानी, मृणाल सेन, सत्यजीत रे, श्याम बेलेगल जैसे दिग्गज निर्देशकों के साथ काम किया निषान्त, मंडी, हादसा, बाजार, भूमिका, मंथन, नमक हलाल, आक्रोश, अर्थ, चक्र, शक्ति, दर्द का रिश्ता, सद्गति, मिर्च मसाला, उनकी अविस्मरणीय फिल्में हैं। उनका जंमाक इस प्रकार है। 
मीन लग्न- 18. 25 अंश, तुला मे सूर्य-चित्रा 3, व चन्द्र- स्वाती 4, मंगल कन्या-9 अंष, बुध-22, सिंह मे गुरू-2 अंश, तुला मे शुक्र-27 अंश व शनि-27, वृश्चिक मे राहू-26, वृष मे केतु-26 अंश। शेष दशा राहू- 0 वर्ष, 8 माह, 10 दिन। पंचमेश व शष्ठेश युति अष्ठम मे शत्रुराशि मे पापकर्तरी मे गंभीर था संतान बाधा योग था लग्नपद मकर से षष्ठेश व बाधकेश की युति जमांक मे जटिल तंत्र प्रहार योग (मारण प्रयोग) दे रहा था मृत्यु के समय गोचर मे लग्नेश गुरू मकर मे नीच का था और द्वादेश शनि तुला मे नीच के सूर्य, शत्रुराशिगत चन्द्र, व अष्ठमेश शुक्र से गुजर रहा था गर्भाशय कारक पापग्रस्त चन्द्रमा शनि युत है। और उससे द्वितीय मे राहू प्रसव के समय बाधा, अकाल और 0दुःष्मरण योग दे रहा था अगस्त 1985 मे मेरठ के मशहूर तांत्रिक व ज्योतिषी प. रामस्परूप शास्त्री (बंगाली तांत्रिक) महबूब स्टूडियो मे स्मिता पाटिल से मिले थे। उन्होंने अपनी एक विचित्र समस्या से उन्हें परिचित कराया था उस समय वे गर्भ से थीं। गत दो सप्ताह से उन्हे बहुत बुरे-बुरे सपने आते थे सपने मे कभी उन्हें जली हुयी लाशे नजर आती थीं तो कभी उन्हें कौए और चमगादड़ नोचते हुये नजर आते थे सपनों मे जब उड़ती थीं तो उन्हें जलते हुये मुर्दे दिखते थे और उन्हें कौए और चमगादड़ नोचते वे बुरी तरह घबरा जाती थीं सपनो का असर दूसरे दिन भी बना रहता था उनका काम मे मन नही लगता था बंगाली तांत्रिक के अनुरोध पर उन्होंने अपना हाथ दिखाया हस्त चिन्हों तथा सपनों से पूरी तरह स्पष्ठ हो चुका था कि उन पर गंभीर मारण प्रयोग किया जा रहा था जो भविष्य मे जानलेवा बीमारी या मृत्यु दे सकता था उन पर मारण प्रयोग किया जा रहा था उनकी मस्तिष्क रेखा दोहरी थी जो असाधारण प्रतिभा और क्षमता को बताती थी सूर्य रेखा तिहरी थी जो अन्र्तराष्ट्रीय स्तर के सम्मान को बताती थी। एक सूर्य रेखा राहू क्षेत्र से निकली थी जो विदेष यात्रा और अन्र्तराष्ट्रीय स्तर के सम्मान को बताती थी किन्तु जीवन रेखा अत्यन्त क्षीण और कटी हुयी थी एक आड़ी रेखा निम्न मंगल क्षेत्र से अत्यन्त क्षीण जीवन रेखा भाग्य रेखा, सूर्य रेखाओं को काट कर वाहृय मंगल पर जा रही थी जो शत्रु द्वारा मारण प्रयोग की प्रतीक थी। जो भविष्य मे गंभीर बीमारी या मृत्यु की प्रतीक थी। बंगाली जी ने उन्हें बताया कि आप पर कोई मारण प्रयोग कर रहा है। आप को वैेवाहिक सुख बहुत कम है। आप माँ बनने से बचें प्रसव मे आपकी जान को खतरा है। स्मिता जी के प्रयोग काटने के अनुरोध पर बंगाली तांत्रिक ने हवा मे हाथ हिलाया उन्होंने मुठ्ठी खोली तो उसमे एक छुहारा था छुहारा देखकर स्मिता दंग रह गई वह छुहारा स्मिता जी को देते हुये उन्होंने अपने उपर से सात बार उतारने को कहा स्मिता ने वैसा ही किया बंगाली तांत्रिक ने छुहारा स्मिता के सामने रखा और मंत्र पढते हुये 50 पैसे के सिक्के से जमीन पर तीन रेखायें खींच दी। फिर छुहारा स्मिता जी को देते हुये कहा कि इसकी गुठली निकालिये स्मिता जी ने छुहारा छील की गुठली निकाली गुठली चार भागों मे बंटी थी आप पर भयानक मारण किया गया है। जिसे मैंने समाप्त कर दिया है किन्तु दुबारा किया गया तो आपके लिये जानलेवा होगा यदि आप तावीज पहन सके तो उपाय करूं किन्तु प्रेस के डर से स्मिता जी ने तावीज पहनने से इन्कार कर दिया बंगाली तांत्रिक ने एक कागज को कई तहों मे मोड़कर उसे स्मिता को देकर माथे से लगाने को कहा स्मिता ने कुछ देर उसे माथे से लगा कर अचानक उसे हटाते हुये हैरानी से कहा कागज एकदम से गरम हो गया बंगाली तांत्रिक ने कहा कि जब तक आप मां नही बनेगी मेरी शक्ति आपकी रक्षा करेगी मैं कुछ नही कर पाउंगा अगर आप हमेशा के लिये मुक्ति बला से मुक्ति चाहतीं है। तो आपको मेरठ मे बालाजी के दरबार मे आना होगा स्मिता जी ने कहा कि मैं जल्दी ही दिल्ली आने बाली हूँ वही से समय निकाल कर आपके पास आउंगी लेकिन होनी बड़ी प्रबल थी वह मौका कभी नही आया। 13 दिसम्बर 1985 को एक पुत्र को जंम देकर स्मिता की हालत अत्यन्त शोचनीय हो गई और 14 दिसम्बर 1985 को उनका देहान्त हो गया 13 दिसम्बर, को टी वी पर स्मिता जी गंभीर बीमारी का समाचार सुनकर 13 दिसम्बर को बंगाली तांत्रिक ने स्मिता जी की फोटो पर ध्यान लगाकर बताया कि स्मिता पर मारण किया गया है जो पूर्ण हो चुका है अब मेरी शक्ति उन्हें बचा नही सकती है। भृगु नाड़ी के अनुसार उनका गर्भ कारक चन्द्र की अपनी शत्रु राषि तुला मे दो शत्रु ग्रहों शनि षुक्र से युति है और उससे द्वितीय मे राहू है व 12 वें मंगल बुध है जो पापकर्तरी योग बना रहा है। चन्द्र मंगल, शनि, राहू की युति जो प्रसव मे मरण योग दे रहा है।
 7 वें भाव मे शत्रुराशिगत कन्या मे मंगल अपने षत्रु ग्रह बुध से युत है। बुध व मंगल दोनो मीन लग्न मे मारकेश है। लग्नपद से काले जादू के शिकार होने के स्पष्ठ योग है। शुक्र की राशि मे गया चन्द्रमा शुक्र युत भी है जो युवा स्त्री का शाप बता रहा है। जो काला जादू करवायेगी। मृत्यु के समय तुला मे षनि गोचर मे था जो चन्द्र कुुण्डली से अष्ठमेश चन्द्र मंगल, शनि, राहू की युति जो प्रसव मे मरण योग दे रहा है। 7 वें भाव मे शत्रुराशिगत कन्या मे मंगल अपने शत्रु ग्रह बुध से युत है। बुध व मंगल दोनों मीन लग्न मे मारकेश है। लग्नपद से काले जादू के षिकार होने के स्पष्ठ योग है। शुक्र की राशि मे गया चन्द्रमा शुक्र युत भी है जो युवा स्त्री का शाप बता रहा है। जो काला जादू करवायेगी। मृत्यु के समय तुला मे षनि गोचर मे था जो चन्द्र कुुण्डली से अष्ठमेश से तथा शुक्र लग्न से भी अष्ठमेश से निकल रहा था और मृत्यु योग बना रहा था।  


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