रामनवमी का पावन पर्व

भारत में रामनवमी का पावन पर्व प्रमुख पर्वों मे से एक है, जिसका संबध सर्वप्रिय भगवान स्वरूप मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के जन्मोत्सव से है। जो भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे जिनका जन्म त्रेता युग में चैत्र मास शुक्ल पक्ष नवमी को दोपहर 12 बजे पुर्नवस नक्षत्र मे अयोध्या नगरी मे हुआ था। अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र भगवान राम 12 कलाओं के अवतार है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सूर्य 365 दिनों मे 12 राशियों की यात्रा करता है। अतः श्री राम सूर्य की 12 कलाओं के सूर्य अवतार है। इनका जन्म नूतन संवत्सर की नवमी तिथी को हुआ था अतः यह नवीन संवत्सर का भी प्रतीक होता है। इन्ही दिनों मे सतयुग मे माता पार्वती ने ही माता दुर्गा का रूप धारण करके शंुभ, निकुंभ, महिषासुर और रक्तबीज जैसे महाअसुरों का वध किया था अतः रामनवमी और चैत नवरात्रि का परस्पर गहरा संबध है। भारत के कुछ हिस्सों में रामलीला का भी आयोजन किया जाता है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। और असुरों की पराजय का प्रतीक है। उत्तर भारत मे इस दिन घर-घर अखंड रामायण का पाठ बैठाया जाता है। और भगवान राम के बालक रूप की पूजा होती है। 
 भय प्रकट कराला दीनदायाला कौशल्या हितकारी। की घर-घर गूंज होती है। ज्ञातव्य हो कि भगवान का राम का जन्म महा अत्याचारी राक्षस रावण के विनाश, मानवता को रावण के अत्याचारों से मुक्मि दिलाने और धर्म की स्थापना के लिये हुआ था, इसी कारण ऐसा भी माना जाता है कि रामनवमी का त्यौहार आसुरी शक्तियों के विनाश का प्रतीक भी है।
 हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा पूरे उत्साह के साथ हर साल रामनवमी मनाते है। 9 दिनों के त्योहार के रूप में, पूरे नौ दिनों पर राम चरित्र मानस के अखंड पाठ, धार्मिक भजन, हवन, पारम्परिक कीर्तन और पूजा व आरती के बाद प्रसाद के वितरण आदि का आयोजन करने के द्वारा मनाते हैं। भक्त भगवान राम की शिशु के रूप में मूर्ति बनाते हैं और उसके सामने भगवान की पूजा करते हैं। जैसा कि सभी जानते हैं कि, भगावन विष्णु के 7वें अवतार भगवान राम थे और उन्होंने सामान्य लोगों के बीच में उनकी समस्याएं हटाने के लिए जन्म लिया था। लोग अपनी समस्याओं को दूर करने और बहुत अधिक समृद्धि व सफलता प्राप्त करने के उद्देय से मन्दिरों और अन्य धार्मिक स्थलों को अपने पारम्परिक अनुष्ठानों करने के लिए सुसज्जित करते हर और प्रभु को फल व फूल अर्पण करते हैं। वे सब इस दिन वैदिक मंत्रों का जाप, आरती और अन्य बहुत से धार्मिक भजनों का गान करने के लिए मन्दिरों या अन्य धार्मिक स्थलों पर एकत्रित होते हैं।
 रामनवमी के पवन अवसर पर इस पूरे नौ दिनों का उपवास रखने के द्वारा मनाते हैं और नवरात्री के अन्तिम दिन उन्हें पूरा आशीर्वाद मिलता है। राम नवमी का पावन पर्व का महत्व है। चैैत्र के महीने में 9वें दिन रामनवमी के पर्व को मनाना, पृथ्वी से बुरी शक्तियों के हटने और धरती पर दैवीय शक्तियों के आगमन का प्रतीक है। पृथ्वी से असुरी शक्तियों को परास्त कर धर्म की स्थापना करने के लिए, भगवान विष्णु ने अयोध्या के राजा दशरथ के घर पुत्र रूप में जन्म लिया था। रामनवमी पारम्परिक समारोह है, जिसे वे अपनी आत्मा और शरीर को पवित्र करने के लिए पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं। भगवान राम धरती पर विशेष कार्य या जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए अर्थात् राक्षस राज रावण को मारकर धर्म की स्थापना करने के लिए आए थे। आमतौर पर, लोग शरीर और आत्मा की पूरी तरह से शुद्धि की मान्यता के साथ अयोध्या की पवित्र सरयू तट पर स्नान करते हैं। दक्षिणी क्षेत्र के लोग इस अवसर को भगवान राम और माता सीता के विवाह के रूप में मनाते हैं।


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