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 ज्योतिष के प्राचीन विद्वानों और कुछ आधुनिक विद्वानों ने भविष्यवाणी करने के कुछ सरल, सटीक और अचूक सूत्र खोजे है प्रसिद्ध अंग्रेजी ज्योतष मैगजीन 'दि टाइम्स आॅफ एस्ट्रोलाॅजी' के पूर्व एडीटर स्व. आर. संस्थानम ने अपनी पुस्तक 'एसेन्शियल आॅफ प्रैडक्टिव हिन्दु एस्ट्रोलाॅजी' के रिचर्स कैप्सूल अध्याय मे सैकड़ो ऐसे सूत्रों का वर्णन किया है। भृगु नाड़ी, देवकेरलम, शुक्र नाड़ी, प्रश्नमार्ग, फलदीपिका, जातिका देशमार्ग, जातक पारिजात आदि व पाश्चात्य ज्योतिष के अनेक ग्रन्थों मे भी ये सूत्र पाये जाते है। नीचे कुछ सूत्र सरल, सटीक और अचूक सूत्र दिये जा रहे है। जो विभिन्न गन्थों से संग्रहित है।
1. कोई ग्रह यदि नीच राशि मे जाकर वक्री हो तो उच्च के समान फल देकर राजयोग बनायेगा।
2. वक्री गुरू जंम स्थान से दूर भाग्योदय देगा और यात्रा और स्थान परिवर्तन कराता है।
3. वक्री शनि जाॅब मे कई बार परिवर्तन करायेगा।
4. लग्नेश व षष्ठेश मे स्थान परिवर्तन महादरिद्र और दुर्भाग्यशाली बनायेगा।
5. तृतीय भाव मे राहू या 12 वें भाव मे पाप युत केतु डरावने और रहस्यमय सपनों से पीड़ित करे।
6. यदि 5 वें या नवें भाव मे गुरू, शनि, राहू, केतु स्थित हो यदि गोचर मे उपरोक्त ग्रह  5 वें या नवें भाव मे गोचर करके तो जातक के घर मे किसी बच्चे का जंम हो।
7. यदि छठे या दशम भाव मे चर राशि हो तो इन भावों मे गुरू, शनि, राहू, केतु का गोचर हो तो जातक के जाॅब या व्यापार मे महत्वपूर्ण परिवर्तन हों। 
8. छठे भाव मे बुध अकेला हो व अपनी राशि का ना हो तो वित्तीय संकट देगा।
9. मिथुन का शुक्र साहित्य एवं कलात्मक प्रतिभा दे।
10. अनुराधा नक्षत्र में चन्द्र नीच के चन्द्र का फल नही देगा।
11. कुभ लग्न मे दशम भाव मे नीच का चन्द्र राजयोग देगा।
12. मंगल बुध योग 5 वंे या लाभ भाव मे जातक प्रेम संबध का शिकार होगा।
13. सूर्य, राहू योग 5 वंे या लाभ भाव मे जातक प्रेम संबध का शिकार होगा।
14. द्वितीय भाव का केतु दीर्घायु योग दे।
15. छठे भाव मे जल राशि मे शुक्र तो जातक बुरी आदतों मे धन नष्ट करे।
16. चैथे भाव मे कर्क का राहू माता दीर्घायु हो।
17. यदि जमांक मे मंगल के अंश सबसे ज्यादा हो जातक के छोटे सहोदर ना हो।
17 लग्नेश व दशमेश के राशि अंश जोड़ो प्राप्त राशि अंश पर योग कारक ग्रह का गोचर जाॅब मे उन्नति
देगा।
19. यदि जमांक मे द्वादश भाव मे गुरू, या शनि हो तो गोचर मे जब यह ग्रह उच्च के होगें तो जातक की लंबी यात्रा होगी।
20. गुरू सप्तामंश मे जिस राशि मे हो वह राशि स्वामी  लग्न चक्र मे जिसे राशि मे बैठा हो तो उससे त्रिकोण मे गुरू के गोचर मे संतान की प्राप्ति होगी। जैसे गुरू सप्तामंश मे कर्क राशि का हो और कर्क का स्वामी चन्द्रमा लग्नचक्र मे वृश्चिक मे हो तो चन्द्र से त्रिकोण मे गुरू का कर्क, वृश्चिक व मीन मे गोचर मे संतान प्राप्ति होगी।


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