सच हुई भविष्यवाणी

12 वीं सदी के उत्तरार्ध में लखनौती राज्य (बंगाल व बिहार का संयुक्त क्षेत्र) में वैस वंशीय राजाओं का शासन था जिनकी राजधानी तोदिया थी। 1140-1179 के मध्य यहां राय लखमन राजा थे। ज्योतिष की अनोखी और विचि़त्र घटना इन्ही के शासन काल मे घटी महाराज की रानी को प्रसव होने वाला था महाराज ने राज ज्योतिषी लखनदास को पैदा होने वाले राजकुमार का भविष्य वाचने को कहा राज ज्योतिषी ने गणना करके बताया कि गर्भ मे पुत्र पल रहा है। किन्तु यदि इस मुर्हूत मे बालक पैदा हुआ तो भविष्य महा अशुभ होगा बालक अत्याचारी और चरित्रहीन होगा महाराज ने कोई उपाय पूछा तो उन्होंने कहा कि अभी इस मुर्हूत में 2 घड़ी बाकी है। यदि दो घड़ी बाद पुत्र पैदा होगा तो भाग्यशाली, साहसी, शूर, सचरित्रवान और लंबे समय तक राज करने वाला होगा रानी ने जब यह सुना तो उन्होंने फैसला लिया वह पुत्र दो घड़ी बाद ही पैदा करेगी उन्होंने अपनी दासियों द्वारा अपने दोनों पैर को आपस मे रस्सियों से बंधवा कर खुद को उल्टा लटकवा लिया रानी दो घड़ी तक असहनीय पीड़ा झेलती रही जैसे ही दो घड़ी बीती दासियो ने रानी को उतार कर प्रसव करवाया महारानी को पुत्र ही पैदा हुआ किन्तु महारानी प्रसव के बाद स्वर्ग सिधार गई। बालक का नाम लखमना राव रखा गया जो आने पिता 1179 मे राजा हुआ वे बड़े वीर, प्रतापी और न्यायप्रिय राजा थे। मुस्लिम इतिहासकार मिनहाज ए सिराज जरसानी के ग्रन्थ तवाकत ए नासिरी के अनुसार वर्षो राज्य करने के बाद एक दिन नये संवत्सर का हाल सुनने के लिये राजा साहब ने दरबार लगवाया तो राज ज्योतिष ने पत्रा विचारकर बताया महाराज राज्य का भविष्य बहुत खराब है। पुराणों और ज्योतिष के अनुसार अब इस देश पर सूर्य वंश के राजाओं का राज्य नही होगा उनकी वीरता, न्यायप्रियता काम नही आयेगा ईश्वर की इच्छा से यहाँ तुर्को का शासन होगा महाराज हम सब हिन्दुओं को यह राज्य छोड़ कर कही और चले जाना चाहिये तभी हम सब बच सकते है। राजा ने ज्योतिषी से उस तुर्क की पहचान पूछी तो उसने कहा कि जब वह तुर्क खड़ा होकर अपने हाथ ढीले करेगा तो उसकी उँगलियां घुटनों तक पहुँचेगी महाराजा ने ऐसे तुर्क का पता लगाने को कहा आखिरकार एक ऐसे तुर्क का पता चला वह तुर्क गौर का निवासी मुहम्मद बख्तियार खिलजी निकला सब ने घबरा कर राजा को भाग जाने की सलाह दी किन्तु राजा ने अपनी मातृभूति को छोड़ कर भागने से इंकार कर दिया और अंतिम समय तक लड़ने का निर्णय किया अधिकांश जनता कामरूप और जगन्नाथ की ओर चली गई राजा अपने नौपिया दुर्ग मे डटा रहा एक दिन तुर्क सेना ने अचानक हमला बोल दिया राजा जब किले के पिछले दरवाजे पर जंग की तैयारी कर रहा था तभी किले की मुंडेर से बख्तियार खिलजी ने राजा लखमना की पीठ पर तीर छोड़ा जो शरीर के आर पार हो गया राजा वीरगति को प्राप्त हुये राज्य पर तुर्कों का राजा हो गया उन्होने  राज्य मे स्थित पाटिलीपुत्र के नालंदा विश्वविद्यालय को सन 1193 मंे जला दिया। (साभारः राजपूत कोश मासिक, फरवरी 2013)
 17 वीं सदी में बीजापुर (महाराष्ट्र) मे छत्रपति शिवाजी और बीजापुर के शिया सुल्तानों के बीच संघर्ष चल रहा था शिवाजी बीजापुर के कई किले जीत चुके थे इसी बीच बीजापुर के एक बहादुर सरदार अफजल खान ने शिवाजी को कुचलने का बीड़ा उठाया अफजल खान बीजापुर की मशहूर दरगाह के मुस्लिम ज्योतिषी मुइददीन का शिष्य था और अपनी सभी जंग की योजनायें वह मुइददीन की सलाह से ही बनाता था अफजतल खान इस बार भी सलाह लेने नजूमी के पास पहुँचा नजूमी ने फाल पढ कर भविष्यवाणी की कि जंग का सितारा मंगल तुम्हारे खिलाफ है। और तुम्हारे दुश्मन शिवाजी के माफिक है। वह तुम्हारी मौत का सबब होगा तुमने मुझसे सलाह लेने मे बड़ी देर कर दी है मौत सें बचना है तो शिवाजी का तुम शिवाजी का ख्याल छोड़ दो वरना तुम्हारा पूरा खानदान तबाह हो जायेगा तुम अपने सारे जरूरी काम वसीयत वगैरह निपटा लो तुम शिकारी के हाथों मारे जाओगे तुम्हारा कटा हुआ सिर भाले पर लटका मै साफ देख रहा हूँ। अफजल खान ने नजूमी की बात की खिल्ली उड़ाई और मुहिम पर जाने से पहले अपनी सभी बीबियों को मार डाला उसने शिवाजी को जा घेरा और सुलह करने के लिये शिवाजी को आपने खेंमे मे बुलाया शिवाजी ने पगड़ी के नीचे लोहे का टोप पहना और अंगरखे के नीचे जिरह बख्तर व हाथों में बघनखा शिवाजी उसे मिलने खेमे मे पहुँचा जब वह शिवाजी से गले मिलने लगा तो उसने शिवाजी पर छूरे से वार किया जिरह बख्तर के कारण वार बेकार गया फिर उसने शिवाजी के सिर पर तलवार का वार किया नीचे पहना लोहे का टोप कट गया पर शिवाजी बच गये इसी बीच शिवाजी ने बघनचो से अफजल खान का पेट फाड़ दिया और उसी की तलवार से उसका सिर काट कर भाले पर टांग दिया बाकी मराठों ने मुगल खेमा नष्ट कर दिया अफजल खान अपने बेटे फजल खान सहित मारा गया मुस्लिम ज्योतिषी की भविश्यवाणी सौ फीसदी सच हुयी।


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