राहू लग्न द्वारा भविष्यवाणी

कई ज्योतिष ग्रन्थों मे पढा है। कि दक्षिण भारत मे राहू को लग्न मानकर भविष्यवाणी करने का प्रचलन है। लेकिन इस विषय पर कोई साहित्य या सामग्री नही प्राप्त हुई कारकों को लग्न मानकर भविष्यवाणी करने का वर्णन फलदीपिका तथा भृगुनंदी नाड़ी मे मिलता है तथा कुछ सूत्र भाव कुतुहलम् मे भी मिलते है। जिनका वर्णन अलग संदर्भ और उदद्ेश्य हेतु किया गया है। यह शोध लेख इस विषय पर लिखा गया विश्व का इकलौता लेख है। 
1. एक्सप्रेस स्टार टेलर के अक्टूबर 2005 के अंक मे शंकर अडवाल ने अपने लेख 'डू द नोडस नेगेट द कन्जुअल ब्लिस' में लिखा है। राहू यदि जंम लग्न या चन्द्र लग्न से विशेष कुछ विशेष भावों मे हो तो वैवाहिक जीवन नष्ट हो जाता है अर्थात राहू लग्न से यदि जंन्म लग्न या चन्द्र लग्न इन भावों मे हो तो वैवाहिक जीवन अति कष्टमय होता है।
1. यदि राहू लग्न से जंम लग्न छठे या 12 वे भाव मे जाये।
2. यदि राहू लग्न से चन्द्र लग्न छठीं या 12 वे भाव मे जाये। 
3. यदि राहू लग्न से जंम लग्न दूसरी या 8 वे भाव मे जाये।
4. यदि राहू लग्न से चन्द्र लग्न दूसरी या 8 वे भाव मे जाये।
5. यदि राहू लग्न से जंम लग्न प्रथम या 7 वे भाव मे जाये
6. यदि राहू लग्न से चन्द्र लग्न प्रथम या 7 वे भाव मे जाये
7. यदि उपरोक्त योगों मे कोई ग्रह राहू लग्न से  या 7 वे भाव मे जाये विशेषतः यदि चन्द्र या शुक्र तो परिणाम अधिक भयानक हों।
 महर्षि पाराशर के अनुसार जंमस्थ राहू यदि धनु या मीन राशि मे तो ऐसे राहू से गुरू का गोचर अनेक प्रकार के दुर्भाग्य देता है।
8. यदि राहू-गुरू की युति धनु या मीन में हो या गुरू-केतु  की युति बुध की राशियों में हो तो उपरोक्त दशा में धनु या मीन से गुरू का गोचर अत्याधिक अशुभफल देता है।
9. गुरू-राहू की युति धनु या मीन के अलावा किसी भी राशि में हो तो उस राशि पर गुरू का गोचर शुभफल देता है।
10. यदि 7 वें भाव मे धनु या मीन राशि में शुक्र-राहू योग हो तो उस पर राहू का गोचर तलाक व मृत्यु द्वारा विवाह का नाश होता है।
11. धनु या मीन राशि में मंगल-राहू या राहू-शनि की युति  हो तो इन राशियों पर गुरू का गोचर बड़ी दुर्घटना या अपराधिक गतिविधियों में भागीदारी देगा।
12. चन्द्र-राहू योग से गुरू का गोचर माता व सूर्य-राहू युति से गुरू का गोचर पिता को कष्ट देगा।
13. बुध-राहू युति धनु में तो गुरू का गोचर लकवा या गठिया आदि से पैर में रोग देता है।
14. भगु नंदी नाड़ी के अनुसार गुरू का राहू लग्न से गोचर परिवार में किसी दूर या नजदीक के संबधी की मृत्यु होती है।
15. इसी नाड़ी के अनुसार गुरू छठे पर्याय में जन्मस्थ राहू या केतु से निकले तो जातक को मृत्यु या भीषण कष्ट होता है।
यदि मंगल और राहू या शनि और राहू परस्पर  6 या 8 वें भाव मे राहू हो तो नाग (सर्प) का ष्शाप हो। जो गत जंम मे घोर पापी हो गुरू से 12 वें भाव राहू हो जो गत जंम मे घोर पापी हो
16.यदि राहू लग्न मे शनि भी हो तो मां को प्रसव मे कष्ट आयंे जातक को बचपन और जवानी मे रोग व चोट लगें।
17.यदि राहू लग्न मे गुरू तथा राहू से 8 वें पाप ग्रह हो तो जातक के बांये भाग में जंम गत चिन्ह हो।
18. यादि राहू लग्न का लग्न स्वामी पाप दृष्ट हो तो जातक को चोरों व ठगों से हानि होगी ।
19. यदि राहू लग्न मे मेष, मिथुन, सिंह, तुला धनु या कुंभ राशि हो तो जातक दुबला पतला हो।
20. यदि राहू लग्न व जंम लग्न एक ही हो तथा जंम लग्नेश मंगल पर दृष्टि डाले तो जातक की मुत्यु 18 वर्ष की आयु मे हो
21. यदि राहू लग्न से यदि गुरू, जंम लग्न से पंचेमश मंगल पर दृष्टि डाले तो जातक की संतान की मृत्यु हो। 
22. यदि राहू लग्न मे मंगल व शनि भी हो तो जातक कांे गंभीर रोग या यौनांगों मे कष्ट हो।
23. यदि राहू लग्न से छठे भाव मे निर्बल चन्द्र हो तो जातक को मानसिक रोग होगा यदि इन पर कोई शुभ ग्रह का प्रभाव ना हो।
24. यदि राहू लग्न मे चन्द्र हो तथा जंम लग्न से 5 व या नवें भाव मे पाप ग्रह हेा तो जातक चिंताओं तथा पिशाच बाधा से ग्रस्त हो।
25. यदि जंम लग्न यदि राहू लग्न से 12 वें तथा मंगल राहू लग्न से छठे हो तो पति/पत्नी अल्पायु हो या विवाह के बाद शीघ्र तलाक हो। 
26. यदि जंम लग्न यदि राहू लग्न से 11 वें तथा राहू लग्न जल या चर राशि मे हो तो जातक विदेश यात्रा करे।
27. यदि राहू लग्न सिंह हो तथा मंगल राहू से छठे हो तो सफलता व शक्ति मिले।
28. यदि राहू लग्न का लाभेश राहू से युुति करे तो जुड़वा संताने देगा।
29.जंम लग्न राहू लग्न से  8वीं या द्वितीय हो तो जातक झूठ बोले व ठग हो।
30. जंम लग्न राहू लग्न से  8 वीं तथा शनि राहू से तृतीय मे हो तथा राहू से 7 वें सूर्य मंगल हो तो माता 12 वंे साल या किशोरावस्था मे मरे।
31. जंम लग्न राहू लग्न से 8 वीं हो तो शरीर के दोनो ओर घाव या जख्म के चिन्ह हो। या जंम लग्न राहू लग्न से द्वितीय हो तो नेत्र या पेट मे कटने से, घाव या जख्म के चिन्ह हो।
32. जंम लग्न राहू लग्न से 8 वीं या द्वितीय हो व गुरू राहू से 2, 5, 8, या 11 भाव मे हो तो सभी प्रकार की संपत्ति प्राप्त हो।
33. यदि स्त्री जमांक मे राहू लग्न से जंम लग्न 7 वी हो तो जातिका विधवा या विवाह विलंब दे यदि उपरोक्त योग में राहू लग्न या वृष या तुला की हो तो विधवा योग बनाये। 
34. यदि स्त्री जमांक मे राहू लग्न से जंम लग्न 7 वी हो व सूर्य राहू युति हो तो स्त्री द्वारा हानि हो।
35, यदि राहू लग्न से जंम लग्न 7 वी हो व राहू लग्न शनि व मंगल के पापकर्तरीयोग मे हो तो पत्नी अल्पायु होगी 
36. यदि राहू लग्न से जंम लग्न 7 वी हो व राहू से 10 वें मे मंगल हो तो जातक विकृत सेक्स करे।
37. जंम लग्न राहू लग्न से 7 वीं हो और उसमे गुरू हो तो बांये हाथ मे चिन्ह हो
38. जंम लग्न राहू लग्न से 6 वीं हो तो यात्रा दे कम संताने हो, चोरो व अपराधियों द्वारा संपत्ति की हानि हो।
39. जंम लग्न राहू लग्न से 6 वीं हो व राहू निर्बल चन्द्र युत हो तो निरंतर बीमारी हो।
40. जंम लग्न राहू लग्न से 6 वीं हो व शुक्र भी छठे मे हो तो सिर या बांये कान मे चिन्ह हो।
41. जंम लग्न राहू लग्न से 6 वी हो व राहू मंगल युत हो तो रोग हो व मध्यायु मे मृत्यु का खतरा हो। यदि मंगल उच्च का हो तो यह योग लागू नही होगा 
42. जंम लग्न राहू लग्न से 6 वी या 12 वीं हो व राहू सूर्य युत हो तो अल्पायु का मृत्यु खतरा हो।
43.यदि राहू लग्न मे मंगल व शनि भी हो तथा जंम लग्न राहू लग्न से 5 वीं हो या जंम लग्न राहू लग्न से 11 वीं हो और राूह से 7 वें मंगल व शनि हो तो पिता काफी पीड़ाओं तथा कठिनाईया के बाद मरे।
44. यदि जंम लग्न राहू लग्न से 5 वीं हो तथा राहू लग्नेश नीच का हो तो जातक निःष्ठुर व निर्दयी नेता हो।
45. यदि राहू लग्न मे बुध व शनि हो तथा जंम लग्न राहू लग्न से 5 वीं हो हाथ या पैर कटें या या पैर मे कटने से घाव हों।
46. यदि राहू लग्न मे शुभ ग्रह हों या उनकी दृष्टि  हो तथा जंम लग्न राहू लग्न से तीसरी हो तो सभी कष्ट व संकट मिट जायेंगे। 
47. जंम लग्न राहू लग्न से 6 वी हो व  राूह से 7 वें शनि हो ट्रान्सपोर्ट व्यापार से लाभ हो।
48. जंम लग्न राहू लग्न से 4 वी हो व तो माता के अवैध    संबध संभव है। राहू से 7 वें चन्द्र हो तो नीचे आदमी से शनि हो तो नौकर या नीच पेशा बुध हो तो व्यापारी से सूर्य मंगल हो तो सैन्य पेशा से शुक्र या गुरू हो तो पुजारी से संबध हो।
49. फेट एंड फाॅरचून' ज्योतिष पत्रिका के संपादक और कई ज्योतिष ग्रन्थों के लेखक स्व माणिक चन्द्र जैन ने अपनी पुस्तक कार्मिक कन्ट्रोल प्लेनेटस' में त्रिकेशों, राहू केतु गत राशि स्वामी, वक्री ग्रहों तथा अति दूरस्थ ग्रहों प्लूटो, नेप्च.ून व यूरेनस को कार्मिक कन्ट्रोल ग्रह माना है। जो पूर्व जंम के  पापों के द्योतक हें तथा इनका परस्पर योग जीवन मे हत्या, आत्महत्या या अंय भयानक घटना देता हैं स्व जैन के अनुसार यदि राहू केतु के राशि स्वामी राहू केतु से युत हों (राहू लग्न का लग्न या राहू से 7 वे भाव मे जाये या राहू से सप्तमेश राहू लग्न या राहू से 7 वें मे जाय तो हत्या या आत्महत्या का स्पष्ठ योग बनता है।
50. यदि राहू जंम लग्न से त्रिकेशों, राहू केतु गत राशि स्वामी, वक्री ग्रहों तथा अति दूरस्थ ग्रहों प्लूटो, नेप्च.ून व यूरेनस से युत हो तो उपरोक्त फल मिले।
51. चन्द्रमा व राहू पापग्रस्त हो तो जातक डरावने और रहस्यमय सपनों से पीड़ित करे। 
52.जंम लग्न राहू लग्न से 9 वी या तृतीय हो तो जातक प्रेम ंसबध का शिकार होगा।
53़ जंम लग्न राहू लग्न से छठी या हो तो जातक दीर्घायु हो। 


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