जाने कहांँ गये वो लोग

यह लेख दुनियाँ के उन बदनसीब इंसानों की दास्तान है, जो किसी दिन अपने घर से निकले लेकिन फिर वापस लौटकर घर नही आये उनके इंतजार में उनके परिजनों की आँखे पथरा गई बरसों बीत गये किन्तु उनका इंतजार खत्म नही हुआ, ना उन्हें जिंदा माना गया ना मृत। उन लापता लोगों का कुछ पता नही चला ना उनकी कोई खबर मिली ना लाश। बस कयास लगाये गये परिजन ज्योतिषियों, बाबाओं व तांत्रिक के पास भी गये लेकिन कोई नतीजा नही निकला इस लेख मे ऐसे ही कुछ जातकों के जंमाक का ज्योतिषीय आधार पर अध्ययन करने का प्रयास किया गया इस विषय पर साहित्य ना के बराबर है। कुछ सूत्र प्रश्न ज्योतिष मंे प्रवासी विचार के अन्र्तगत अवष्य मिलते हैं। 
जातक:- 15 अप्रैल 2005 को दोपहर मे घर वापस निकले महीनांे तलाश के बाद भी उनका कोई नही चला। मीन लग्न, कर्क मे राहू, तुला मे शनि राहू, नवम मे वृश्चिक मे बुध, धनु मे सूर्य व गुरू, मकर मे केतु कंुभ मे चन्द्र व मंगल। अरूधा लग्न मिथुन से आठवे भाव मे मकर का केतु रहस्यमय मृत्यु दे। लग्नेश से 8 वें राहू दुःमरण व रहस्यमय मृत्यु देता है। चन्द्र से अष्ठमेश बुध पापकत्र्तरी मे है।
जातक:- जन्म 22 जनवरी 2007 को शाम 6.30 को घर से निकला फिर वह लौटकर नही आया उसके जिंदा या मुर्दा होने की कोई खबर नही मिली। मीन लग्न मे चन्द्र, मिथुन मे मंगल, कर्क मे राहू, सिंह मे सूर्य व बुघ, 7 वें नीच का शुक्र, मकर मे स्वग्रही व वक्री शनि तथा केतु कुंभ मे वक्री गुरू। लग्नेश व चन्द्र लग्नेश वक्री है चैथे शत्रु राशिगत मंगल व नीच का शुक्र पारिपारिक कलह दे रहा है। वक्री गुरू स्थान परिवर्तन तथा वक्री शनि जाॅब मे परिवर्तन के अलावा अल्पायु क्योंकि शनि आयु कारक है। घटना के समय लग्न व चन्द्र लग्न से अष्ठमेश षुक्र से केतु निकल रहा था तथा सूर्य अष्ठमेश शु़क्र गत कन्या राशि से त्रिकोण मकर (14 जनवरी से 2015 फरवरी) से निकल रहा था जो मृत्यु माह बताता है। 
जातक:- जन्म 23 मई 2008 की षाम साढे सात बजे घर से निकला फिर वह कभी लौटकर नही आया जमंाक 20/21 अक्टूबर 1968। रात्रि-2. 45 पर। लखनऊ। सिंह लग्न मे मंगल, कन्या मे चन्द्र, गुरू, केतु, यूरेनस व वक्री बुध, तुला मे नीच का सूर्य, वृश्चिक मे शुक्र व नेप्चून, 8 वें मीन का वक्री शनि व राहू योग, दशम मे मांदि। नवांश मे कन्या लग्न मे मांदि, वृश्चिक मे सूर्य, मंगल, राहू, मकर मे नीच का गुरू, 7 वें मीन का शनि, वृष मे केतु, कर्क का चन्द्र, सिंह मे शु़क्र व बुध। लग्न व चन्द्र लग्न से प्रेम भावेश पंचमेश व विवाह कारक सप्तमेश परस्पर दृष्टि डाल रहे हंै, व वृश्चिक का शुक्र मंगल से दृष्ट है। जो प्रेम प्रसंग बताता है, किन्तु शनि वक्री होकर कुंभ का फल दे रहा है। जो गुरू से षष्ठाष्ठक संबध बनकर प्रेम विवाह भंग कर रहा है। पंचेमश नवंाश मे नीच का होकर भी प्रेम विवाह नही होने देगा लग्नेश सूर्य नीच है व चन्द्र लग्नेश बुध वक्री है तथा आयु कारक शनि वक्री होकर अकाल मुत्यु योग बना रहे है। द्वितीयेश व सप्तमेश दोनो वक्री होकर अविवाह योग बना रहे है। देवकेरलम के अनुसार घटना के समय 23 मई 2008 को जातक के लग्न से अष्ठमेश गुरू की नवंाषगत राशि सिंह से त्रिकोण मे शनि निकल रहा था जो मृत्यु योग बना रहा था तथा चन्द्र लग्न से भी अष्ठमेश मंगल की नवंाशगत राशि सिंह से त्रिकोण मे केतु निकल रहा था जो मृत्यु योग बना रहा था तथा भृगु नाड़ी के अनुसार फरवरी 2008 को जीव कारक जंमस्थ कन्या के गुरू से त्रिकोण राशि मकर मे राहू निकल रहा था जो मृत्यु योग बना रहा था सूर्य अष्ठमेश गुरूगत कन्या राशि से त्रिकोण वृष (15 मई से 16 जून) से निकल रहा था जो मृत्यु माह बताता है। 
जतक:- युवक का जंम तिथी-10/11 नवम्बर 1949 रात्रि-12.25। मेरठ। वृश्चिक लग्न- 15 अंश मे गुलिक 17 अंश, मकर मे नीचस्थ गुरू 2 अंश, कुंभ मे सूर्य 27 अंश, मंगल 28 अंश, बुध 2 अंश, शुक्र 17 अंश, मेष मे राहू 3 अंश, कर्क मे चन्द्र 1 अंश, सिंह मे वक्री शनि 8 अंश, तुला मे केतु अंश। 1984 मे 36 वर्ष की आयु मे लापता। पंचमेश गुरू नीच का भ्रष्ट बुद्धि, लग्न मे गुलिक गुलिक भावेश व लग्नेश षष्ठेश अष्ठमेश, द्वादेश कर्मेश से युत है अल्पायु व भंयकर हादसे का योग 1984 मे भागने के समय तुला का शनि लग्नेष षष्ठेश अष्ठमेश, द्वादेश कर्मेश की युित से त्रिकोण मे निकल रहा था जो पूर्ण मृत्यु योग था।


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