मुकदमों का ज्योतिषीय विवेचन

छठा भाव, षष्ठेश व मंगल मुकदमे, शत्रु का कारक है। लग्न वादी और सप्तम भाव प्रतिवादी को बताता है। लग्न जातक को बताती है। चाहे वो वादी हो या प्रतिवादी 7 वां भाव आपके विपक्षी तथा विपक्षी वकील को बताता है। तृतीय भाव से ज्यूरीडिक्शन 12 वां भाव हानि तथा मुकदमे पर हुये खर्च जुर्माने, पेनाल्टी, टैक्स, कैद, जेल व सजा कोे बताता है। गुरू व शनि कानून के कारक है 11 वां भाव मुकदमे से हुये लाभ व द्वितीय भाव पीड़ाओं/पारिवारिक विषय, मौखिक साक्ष्य, तृतीय भाव दस्तावेजी सबूत और अपील को बताता है। 9 वां भाव मतांतर से 10 वां भाव जज, आॅडर प्राधिकारी, व जांच तथा चैथा भाव फैसलो को बताता है। सूर्य जज है। 11 वें भाव व बुध से वकील व राहू जेल का कारक है। लग्न मे पाप ग्रह तथा 7 वेें शुभ ग्रह जातक को सफलता के लिये उत्तम युद्ध भावना देता है। 7 वें मे शुभग्रह विरोधी को शांतिवादी बनाता हैं तथा लग्न पर शुभ दृष्टि जातक को लाभ देती है। पर यदि 7 वें मे पाप ग्र्रह हो तथा लग्न मे शुभ ग्रह तो विरोधी जीते जातक हारे। यदि लग्न या 7 वें भाव मे दोनो में पाप ग्रह हों तो लग्नेश या सप्तमेश मे से जो बली होगा वो जीत पक्ष जायेगा यदि दोनो बली हो तो समझौता होगा यदि उपरोक्त दोनो भावों मे पाप ग्रह हो तो जिस भाव मे अधिक बली पाप ग्रह हो वो जीते सप्तमेश निर्बल हो तो विरोधी हारेगा नवम से द्वितीय भाव तक के भाव वादी के तथा तृतीय से अष्ठम भाव तक के भाव प्रतिवादी के द्योतक है। जिन भाव समूह मे शुभ ग्रह अधिक होगे वो पक्ष जीतेगा। षष्ठेश मुकदमेे का कारक ग्रह है। इसका अंय भावों से संबध मुकदमा उसकी प्रकृति तथा प्रकार बताता है।  
1. षष्ठेश का द्वितीयेश से संबध धनलाभ तथा खर्चें संबधी मुकदमे देगा 
2. तृतीय भाव से ठेकेदारी भागीदारी संपत्ति, बँटवारे संबधी मुकदमे देगा 
3. चतुर्थेश से संबध संपत्ति, बँटवारे, कृषि, वाहन व यात्रा संबधी मुकदमे।
4. षष्ठ भाव से पराजय, कर्ज लेना, बँटवारे के मुकदमे, कर्ज चुकाने, डूबे धन संबधी, गिरवी वस्तु को छुड़ाना पद से हटना संबधी मुकदमे देगा 
3.सप्तमेश से संबध दीवानी, पार्टनरशिप व तलाक के मुकदमे व्यापारिक या खरीद फरोख्त के मुकदमे 7 वें भाव से शत्रु का विनाश देखते है।
4.अष्ठमेश से संबध फौजदारी, ग्रह कलह, वसीयत व विरासत के मुकदमे
5. अष्ठमेश व दशमेश से संबध कर व नौकरी के मुकदमे।
6. नवमेश से संबध विदेश यात्रा व विदेश व्यापार के मुकदमे।
7. गुरू से संबध धन व आय संबधी मुकदमे।
8. छठे भाव मे दो या अधिक पापग्रह 5, 7 या 12 वें की वस्तुओं को नुकसान पहुँचाता है।
9. छठे या 8 वें भाव मे शनि मंगल शनि या मंगल राहू योग अपराधिक मुकदमे देता है।
10. 11 वंे भाव से शत्रु विजय व मुकदमे मे विजय बताता है।
10. मुकदमे मे बुध धूर्तता व डूप्लीकेसी तथा मंगल ईगो व क्रोध और हमलावर प्रवृत्ति के कारण जातक मुकदमे मे होते है। 
11. 12 वे भाव से कर्जे या पैत्रिक संपत्ति के मुकदमे देखते है।
अच्छे या बुरे फैसले के योग-
1. यदि लग्न या दशम भाव मे बली व शुभ ग्रह हों व लग्नेश या दशमेश बली हो।
2. लग्न या चन्द्र से अधियोग बना हो 
3. पंचम या नवम भाव बली या उनमे राजयोग बने। 
4. लाभ भाव व लाभेश बली व शुभ प्रभाव मे हेा यदि 11 भाव बाधक ना हो। जैसे चर लग्न मे।
5. यदि गुरू केन्द्र या त्रिकोण मे स्वग्रही या उच्च का हो तथा चन्द्र, बुध या शुक्र से दृष्ट हो तो मुकदमे में विजय हो।
6. षष्ठेश लग्नेश से निर्बल या नीच या अस्त हो।
7. केन्द्र व त्रिकोण मे शुभ ग्रह जातक के सम्मान तथा मुक्ति की रक्षा करता हैं।
जमानत की प्राप्ति-
1. यदि लग्नेश या चन्द्रमा चर राशि मे हो कर्क अपवाद है। 
2. लग्नेश या चन्दमा केन्द्र मे हो।
3. केन्द्र मे शुभग्रह हों।
4. यदि लग्न, षष्ठ, दशम या लाभ भाव के ग्रहों  की दशा चल रही हो
5. लग्नेश 12 वे भाव मे पापी द्वादेश से दृष्ट हो।
6. यदि लग्नेश 12 वें भाव मे द्वादेश से दृष्ट हो व केन्द्र मे शुभग्रह हो तो आसानी से जमानत मिले यदि केवल पाप ग्रह हो तो विलंब से जमानत हो
अपील-तृतीय भाव अपील को बताता है। तृतीय भावस्थ ग्रह, तृतीयेश तथा तृतीयेश का नक्षत्र स्वामी तथा नवंाश मे तृतीयगत राशि स्वामी यदि षष्ठ या लाभ भाव या उनके स्वामियों से संबधित हो तो अपील मे सफलता मिले। यदि 10 वें भाव मे मंगल या शनि हो तो केस हाई कोर्ट मे जायेगा यदि लग्नेश चतुर्थेश से युत या दृष्ट हो तो फैसला हाईकोर्ट से हो 
विशेष नोट-
1.लग्न मे 4 या 5 ग्रह लग्न को निर्बल बनाते है जातक को हार यदि ये 7 वें भाव मे हो तो सप्तम भाव को निर्बल बनाते है शत्रु को हार दे। लग्नेश वक्री जातक को तथा वक्री षष्ठेश या सप्तमेश शत्रु को हार देता है।
2. वक्री ग्रह मार्गी के मुकाबले निर्बल होता है।
4. केन्द्र स्थित ग्रह बली होता है। 
5. यदि लग्नेश या सप्तमेश दोनो केन्द्र मे हो तो कम अंशों वाला ग्रह बली होगा
6. बल के सामांय नियम उच्चस्थ या स्वग्रही या त्रिकोण का स्वामी होना भी मान्य हांेगे
जातक जीते-
1. लग्नेश सप्तमेश से बली हो
2. लग्न मे पाप ग्रह हों 
3. नवम मे दो शुभ ग्र्रह हो 
3. सप्तमेश वक्री हो 
4. लग्न स्थिर राशि मे व चन्द्र चर या द्विस्वभाव राशि मे हो 
5. लग्न द्विस्वभाव राशि मे व चन्द्र चर राशि मे हो। 
6. लग्न व चन्द्र दोनो द्विस्वभाव राशि मे हो 
7. लग्नेश दशमेश मे परिवर्तन हो या लग्नेश लग्न व दशमेश 10 वें मे हो।
8. सप्तमेश छठे मे या द्वितीय भाव मे द्वितीयेश से युक्त हो
 9. लग्न से 12 वे मे सूर्य हो।
10.  लग्न या अरूधा लग्न से 11 वें भाव मे सूर्य हो 
11. अरूधा लग्न पद या लग्न से 3, 6 भाव मे पापग्रह या पाप ग्रहों की राशियां जातक को मुकदमे मे विजय देते है तथा शुभ ग्रह पराजय या समझौता। 
विपक्षी जीते-
1. लग्नेश नीच का या वक्री अस्त या 8 या 12 वें भाव मे हो
2. 7 वें भाव मे पाप ग्रह हो।
3. वक्री मंगल जातक को पराजय देता है। 
4. शत्रु पद छठे भाव की अरूधा से  3, 6 भाव मे पापग्रह या पाप ग्रहों की राशियां शत्रु को मुकदमे मे विजय देते है तथा शुभ ग्रह पराजय या समझौता।
समझौता-लग्नेश व सप्तेमश दोनो शुभ ग्रह युक्त या शुभ ग्रह दृष्ट हो दोनो समान रूप से बली हो या द्विस्वभाव राशि मंे हो दोनो भावो मे बली पापग्रह हो या दोनो के भावेश बली पाप ग्रह हों यदि लग्नेश षष्ठेश या सप्तमेश का मित्र ग्रह हो लग्न या अरूधा लग्न पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो 
बुध वकील  की लग्न या लग्नेश या सप्तम भाव या सप्तमेश से शुभ स्थिति जिसके पक्ष मे हो वो जीते छठा भाव व षष्ठेश, पब्लिक प्रास्कयूटर के है। यदि जातक विपक्षी हो तो सप्तम भाव पब्लिक प्रास्कयूटर के है। लग्नेश या सप्तमेश मे जो दशमेश दृष्ट हो वो पक्ष गलत होगा 
फैसला-मंगल, गुरू व शुक्र 10 वे ंमे सही फैसला होगा  सूर्य 10 मे कठोर या जातक  को भारी दण्ड मिले 10 मे शुभ चन्द्र जातक के पक्ष मे तथा पापी चन्द्र विरोधी के पक्ष मे और फैसला देगा दशमेश केन्द्र मे शनि या मंगल दृष्ट हो तो विरोधी जीते लग्नेश पाप दृष्ट 5, 7, 8, 9, भाव मे पाप ग्रह हो तो विरोधी जीते। शनि केन्द्र मे मंगल दृष्ट फैसला गलत होगा दशम मे मंगल गुरू व शुक्र फैसला सही हो यदि बुध 10 वे ंहो तो फैसला कुछ सही कुछ गलत होगा
अष्ठमेश की दशा व अंतरदशा मे मुकदमा नही करें। पंचाग मे सिद्धयोग जयद योग मुदद्ादेह योग मे मुकदमा करने से विजय मिलती है 
1. लग्न मे पापी ग्रह वादी को विजय देते हैं।
2.नवम भाव मे दो शुभ ग्रह जातक को विजय दिलाते है।
3. सप्तमेश नीच, अस्त, वक्री, 8, 12 भाव मे या पापकत्र्तरी मे हो।
4. लग्नेश सप्तमेश से बली हो।
5. लग्न मे स्थिर राशि मे व चन्द्र चर या द्विस्वभाव राशि मे हो।
6. लग्न मे द्विस्वभाव राशि मे व चन्द्र चर राशि मे हो।
7. लग्न व चन्द्रमा दोनो द्विस्वभाव राशि मे हो।
8. लग्न व दशम भाव मे राशि परिवर्तन हो।
9. लग्नेश दशम भाव मे दशमेश से युत हो।
10. 3, 6, 11 भाव मे पापग्रह हों।
11. अरूधा लग्न से 3, 6 भाव मे पापग्रह हों।
12.सप्तम मे पापी ग्रह, सप्तमेश लग्नेश से बली, पापग्रस्त बुध, वक्री मंगल, लग्नेश नीच, अस्त, वक्री, 8, 12 भाव मे या पापकत्र्तरी मे हो तो प्रतिपक्ष की विजय हो। लग्नेश, दशमेश पर गुरू गोचर या सप्तमेश, द्वितीयेश पर शनि, राहू के गोचर के समय जातक की विजय होगी।


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