शु़क्र धन और बुध बैक बैलेस का कारक ग्रह है

वैदिक ज्योतिष एवं प्राच्य विद्या शोध संस्थान अलीगंज, लखनऊ के तत्वाधान मे 131 वीं मासिक सेमिनार का आयोजन वाराह वाणी ज्योतिष पत्रिका कार्यालय में सम्पन्न हुआ। सेमिनार का ज्योतिष में 'आकस्मिक आर्थिक घाटा' था, जिसमे डा. डी.एस. परिहार के अलावा आचार्य राजेश, पं. शिव शंकर त्रिवेदी, पं. जर्नादन प्रसाद त्रिपाठी, पं. के.के. तिवारी, इंजीनियर एस.पी. शर्मा, शिव सहाय मिश्र, पं. अनिल कुमार बाजपेई, एडवोकेट तथा पं. आनंद त्रिवेदी आदि ज्योतिषियोें एवं श्रोताओं ने भाग लिया गोष्ठी में डी.एस. परिहार, पं. के.के. तिवारी, इंजीनियर एस.पी. शर्मा तथा पं. आनंद त्रिवेदी ने अपने अनुभव और व्यक्तव्य प्रस्तुत किये। प. आनंद त्रिवेदी ने बताया कि यदि जमांक मे द्वितीय व लाभ भाव के स्वामी यदि त्रिक मे हो या पाप युत या दृष्ट नीच, अस्त या वक्री हो तो जीवन र्मे आिर्थक घाटा होता है, तथा नवम भाव, नवमेश और बुध भी यदि अशुभ स्थिति मे हो र्तो आिर्थक घाटा देता है। के.के. तिवारी के अनुसार जमंाक में गुरू के नीच, वक्री या अशुभ भाव मे हो जाने से जातक र्को आािर्थक हानि देता है। त्रिक भाव मे बुध या गुरू के जाने से शेयर मे हानि होती है। श्री एस.पी. शर्मा ने बताया कि द्वादश भाव हर तरह के घाटे का होता है, घाटे के लिये द्वितीय, पंचम और और 12 वें भाव को विशेष रूप से देखना चाहिये। डा. परिहार मे बताया कि नाड़ी एस्ट्रोलाॅजी मे शु़क्र धन और बुध बैक बैलेस का कारक ग्रह है। चन्द्रमा और मंगल बुध के शत्रु है। इनका परस्पर संबध कपट द्वारा या अपनी लावरवाही से जातक र्को आिर्थक घाटा देता है। शुक्र का केतु और चन्द्र से किसी भी प्रकार का संबध आर्थिक हानि देता है। घाटे दो प्रकार के होते है। पहला नौकरी छूट जाये या व्यापार मे घाटा हो जाये दूसरा ठगी, चोरी पाकेटमारी या धन या जेवर खो जाये या किसी दुर्धटना मे वाहन या मकान क्षतिग्र्रस्त हो जाये। मंगल बुध का परस्पर संबध बुध मंगल योग या बुध चन्द्र योग या बुध की राशि मे मंगल तथा मंगल की राशि मे बुध अवश्य धनहानि या संपति की हानि देता है। इस गोष्ठी की अध्यक्षता डा. डी.एस. परिहार ने की। 


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