अंक ज्योतिष

अंक विद्या एक मध्य एशिया की विद्या है। भारत मे अंक विद्या की अपेक्षा ज्योतिषीय और बीजगणित का अधिक प्रचलन था यहांँ अकों को या तो शब्दों मे लिखते थे जैसे सप्तम अध्याय या एकोनविंषः सर्गः आदि या बीज गणित मे लिखते थे जैसे चार अंक के लिये वेद, छह के लिये शडरस, दो के लिये नेत्र या पक्ष आदि। प्राचीन गणना पद्धति कपटयदि सूत्र मे लिखा है कि अकांनां वामानां गति अर्थात अंक उल्टी गति से चलते है। जैसे वेद चार का प्रतीक है। और नेत्र दो का प्रतीक है। यदि हमे 42 लिखना है तो हम शब्दो मे नेत्रवेदे लिखेंगें और पढते समय वेद के चार अंक पहले पढे जायेगें ओर नेत्र के दो दांयी ओर लिखे जायेंगें। किन्तु आजकल भविष्य बताने की जो अंक पद्धति प्रचलित है। वह मूलतः पाश्चात्य देशों से भारत मे आई है। यह प्राचीन यहूदियों की हिब्रू या चैल्डियन विद्या है। जो कालान्तर मे योरोप से होती हुयी भारत व सारे संसार मे फैली । कीरो,  सेफेरियल, रेने आदि इसके प्रमुख प्रवर्तक है। बुक आफ नम्बर, कीरोज पामिस्ट्री एंड न्यूमरोलाजी, कीरोज बुक आॅफ पामिस्ट्री, न्यूमरोलाजी एंड एस्ट्रोलाॅजी, बुक आॅफ एस्ट्रोलाॅजी, व्हन यू आर बार्न, कीरोज बुक आॅफ फेट एंड फोरचून, यू एंड योर स्टार, कीरोज एस्ट्रोलाजी एंड योर बर्थ डे, रीड योर पास्ट, प्रैसेन्ट एंड फयूचर। सेफेरियल की नम्बर आॅफ कबाला के अनुसार अंक विद्या के निम्न सूत्र हैं। इस अंक विद्या मे अंकों के दो विभाजन है। 
1. मूल अंक- दहाई से छोटे सभी अंक मूल अंक होते है, जो बिना किसी अन्य अंकों के सहयोग के बनते है, यह 1 से 9 अंक तक होते है।
2. मिश्रित अंक- 10 से उपर के सभी अंक मिश्रित अंक होते है, बिना किसी अन्य अंक के सहयोग के इनका निर्माण संभव नही होता है।
चैल्डियन अंक विद्या मे कुल 78 अंक होते है। जिनमे 1 से 22 मे प्रमुख अंक या मेजर की होती है। जो टैरो विद्या का मूलाधार है। और 23 से लेकर 78 तक माईनर की होती है। जो सौर केलैन्डर पर आधारित होते है। साथ ही अंक विद्या सायन सौर केलेन्डर पर  आधारित है अंक विद्या 12 राशियों उनके मासों व उन राशियों के तत्वों जैसे अग्नि, जल पर आधारित होती जिनसे घटनाओं के दिन, तिथी, माह, रोग व दुर्घटना के स्वरूप व कारणों का पता लगता है।
 मूल  अंक ग्रह  राशि 
 1  सूर्य  सिंह
 2  चन्द्र  कर्क
 3  गुरू  धनु, मीन
 4  डैªगन हेड सिंह
 5  बुघ        मिथुन, कन्या
 6  वीनस  वृष, तुला
 7  डैªगन टेल मकर
 8  शनि  मकर, कुंभ
 9  मंगल         मेष, वृश्चिक
अंको और राशियों का ग्रहों से सीधा संबध हैं जातक की जंम तारीख के आधार पर जातक के शुभ या अशुभ अंको का निर्धारण किया जाता है। 1 से 9 तक के अंक नौ ग्रहों का प्रतिनिधत्व करते हैं। हर ग्रह और राशि एक अंक की प्रतीक है।
अंक व ग्रह तालिका न. 1
 जंम तारीख अंक वार  ग्रह 
1, 19, 28 1 रविवार  सूर्य
2, 11, 20, 29 2 सोमवार  चन्द्र
3, 12, 21, 30 3 गुरूवार  गुरूवार
4, 13, 22, 31 4 रविवार  हर्शल (डैªगन हेड)
5, 14, 23, 5 बुधवार  बुध
6, 15, 24 6 शुक्रवार  शुक्र
7, 16, 25 7 सोमवार  नेप्चून
8, 17, 26 8 शनिवार  शनि
9, 18, 27 9 मंगलवार मंगल
राशियाँ, सौरमास, ग्रह व अंक
 कीरो घटनाओं के वर्ष और माह की गणना के लिये सायन सौरमास व उनकी राशियाँ का भी सहारा लेते थे। जिसका वर्णन उन्होने अपनी पुस्तक यू एंड योर स्टार में इस प्रकार से किया है।
   तालिका न. 2
  अवधि   राशि  ग्रह अंक     तत्व
21 मार्च- 19 अप्रैल मेष मंगल  9      अग्नि
19 अप्रैल- 20 मई  वृष  शुक्र 6       पृथ्वी
21 मई- 20 जून  मिथुन बुध 5       वायु
21जून- 20 जुलाई कर्क चन्द्र 2       जल
21 जुलाई-20 अगस्त सिंह सूर्य 1       अग्नि
21 अगस्त-20सितम्बर कन्या बुध 5       पृथ्वी
21सितम्बर-20 अक्टूबर तुला शुक्र 6       वायु
21अक्टूबर-20 नवम्बर वृश्चिक मंगल 9    जल
21नवम्बर-20 दिसम्बर धनु    गुरू 3     अग्नि
21दिसम्बर-20 जनवरी मकर शनि 8     पृथ्वी
21जनवरी-20 फरवरी कुंभ शनि 8   वायु
19 फरवरी-21 मार्च मीन गुरू 3   जल
 4 अंक 1 का नकारात्मक अंक है। दोनों परस्पर मित्र है। 7 अंक 2 का नकारात्मक अंक है। दोनों परस्पर मित्र है। 
  तालिका न. 3
अंक परस्पर मित्र अंक परस्पर शत्रु अंक
1 4, 8   6,  7
2 7, 9   5,  7
3 5, 6, 9   4,  8
4 1, 8   3,  5
5 3, 9   2  4
6 3, 9   1,  8
7 2, 6   1,  9
8 1, 4   3,  6 
9. 3, 5, 6,   7 
 मकर राशि शनि की स्त्री राशि है कंुभ पुरूश राशि है। पुरूष राशि ग्रह की सकारात्मक और स्त्री राशि ग्रह की नकरात्मक राशि होती है।
 प्रत्येक राशि जिस तारीख को प्रारंभ होती है। उससे अगले  7 दिन राशि  संधि के होते हैं। इन 7 दिनो के समय पर गत व अगली दोनो राशियों का प्रभाव रहता है। जैसे मेष राशि 21 मार्च को शुरू होती है। तो प्रथम 7 दिन 21 से 27 मार्च तक मीन और मेष दोनो राशियों का प्रभाव रहेगा और उसके पश्चात  28 मार्च से 19 अप्रैल के मध्य मेष पूर्ण रूप से प्रभावी रहेगी। इसी तरह 19 अप्रैल- 26 अप्रैल तक वृष संधि,21 मई- 28  मई मिथुन संधि 21 जून- 28 जून कर्क संधि 21 जुलाई- 28 जुलाई  सिंह संधि 21 अगस्त-28 अगस्त कन्या संधि  21 सितम्बर- 28 सितम्बर तुला संधि 21 अक्टूबर- 28 अक्टूबर वृश्चिक  संधि 21 नवम्बर-28 नवम्बर धनु संधि 21  दिसम्बर- 28 दिसम्बर  मकर संधि  21 जनवरी-28 जनवरी कुंभ संधि, 19 फरवरी-26 मार्च मीन संधि होती है।
अंक विद्या के प्रयोग
1. मूलांक का आधार-
इसमे किसी मास के 1 से 31 तारीख में जंम होने पर मूलंाक प्राप्त करके उससे भविष्य बताया जाता है। जंम तारीख से मूलांक निकालने हेतु तालिका न. 1 का अध्ययन करें। जैसे 19 तारीख का मूलांक 1 $ 9 = 10 तथा 31 तारीख 3 $ 1 = 4 होगा।
2. मिश्रित अंक के आधार पर-
इस पद्धति मे मिश्रित अंक जानने के लिये जंम तिथी का अंक, माह का अंक तथा सन का अंक तीनों को जोड़ कर मिश्रित अंक निकाला जाता है। जैसे 12 जुलाई 1976 का मिश्रित अंक 1 $2 $ 7 ( जुलाई का अंक ) $ 1 $ 9 $ 7 $ 6 ( सन का अंक ) = 33  होगा 
3. नामंाक के आधार पर-
 नामाक्षर   अंक 
ए, आई, जे, क्यू, वाइ  1
बी, के, आर,   2
सी, एल, एस,   3
डी,एम, टी   4
ई, एच, एन, एक्स,  5
यू, वी, डब्लू   6
ओ, जेड   7 
एफ,पी,    8
यदि जंमतिथी, नामाक्षर या मिश्रित अंक का योग कोई खास अंक आता है तो उस अंक की तारीखें, सौर राशि का माह तथा उसके मित्रांको की तिथियां व महीनों का समय उसकें लिये शुभ घटनायें देगा और और उस अंक के शत्रु अंकों की तिथियां, दिन वर्ष व माह का समय और अंक राशि की वस्तुओं से संबधित जातक को रोग व दुघर्टनाऐं होगी तालिका न. 2 मे हर अंक के माह और तालिका न. 3 मे उसके शत्रु व मित्रांकों का वर्णन है। नीचे पूरा विवरण दिया जा रहा है।
1. यदि मूल अंक या मिश्रित अंक या नामाक्षरों का योग 1 या 4 हो तो उसके जीवन मे 1, 19, 28 तारीखों व रविवार का दिन, 1, 19, 28, 37, 46, 55, 64 वर्ष एवं तथा सिंह सौर मास का समय शुभ घटनायें देगा तथा 4, 13, 22, 31 तारीखों व रविवार का दिन, 4, 13, 22, 31, 40, 49, 58, 67, वर्ष तथा सिंह सौर मास का समय 21 जुलाई, 20 अगस्त शुभ घटनायें देगा। 
2. यदि मूल अंक या मिश्रित अंक या नामाक्षरों का योग 2 या 7 हो तो उसके जीवन मे 2, 11,20,  29 तिथी सोमवार का दिन 2, 11, 20, 29, 38, 47, 56, 65, 74 व 7, 16, 25, 34, 43, 52, 61, 70 वर्ष कर्क सौर मास का समय 21जून, 20 जुलाई  शुभ घटनायें देगा। 
3. यदि मूल अंक या मिश्रित अंक या नामाक्षरों का योग 3 हो तो उसके जीवन मे 3, 12, 21 30 तिथी 3, 12, 21 30 39, 48, 57, 66, 75 वर्ष धनु व मीन सौर मास का समय शुभ 21 नवम्बर, 20 दिसम्बर व 19 फरवरी,21 मार्च शुभ घटनायें देगा। 
4. यदि मूल अंक या मिश्रित अंक या नामाक्षरों का योग 5  हो तो उसके जीवन मे 5, 14, 23 तारीख 5, 14, 23 32, 41, 50, 59, 68 वर्ष, बुधवार तथा मिथुन व कन्या सौर मास का समय शुभ  21 मई, 20 जून व 21 अगस्त, 20 सितम्बर शुभ घटनायें देगा। 
5. यदि मूल अंक या मिश्रित अंक या नामाक्षरों का योग 6  हो तो उसके जीवन मे 6, 15, 24 तारीख 6, 15, 24 33, 42, 51, 60, 69 वर्ष षुक्रवार का दिन वृष व तुला सौर मास का समय शुभ 19 अप्रैल, 20 मई व 21 सितम्बर, 20 अक्टूबर घटनायें देगा। 
6. यदि मूल अंक या मिश्रित अंक या नामाक्षरों का योग 8 हो तो उसके जीवन मे 8, 17, 26 तारीख  8, 17, 26 35, 44, 53, 62, 71 वर्ष शनिवार का दिन तथा मकर व कुंभ सौर मास 21 जनवरी-20 फरवरी व 19 फरवरी,21 मार्च का समय शुभ घटनायें देगा 
9.यदि मूल अंक या मिश्रित अंक या नामाक्षरों का योग 9 हो तो उसके जीवन मे 9, 18,27 तारीख 9, 18,27  36, 45, 54, 63, 72 वर्ष मंगलवार का दिन तथा मेष व वृश्चिक सौर 21 मार्च, 19 अप्रैल मास व 21 अक्टूबर, 20 नवम्बर का समय शुभ घटनायें देगा।


 


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