भगवान राम और कृष्ण

आधुनिक काल के कुछ लोग भारतीय संस्कृति विरोधी इतिहासकार भगवान राम व कृष्ण को काल्पनिक चरित्र, काव्यात्मक पात्र और मनगढंत व्यक्ति मानते हैं। किन्तु आधुनिक तकनीक और अकाट्य वैज्ञानिक मापदंडों पर हुयी कुछ खोजों ने यह सिद्ध कर दिया हैं कि वे काल्पनिक व्यक्ति नही वरन् असाधारण मानव थे वे भगवान या अवतार थे कि नही यह सिद्ध करना इस लेख का विषय नही है। बल्कि वैज्ञानिक, ज्योतिष और खगोलीय सच्चाईयों पर आधार पर इन व्यक्तियों की सत्यता परखना इसका उददे्श्य है। बाल्मीकि रामायण के बालकांड के 18 वें सर्ग के 8 व 9 ष्लोक मे भगवान राम की जंमपत्री दी गई है। 
 जिसके अनुसार उनका जंम चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथी को पुष्य नक्षत्र में उनका जंम हुआ था। जिसके अनुसार उस समय पांच ग्रह सूर्य, मंगल, शनि, गुरू और शुक्र उच्चस्थ थे। तथा चन्द्रमा स्वग्रही था उनकी जंमपत्री इस प्रकार थी कर्क लग्न, लग्न में गुरू व चन्द्र, सूर्य मेष में, तुला मे शनि, मकर मे मंगल, मीन मे शुक्र व केतु, कन्या में राहू, वृष में बुध। महर्षि बाल्मीकि की यह खगोलीय गणना अब अक्षरशः प्रमाणित हो चुकी है। अमरीका से ‘प्लैनेटेरियम गोल्ड’ (फांगवेयर पब्लिशिंग) नामक साफटवेयर से सूर्य, चन्द्रमा के ग्रहण की तिथियां तथा अंय ग्रहों की स्थितियां और पृथ्वी से विभिन्न ग्रहों की दूरी वैज्ञानिक और खगोलीय पद्धति से जानी जा सकती है। इस साफटवेयर को 2005 में डा. पुष्कर भटनागर जो भारतीय राजस्व विभाग में अधिकारी और भौतिक वैज्ञानिक थे अमरीका से प्राप्त करके जब महर्षि बाल्मीकि द्वारा वर्णित खगोलीय की अंग्रेजी कलैण्डर की तारीख निकाली तो गणना राम की जंम तारीख 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व ज्ञात हुयी इसकी पुष्टि चेन्नई की संस्था भारत सान के संस्थापक और शोधकत्र्ता डी के हरि ने अपने 6 वर्ष के शोध के बाद की। इसमें उन्होने अनेक वैज्ञानिको, ऐतिहासिक, भौगोलिक, ज्योतिषीय और पुरातात्विक तथ्यों की मदद ली। डा. पुष्कर भटनागर ने अपनी पुस्तक ‘डेटिंग दि ऐरा आफ वल्र्ड’ में भगवान राम के  जीवन में घटी घटनाओं की अंग्रेजी तारीखों का निम्न वर्णन किया है।
1. राम का जन्म:- 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व।
2. ताड़िका वध 5101 ईसा पूर्व
3. वनगमन 5 जनवरी 5089 ईसा पूर्व
4. लंका जला कर हनुमान जी का आना 14 सितम्बर 5076 ईसा पूर्व
5. रावण वध 4 दिसम्बर  5076 ईसा पूर्व
6. अयोध्या वापसी 2 जनवरी 5075 ईसा पूर्व 
 राम के जन्म का साक्षात प्रामाण लंका व रामेष्वर के निकट धनुष्कोटि में बना उनका बनवाया पुल रामसेतु हैे। अमरीका की नासा ऐजेंसी द्वारा 14 दिसम्बर 1966 को 410 मील की ऊँचाई से उपग्रह द्वारा लिये गये छायाचित्रों में भारत और लंका के मध्य रामसेतु स्पष्ठ नजर आता है। नासा के तत्कालीन उपनिदेशक इसे रामसेतु ही मानते हैं। भारत के अंतरिक्ष विभाग की हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेन्सिंग ऐजेन्सी द्वारा प्रकाशित पुस्तक इमेजेज इंडिया के अनुसार उपग्रह के चित्र इस बात के स्पश्ठ गवाह हैं कि भारत व लंका के बीच एक प्राचीन पुल स्थित है। सन् 1998 में एन. आर. एस. ए. ने रामेश्वरम और जाफना प्रायद्वीप के मध्य समुद्र में जलमग्न भू पटटी का पता लगाया और इसके चित्र भी खीचें। जिनसे इस पुल की पुष्टि हो जाती है। 
भगवान कृष्णः- श्री आद्य जगदगुरू शंकराचार्य वैदिक शोध संस्थान वाराणसी के संथापक स्वामी ज्ञानानंद स्वरसती ने अनेक ग्रन्थों, पुराणों, ऐतिहासिक दस्तावेजों, भृगुसंहिता की व कमप्यूटर के एक खास साफटवेयर की मदद से कृष्ण जी के जीवन से संबधित घटनाओं का निम्न काल निर्धारित किया।
1. कृष्ण जी की मृत्यु 18 फरवरी 3102 ईसा पूर्व दोपहर 2 बज की 27 मिनट पर
2. कुल आयु 125 वर्ष
3. निधन महाभारत के 36 वर्ष बाद।
4. महाभारत के अंतिम दिन उनकी आयु 89 वर्ष 2 माह 7 दिन थी।
चैथे माह श्रावण कृष्ण अष्ठमी रोहणी नक्षत्र में हुआ।
 सच्ची दुनिया पत्रिका के अप्रैल, 2006 के अंक में पंडित ब्रजगोपाल राय ने भगवान कृष्ण और कंस की जंमपत्री दी है। जिन्हें उन्होने अपने पिता द्वारा संरक्षित खेमराज श्री कृष्ण दास श्री वेंकटेंष्वर स्टीम प्रेस बम्बई द्वारा 60-70 वर्ष पूर्व प्रकाशित जीर्ण शीर्ण श्रीमद्भागवद से लिया है। आज बाजार में उपलब्ध श्रीमद्भागवद में ये जंमपत्रियां नहीं पाई जाती हैं। साभार-वाराह वाणी


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