जातक की कुण्डली बताये पिता का भाग्य

- डी.एस. परिहार

मनुष्य के जीवन की सारी छोटी बड़ी शुभ अशुभ घटनायें जातक के पूर्वजंम के शुभ अशुभ कर्मों के अनुसार पूर्व निर्धारित है। और इस जीवन मे आने वाले सारे संबधी मित्र शत्रु पशु पक्षी लाभ हानि जीवन मरण यश अपयश सब पूर्वजंम मे किये गये पुण्य-पापों के अनुसार पूर्व निर्धारित है। किसी परिवार मे पुत्र या पुत्री के जंम के बाद माता पिता या परिवार की आर्थिक पारिवारिक समाजिक स्थिति सुधरने लगती है। किसी किसी परिवार मे संतान के जंम के बाद आर्थिक समाजिक पारिवारिक स्थितियां बिगड़ने लगती है। नाड़ी ग्रन्थ इस तथ्य की बड़े स्पष्ठ और सरल तरीके से इसकी व्याख्या करते है। कभी संतान बीमार पैदा होती है। जिसके ईलाज मे धन व वक्त नष्ट होता है। कभी संतान के जंम के बाद पत्नी रोगी हो जाती है। या पिता की नौकरी छूट जाती है। या व्यापार नष्ट हो जाता है। कभी माता पिता या संतान मे भयानक  शत्रुता रहती है जिनमे कभी-कभी हत्यायें तक हो जाती है। कभी पिता के रहते जातक उन्नति नही कर पाता है। कभी जातक को मृत पिता के कोटे से सरकारी नौकरी मिल जाती है। तो कभी जातक पिता का कारोबार अपना लेता है। जैसे व्यापार, डाक्टरी या वकालत का पेशा।

पाराशर ज्योतिष मे सूर्य को पिता तथा शनि को पुत्र व गुरू को संतान माना गया है। नाड़ी मे सूर्य पिता व पुत्र चन्द्र माता व बड़ी बहन, मंगल भाई पति शत्रु, बुध छोटा भाई छोटी बहन गर्लफ्रेन्ड या ब्वाॅयफ्रेन्ड, शुक्र पत्नी बहन प्रेमिका, बहू, पुत्री शनि बड़ा भाई राहू बाबा।
सूर्य-चँन्द-माता के मध्य संबध अच्छे हों उनका वैवाहिक जीवन सुखी हो। पिता जंम स्थान से दूर स्थान पर बसें व जाॅब करें। पिता के जंम स्थान के पास कुआ या तालाब होगा। 
सूर्य-मंगल-पिता के पास खेत जमीन जायदाद हो पिता क्रोधी हो। पिता को पित्त के रोग, हृदय रोग हो।
सूर्य बुध पिता/पुत्र के पास जायदाद प्लाॅट, हो पिता शिक्षित हो।
गुरू-सूर्य योग परस्पर त्रिकोण मे जातक को  पिता व पुत्र को राजप्रताप योग प्राप्त होगा पुत्र प्रदान करें, पुत्र यशस्वी, विशेष शिक्षा प्राप्त करे विनम्र बुद्धिमान सम्मानित हो पहली संतान पुत्र हो वैवाहिक ज्ञान युत, समाजसेवा में लगा रहें। पूर्वजंम का पिता व पुत्र प्राप्त होगा। 
सूर्य शुक्र पिता/ पुत्र के पास धन पर पिता को रोग हो उन्हें शत्रुओं का सामना करे। 
सूर्य शनि-जातक को पूर्वजंम का पिता प्राप्त होगा पिता पुत्र के मध्य मतभेद होगंे पिता के जीवन काल मे पुत्र की प्रगति ना हो कुछ केसेस मे पुत्र पिता का जाॅब अपनाये। जातक और उसके पिता का संबध तीन जंमों का हो सूर्य राहू पिता महान व्यक्ति या गांव का मुखिया या किसी विभाग का प्रधान हो पिता की बदनामी हो उन्हें रोग हों पिता के जंम स्थान के पास खंडहर होगा खुला उजाड़, मैदान नाला या कब्रिस्तान हो।
सूर्य केतु-पिता धार्मिक हो पिता को वैदिक ज्ञान हो पिता के जंम स्थान के पास मंदिर होगा सूर्य से 12 वें केतु पिता गत जंम मे महात्मा हो। 
सूर्य बुध राहू-पिता के जंम स्थान के पास मजार या कोई मुस्लिम भवन मस्जिद होगी। 
गुरू चन्द्र परस्पर त्रिकोण मे जातक को पूर्वजंम की माँ सास या बड़ी बहन मौसी प्राप्त होगी।
गुरू बुध सूर्य- मित्र द्वारा लाभ हो गुरू जिनसे जीवन में भारी लाभ। जातक और उसका पिता पूर्व जंम मे मित्र थे जातक शैक्षिक सफलता मिले।
मंगल-शुक्र परस्पर त्रिकोण मे जातक को पूर्वजंम की पत्नी पति, भाई बहन, पुत्री या बहू प्राप्त होगी जातिका को पूर्वजंम का पति प्राप्त होगा।  
गुरू शुक्र-परस्पर त्रिकोण मे जातक को पूर्वजंम की पत्नी बहन, पुत्री या बहू/ पति प्राप्त होगी। 
कन्या का या तुला का सूर्य या सूर्य पापग्रह से युत जंम जातक के जंम के समय पिता पर भारी दुर्भाग्य आये मीन/ मेष का सूर्य जंम या सूर्य गुरू, शुक्र बुध युत जातक के जंम के समय व पश्चात पिता का भारी भाग्योदय प्रमोशन होगा। नीच का सूर्य पापग्रस्त पिता अल्पायु। सूर्य उच्च का या सिंहस्थ सूर्य पिता/पुत्र को सरकारी जाॅब। सूर्य मेष, सिंह, वृश्चिक, धनु मकर कुंभ मीन मे पिता/पुत्र नौकरी करे। वृष मिथुन, कर्क कन्या, तुला पिता/पुत्र व्यापार करे या प्राईवेट नौकरी करे।
ब्राह्मण युवक-13 फरवरी 1978। शाम-7.30 मिनट। लखनऊ। सिंह लग्न लग्न मे शनि-4 अंश, कन्या मे राहू-6 अंश, मे छठे भाव मे मकर मे बुध  21 अंश, सप्तम भाव मे कुंभ का सूर्य 1 अंश व शुक्र 6 अंश, अष्ठम मे केतु, मेष मे चन्द्र-16 अंश,  मिथुन मे गुरू वक्री-2 अंश, कर्क मे नीच का मंगल-1 अंश। पत्नी आशा 8 सितम्बर 2018 सोमवार को पत्नी जली व 12 सितम्बर 2018 शुक्रवार को उसके डेढ माह बाद करवाचैथ की शाम 27 अक्टूबर 2018 को जातक का बड़ा पुत्र बिजली के 11,000 वोल्ट के तार की चपेट मे आकर कोमा मे चला गया और और दीवाली के दूसरें दिन भईया दूज 9 नवम्बर 2018 को बालक की शाम चार बजे मौत हो गई। पत्नी कारक शुक्र तथा पुत्र कारक सूर्य दोनो कंुभ मे युत है। इनसे 8 भाव द्वितीय मे कन्या का राहू बैठा है। तो पत्नी व पुत्र के अल्पायु और दुःमरण योग बना रहा है। बुध सूर्य व शुक्र से अष्ठमेश है जो इनकी मृत्यु बता रहा है। बुध छठे भाव मे है। जिस पर धटना के समय आग, दुर्घटना व बिजली का कारक केतु मकर से गुजर रहा था किसी ग्रह से अष्ठमेश से राहू केतु का गोचर उस ग्रह के रिश्तेदार की मृत्यु देता है। 
2. वृश्चिक लग्न मे 11 वे भाव मे कन्या मे सूर्य शनि योग बालक के जंम के पूर्व के पिता को भारी व्यापारिक घाटा, बेरोजगारी निर्धनता व समजिक पतन भोगना पड़ा। 
2. जंमाक मे कन्या का नीचत्व को जाता सूर्य शत्रु शनि युत जंम के समय पिता दुर्भाग्य भोगेगा भृग नाड़ी।
2. कुंभ लग्न तृतीय मे मेष सूर्य उससे 7 वे भाव मे उच्च का तुला का वक्री शनि। सूर्य पर शनि का वेध है। जातक के जंम के पश्चात पिता दीवलिया होकर दूसरी जगह बस गया।
3. मेष लग्न सूर्य 10 वें मकर मे शत्रु राशि गत है। सूर्य का राशीश शनि सूर्य से द्वादश व्यय भाव मे है जातक के जंम के पश्चात पिता को भारी घाटा हो गया जिसकेे कारण वो जातक का ईलाज नही करा सका और जातक की मृत्यु हो गई उसके बाद पिता की स्थिति सुधर गई। 
4. धनु लग्न लग्न मे सूर्य शनि जातक वकील था पिता के साथ रहता था पर उसकी वकालत नही चली पिता डाक्टर था जातक के जंम के पश्चात पिता  अपने पिता से अलग दूसरे शहर मे बस गया नाम, सफलता व धन कमाया।
5. मकर लग्न 11 वें वृश्चिक मे सूर्य उससे 12 वें तुला मे शनि जातक डाक्टर था पर प्रैक्टिस नही चली परिवार का खर्चा भी नही निकल पाता था पिता की मृत्यु के बाद अच्छी उन्नति हुयी। तुला का वक्री शनि । सूर्य पर शनि का वेध है। जातक के जंम के पश्चात पिता दीवालिया होकर दूसरी जगह बस गया।
3. मेष लग्न सूर्य 10 वें मकर मे शत्रु राशि गत है। सूर्य का राशीश शनि सूर्य से द्वादश व्यय भाव मे है जातक के जंम के पश्चात पिता को भारी घाटा हो गया जिसकेे कारण वो जातक का ईलाज नही करा सका और जातक की मृत्यु हो गई उसके बाद पिता की स्थिति सुधर गई। 
4. धनु लग्न लग्न मे सूर्य शनि जातक वकील था पिता के साथ रहता था पर उसकी वकालत नही चली पिता डाक्टर था जातक के जंम के पश्चात वो पिता से अलग दूसरे शहर मे बस गया नाम, सफलता व धन कमाया।
5. मकर लग्न 11 वें वृश्चिक मे सूर्य उससे 12 वें तुला मे शनि जातक डाक्टर था पर प्रैक्टिस नही चली परिवार का खर्चा भी नही निकल पाता था पिता की मृत्यु के बाद अच्छी उन्नति हुयी।
  


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