ज्योतिष और विश्वविख्यात वैज्ञानिक


 मानव इतिहास मे मानवोपयोगी क्रान्तिकारी खोज करने वाले और ज्ञान, विज्ञान और प्रगति की दिशा बदल देने वाले विलक्षण बुद्धि वाले वैज्ञानिकों के ग्रहों का अध्ययन एक टेढ़ी खीर है। कुछ ज्योतिष नियमों के आधार पर जमंाको मे उन नियमों को ढंूढने का प्रयास किया गयी है, जो किसी को वैज्ञानिक बनाते हैं।
1. अल्बर्ट आईनस्टाइन- 14 मार्च 1879 समय-11.30 दोपहर, उल्म जर्मनी। मिथन लग्न कर्क में केतु, वृश्चिक तक चन्द्र, मकर मे मंगल व राहू, कुंभ मे गुरू मीन मे सूर्य, शु़क्र, बुध, शनि।
2. सर आइजेक न्यूटन- 25 दिसम्बर 1642 समय- 2.00 प्रातः, इंग्लैण्ड। तुला लग्न धनु मे सूर्य, बुघ, कुभ में गुरू, शुक्र चन्द्र, मीन मे शनि केतु, मेष मंगल, कन्या मे बुघ।
3.मिसाइल मैन डा. ए.पी.जे अब्दुल कलाम- 15 अक्टूबर 1932। समय-1.05 रात्रि। रामेश्वरम, केरल। कर्क लग्न में गुरू, कन्या मे सूर्य, बुध, केतु, तुला मे शु़़क्र मंगल, वृश्चिक मे चन्द्र धनु मे शनि मीन में राहू।
4.बैंजामिन फ्रैंकलिन- 17 जनवरी 1706। 10. 30 प्रातः। मीन लग्न, मकर मे सूर्य, बुध, कुंभ मे चन्द्र, धनु मे मंगल, कर्क मे गुरू, धनु में शु़क्र, मेष मे शनि वृष मे राहू वृश्चिक मे केतु।
5.भारतीय परमाणु वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा- 30 अक्टूबर 1907। प्रातः- 6.00। बम्बई। तुला लग्न मे सूर्य, शु, वृश्चिक मे बुध, धनु मे केतु, मकर मे मंगल कुंभ मे शनि, मिथुन मे राहू, कर्क मे गुरू व चन्द्रमा। 
6.डा जगदीश चन्द्र बसु- 30 नवम्बर 1858। 4. 29 शाम। कलकत्ता। वृष लगन मे गुरू, कर्क मे शनि, सिंह मे केतु, कन्या मे चन्द्र, वृश्चिक मे सूर्य, धनु मे बुध, शु़, मकर मे मंगल, कुंभ मे राहू।
7.लियोनार्दो दा विंसी- वृश्चिक लग्न, धनु मे राहू, कुंभ मे गुरू, मंगल व चन्द्र, मीन मे बुध, मेष मे सूर्य, वृष मे शुक्र, मिथुन मे केतु, कन्या मे शनि। कुंभ नवांश मे बुध, मीन मे शुक्र, गुरू, चन्द्र, मेष मे केतु, कन्या मे सूर्य, शनि, तुला में मंगल व राहू। 
8.नोबेल पुरूस्कार विजेता मैडम क्यूरी- जंम 17 नवम्बर 1867 कुंभ लग्न पोलैण्ड। कुंभ लग्न मे केतु, गुरू, चन्द्र, सिंह मे 7 वें राहू, तुला मे सूर्य, वृश्चिक मे मंगल, शु़़क्र, शनि व बुघ।
वैज्ञानिक के ग्रह योग-
1. गुरू, बुघ युति या दृष्टि या राशि परिवर्तन, व इनका 10 वें व 5 वें भाव से जमांक या नवांश मे संबध हो।
2. वृष, मिथुन कन्या वृिश्चक या कुुंभ लग्न हो।
3. लग्न से 8 वां भाव व वृश्चिक राषि गुप्त बातों, विचारों, गहन अध्ययन रिसर्च, अनुसंधान, अविष्कारों की प्रतीक है। 
4. गुरू से तृतीय भाव मे केतु जातक गुप्त रहस्यों की खोज करे।
5. केतु मनन व अनुसंधान का कारक है। यदि लग्नेश, पंचमेश या दशमेश केतु के नक्षत्रों अश्विनी, मघा या मूल नक्षत्र मे हो जातक वैज्ञानिक, खोजकत्र्ता हो।
6. मंगल केतु योग का या शनि का दशम भाव से शुभ ग्रह वैज्ञानिक बनायें।


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