ज्योतिष मे गृह कलह के योग

यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा पाप ग्रह से युक्त हो तो योग आपको घर-परिवार में कलह का कारण बनता है। ये योग आपके मन को आपके वश में नहीं रहने देते हैं। साथ ही आपके निर्णय लेने की क्षमता को कम कर देते हैं। 
1. यदि चंद्रमा पाप ग्रह के साथ राहु से युक्त होता है और पांचवें या फिर आठवें स्थान में हो तो कलह योग बनता है। ऐसे जातक को पूरा जीवन किसी न किसी बात को लेकर घर में कलह होता है। 
2. चंद्रमा में जब शनि, मंगल और राहु एक साथ आ जाता है तब भी कलह का योग बनता है।
3. जब कुंडली में चंद्रमा के साथ शनि-मंगल बैठ गया तो जातक पंडित होते हैं। अगर कुंडली में चंद्रमा के साथ शनि और राहु बैठ जाए तो जातक के मन में वैराग्य आ जाता है। साथ ही ऐसे लोग दुखी मन के होते हैं। ऐसे जातक में निर्णय लेने की क्षमता बहुत कम रहती है। इस कारण ये घर-परिवार में हमेशा विवादों से घिरे रहते हैं।
4. यदि चंद्रमा पाप ग्रह के साथ राहु से युक्त होता है और पांचवें या फिर आठवें स्थान में हो तो कलह योग बनता है। ऐसे जातक को पूरा जीवन किसी न किसी बात को लेकर घर में कलह होता है। 
5. चंद्रमा में जब शनि, मंगल और राहु एक साथ आ जाता है तब भी कलह का योग बनता है
दाम्पत्य जीवन में कलह और मधुरता के योग
हर पुरूष सुंदर पत्नी और स्त्री धनवान पति की कामना करते हैं। जीवन में किसी न किसी का साथ मनुष्य के लिए बेहद आवश्यक हो जाता है। कोई साथ हो या दाम्पत्य साथी अनुकूल हो तो हर तरह की परिस्थितियों का सामना किया जा सकता है। लेकिन यदि दाम्पत्य जीवन में दोनों में से किसी भी एक व्यक्ति का व्यवहार यदि अनुकूल नहीं है तो रिश्ते में कलह और परेशानियों का दौर आजकल प्रत्येक परिवार, चाहे वह संयुक्त हो अथवा एकल, गृह कलह से ग्रस्त दिखाई देता है। गृह क्लेश के फैले विषाक्त वातावरण से परिवार का मुखिया, परिवार का प्रत्येक सदस्य तनावग्रस्त जीवन व्ययतीत करता है। गृह कलह का यह वातावरण परिवार के सदस्यों में रक्तचाप, हृदय रोग, उन्माद, मधुमेह जैसी बीमारियों को जन्म देता है, वहीं पति-पत्नी में तलाक, परिवार में बिखराव, जमीन जायदाद तथा व्यवसाय के बंटवारे और लड़ाई झगड़ों का मुख्य कारण बनता है। गृह कलह मुख्य रूप से पति-पत्नी, पिता-पुत्र, भाई-भाई, सास-बहू, ननद-भाभी, देवरानी-जेठानी के मध्य होती देखी गई है। यहां ज्योतिषीय दृष्टि से गृह कलह के कारणों एवं उनके निवारण का विश्लेषण प्रस्तुत वैवाहिक जीवन की परेशानियां दूर करने के लिए ज्योतिष के उपाय करने से लाभ मिल सकता है।
यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा पाप ग्रह से युक्त हो तो योग आपको घर-परिवार में कलह का कारण बनता है। 
2.अगर किसी एक व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष है और उसका मंगल दोष निवारण नहीं करवाया गया है तो वैवाहिक में अशांति रहती है। मंगल व्यक्ति को अभिमानी और अड़ियल बनाता है, जिससे वाद-विवाद ज्यादा होते हैं।   यदि जन्म कुण्डली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, द्वादश स्थान स्थित मंगल होने से जातक को मंगली योग होता है इस योग के होने से जातक के विवाह में विलम्ब, विवाहोपरान्त पति-पत्नी में कलह, पति या पत्नी के स्वास्थ्य में क्षीणता, तलाक एवं क्रूर मंगली होने पर जीवन साथी की मृत्यु तक हो सकती है। 
3.अगर पति या पत्नी में से किसी एक कुंडली में शुक्र नीच का हो या षष्ठम या अष्ठम भाव में हो तो झगड़े होने की संभावनाएं रहती हैं।
4.कुंडली के सप्तम स्थान पर सूर्य, शनि, राहु, केतु और मंगल में से किसी एक या दो ग्रहों का प्रभाव हो तो ये योग पति-पत्नी के लिए अशुभ रहता है।
5.कुंडली में गुरू अशुभ होकर सप्तमेश या सप्तम पर प्रभाव डालता है तो झगड़ों की संभावनाएं बनती हैं।
6. कुंडली में सप्तमेश यानी सप्तम भाव का स्वामी छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो तो झगड़े ज्यादा होते हैं।
7.अगर पति या पत्नी की कुंडली में सप्तम भाव अशुभ ग्रहों से घिरा हो या सप्तम भाव का स्वामी अशुभ ग्रहों से घिरा हो तो मैरिड लाइफ में शांति नहीं रहती है।
यदि चंद्रमा पाप ग्रह के साथ राहु से युक्त होता है और पांचवें या फिर आठवें स्थान में हो तो कलह योग बनता है। ऐसे जातक को पूरा जीवन किसी न किसी बात को लेकर घर में कलह होता है। चंद्रमा में जब शनि, मंगल और राहु एक साथ आ जाता है तब भी कलह का योग बनता हैैं। सूर्य जन्मकुंडली में सूर्य का प्रथम एवं सप्तम भावों पर प्रभाव होने पर और निर्बल व नीच राशि के सूर्य के सप्तम भाव में होने पर जातक अहंकारी, स्वाभिमानी एवं अड़ियल स्वभाव का होता है। जिससे विवाद की स्थिति बनती है। राहू लग्न एवं सप्तम भाव में राहु के दुष्प्रभाव के कारण दाम्पत्य जीवन में विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। अन्य परिवार के सदस्यों के दखल के कारण पति-पत्नी के मध्य विवाद, लड़ाई-झगड़े खड़े होते हैं जिससे उनके दाम्पत्य जीवन में सुख की कमी आती है। पति-पत्नी एक दूसरे को कोसते रहते हंै, एक-दूसरे की निंदा तथा आलोचना करते रहते हैं। राहु के इस दुष्प्रभाव को कम करने के लिए पति-पत्नी को आपस में आलोचना करने के स्थान पर एक-दूसरे की प्रशंसा करनी चाहिए। 
1- लड़के या लड़की की पत्री में सप्तम भाव में शनि का  गोचर करना।
2- किसी पाप ग्रह की सप्तम या अष्टम भाव पर दृष्टि होना या राहु, केतु अथवा सूर्य का वहां बैठना
3- पति-पत्नी की एक सी दशा या शनि की साढ़े साती का चलना भी कलह एवं तलाक का एक कारण होता है।
4- शुक्र की गुरू में दशा का चलना या गुरू में शुक्र की दशा का चलना भी एक कारण है। 
उपाय चींटियों को शक्कर डालने, पूर्व दिशा की ओर सिरहाना करके सोने, हनुमान जी की उपासना करने, सेंधा नमक मिश्रित पानी से घर में पोछा लगाने आदि से भी गृह कलह दूर होकर शांति बनी रहती है।
अगर भवन में कोई वास्तु दोष है तो गृह कलह संभव है। इसके लिए घर के प्रवेश द्वार के सामने यदि कोई पेड़, नुकीला कोना, मंदिर की छाया, हेंड पंप आदि हैं तो उन्हें या तो हटवा दें अथवा अपने द्वार को सरकवा दें। घर के अंदर युद्ध, डूबती नाव, जंगली जानवर, त्रिशूल, भाले आदि के चित्र अथवा प्रतिमा रखने से बचें। बेडरूम में दर्पण ऐसी जगह लगाएं जहां से सोते समय अपना प्रतिबिंब न दिखाई दे। अगर घर की दीवारों का प्लास्टर उखड़ा हुआ है तो उसे तत्काल ठीक कराएं। भवन में किचन उत्तर-पश्चिम दिशा में न रखें अन्यथा गृह कलह होने की संभावना बनी रहेगी।
- शिवजी के साथ ही माता पार्वती की पूजा अवश्य करें और वैवाहिक जीवन में शांति बनाए रखने की प्रार्थना भी करें।
- हर गुरूवार ग्रह के लिए उपाय करना चाहिए। गुरू ग्रह के निमित्त चने की दाल का दान करें। केले के पौधे की पूजा करें।
- मंगल के लिए मंगलवार को भात पुजा करनी चाहिए।
- राहु-केतु के लिए पीपल की सात परिक्रमा करना घर-परिवार में सुख-शांति और प्रेम भाव बनाए रखने के लिए भोजन बनाते समय सबसे पहली रोटी के बराबर चार टुकड़े करके एक गाय को, दूसरा काले कुत्ते को, तीसरा कौए को खिलाना चाहिए तथा चैथा टुकड़ा किसी चैराहे पर रख देना चाहिए। घर के पूजा घर में अशोक के सात पत्ते रखें। उनके मुरझाने पर तत्काल नए पत्ते रखकर पुराने पत्ते पीपल के वृक्ष नीचे रखने से गृह कलह दूर होने लगता है। अगर परिवार में कलह के कारण मानसिक तनाव और परेशानी हो रही हो तो एक पतंग पर अपनी परेशानी लिखकर सात दिनों तक उसे उड़ाकर छोड़ देने से समस्या का समाधान होता है।
पति और पत्नी के बीच झगड़ा होता हो तो घर में विधि-विधान से स्फटिक के शिवलिंग स्थापित करके इकतालीस दिनों तक उस पर गंगा जल और बेल पत्र चढ़ाएं तथा ‘¬ नमः शिवशक्तिस्वरूपाय मम गृहे शांति कुरू कुरू स्वाहा” मंत्र का ग्यारह माला जप करने से झगड़ा शांत होने लगता है। छोटी-छोटी बातों पर होने वाले विवादों को रोकने के लिए केवल सोमवार अथवा शनिवार के दिन गेहूं पिसवाते समय एक सौ ग्राम काले चने भी मिलवाएं। इस आटे की रोटी खाने से भी गृह कलह दूर होता है।
यदि चंद्र ग्रह के अशुभ या दूषित होने से परिवार में अक्सर कलह रहती है तो इसके लिए रविवार रात में अपने सिरहाने स्टील या चांदी के एक गिलास में गाय का थोड़ा सा कच्चा दूध रखें और प्रातःकाल उसे बबूल के पेड़ पर चढ़ा दें। इन उपायों के साथ-साथ घर में गूगल की धूनी देने, गणेश एवं पार्वती की आराधना करने, चींटियों को शक्कर डालने, पूर्व दिशा की ओर सिरहाना करके सोने, हनुमान जी की उपासना करने, सेंधा नमक मिश्रित पानी से घर में पोछा लगाने आदि से भी गृह कलह दूर होकर शांति बनी रहती है। गृह कलह से पीड़ित व्यक्ति को काले घोडेघ् की नाल से निर्मित छल्ला शुक्ल पक्ष के शनिवार को मध्यमा में धारण करना चाहिए। प्रत्येक शनिवार को पीपल वृक्ष के नीचे सूर्योदय से पूर्व तिल के तेल का दीपक प्रज्वलित करें। शुद्ध जल, दूध और पुष्प वृक्ष को अर्पित कर तिल का प्रसाद चढ़ाएं। वहीं बैठकर निम्न शनि मंत्र का 21 बार उच्चारण करें। ‘‘¬ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः’’ शुक्ल पक्ष के शनिवार को हनुमान मंदिर में हनुमान के चरणों में लाल सिंदूर मिश्रित अक्षत अर्पित करते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण 21 बार करेंरू ‘‘¬ श्री रामदूताय नमः’’ साथ ही हनुमान जी से परिवार में गृह कलह समाप्त करने की प्रार्थना करें तथा हनुमान जी के चरणों का सिंदूर लेकर अपने माथे पर लगाएं। ऐसा कम से कम 7 शनिवार करें। गृह कलह का कारण मंगल ग्रह होने पर दृ शुक्ल पक्ष के मंगलवार को स्नान कर हनुमान मंदिर जाएं तथा 100 ग्राम चमेली का तेल और 125 ग्राम सिंदूर हनुमान विग्रह पर चढ़ाएं। साथ ही गुड़ और चने चढ़ाएं। पूजा अर्चना कर वहीं बैठकर बजरंग-बाण का पाठ करें तथा हनुमान जी से गृह कलह समाप्त हो इसके लिए प्रार्थना करें। यह क्रम कम से कम 7 मंगलवार दोहराएं। लाल वस्त्र में 2 मुट्ठी मसूर की दाल बांधकर मंगलवार को भिखारी को दान करें। दृ बंदरों को प्रत्येक मंगलवार चने, केले खिलाएं। गृह कलह का कारण सूर्य ग्रह होने पर दृ गृह कलह पीड़ित व्यक्ति को या गृहस्वामी को सूर्योदय से पूर्व स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान सूर्य को तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरकर उसमें रोली, अक्षत, लाल पुष्प तथा गुड़ डालकर सूर्य मंत्र अथवा गायत्री मंत्र से अघ्र्य दे। साथ ही रविवार को विष्णु मंदिर में पुष्प-प्रसाद आदि चढ़ाएं तथा तांबे का पात्र दान करें। हर रविवार को या नित्य सूर्य कवच का पाठ करें। तांबे का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करें। मोली हाथ में बांधते समय उसे 6 बार लपेट कर बांधें। लाल गाय को रविवार को दोपहर के समय दोनों हाथों में गेहूं भरकर खिलाना चाहिए, गेहूं जमीन पर नहीं डालना चाहिए। गृह कलह का कारण राहु ग्रह होने पर प्राण प्रतिष्ठित पारद शिवलिंग पर नित्य जलाभिषेक करें तथा रूद्राक्ष माला जपे जिस व्यक्ति के कारण कलह होता हो उसे बुधवार के दिन कुछ समय के लिए (दो घंटे के लिए) मौन व्रत धारण करना चाहिए। यदि पति-पत्नी के मध्य परस्पर सामंजस्य एवं सहयोग की भावना का अभाव हो तो उन्हें गुरूवार को साथ-साथ राम-सीता मंदिर या लक्ष्मीनारायण मंदिर जाकर भगवान को पुष्प एवं प्रसाद चढ़ाने चाहिए तथा प्रेम का वातावरण घर में बना रहे ऐसी प्रार्थना करनी चाहिए और प्रसाद का भोग लगाकर मंदिर में बांटना चाहिए! पति को चाहिए कि वह शुक्रवार अपनी जीवन संगिनी को सुंदर पुष्प या इत्र की शीशी भंेट करे तथा उसके साथ सफेद मिठाई खाए। घर के वातावरण को सुखमय बनाए रखने के लिए घर में गमले में सुगंधित सुंदर पुष्प के पौधे लगाने चाहिए। बड़े कमरे में कृत्रिम सुंदर पुष्प युक्त गमले सजा कर रखें। यदि किसी के जीवन साथी की जन्म कुंडली में आठवें भाव में शनि या राहु स्थित हो तो दूसरे को नीले या काले वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए। यदि किसी जातक की पत्नी की जन्मकुंडली में आठवें भाव में मंगल स्थित हो तो गृह कलह का कारण बनता है। इस मंगल के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए महिला जातक को निम्न उपाय करने चाहिए। दृ समय समय पर विधवा स्त्री का आशीर्वाद लेती रहे। रोटी बनाते समय तवा गर्म होने पर पहले उस पर ठंडे पानी के छींटे डाले और फिर रोटीे। अपने शयन कक्ष में लाल वस्त्र में सौंफ बांधकर रखे। शयन कक्ष में गमले में मोर पंख सजाकर इस प्रकार रखे कि वे कमरे के बाहर से दृष्टिगोचर न हों किंतु पति-पत्नी को पलंग से नजर आते रहें। घर में कलह से मुक्ति के लिए परिवार की स्त्रियों को सूर्योंदय से पूर्व जागना । प्रातःकाल पक्षियों को दाना डालें, यह कार्य बुधवार से प्रारंभ करें। नीले वस्त्र में नारियल बांधकर शुक्ल पक्ष के शनिवार को नदी या जलाशय में प्रवाहित करें। ऐसा 7 शनिवार करें। केसर का तिलक करें। रसोईघर में बैठकर भोजन करें। मजदूरों, हरिजनों और अपंग व्यक्तियों की आर्थिक सहायता करें, उन्हें वस्त्र आदि का दान करें। 


 


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