नूरजहां और संयोग

हिन्दी फिल्म जगत की मशहूर गायिका मलिका-ए-तरन्नुम नूरजहां (अल्लाह वसाई) का जंम 21 सितम्बर 1926 को ब्रिटिश भारत में बंगाल एक छोटे से शहर मंे हुआ था तत्कालीन उर्दू साहित्यकार सदाअत अली मंटों ने उन्हें सरवर जां के नाम से याद किया है। नूरजहां के पहले शौहर शौकत रिजवी निजी महफिलों में कहा करते थे कि उन्हें कलकत्ता के एक ज्योतिषी के.एस. रेड्डी ने नूरजहां का हाथ देखकर बताया था, नूरजहां के हाथ मे जीवन रेखा और मस्तक रेखा के मध्य काफी दूरी थी और बुध पर्वत पर कई द्विजीवी विवाह रेखाये थीं। कि नूरजहांँ मे बदअख्लाकी, उच्छूखलता और स्वछंदता जुनून की हद तक है। और उनके जीवन मे कई मर्द आयेगें उन्होने पहला प्रेम विवाह मशहूर फिल्म निर्माता  शौकत हुसैन रिजवी से किया, उन्होंने नूरजहां से अपने प्रेम को यादगार बनाने के लिये अपने स्टूडियो का नाम शाहनूर रखा लेकिन यह विवाह स्थाई नही रहा इस विवाह से उन्हें दो बेटे और एक बेटी हुयीं इसके बाद नूरजहां ने एजाज दुर्रानी से विवाह किया नूरजहां वफा करती रही पर एजाज किसी और की जुल्फों के कैदी होकर रह गये यह शादी भी टूट गई इस शादी से नूरजहां को तीन बेटियां हुयीं। इसके बाद नूरजहां ने युसुफ खां से विवाह किया यह भी लंबे समय तक ना चल सका इसके बाद उन्होंने कोई विवाह नही किया, पर प्यार कईयों से किया जिनमे मशहूर क्रिकेटर नजर मुहम्मद और पाकिस्तान के तानाशाह जनरल यहिया खां प्रमुख है। यह शायद कोई संयोग ही था कि नूरजहां ने जिससे भी प्रेम किया उसका कैरियर दम तोड़ गया।


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