गहरे अनुभूति के शायर हैं तन्हा: रमोला

गलती को गलती समझ कर माफ करने वाले, नफरत के बीज को दिल में पनपने का अवसर न देकर दूसरों के दिल में घर बना लेने वाले, बेटियों के आमद का स्वागत-सम्मान करने वाले, दूसरों के आंसू चुरा कर दिल मिलाने का जज्बा रखने वाले, और अपनी सहज मुस्कान से सबके सुख-दुख में साथ खड़े रहकर सबका हृदय जीत लेने वाले, कुशल संचालक, काव्य व्यवस्था से पूर्ण परिचित सुधी रचनाकार मनमोहन सिंह ‘तन्हा’ की अनुभूति का धरातल बहत गहरा है। बहुत ही सधी और सहज भाषा में अभिव्यक्त उनके कहने का अंदाज बांधता है। यह बात गुफ्तगू आॅनलाइन साहित्यिक परिचर्चा में रमोला रूथ लाल ‘आरजू’ ने मनमोहन सिंह तन्हा की पुस्तक ‘तन्हा नहीं रहा तन्हा’ पर विचार व्यक्त करते हुए कहा।
रचना सक्सेना ने कहा कि मानवीय आदर्शो और मूल्यों कों परिभाषित करते हुऐ तन्हा जी के अशआर इतने अद्भुत है कि जब हम उनको पढ़ते है तो वे सीधे दिल में उतरकर आत्मा झकझोर देते हैं। अना इलाहाबाद ने कहा कि मनमोहन सिंह तन्हा एक जिन्दादिल इंसान होने के साथ-साथ संवेदनशील शायर  भी हैं। उनकी सहृदयता, सहजता, मानवता उनके मुक्तकों में स्पष्ट दिखाई देती है। ममता देवी के मुताबिक जहां एक तरफ साहित्य समाज का दर्पण है वहीं दूसरी तरफ साहित्य समाज का बुनकर भी है। कवि श्री मनमोहन सिंह तन्हा जी की रचनाओं में सिक्के के उपरोक्त दोनो ही पहलू परिलक्षित होतें हैं। उनकी रचनाएं समाज में आदर्शों के दिये जलाती हैं, जिसकी कि आज निरंतर घट रहे मूल्यों के दौर में बहुत जरूरत है। प्रभाशंकर शर्मा ने कहा कि मनमोहन सिंह तन्हा का मानवीय मूल्यों को समर्पित व्यक्तित्व उनकी रचनाओं में पूरी तरह स्वच्छ चांदनी सा धवल रूप लिए प्रकट होता है। तन्हा की शायरी में सीमित शब्दों में अपनी पूरी बात रखने की जबरदस्त क्षमता है। आपकी शायरी मोहब्बत का पैगाम तो देती ही है साथ ही बेटियों की शिक्षा की पुरजोर वकालत भी करती है। तामेश्वर शुक्ल ‘तारक’ ने कहा कि तन्हा की पुस्तक में में विभिन्न बह्र में मुक्तक पढ़ने को मिल रही हैं जो कि एक से बढ़कर एक हैं। आपके मुक्तक सृजन में नफरत के बीज को पनपने न देने की बात कही गई, वहीं बहुत हसीन मुहब्बत का जाम आता है जैसी पंक्ति में उलफत की बात स्पस्ट होती है।
डाॅ. नीलिमा मिश्रा, अतिया नूर, अर्चना जायसवाल, सम्पदा मिश्रा, मधु गौतम, शगुफ्ता रहमान, सागर होशियारपुरी, नीना मोहन श्रीवास्तव, डॉ. ममता सरूनाथ, सुमन ढींगरा दुग्गल, अनिल मानव, संजय सक्सेना, शैलेंद्र जय, डॉ. शैलेष गुप्त ‘वीर’, नरेश महारानी, ऋतंधरा मिश्रा और जमादार धीरज ने भी विचार व्यक्त किए। संयोजन गुफ्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज अहमद गाजी ने किया। सोमवार को इश्क सुल्तानपुरी की गजलों पर परिचर्चा होगी।


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