नवीनतम तकनीक का उपयोग वरदान साबित हुआ

कोरोना संकट के इस दौर में आधुनिक तकनीकों का उपयोग सिटी मोन्टेसरी स्कूल (सी.एम.एस.), लखनऊ के लिए वरदान साबित हुआ है क्योंकि इसकी मदद से विद्यालय के 57000 बच्चों की शिक्षा अनवरत् जारी रही। उदारहरण स्वरूप सी.एम.एस. गोमती नगर कैम्पस की शिक्षिका अनुपमा सोंधी ने कक्षा-9 के छात्रों को भारत का संविधान पढ़ा रही थीं तो वहीं दूसरी ओर कक्षा-12 के छात्रों को शिक्षिका अनुपमा जौहरी द्वारा वीडियों के माध्यम से विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों, पत्तियों आदि के बारे में जानकारी दी जा रही थी एवं पहचान की विधियाँ सिखाई जा रही थी।
 मार्च के महीेने में लाॅकडाउन के दौरान जब देश के शहर दर शहर सन्नाटे में डूबे थे एवं देश भर में अप्रत्याशित दुख का परिदृश्य था, परन्तु फिर भी, ऐसे में सी.एम.एस. को आॅनलाइन शिक्षा प्रदान करने का अभूतपूर्व अवसर मिला, जिसके लिए सी.एम.एस. विगत 8 वर्षों से तैयारी कर रहा था। कहावत है कि ‘अर्ली बर्ड कैचेस द वाम’ और यह कहावत उस वक्त सही साबित हुई जब कोविड-19 के लाॅकडाउन के दौरान विद्यालय द्वारा जुटाई गई शैक्षिक सामग्री, वीडियो, डेटा आदि का आनलाइन कक्षाओं को चलाने में भरपूर उपयोग हुआ।
 वर्ष 2011-12 के आरम्भिक दौर में ही सी.एम.एस. प्रेसीडेन्ट एवं शिक्षाविद् डा. गीता गाँधी किंगडन, चेयर आॅफ एजूकेशन इकोनाॅमिक्स एण्ड इण्टरनेशनल डेवलपमेन्ट, यूनिवर्सिटी कालेज, लंदन, को इस बात का आभास था कि शैक्षिक क्षेत्र का रूझान किस ओर है। उन्हें आॅनलाइन लर्निंग के क्षमताओं एवं लाभ का भलीभांति ज्ञान था और वे जानती थी कि पारंपरिक तरीके से बच्चों को शिक्षित करने की कुछ अंतर्निहित खामियों को कैसे हल किया जा सकता है।
 यही कारण है कि लगभग आठ साल पहले, डा. किंग्डन एवं सी.एम.एस. प्रबंधन ने लखनऊ में सिटी मोन्टेसरी स्कूल के सभी 18 कैम्पस के 57000 छात्रों को आॅनलाइन लर्निंग एवं टीचिंग के प्रति प्रोत्साहित करना प्रारम्भ कर दिया। इसके लिए सी.एम.एस. में बाकायदा एक ई-लर्निंग विभाग बनाया गया, जो कि सीधे सी.एम.एस. के डायरेक्टर आॅफ स्ट्रेटजी, श्री रोशन गाँधी के मार्गदर्शन में कार्य करता है। इस विभाग की स्थापना के साथ ही इसने विद्यालय के शिक्षकों के लिए गहन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू कर दिया।
 आॅनलाइन शिक्षा व्यवस्था स्थापित करने का एक और मुख्य कारण यह था कि लगभग प्रत्येक वर्ष सर्दियों अथवा गर्मियों के दौरान अक्सर खराब मौसम के कारण जिलाधिकारी द्वारा स्कूल बंदी घोषित कर देने पर छात्रों की शिक्षा पर बेहद प्रतिकूल असर पड़ता था और उनका बहुमूल्य समय नष्ट हो जाता था। इस तरह की अड़चनों को दूर करने के लिए प्रत्येक कक्षा के लिए गूगल क्लासरूम की स्थापना की गई एवं कक्षा-6 से ऊपर के सभी बच्चों का जीमेल एकाउन्ट बनाया गया। इस प्रकार, कोविड-19 महामारी के संकट से पहले ही सी.एम.एस. के छात्रों के पास अपना जीमेल एकाउन्ट था, जिससे उनकी आॅनलाइन पढ़ाई सुचारू रूप से अनवरत जारी रही।
 इस वर्ष 8 मार्च के आसपास जब लाॅकडाउन के आसार नजर आने लगे थे, सी.एम.एस. के ई-लर्निंग विभाग ने सभी कैम्पस के आई.टी. असिस्टेन्ट एवं शिक्षकों को पुनः प्रशिक्षण प्रारम्भ कर दिया। कक्षा 3, 4 और 5 में छात्रों के ईमेल ओवरटाइम काम करने वाले कर्मचारियों और शिक्षकों के साथ बनाए गए थे, क्योंकि सीनियर कक्षाएं पहले से ही उनके पास थीं। सी.एम.एस. गोमती नगर कैम्पस की प्रधानाचार्या श्रीमती आभा अनंत का कहना है कि छाटे बच्चों को दैनिक दिनचर्या में नियमितता एवं सामाजिक सम्बन्धों की बहुत आवश्यकता होती है और इन्हीं वजहों से छात्र शिक्षकों के साथ जुड़ाव रख पाते हैं।
 सी.एम.एस. की आॅनलाइन कक्षाओं में 75 प्रतिशत से लेकर 90 प्रतिशत तक उपस्थिति दर्ज की जा रही है। डा. किंगडन बताती हैं कि हम दो प्राथमिक उद्देश्यों के साथ काम कर रहे हैं, जिनमें पहला है कि ‘नो टीचर लेफ्ट बिहाइन्ड’ एवं दूसरा है ‘नो चाइल्ड लेफ्ट बिहाइन्ड’। वे कहती हैं कि शिक्षण पक्रिया सही दिशा में चल रही है परन्तु यह विद्यालयों के लिए भी एक सबक है। इन आॅनलाइन कक्षाओं में प्रत्येक छात्र की प्रगति का आकलन किया जा रहा है, साथ ही सभी 18 कैम्पस की प्रधानाचार्याएं आॅनलाइन मीटिंग कर छात्रों की मनोबल को बनाये रखने पर चर्चा-परिचर्चा करती रहती हैं। इसके अलावा, शिक्षकों के मनाबल को बनाये रखने एवं बेहतर परिणाम हेतु सी.एम.एस. स्वयं भी अनुभव एवं योग्यता को वरीयता देता है। सरकारी विद्यालयों एवं अन्य निजी विद्यालयों की तुलना में सी.एम.एस. शिक्षकों को बेहतर भुगतान किया जाता है। प्राइमरी कक्षाओं के पूर्णकालिक शिक्षकों का वेतन औसतन 6 लाख रूपये वार्षिक है जबकि सीनियर कक्षाओं के अनुभवी शिक्षकों का वेतन सालाना 12 लाख रुपये से अधिक है जबकि कक्षा 11 और 12 में का सम्पूर्ण शिक्षण शुल्क प्रति माह 8860 रुपये है।
 कोविद-19 संकट के दौरान देश भर के लगभग सभी स्कूल अपने छात्रों को शिक्षा प्रदान करने की भरसक कोशिश कर रहे हैं परन्तु ज्यादातर मामलों में आनलाइन शिक्षण खराब कनेक्टिविटी, उपयुक्त उपकरण, शिक्षकों की पूर्व तैयारी न होने, शिक्षकों को तकनीकी का ज्ञान न होने एवं अभिभावकों द्वारा बच्चों को सहयोग न कर पाने की बदौलत प्रभावशाली नहीं रहा है। मात्र कुछेक शैक्षिक संस्थान ही, जिनका शिक्षण शुल्क बहुत अधिक है, वही कमोवेश ठीक-ठाक ढंग से आॅनलाइन शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। ऐसे में, अपेक्षाकृत कम शुल्क लेने वाले सिटी मोन्टेसरी स्कूल ने बेहतर तैयारी के दम पर प्रभावशाली आॅनलाइन शिक्षा प्रदान कर रहा है। हालांकि कोविड-19 का संकटकाल कब तक चलेगा, इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता, परन्तु इस दौरान आॅनलाइन शिक्षा पद्धति स्वयं ही अपने महत्व को उजागर कर रही है।


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