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डिजिटल भारत और वित्तीय समावेशन में डाक विभाग नई भूमिका निभाने के लिए तत्पर : केके यादव

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रायबरेली ।संचार के बदलते साधनों के साथ नवीन टेक्नोलॉजी को अपनाकर  डाकघरों ने जनउपयोगी सेवाओं को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।केंद्र सरकार की तमाम अग्रणी योजनाओं को डाक विभाग के माध्यम से प्रमुखता से लागू किया जा रहा है। यह उदगार  लखनऊ मुख्यालय पर क्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं  कृष्ण कुमार यादव ने बतौर मुख्य अतिथि हरबंस गंज डाकघर के नवीन भवन का राजीव गांधी पैट्रोलियम प्रौद्योगिकी संस्थान जायस अमेठी में लोकार्पण करते हुए व्यक्त किए ।कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के निदेशक प्रोफेसर प्रशांत कुमार भट्टाचार्य ने की। और अतिथियों का स्वागत रायबरेली मंडल के डाक अधीक्षक सुनील कुमार सक्सेना ने किया । डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव ने राजीव गांधी पैट्रोलियम प्रदेश के संस्थान जायस अमेठी के 11 साल पूरा होने पर एक विशेष आवरण का विरूपण भी जारी किया प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी द्वारा आरंभ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत तमाम बेटियों के सुकन्या समृद्धि खाते खुलवा कर डाक निदेशक श्री के के यादव द्वारा उन्हें पासबुकें भी प्रदान की गई।          रायबरेली डाक मंडल में विभिन

कानपुर की जनता का शुक्रियाः गुलफाम

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कानपुर के रहने वाले गुलफाम आर.के. बचपन से ही टीवी सीरियल देखने के बाद हीरो बनने और उसमें काम करने का सपना दिन-रात देखते थे, अपने सपने को साकार करने के लिए संघर्ष करते हुए उन्हें एक दिन कुछ सफलता मिल ही गई। गुलफाम से उनके टीवी सीरियल और उनके शुरूवाती सफर के संघर्ष से जुड़े दिनों की चर्चा के अंश- - गुलफाम जी शुरूवाती सफलता कैसे मिली? - पृथ्वीराज चैहान में छोटा सा रोल मिला उसके बाद सावधान इण्डिया में छोटा निगेटिव रोल था। उसके बाद कोई है में काम मिला उसमें बंगले का मालिक ठाकुर का रोल किया। - अपने परिवार में कौन-कौन है? - मेरे पापा की डेथ 17 साल पहले हो गई थी, मेरी माँ मेरी गाॅडफादर हैं, आज उनकी की वजह से इस मुकाम पर हूँ। मेरा भाई इमरान खान और बहन जोया खान हैं। - फिल्मो में काम करने की मनचाही सफलता कब मिली? - कानपुर के शोले में काम करने का मौका मिला, कानपुर के लोगों हमारी फिल्म देखी, जनता ने काफी तारीफ भी मिली। - कानपुर से आपको काफी प्यार है, कानपुर के लिए क्या कहना चाहते है? - कानपुर के शोले की यहाँ की जनता ने बहुत तारीफ किया, हम जनता के बीच गये, मुझे बहुत खुशी हुई जनता ने बहुत प्यार दिया न

मशीन का रहस्य

आॅरफीशियस दावा करता था वह ऐसी मशीन बना सकता है जो बिना किसी ईधन के अपने आप चल सकती है। किन्तु इस दावे के बदले उसे सम्मान नही बल्कि लोगांे की घृणा मिली उसका जन्म सन् 1780 को जर्मनी में हुआ था। उसने 36 साल की उम्र मे लोगों की प्रताड़ना से परेशान होकर वह जर्मनी की रियासत हेस केसिल आ गया था, हेस केसिल के काउंट कार्ल ने उसका सम्मान करते हुये उसे ऐसी मशीन बनाने का आदेश दिया 1717 में उसने मशीन तैयार कर ली काउन्ट ने प्रसिद्ध वैज्ञानिक सर आइजक न्यूटन के उनके मित्र विलेम ग्रैब्सेंड तथा आस्ट्रिया के शाही वैज्ञानिक बेरेन फिशर को उस मशीन की जांच के लिये बुलाया आॅरफीशियस ने वैज्ञानिको से कहा कि आप मेरी मशीन के भीतरी भाग को तब तक नही देख सकेगें जब तक मुझे मेरी मशीन की कीमत नही मिल जाय, बिना कीमत के मैं इस मशीन का रहस्य किसी को नहीं बताऊगा काउंट के किले के एक पत्थर के उंचे अंधेरे कमरे मे मशीन रखी थी कमरे के बीचो-बीच 12 फुट ऊचा व 2 फुट मोटा व भारी भरकम एक पहिया था जो जमीन से आठ दस इंच ऊपर था इसका घूरा एक मशीन से जुड़ा था मशीन बहुत बड़ी नही थी मशीन पूरी तरह कपड़े से ढकी है। कई लालटेन की रोशनियों में वैज्ञान

रायबरेली जिले के विकास के लिए 3 अरब 84 करोड 31 लाख की योजनाओ की मंजूरी

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लोकप्रिय प्रदेश सरकार के दिशा निर्देशांे में जनपद का साफ नियत, सही विकास, सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास सूत्रवाक्य के साथ निरंतर विकास हो रहा है। प्रदेश के स्टाम्प तथा न्यायालय शुल्क, पंजीयन एवं नागरिक उड्डयन व प्रभारी मंत्री जनपद नन्द गोपाल गुप्ता 'नन्दी' ने रायबरेली जनपद के सर्वागीण विकास के लिए कृषि, गन्ना, पशुपालन, सहकारिता, सड़क एवं पुल, स्वास्थ्य, शिक्षा, महिलाओ को आत्मनिर्भर बनाना, किसानो के उत्थान, ग्रामीण पेयजल, दुग्ध विकास, अनुसूचित जाति, जन जाति उत्थान, लघु एवं सीमान्त कृषको, चिकित्सा, अल्पसंख्यक कल्याण, ग्रामीण स्वच्छता, आदि जिला योजना वर्ष 2019-20 की संरचना हेतु 38431.00 लाख (3 अरब 84 करोड़ 31 लाख) धन आवंटन की स्वीकृति/अनुमोदन जनप्रतिनिधियो, अधिकारियो, सांसद, विधायको की उपस्थिति में जिला योजना समिति की बैठक में किया गया। प्रभारी मंत्री नन्दी ने कहा कि जन प्रतिनिधियो का भरपूर सहयोग लिया जाये। प्रदेश सरकार जिस मकसद के साथ काम कर रही है उसमें गरीब किसान, कमजोर की मदद मुख्य है उनकी योजनाएं उन तक अधिकारी पहुॅचाये। योजनाएं अच्छी है तथा सफल हो रही है। समय सीमा के अन्तर्ग

योग भारत की सदियो पुरानी ऋषि परम्परा का प्रसाद जिसे पूरा विश्व ग्रहण कर स्वास्थ्य लाभ ले रहा

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5वां अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश के स्टाम्प तथा न्यायालय शुल्क, पंजीयन एवं नागरिक उड्डयन व प्रभारी मंत्री जनपद नन्द गोपाल गुप्ता 'नन्दी' व रायबरेली की जिलाधिकारी नेहा शर्मा, पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार सिंह, विधायक धीरेन्द्र बहादुर सिंह, मुख्य विकास अधिकारी राकेश कुमार एडीएम वित्त एवं राजस्व डा0 राजेश कुमार प्रजापति व उनकी पत्नी डा0 श्रेया, मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 डी0के0 सिंह, सहायक निदेशक सूचना प्रमोद कुमार, अपर पुलिस अधीक्षक शशीशेखर सिंह के साथ ही करीब दो हजार से अधिक लोगों ने सामूहिक योगाभ्यास कार्यक्रम में योगासन की विभिन्न मुद्राओं के जरिये जनपदवासियो को स्वस्थ्य और निरोगी रहने का व आरोग्य जीवन मूल मंत्र व आरोग्य स्वास्थ्य के टिप्स व संदेश दियेे । प्रभारीमंत्री नन्द गोपाल गुप्ता 'नन्दी' ने कहा कि सरकार द्वारा योग दिवस पर सामान्य योग अभ्यास क्रम (प्रोटोकाॅल) के सामान्य योग अपनाने को सामुहिक योगाभ्यास कार्यक्रम में कराया जा रहा है। जिसको नियमित रूप से करने से स्वयं, परिवार, समाज व राष्ट्र को स्वस्थ्य, सम

आज की युवा पीढ़ी हर क्षेत्र में जागरूक है

युवा और आध्यात्म। यह दोनों शब्द ही परस्पर विरोधी प्रतीत होते हैं। आम समझ के अनुसार आध्यात्म तो वह मार्ग है जो वानप्रस्थी और सन्यासियों के लिए नियोजित है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह मार्ग है जो केवल बुजुर्गों के लिए उपयुक्त है। परन्तु आज के युग में यह धारणा तेजी से बदल रही है। आज के उन्नत युग में युवा न केवल भौतिक आधारों पर तरक्की कर रहे हैं, बल्कि आध्यात्मिक ऊंचाइयों की ओर बढ़ा रहे हैं। आज की युवा पीढ़ी हर क्षेत्र में जागरूक है। यह पीढ़ी जानती है कि केवल भौतिक सुखों के पीछे भागने का अंततः परिणाम कष्टदायी ही होता है। प्रगति की अंधी दौड़ सांसारिक सुख-साधन तो जुटा सकती है, परन्तु आत्मिक शांति, सूकून और आनंदमयी जीवन नहीं दे सकती। यह सत्य है कि आज के युग में भौतिकतावाद चरम पर है। जीवन के हर क्षेत्र में उपभोक्ता संस्कृति ने अपनी पैठ बना ली है। धन-लक्ष्मी का बोलबाला है। हर कोई जीवन की हर सुख-सुविधा, हर संसाधन को जुटाने में व्यस्त है। विदेशी ब्रांडों की छाप हर जगह छाई है। 'कारपोरेट कल्चर' अर्थाथ बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कम्पनियों में कामकाज के ढ़ंग ने देश में रोजगार के मायने बदल दिए है। इस क्षेत

मानसिक गुलामी

भारत संसार का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, इसी के साथ-साथ भारत शनैः शनैः पाश्चात्य सभ्यता की जंजीरों में जकड़ता हुआ एक बार फिर नई गुलामी की दहलीज पर दस्तक दे रहा है। आज हर परिवार में पश्चिमी सभ्यता को अपनाने की होड़ सी लग गई है। जिसका नतीजा है, 'घर में नहीं खाने को खाला चली भुनाने को' वाली कहावत भारतीय समाज में शत् प्रतिशत लागू हो रही है। पाश्चात्य सभ्यता और विदेश जाने की ललक ने आज हर माँ-बाप को अपनी गिरफ्त में जकड़ लिया है। जिसका नतीजा है कि बच्चा अभी दसवीं कक्षा भी नहीं पास कर पाता है कि अभिभावकों के मन में कपोल कल्पनायें अंकुरित होने लगती है कि उसे विदेश भेजकर डाक्टर बनायेंगे, इंजीनियर बनायेंगे और अगर बच्चा पढ़ने में कमजोर हुआ तो किसी तरह स्नातक की डिग्री हासिल करवाकर उसे व्यापार की उच्च शिक्षा तो ग्रहण करवा ही देंगे। चाहे इसके लिए खेत-खलिहान बेचना पड़े या अपने आप को गिरवी रखना पड़े। इस सब के पीछे मात्र लालसा केवल समाज में अपना स्टेट्स बनाना कि मेरा बच्चा विदेश में पढ़ रहा है। सबसे बड़ी विडम्बना तो यह है कि जनता को जागरूक करने वाले हमारे जनप्रतिनिधी अपनी जनता की बढ़ती मानसिक गुलामी औ