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विश्व एकता सत्संग

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सिटी मोन्टेसरी स्कूल, गोमती नगर आॅडिटोरियम, लखनऊ में आयोजित विश्व एकता सत्संग में बोलते हुए बहाई धर्मानुयायी, प्रख्यात शिक्षाविद् व सी.एम.एस. संस्थापिका-निदेशिका डा. (श्रीमती) भारती गाँधी ने कहा कि हमें पूरी वसुधा को कुटुम्ब बनाना है। सी.एम.एस. में बच्चों को भौतिक, मानवीय व आध्यात्मिक शिक्षा दी जाती है। इन बच्चों का दृष्टिकोण दुनिया से लड़ाईयां खत्म कराने हेतु विकसित किया जाता है। जिस तरह महात्मा गाँधी ने सत्य एवं अहिंसा के बल पर भारत को आजादी दिलाई वैसे ही सी.एम.एस. के बच्चे 'जय जगत' एवं 'वसुधैव कुटुम्बकम' की मदद से दुनिया में एकता लायेंगे व वसुधा को एक कुटुम्ब बना देंगे। उन्होंने आगे कहा कि दुनिया में अपने विचार प्रवाहित करने के लिए अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ होना जरूरी है क्योंकि अंग्रेजी एक वैश्विक भाषा है। इससे पहले, सी.एम.एस. शिक्षकों द्वारा प्रस्तुत सुमधुर भजनों से विश्व एकता सत्संग का शुभारम्भ हुआ, जिन्होंने बहुत ही सुमधुर भजन सुनाकर सम्पूर्ण वातावरण को आध्यात्मिक उल्लास से सराबोर कर दिया।  विश्व एकता सत्संग में सी.एम.एस. स्टेशन रोड कैम्पस के छात्रों ने शिक्षात्म

आचार्य विनोवा भावे ने जय जगत का यूनिवर्सल स्लोगन मानव जाति को दिया

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वर्ष भर में अनेक तिथियाँ वर्तमान बनकर आती हैं, और भूतकाल बनकर चली जाती हैं। लेकिन कुछ तारीखें ऐसी भी होती हैं, जो युगों-युगों के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाती हैं। 11 सितम्बर, दुनिया के लिए एक ऐसी ही तारीख है। आज ही के दिन चार बड़ी घटनाएं हुईं थी। पहली घटना आज से 126 साल पहले वर्ष 1893 में हुई थी। जब अमेरिका के शिकागो में महान युग दृष्टा स्वामी विवेकानंद ने अपने समय के ऐतिहासिक विश्व धर्म संसद में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए मानवता से भरा युगानुकूल भाषण दिया था। भारतीय दर्शन तथा धर्म की सार्वभौमिक सोच ने सारे विश्व को सभी धर्मों की आत्मा अध्यात्म की उच्चतम अवस्था का ज्ञान कराया था। दूसरी घटना 11 सितम्बर 1895 को धरती को जय जगत का सन्देश देने वाले युग पुरूष संत विनोबा भावे का जन्म हुआ था। इस महापुरूष ने भूदान, डाकूओं के आत्मसमर्पण तथा जय जगत के विचारों द्वारा वैश्विक समास्याओं के अहिंसक तरीके से समाधान निकालने के जीवन्त उदाहरण प्रस्तुत किये थे।   तीसरी घटना 11 सितम्बर 1906 में युग पुरूष महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में अपने अहिंसा आंदोलन को 'सत्याग्रह' का नाम दिया था।

उत्पीड़न के खिलाफ झांसी में गरजे पत्रकार दी प्रशासन को कड़ी चेतावनी

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झांसी मीडिया क्लब के तत्वावधान में जिला मुख्यालय पर इलाइट चैराहे पर जिले के प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारां ने एक जुट होकर प्रदेश में पत्रकारों के उत्पीड़न, फर्जी मुकदमें दर्ज करने व मिर्जापुर के पत्रकार के खिलाफ मिड डे मील योजना में गड़बड़ी की खबर उजागर करने व बिजनोर में पत्रकारों पर दर्ज मुकदमें, पब्लिक पावर के सम्पादक पर उन्नाव में गुंडा एक्ट की कार्यवाही तथा दैनिक जनता यूनियन के सम्पादक नत्थू कुशवाहा का नाम हिस्ट्री शीट में दर्ज करने के विरोध में जंगी प्रदर्शन कर धरना देकर एक स्वर में पत्रकारों के उत्पीड़न के खिलाफ आंदोलन का विगुल फूंक दिया। इतना ही नहीं पत्रकारों ने बिजनोर व मिर्जापुर के प्रसाशन का पुतला फूंक कर आक्रोश व्यक्त किया। झाँसी मीडिया क्लब के अध्यक्ष मुकेश वर्मा के आव्हान पर झाँसी मुख्यालय पर जिले भर के मीडिया कर्मियों का जमाबड़ा हुआ। मीडिया कर्मियों ने इलाइट चैराहे पर धरना प्रदर्शन कर प्रदेश सरकार की पत्रकार विरोधी नीतियों पर करारा प्रहार किया। पत्रकारों ने प्रदेश भर में विविध जिलों में पत्रकारों पर हुए उत्पीड़न व फर्जी मुकदमे दर्ज किए जाने को चैथे स्तम्भ पर कुठारा

गणेश विसर्जन के अवसर पर महाप्रसाद वितरण

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सामजिक संस्था सहयोग ब्रॉडगेज प्रवासी ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष मो.कलामुद्दीन मंसूरी द्वारा गणेश विसर्जन (गणेश अनंत चतुर्दशी) के अवसर पर श्री जगतगुरु सूर्याचार्य कृष्णदेवनंद गिरी महाराज जी सूर्य पीठ द्वारका (गुजरात) के सानिध्य से गणेश भक्तों के लिए महाप्रसाद वितरण के साथ भजन-संध्या और स्वागत समारंभ कार्यक्रम का आयोजन 12 सितम्बर 2019 को शाम 6 बजे से रात 12 बजे तक मार्वे रोड, ओर्लम चर्च,सेंट जोसफ स्कूल के बागल में,मालाड (वेस्ट), मुम्बई में किया गया है। जिसमें फिल्म एक्टर गिरीश शर्मा, सतेंद्र सिंह, मनोज द्विवेदी, प्रिया कपूर, जावेद खुशहाल, अनिल जायसवाल व गायक कलाकार राधा मौर्या, रिशु सिंह, गोस्वामी दीपेंद्र भारती, दिल्लू सिंह दीवाना, राजेश कुशवाहा, रविन्द्र यादव, राकेश यादव, अजय सलेमपुरी इत्यादि जैसे गायक-कलाकार लोगो को अपने मधुर स्वर द्वारा मंत्रमुग्ध करेंगे।  

वास्तविक शिक्षक वह है जो बच्चों को आने वाले कल के लिए तैयार करे

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शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ द्वारा 'शिक्षक दिवस समारोह' का शानदार आयोजन सी.एम.एस. गोमती नगर (द्वितीय कैम्पस) आॅडिटोरियम, लखनऊ में सम्पन्न हुआ। समारोह का शुभारम्भ मुख्य अतिथि श्री रमेश पोखरियाल, मानव संसाधन विकास मंत्री, भारत सरकार द्वारा दीप प्रज्वलन एवं पूर्व राष्ट्रपति डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चित्र पर माल्र्यापण से हुआ जबकि डा. महेन्द्र सिंह, कैबिनेट मंत्री, जल शक्ति विभाग, उ.प्र., श्री बृजेश पाठक, न्याय मंत्री, उ.प्र., श्री रमापति शास्त्री, समाज कल्याण मंत्री, उ.प्र., श्री सतीश द्विवेदी, राज्यमंत्री (स्वतन्त्र प्रभार), बेसिक एजूकेशन, उ.प्र., डा. अशोक वाजपेयी, सांसद, श्री राजन शुक्ला, आई.ए.एस., डा. रोजर डेविड किंगडन, शिक्षाविद्, इंग्लैण्ड आदि कई प्रख्यात हस्तियों ने विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारकर समारोह की गरिमा को बढ़ाया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री पोखरियाल एवं विशिष्ट अतिथियों ने सी.एम.एस. शिक्षकों को उनकी अतुलनीय सेवाओं के लिए नगद पुरस्कारों व उपहारों से सम्मानित किया। कुल मिलाकर, सी.एम.एस. के सभी शिक्षकों व कार्यकर्ताओं को डेढ़ करोड़ रूपये के

अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस

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शिक्षित व्यक्ति विश्व में शांति फैलाने में अहम भूमिका निभा सकता है। जब सभी लोग साक्षर अर्थात शिक्षित होंगे तो उनके पास रोजगार होंगे, रोजगार का अर्थ है, आमदनी, स्वच्छता, समृद्धि, खुशहाली और स्वस्थ होंगे। अगर घर-घर में खुशहाली होगी तो लोग आपस में लड़ेंगे नहीं वरन् आपस में मिल-जुलकर एकता के साथ रहेंगे। समृद्धि आने से स्वस्थ मनोरंजन एवं ज्ञान के अनेक साधन उपलब्ध होंगे जिससे अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि के प्रति जागरूकता आयेगी। एकता के वृक्ष पर ही शान्ति के फल लगते हैं। विश्व में शान्ति लाने के लिए पहले हमें प्रत्येक बालक को शिक्षित करके घर-घर में 'वसुधैव कुटुम्बकम्म् रूपी ज्ञान का दीपक जलाना होगा। शिक्षा के महत्व को समझते हुए ही साक्षरता दर को सुधारने और इस क्षेत्र में अधिक काम करने के लिए ही संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को)  द्वारा प्रतिवर्ष 8 सितंबर को अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। यूनेस्को ने 17 नवम्बर 1965 को विश्व भर के लोगों को साक्षर अर्थात शिक्षित बनाने के लक्ष्य हेतु प्रतिवर्ष 8 सितंबर को अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने की घोषण

ममत्व का कोई मोल नहीं

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नंद बाबा चुपचाप रथ पर कान्हा के वस्त्राभूषणों की गठरी रख रहे थे। दूर ओसारे में मूर्ति की तरह शीश झुका कर खड़ी यशोदा को देखकर कहा, दुखी क्यों हो यशोदा, दूसरे की बस्तु पर अपना क्या अधिकार?' 'यशोदा ने शीश उठाकर देखा नंद बाबा की ओर, उनकी आंखों में जल भर आया था। नंद निकट चले आये। यशोदा ने भारी स्वर से कहा, तो क्या कान्हा पर हमारा कोई अधिकार नहीं? ग्यारह वर्षों तक हम असत्य से ही लिपट कर जीते रहे?' 'नंद ने कहा, अधिकार क्यों नहीं, कन्हैया कहीं भी रहे, पर रहेगा तो हमारा ही लल्ला न! पर उस पर हमसे ज्यादा देवकी वसुदेव का अधिकार है, और उन्हें अभी कन्हैया की आवश्यकता भी है।' 'यशोदा ने फिर कहा, तो क्या मेरे ममत्व का कोई मोल नहीं?' 'नंद बाबा ने थके हुए स्वर में कहा, ममत्व का तो सचमुच कोई मोल नहीं होता यशोदा। पर देखो तो, कान्हा ने इन ग्यारह वर्षों में हमें क्या नहीं दिया है। उम्र के उत्तरार्ध में जब हमने संतान की आशा छोड़ दी थी, तब वह हमारे आंगन में आया। तुम्हें नहीं लगता कि इन ग्यारह वर्षों में हमने जैसा सुखी जीवन जिया है, वैसा कभी नहीं जी सके थे। दूसरे की वस्तु से और कित