आग उल्फत की लगानी चाहिये
जिन्दगी को भी मआनी चाहिये ! दिल पे तेरे हुक्मरानी चाहिये ! चाहतों का घर बनाने के लिये ! आप जैसा एक बानी चाहिये ! तेरी आमद पर मेरे दिल ने कहा ! प्यार की दुनिया सजानी चाहिये ! इश्क महकेगा हमारा उम्र भर ! हर कदम पर रुत सुहानी चाहिये ! इश्क का सजदा हो पाये यार हो ! रस्म-ए-उल्फत यूँ निभानी चाहिये ! संग दिल को मोम करने के लिये ! आग उल्फत की लगानी चाहिये ! इश्क के ता लाब को मेरे खुदा ! अब समंदर सी रवानी चाहिये ! तुम सदाकत साथ में रख्खो वफा ! खुशनुमा गर जिन्दगानी चाहिये ! हुस्न पहले बा-वफा होकर दिखा ! इश्क की गर पासबानी चाहिये ! आशिकों में हो ‘कशिश’ का भी शुमार ! बस तुम्हारी मेहरबानी चाहिये !