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आनलाइन रोजा इफ्तार का आयोजन

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विगत वर्षों की परम्पराओं का पालन करते हुए सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ के सभी कैम्पसों द्वारा इस वर्ष भी लाॅकंडाउन के दौरान आनलाइन रोजा इफ्तार का आयोजन नियमित तौर पर किया जा रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में छात्र, अभिभावक एवं विभिन्न धर्मानुयायी आॅनलाइन एकत्रित होकर न सिर्फ लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब का परचम लहरा रहे हैं अपितु पवित्र कुरान की आयतों को सस्वर गान कर पूरे देश में अमन, भाईचारा, सामाजिक सौहार्द, एकता व शान्ति की कामना कर रहे हैं। इसी कड़ी में सी.एम.एस. राजेन्द्र नगर (प्रथम कैम्पस) द्वारा आॅनलाइन रोजा इफ्तार का आयोजन किया गया जिसमें इस्लामिक सेंटर आॅफ इण्डिया के अध्यक्ष एवं ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इसके अलावा, सी.एम.एस. अलीगंज, राजाजीपुरम, आर.डी.एस.ओ. आदि विभिन्न कैम्पसों द्वारा नियमित रूप से रोजा इफ्तार का आयोजन किया जा रहा है।  सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने कहा कि मोहम्मद साहब की तरह अपनी इच्छा नहीं वरन् खुदा की इच्छा व आज्ञा का पालन करना चाहिए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि सर्वधर्म समभाव एवं सभी

आ अब लौट चलें

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कोरोना के संक्रमण में सारे प्रवासी अब अपने घरों को लौट रहे है । आखिर वो कौन सा कारण है कि इस बीमारी से लोग इतना डर गए है और अपने गाँव को लौटने को मजबूर है,  मिट्टी की सुगंध उनको अपनी ओर क्यो खींच रही है। अगर पुरानी पहले की बाते याद करे तो देखते है कि हमारे बड़े बुजुर्गों ने हमे बताया था कि प्लेग, हैजा, चेचक के चलते पूरा का पूरा गांव साफ हो जाता था, लोग गाँव छोड़कर सिवान में बस जाते थे बाग-बगीचे, खलिहान में रहने के लिए चले जाते थे। उस समय भी संक्रमण एक दूसरे से ही फैलता था लोग साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखते थे। परिस्थितियां लगभग वही है केवल रोग बदल गया है, रोग के लक्षण बदल गए है, उस समय भी इन रोगों का कोई सटीक उपचार नहीं था और आज भी कोरोना की कोई दवा नही है।  आज के आर्थिक युग मे लोगों द्वारा किसी न किसी तरह से प्रकृति के नियमो का पालन न करना और प्रकृति के विरूद्ध कार्य करना, प्रकृति के साथ खिलवाड़ करना उसका दुरूपयोग व दोहन करना इस बीमारी को और विकराल बनाती है। प्रकृति अपने को संतुलित करती है । अब जबसे पूरी दुनियाँ में सर्व बंदी (लाॅकडाउन) हुई है तबसे वातावरण स्वच्छ, पर्यावरण साफ, प्रदूषण समाप

प्रभु की शिक्षाओं को जानना ही प्रभु को जानना है

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(1) मैं कौन हूं? मोक्ष क्या है? क्या मोक्ष इसी जीवन में संभव है?:-    इंसान अनादि काल से जगत की उत्पत्ति और प्रलय के रहस्यों को खोलने में लगा है। वह जानना चाहता है कि यह प्रकृति कैसे कार्य करती है? जीवों के जन्म-मरण का रहस्य क्या है? जगत के इन दैवीय रहस्यों को जानने के लिए मनुष्य जप, तप, खोज, ध्यान, मनन, चिंतन, तीर्थाटन, सत्संग आदि-आदि के मार्ग अपनाता है। आज मानव जाति अनेक समस्याओं, कुरीतियों तथा मूढ़ मान्यताओं से पीड़ित तथा घिरी हुई है। मनुष्य परमात्मा के दर्शन भौतिक आंखों से करना चाहता है। अध्यात्म अनुभव का क्षेत्र है और इसकी प्रक्रियाओं व वैज्ञानिक प्रयोगों को प्रत्यक्ष दिखाया नहीं जा सकता, जैसे- हम वायु को देख नहीं सकते, केवल अनुभव कर सकते हैं, ठीक उसी तरह अध्यात्म के वैज्ञानिक प्रयोग स्थूलजगत में देखे नहीं जा सकते, केवल उनके परिणामों को देखा जा सकता है। (2) पृथ्वी ही ऐसा ग्रह है जहां पदार्थ तथा चेतना दोनों तत्व हैं:-   इस सृष्टि में पदार्थ और चेतना दोनों साथ-साथ मिलकर कार्य करते हैं। जैसे हमारे शरीर में जब तक जीवात्मा है तब तक प्रकृति के पंचतत्वों भूमि, आकाश, वायु, अग्नि तथा जल से ब

तेज आंधी में मकान पर नीम का पेड़ गिरा

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तेज आंधी में मकान पर गिरा नीम का पेड़। जिससे घर की बाउण्डी, छत एवं टीन शेड क्षतिग्रस्त हो गया है। शहर से 7 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम बेहटा खुर्द निवासी कल्याण चन्द्र श्रीवास्तव के मकान पर तेज आंधी के कारण नीम का बड़ा पेड़ छत पर गिर गया। जिससे छत का कुछ हिस्सा, पश्चिम एवं उत्तर की बाउण्ड्री वाल तथा गाॅव निवासी प्रफुल्ल कुमार श्रीवास्तव की टीम शेड पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। जिस समय यह घटना हुई उस समय वहाॅ कोई मौजूद नहीं था नही तो कोई बड़ी घटना घटित हो सकती थी। 

बिना मास्क के घरों से बाहर न निकले

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जिलाधिकारी, रायबरेली शुभ्रा सक्सेना ने बचत भवन सभागार में लाॅकडाउन के चैथे चरण में कोविड-19 कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव हेतु सेक्टर अधिकारी/सेक्टर मजिस्टेªट की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सेक्टर मजिस्टेªट व निगरानी कमेटिया प्रशासन के आख कान है। अतः क्षेत्र भ्रमण कर निगरानी कर कोरोना संक्रमण स बचाने के समुचित प्रयास करें आम जनमानस को जागरूक करे। प्रवासी मजदूर कही से कोई आये तो उसकी मद्द करें तथा उस पर कड़ी नजर भी रखे। उन्होंने कहा अपने-अपने क्षेत्रों में भ्रमण करते रहे क्षेत्रों में जुखाम, खांसी, बुखार आदि या कोई दिक्कत हो तो उसकी जानकारी कन्ट्रोल रूम को दें। शहरी क्षेत्र में सेक्टर अधिकारी निगरानी कमेटी 9956374298 व ग्रामीण क्षेत्र के लिए 8318042294 पर सूचना दें।   जिलाधिकारी ने निर्देश दिये कि आमजन को बताया जाये कि लाॅकडाउन व सोशल डिस्टेसिंग का कड़ाई से अनुपालन हो। कोई भी बिना मास्क के घरों से बाहर न निकले अति आवश्यक कार्य हो तभी घर से बाहर निकले, वृद्ध व बच्चें पूरी तरह से घर में रहे। घर में रहे सुरक्षित रहे का संदेश घर-घर पहुचाया जाये। उन्होंने निर्देश दिये कि कोरोना सम्बन्ध

वर्तमान परिस्थिति पर केन्द्रित रही महिला काव्य गोष्ठी

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महिला काव्य मंच प्रयागराज इकाई के तत्वावधान में आनलाइन कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया प्रयागराज इकाई की अध्यक्ष रचना सक्सेना के संयोजन में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवियत्री ऊषा सिंह और अध्यक्ष के रूप में पूर्वी उत्तर प्रदेश इकाई की अध्यक्ष महक जौनपुरी मौजूद थी। कार्यक्रम का आरम्भ रेनू मिश्रा के वाणी वंदना से हुआ। सभी कवयित्रियों ने समसामयिकता को केन्द्र में रखकर काव्य पाठ किया।महक जौनपुरी ने सुनाया कि               बेपटरी जीवन की गाड़ी हुई सबसे बड़ी महामारी हुई नीलिमा मिश्रा ने सूफियाना अंदाज में सुनाया कि - दिल तेरा एक चाँद नगर है इश्क तेरा रुहानी है. रचना सक्सेना ने जीवन के संघर्षों की कहनी को कविता के माध्यम से पटल पर रखा, - सुनाया कि कड़क धूप आज की सांझ की उदासी है  उर्वशी उपाध्याय ‘प्रेरणा’ ने श्रमिकों के पलायन/दुर्दशा को व्यक्त करते हुए कहा कि -मौत की गठरी बांध पीठ पर, चला मुसाफिर धीरे - धीरे, रेनू मिश्रा ने कहा कि ओ लाडली मेरी ओ लाडली, प्राणों से प्यारी ओ लाडली,। नीलिमा मिश्रा ने खूबसूरत संचालन के साथ जिन कवयित्रियों को काव्य पाठ के लिए आमन्त्रित किया उनम

आप भूखों को खिला दें तो इबादत होगी

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साहित्यिक संस्था ‘गुफ्तगू’ द्वारा शुरू किए गए ऑनलाइन  साहित्यिक परिचर्चा के अंतिम दिन आॅनलाइन मुशायरे का आयोजन किया गया, जिसका संचालन इम्तियाज अहमद गाजी ने किया। सबसे पहले मासूम रजा ने भूखों को खाना खिलाने की गुजारिश करते हुए शेर प्रस्तुत किया-‘दान मंदिर को या मस्जिद को हिमाकत होगी/आप भूखों को खिला दें तो इबादत होगी।’ विजय प्रताप सिंह ने कहा कि-‘अभी अभी नजर से जो इश्तिहार गुजरा है/न जाने क्यों हमारे जिगर के पार गुजरा है।’ गाजियाबाद के डीएसपी डाॅ. राकेश मिश्र ‘तूफान’ ने रुमानी अशआर शायरी पेश की-‘जिसकी खातिर सभी पागल की तरह रहते हैं/उसकी आंखों में हम काजल की तरह रहते हैं।’ इश्क सुल्तानपुरी ने कोरोना के कोहराम पर कलाम पेश किया- इस कोरोना ने तो कोहराम मचा डाला है/फिर से इंसान को इंसान बना डाला है। इम्तियाज अहमद गाजी के अशआर यूं थे-‘फूल पहुंचा जो तेरे कदमों में/सुब्ह होते ही जिन्दगी महकी। बेला, चंपा, गुलाब सब थे मगर/तुम जो आए तो तीरगी महकी।’ अनिल मानव ने जिन्दगी वास्तविकता की बात की-मुहब्बत की बौछार आई हुई है/यही जिन्दगी की कमाई हुई है।’ डाॅ. शैलेष गुप्त ‘वीर’ ने दोहा पेश किया-‘तन उनका लंदन