मंगल को जन्में मंगल ही करते मंगलमय ‘हनुमान‘
हनुमान जयंती - चित्रकूट में ही हनुमान जी महराज ने संत तुलसीदास को श्रीराम जी के कराए थे दर्शन -काशी से चित्रकूट में आकर बाबा तुलसी को हुयेे थे श्रीराम जी के दर्शन - आज भी रामघाट पर मौजूद है पीपल का साढे पांच सौ वर्ष से ज्यादा पुुराना वृक्ष संदीप रिछारिया चित्रकूट गिरि करहु निवासू ताहिं तुम्हार सुफल सब बासू इस चौपाई का अर्थ यह है कि प्र्रयागराज को बसाने वाले महर्षि भारद्वाज ने श्री राम को माता जानकी के साथ भैया लक्ष्मण को वनवासकाल में चित्रकूट निवास करने के लिए कहा। दूसरा प्रकरण श्रीराम भक्त शिरोमणि चिंरजीवी अंजना माता के सुपुत्र हनुमानजी महराज ने श्री राम के दर्शनों के लिए व्याकुल संत तुलसीदासजी महराज को चित्रकूट की राह दिखाई। गोेस्वामी जी को चित्रकूट में भगवान श्री राम के दर्शन एक नही दो बार हुये, संत तुलसीदास जी महराज ने श्री रामजी के मस्तक पर तिलक लगाया और सबसे बड़ी बात तो यह है कि भगवान से भक्त को परिचय कराने वाले कोई दूूसरे नहीं बल्कि बजरंगबली ही थे। तभी से चित्रकूट का परिचय इसी दोहे से दिया जाता हैं चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़, तुलसीदास चंदन घिसैं तिलक देत रघुुवीर। वैसे तो