पावन पर्व शुभ दीपावली
दीपावली उत्साह का पर्व है। अधिकतर गं्रथों मंे इस पर्व को दीपावली और कहीं-कहीं दीपमालिका (भविष्योत्तर, अध्याय 14 उपसंहार) की संज्ञा दी हैं वात्स्यायन कामसूत्र 1.4.82 के अनुसार ‘यक्षरात्रि’ तथा राज मार्तण्ड 1346-1348 के आधार पर ‘सुखरात्रि’ कहते हैं। निर्णय सिंधु, काल तत्व विवेचन के अनुसार यह पर्व चतुर्दशी, अमावस्या एवं कार्तिक प्रतिपदा इन तीनों दिनों तक मनाया जाने वाला कौमुदी-उत्सव के नाम से प्रसिद्ध है। मूलतः दीपोत्सव ‘श्री’ अथवा लक्ष्मी का आवाह्न-पर्व है। लक्ष्मी की चर्चा श्री’ धन-देवी हैं तथा भगवान विष्णु की पत्नी हैं। जब हरि ने बावन रूप धारण किया तो लक्ष्मी पद्म कमल के रूप में अवतरित हुई। जब विष्णु परशुराम के रूप में आए तो लक्ष्मी ‘धरनी’ कहलायीं। राम के साथ सीता तथा कृष्ण के साथ रूक्मिणी बनकर वे सदैव विष्णु की पत्नी बनती आयी है। पुरातन संस्कृति को जीवित रखने के लिए हम दीपावली का पर्व हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाते हैं। वस्तुतः दीपावली का उत्सव 5 दिनों तक, पाँच कृत्यों के साथ मनाया जाता है। धनतेरस अर्थात् धन-पूजा, नरक चतुर्दशी अर्थात् नरकासुर पर विष्णु विजय का उत्सव, लक्ष्मी पूज