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पावन पर्व शुभ दीपावली

दीपावली उत्साह का पर्व है। अधिकतर गं्रथों मंे इस पर्व को दीपावली और कहीं-कहीं दीपमालिका (भविष्योत्तर, अध्याय 14 उपसंहार) की संज्ञा दी हैं वात्स्यायन कामसूत्र 1.4.82 के अनुसार ‘यक्षरात्रि’ तथा राज मार्तण्ड 1346-1348 के आधार पर ‘सुखरात्रि’ कहते हैं। निर्णय सिंधु, काल तत्व विवेचन के अनुसार यह पर्व चतुर्दशी, अमावस्या एवं कार्तिक प्रतिपदा इन तीनों दिनों तक मनाया जाने वाला कौमुदी-उत्सव के नाम से प्रसिद्ध है।    मूलतः दीपोत्सव ‘श्री’ अथवा लक्ष्मी का आवाह्न-पर्व है। लक्ष्मी की चर्चा श्री’ धन-देवी हैं तथा भगवान विष्णु की पत्नी हैं। जब हरि ने बावन रूप धारण किया तो लक्ष्मी पद्म कमल के रूप में अवतरित हुई। जब विष्णु परशुराम के रूप में आए तो लक्ष्मी ‘धरनी’ कहलायीं। राम के साथ सीता तथा कृष्ण के साथ रूक्मिणी बनकर वे सदैव विष्णु की पत्नी बनती आयी है।      पुरातन संस्कृति को जीवित रखने के लिए हम दीपावली का पर्व हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाते हैं। वस्तुतः दीपावली का उत्सव 5 दिनों तक, पाँच कृत्यों के साथ मनाया जाता है। धनतेरस अर्थात् धन-पूजा, नरक चतुर्दशी अर्थात् नरकासुर पर विष्णु विजय का उत्सव, लक्ष्मी पूज

नेशनल लेविल प्रतियोगिता में छात्रा को गोल्ड मैडल

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सिटी मोन्टेसरी स्कूल, गोमती नगर (प्रथम कैम्पस), लखनऊ की कक्षा-4 की मेधावी छात्रा अन्वेषा पाराधर ने नेशनल लेविल इण्टर-स्कूल आॅनलाइन कम्पटीशन ‘ब्रेनोबे्रन वन्डरकिड-2020’ में गोल्ड मैडल अर्जित कर विद्यालय का नाम गौरवान्वित किया है। यह प्रतियोगिता शैक्षिक संस्था ब्रेनोब्रेन के तत्वावधान में आयोजित हुई। सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि इस प्रतियोगिता में देश भर के 1500 से अधिक विद्यालयों के छात्रों ने प्रतिभाग किया जिसमें सी.एम.एस. गोमती नगर (प्रथम कैम्पस) की इस प्रतिभाशाली छात्रा ने मेन्टल मैथ्स, लाॅजिकल एबिलिटी, जनरल नाॅलेज एवं स्पीड टाइपिंग में अपनी दक्षता का प्रदर्शन कर गोल्ड मैडल अर्जित किया। प्रतियोगिता के आयोजकों ने इस प्रतिभाशाली छात्रा की बहुमुखी प्रतिभा की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए मैडल व प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।   श्री शर्मा ने बताया कि यह प्रतियागिता छात्रों को बौद्धिक क्षमता पर ध्यान केन्द्रित करने तथा त्वरित गति से समाधान ढूढ़ने एवं सीखने की क्षमता का विकास करने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी। सी.एम.एस. अपने छात्रों को देश-विदेश

विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन सम्पन्न

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राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार व अब्दुल शाहिद जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के दिशा-निर्देशन में एस0जे0एस0 पब्लिक स्कूल की मुख्य शाखा रायबरेली में बच्चों के विधिक अधिकार एवं मिशन शक्ति विषय पर विधिक साक्षरता एवं जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया। कोरोना महामारी के समय सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। कोविड-19 से बचाव मास्क का प्रयोग दो गज की दूरी का अनुपालन करने हेतु जागरुक किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मयंक जायसवाल सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रायबरेली द्वारा की गयी। सचिव द्वारा शिविर में उपस्थित बच्चों को सम्बोधित करते हुए बताया कि बच्चों को अपने अधिकारों के प्रति जागरुक होना चाहिए जिसके लिए शिक्षा बहुत जरुरी है। सचिव द्वारा कहा गया बच्चे देश का भविष्य है। सफल होना और सफल बने रहना दोनों में बड़ा अन्तर है। शिक्षा ग्रहण करने का उद्देश्य नौकरी के साथ-साथ सामाजिक जीवन कर्तव्य का बोध भी होना अनिवार्य है। हमें पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद पर भी ध्यान देना चाहिए जिससे हम मानसिक रुप से

विश्व एकता की शिक्षा इस युग की सबसे बड़ी आवश्यकता है!

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(1) ‘‘विश्व एकता’’ की शिक्षा इस युग की सबसे बड़ी आवश्यकता है :-                                 फारस में 12 नवम्बर 1817 को जन्मे बहाई धर्म के संस्थापक बहाउल्लाह ने 27 वर्ष की आयु में जिस काम को शुरू किया था, वह धीरे-धीरे विश्व के प्रत्येक भाग, प्रत्येक वर्ग, संस्कृति और जाति के करोड़ों लोगों की कल्पना और आस्था में समा गया है। बहाउल्लाह मानवजाति की परिपक्वता के इस युग के एक महान ईश्वरीय संदेशवाहक है। बहाउल्लाह का शाब्दिक अर्थ है - ‘ईश्वरीय प्रकाश’ या ‘परमात्मा का प्रताप’। बहाउल्लाह को प्रभु का कार्य करने के कारण तत्कालिक शासक के आदेश से 40 वर्षों तक जेल में असहनीय कष्ट सहने पड़े। जेल में उनके गले में लोहे की मोटी जंजीर डाली गई तथा उन्हें अनेक प्रकार की कठोर यातनायें दी गइंर्। जेल में ही बहाउल्लाह की आत्मा में प्रभु का प्रकाश आया। ‘बहाउल्लाह’ ने प्रभु की इच्छा और आज्ञा को पहचान लिया। (2) एक कर दे हृदय अपने सेवकों के हे प्रभु :-                 बहाउल्लाह की सीख है कि परिवार में पति-पत्नी, पिता-पुत्र, माता-पिता, भाई-बहिन सभी परिवारजनों के हृदय मिलकर एक हो जाये तो परिवार में स्वर्ग उतर आयेगा।

दीवाली मे बचे तंत्र प्रहार से

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दीपावली को सिद्धि और साधना का पर्व माना जाता है। दीपावली को तंत्र सिद्धी की रात कहा जाता है। तंत्र विद्याएं या टोटके तब सबसे अधिक फल देते हैं जब चंद्रमा पूरी तरह बलहीन हो । दीवाली की रात चन्द्रमा ना केवल पूर्णतः प्रकाशहीन होता हैं बल्कि ज्योतिष मतानुसार अपनी नीच राशि वृश्चिक मे भी जाने वाला अत्यंत निर्बल होता है, तथा सूर्य भी नीच राशि मे होता है, यही ग्रह राहू यानि तामसिक शक्तियों के कुचक्र को निष्प्रभावी करते हैं। इनके बलहीन होने के कारण कार्तिक अमावस्या की काली रात में तामसिक तंत्र की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है। दिवाली की रात उल्लू-तंत्र की पूजा का भी खास महत्व है। पीलीभीत के मशहूर तांत्रिक स्वर्गीय धु्रव नारायण कपूर ने भी इसी रात को लालता उल्लू की सिद्धि की थी तंत्र साधक कार्तिक अमावस्या की आधी रात को सिद्धि के लिए विशेष साधना करते है। जबकि वैद्य व आयुर्वेद के जानकार दिव्य और कुछ तांत्रिक औषधि जगाते  है, तंत्रशास्त्र की महारात्रि पर और भी कई शक्तियां सिद्ध करने की कोशिश की जाती है। इनमे बगलामुखी साधना, उच्चाटन और स्तंभन जैसी सिद्धियां मुख्य हैं। दिवाली पर देवी लक्ष्मी अपनी बहन दरिद्रत

देशी गाय के गोबर से गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति बनाई

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देश की संस्कृति व धर्म को आगे बढ़ाने में लगी है डॉ संतोष सिंह। डॉ संतोष ने देशी गाय के गोबर से प्रथम पूज्य गणेश जी व माता लक्ष्मी की मूर्ति बनाई है। इससे अच्छी बात क्या होगी कि दीवाली के दिन गाय के गोबर से बने गणेश लक्ष्मी का पूजन होगा। डॉ संतोष सिंह न केवल गाय के गोबर से मूर्तिया बनाती है बल्कि घर के बेकार सामानों से भी वो खिलौने, मूर्तियां, सजावटी सामान आदि बनाती हैं। डॉ संतोष सिंह के पिता सेना में कार्यरत थे और अपने संस्कारो के प्रति जागरूक थे वहां से डॉ संतोष ने भारतीय संस्कार को जाना वही केंद्रीय विद्यालय में शिक्षा ग्रहण के दौरान एक विषय (एसयूपीडब्ल्लू) से कला सीखी और पढ़ाई में आगे अर्थशात्र में पीएचडी किया। इससे उन्होंने संस्कार को अर्थ से जोड़कर एक नया अध्याय लिखना शुरू किया। डॉ संतोष ने बहुत से बच्चियों को इस कला को सिखाकर उनको स्वावलंबी बनाया और आगे भी इस कार्य को जारी रक्खे हुए हैं। संतोष न केवल गाय के गोबर से ही गणेश जी व लक्ष्मी जी की प्रतिमा बनाती है बल्कि वो कूड़े से भी खिलौना, छोटी बड़ी कलात्मक वस्तुए भी बना डालती है। इनका कहना है कि हम चाहते है कि लोग इस कला को सीखे और स्वा

मॉरिशस मैत्री महोत्सव

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कोलकाता. 186 साल पूर्व भारत से मॉरिशस गये गिरमिटिया मजदूरों की याद में अचीवर्स जंक्शन पर भारत मॉरिशस मैत्री महोत्सव का आयोजन हुआ जिसमें दोनों देशों के डेलीगेट्स, साहित्यकार, कलाकार, गायक, पत्रकार और संस्कृति कर्मियों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम की स्पीकिंग अध्यक्षता भोजपुरी यूनियन की चेयरपर्सन डॉ सरिता बुधू ने की। आगाज गीत गवाई स्कूल ऑफ मॉरिशस की दो दर्जन गायिकाओं ने किया. धनदेवी और उनकी टीम ने लगभग घंटे भर लोक गीत, संस्कार गीत और घर-आंगन गीत से न सिर्फ गिरमिटिया मजदूरों की कहानी कही, बल्कि दर्शकों को उनकी जड़ों के बाद काव्य पाठ हुआ। इस कार्यक्रम में भारत से कर्नल बीपी सिंह, गीतकार मनोज कुमार मनोज ती मॉरिशस से प्रोफेसर हेमराज सुंदर, हिंदी सचिवालय के महासचिव प्रोफेसर विनोद कुमार मिश्र, डॉ मुरीति रघुनंदन, डॉ शिक्षा गजाधर ने हिस्सा लिया। लवना रामधनी, वशिष्ट कुमार और अरविंद सिंह ने अद्भुत काव्य पाठः किया गीत-गजलों और कविताओं की बारिश होती रही. गिरमिटिया मजदूरों की याद में आयोजित कार्यक्रम में डॉ कीर्ति प्रोड्यूसर, एकर नर्मदा खेदनाह, महात्मा गांधी संस्थान के डॉ अरविंद विसेमार, पत्रकार सविता ति