मूल में पैदा हुआ अभागा लड़का

1970 के गरमी के दिनों की बात है। रायबरेली के बछरावाँ कस्बे में देवीपुर गाँव में एक पंडित छेदीलाल रहा करते थे जो रायबरेली की सुदौली रियासत राज ज्योतिषी थे। एक रात पंडित जी के बगल में निवास करने वाले जमींदार तिवारी जी के घर के थाली बजी तो पंडित ने पत्नी से कहा कि लगता है कि तिवारी के पुत्र पैदा हुआ है। फिर पंडित जी ने पत्रा निकाल कर गणना करके कहा कि लड़का कठिन गडान्त मूल में पैदा हुआ है। यह बालक अकाल मौत मरेगा। उसके पैदा होते ही तिवारी जी के घर में दुर्भाग्य के बादल छा जायेंगें। पूरा घर-बार बिक जायेगा जो पंडित विचारेगा। वह भी मर जायेगा उन्होने पंडिताइन से कहा कि आज रात ही लोटा डोर घर के बाहर रख दो कल सुबह ही मैं गांव छोड़ कर चला जाउगा। ना विचारने के डर से पंडित अगले दिन सूरज निकलने के पूर्व चार बजे ही गाँव के बाहर निकल गये। दूसरे दिन तिवारी जी के परिजन जब पंडित से बालक के जंम का विचार करवाने के लिये आये तो पंडिताइन ने उन्हें बताया कि पंडित जी तो कल शाम ही गाँव छोड़कर चले गये। अतः उस बालक का भाग्य गाँव के ही एक वृद्ध प. प्रागदास ने भाग्य विचारा। विचारने के कुछ दिन बाद प. प्रागदास का निधन हो गया। जब लड़का बालक ही था तो उसके पिता का निधन होे गया। जब बालक जवान हुआ तो अपनी पत्नी को छोड़ कर वैश्या से प्रेम किया और उसके चक्कर में अपनी सारी की जायदाद बेच डाली और फिर वैश्याओं चक्कर में उसकी हत्या हो गई्र पूरा वंश नष्ट हो जायेगा।      


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