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दीवाली मे बचे तंत्र प्रहार से

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दीपावली को सिद्धि और साधना का पर्व माना जाता है। दीपावली को तंत्र सिद्धी की रात कहा जाता है। तंत्र विद्याएं या टोटके तब सबसे अधिक फल देते हैं जब चंद्रमा पूरी तरह बलहीन हो । दीवाली की रात चन्द्रमा ना केवल पूर्णतः प्रकाशहीन होता हैं बल्कि ज्योतिष मतानुसार अपनी नीच राशि वृश्चिक मे भी जाने वाला अत्यंत निर्बल होता है, तथा सूर्य भी नीच राशि मे होता है, यही ग्रह राहू यानि तामसिक शक्तियों के कुचक्र को निष्प्रभावी करते हैं। इनके बलहीन होने के कारण कार्तिक अमावस्या की काली रात में तामसिक तंत्र की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है। दिवाली की रात उल्लू-तंत्र की पूजा का भी खास महत्व है। पीलीभीत के मशहूर तांत्रिक स्वर्गीय धु्रव नारायण कपूर ने भी इसी रात को लालता उल्लू की सिद्धि की थी तंत्र साधक कार्तिक अमावस्या की आधी रात को सिद्धि के लिए विशेष साधना करते है। जबकि वैद्य व आयुर्वेद के जानकार दिव्य और कुछ तांत्रिक औषधि जगाते  है, तंत्रशास्त्र की महारात्रि पर और भी कई शक्तियां सिद्ध करने की कोशिश की जाती है। इनमे बगलामुखी साधना, उच्चाटन और स्तंभन जैसी सिद्धियां मुख्य हैं। दिवाली पर देवी लक्ष्मी अपनी बहन दरिद्रत

विजयादशमी का पर्व और तांत्रिक महत्व

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शारदीय नवरात्रि की समाप्ति पर दशमी तिथि को विजयादशमी का पर्व पड़ता है। आम भाषा मे इसे दशहरा कहते हैं। इस तिथि का अपना ज्योतिषीय, धार्मिक व तांत्रिक महत्व है। यह तंत्र-मंत्र बाधा नाश, शत्रु विनाश, दरिद्रता नाशक, मुकदमा विजय तथा अन्य प्रकार की तंत्र क्रियाओं के लिये श्रेष्ठ मुहूर्त है। यह तंत्रशास्त्र मे यह भाग्य जगाने का सर्वोत्तम समय माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु के आठवें अवतार प्रभु श्री राम ने शारदीय नवरात्रि में नौ दिन तक माँ दुर्गा की नित्य 108 कमल पुष्पों से साधना की और उनसे प्राप्त वरदान और शक्ति की मदद से विश्व के सबसे शक्तिशाली राक्षस लंकापति रावण का वध करके उसके अत्याचारों से पीड़ित मानवता की और तीनों लोकों की रक्षा की थी। विद्वान ऋषियों व पूर्वजों ने दशहरा पर्व पर जीवन की अनेक समस्याओं को हल करने हेतु विशेष साधनाओं को जन्म दिया था। कुछ सरल और ज्योतिषीय उपाय निम्नलिखित हैं। 1. यदि घर मे किसी प्रकार का जादू टोना किया गया हो तो दशहरे की रात में सात काली कौड़ी काले धागे मे बांधकर दरवाजे की चैखट में लटका दें। तो जादू टोना किया खत्म हो जायेगा। 2. व्यापार वृद्धि हेतु

कालसर्प दोष कारण और निवारण

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मंगल संतानहीनता का कारक ग्रह है

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वैदिक ज्योतिष एवं प्राच्य विद्या शोध संस्थान अलीगंज, लखनऊ के तत्वाधान मे 134 वीं मासिक वर्चुअल सेमिनार का आयोजन वाराह वाणी ज्योतिष पत्रिका कार्यालय मे किया गया सेमिनार का विषय ज्योतिष में संतानहीनता के योग था जिसमे डा. डी.एस. परिहार के अलावा जज श्री लाल बहादुर उपाध्याय, पं. शिव शंकर त्रिवेदी, प. के.के. तिवारी, श्री उदयराज कनौजिया, डा. पी के निगम. अनिल कुमार बाजपेई एडवोकेट आचार्य राजेश श्रीवास्तव, प. एस.एस. मिश्र तथा प. आनंद त्रिवेदी इंजीनियर एस.पी. शर्मा आदि ज्योतिषियोें एवं श्रोताओं ने भाग लिया गोष्ठी मे डी एस परिहार, आचार्य राजेश श्रीवास्तव जज श्री लाल बहादुर उपाध्याय, श्री उदयराज कनौजिया, इंजीनियर एस.पी. शर्मा  तथा पं. आनंद त्रिवेदी ने अपने अनुभव और व्यक्तव्य प्रस्तुत किये। प. आनंद त्रिवेदी ने बताया कि पंचम भाव पर राहू या केतु का प्रभाव युति या दृष्टि संतानहीनता देगी नवांश मेे यदि पंचमेश राहू या केतु से संबधित हैं तो भी संतानहीनता देगा टाईम्स आफ एस्ट्रोलाॅजी के लखनऊ ब्यूरो चीफ श्री आचार्य दिनेश जी ने बताया कि पंचम भाव पर राहू केतु की युति या दृष्टि गर्भपात करायेगी लग्नस्थ राहू या के

हत्यारे की कुंडली मकतूल का नाम बताये

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बात पिछलों दिनो की है जब हमारी संस्था वैदिक ज्योतिष एंव प्राच्य विद्या शोध संस्थान, लखनऊ की टीम फाॅरेन्सिक एस्ट्रोलाॅजी (ज्योतिष द्वारा अपराध अन्वेषण) पर काम कर रही थी टीम को ज्योतिष मे एक ऐसे सूत्र की खोज करने मे कामयाबी हासिल हुयी थी जिसके द्वारा किसी कत्ल हुये इंसान के जमंाक से उसके कातिल के नाम का स्पष्ट ज्ञान हो जाता है। उन्ही दिनों हमारे एक सहयोगी जे.पी. शर्मा जी ने सवाल उठाया कि अगर हत्या के शिकार हुये आदमी की कुुंडली से हत्यारे का नाम निकल रहा है। तो हत्यारे की कुंडली से भी मरने वाले भी नाम निकलना चाहिये सवाल वाजिब था हत्या होना या हत्या करना जीवन की अति महत्वपूर्ण दुर्घटना है टीम ने इस दिशा मे भी अध्ययन करना शुरू किया कई सूत्र आजमाये गये पर कोई सफलता हासिल नही हुयी। 24 अगस्त 2020 के दिन अचानक एक काल्पनिक सूत्र दिमाग मे आया मंैने इसे अपनी टीम को कई जमांकों पर टेस्ट करने को कहा नतीजे उत्साहवर्धक निकले 100 फीसदी सफलता। लग गया जैकपाॅट! लग्न जातक के शरीर बचपन शारीरिक सुख-दुःख, रोग दुर्घटना आदि को बताती है, और लग्नेश जातक के कर्म को लग्नेश से केद्रीय राशियां जातक के कर्मक्षेत्र तथा

ज्योेतिषः मकतूल की कुंडली बताये कातिल का नाम

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वैदिक ज्योतिष एवं प्राच्य विद्या शोध संस्थान  लखनऊ के अध्यक्ष डा. डी. एस. परिहार ने एक प्रेस नोट जारी करते हुये दावा किया कि उनकी संस्था के एस्ट्रोलाॅजर्स की टीम ने फाॅरेन्सिक एस्ट्रोलाॅजी (ज्योतिष द्वारा अपराध अन्वेषण) के क्षेत्र मे एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। उनकी टीम ने ज्योतिष मे एक ऐसे सूत्र की खोज की है। जिसके द्वारा किसी कत्ल हुये जमंाक से उसके कातिल के नाम का स्पष्ट ज्ञान हो जाता है। श्री परिहार ने बताया कि इस सूत्र से कातिल के नाम के प्रथम अक्षर का ज्ञान होता है। श्री परिहार ने बताया कि उनकी पांच सदस्यीय टीम ने पूर्व जज श्री एल.बी. उपाध्याय की अध्यक्षता मे इस विषय पर सात से अधिक महीनों तक शोध किया उक्त सूत्र को 46 जमांकों पर परिक्षण किया और सभी जमांको पर यह सूत्र साफ फीसदी सही साबित हुआ उस सूत्र को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, मधुमिता शुक्ला, शाीना बोरा, फूलन देवी, आरूषी तलवार, अमरीकी प्रेसीडेंट जाॅन एफ केनेडी और अब्राहम लिंकन, क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आजाद,  महर्षि दयानन्द, लाला लाजपत राय, आगरा के सुरेश वर्मा केस

बेरोजगारी एवं एस्ट्रोलाॅजी

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वैदिक ज्योतिष एवं प्राच्य विद्या शोध संस्थान अलीगंज, लखनऊ के तत्वाधान में 136 वीं मासिक सेमिनार का वर्चुअल आयोजन वाराह वाणी ज्योतिष पत्रिका कार्यालय में किया गया। सेमिनार का विषय बेरोजगारी एवं एस्ट्रोलाॅजी था जिसमे डा. डी.एस. परिहार के अलावा जज एल.बी. उपाध्याय श्री एस.पी. शर्मा, प. शिव शंकर त्रिवेदी, प. के.के. तिवारी, श्री उदयराज कनौजिया, डा. पी.के. निगम. आचार्य राजेश श्रीवास्तव, प. एस.एस. मिश्र तथा प. आनंद त्रिवेदी आदि ज्योतिषियोें एवं श्रोताओं ने भाग लिया गोष्ठी मे डी एस परिहार, पं. के.के. तिवारी, आचार्य राजेश श्रीवास्तव जज श्री लाल बहादुर उपाध्याय, श्री उदयराज कनौजिया, तथा प. आनंद त्रिवेदी ने अपने अनुभव और व्यक्तव्य प्रस्तुत किये प. आनंद त्रिवेदी ने बताया कि कोरोना के कारण वर्तमान समय मे बेरोजगारी बढी है। लाॅकडाउन मे जनता और व्यापरियों की पूंजी नष्ट हो गई है। हजारों कारखानों के श्रमिक गांव वापस लौट गये है। लोग बाजार मे बहुत कम आ रहें है। कारखानें बंद होने से बेरोजगारी फैली है। आचार्य राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि लग्न चन्द्र लग्न और से दशम भाव से व्यवसाय देखते है। यह दशमेश नवांश मे ज

पूर्वजन्म केस का ज्योतिषीय विवेेचन

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पूर्वजन्म की यह कुंडली अमृतसर के विद्वान और वरिष्ठ ज्योतिषी श्री कीर्ति ग्रोवर जी ने अपने फेस बुक एकांउट मंे 25 एवं 26 अगस्त 2018 मे प्रस्तुत की थी उनके अनुसार सन् 2004 मे समाचार पत्रों मे आकाश नामक बालक के पुर्नजन्म की खबर पढकर मि. ग्रोवर अपनी टीम के साथ बरेली जिले के तेहबेहरी कस्बे के पिपरिया गांव गये उन्होंने आकाश से मुलाकात करके पुर्नजन्म के तथ्यों की जांच करके आवश्यक ज्योतिषीय आकड़े प्राप्त किये तथ्यों के अनुसार बरेली जिले के पिपरिया गांव मे 19 मार्च सन् 2000 को प्रातः 7 बजे एक बालक का जन्म हुआ जिसका सिर जन्म से ही एक साईड पर उभरा हुआ था आकाश जब कुछ बड़ा हुआ तो कहने लगा कि वो आकाश नही छोटेलाल है वह दूसरे गांव मे रहता है। और गत जन्म मे ट्रक के नीचे आकर वह मर गया था गत जन्म मे उसकी पत्नी और बच्चे थे बात तूल पकड़ने पर उसके परिजन उसे उसके गत जन्म के गांव ले गये जहां ना केवल अपनी पत्नी और बच्चों को बल्कि पूरे परिवार और पड़ोसियों तक पहचाना उसने बताया कि गत जन्म मे ट्रक के पहिये के नीचे आकर सर कुचलने के कारण उसकी मृत्यृ हो गई थी छोटे लाल के परिजनो ने भी इस घटना की पुष्टि की मि. ग्रोवर ने पार

काल सर्प दोष कारण और निवारण

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वाराहमिहिर ने इसका सर्प योग के नाम से उल्लेख किया है, सारावली में भी सर्पयोग का ही वर्णन मिलता है। आधुनिक ज्योतिष का मानता है कि सूर्य, चंद्र और गुरु के साथ राहू के होने को कालसर्प दोष बनता है। राहू का अधिदेवता काल है तथा केतु का अधिदेवता सर्प है। इन दोनों ग्रहों के बीच कुंडली में एक तरफ सभी ग्रह हों तो कालसर्प दोष कहते हैं। राहू-केतु हमेशा वक्री चलते हैं तथा सूर्य चंद्रमार्गी। कालसर्प दोष होता है या नहीं यह सवाल सबसे महत्वपूर्ण है। कालसर्प दोष जातक के पूर्व जन्म के किसी जघन्य अपराध के दंड या शाप के कारण उसकी जन्मकुंडली में बैठ जाता है। जिससे वह व्यक्ति आर्थिक व शारीरिक रूप से परेशान रहता है। यहां तक की उसे संतान संबंधी विभिन्न प्रकार के कष्ट भी सामने आ जाते है। या तो उसके घर में संतान पैदा ही नहीं होती। यदि जीवन में संघर्ष बहुत ज्यादा हो, बार-बार बनते-बनते काम रह जाते हों या ज्योतिष की भाषा में कहें तो सारे ग्रह राहु-केतु के बीच हों तो कालसर्प दोष होता है.बाल्यकाल घटना-दुर्घटना, चोट लगना, बीमारी आदि, विद्या में रुकावट, विवाह में विलंब, वैवाहिक जीवन में तनाव, तलाक, संतान का न होना, धोख

कोरोनाः राहू भयंकर विनाशकारी फल व महामारी दे रहा है

वैदिक ज्योतिष एवं प्राच्य विद्या शोध संस्थान अलीगंज, लखनऊ के तत्वाधान मे 135 वीं मासिक सेमिनार का वर्चुअल आयोजन वाराह वाणी ज्योतिष पत्रिका कार्यालय मे किया गया सेमिनार का विषय कोरोना एण्ड एस्ट्रोलाॅजी था जिसमे डा. डी. एस. परिहार के अलावा जज श्री लाल बहादुर उपाध्याय, श्री एस.पी. शर्मा, प. शिव शंकर त्रिवेदी, पं. के. के. तिवारी, श्री उदयराज कनौजिया, डा. पी.के. निगम, आचार्य राजेश श्रीवास्तव, प. एस.एस. मिश्र तथा पं. आनंद त्रिवेदी आदि ज्योतिषियोें एवं श्रोताओं ने भाग लिया गोष्ठी मे डी.एस. परिहार, पं. के.के. तिवारी, आचार्य राजेश श्रीवास्तव जज श्री लाल बहादुर उपाध्याय, श्री उदयराज कनौजिया, तथा पं. आनंद त्रिवेदी ने अपने अनुभव और व्यक्तव्य प्रस्तुत किये पं. आनंद त्रिवेदी ने बताया कि कोरोना के भयानक रूप से फैलने के लिये कई महीनो से चल रहे वक्री ग्रहों की महत्वपूर्ण भूमिका है। आचार्य राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि कोरोना वायरस सोशल डिस्टेंसिंग के अभाव मे फैल रहा है। इसमे जब हम बाजार जाते है। और करेंसी का जो लेन-देन करते है वो कोरोना के फैलने का प्रमुख कारण है। उपरोक्त वस्तुओं का कारक ग्रह बुध है। वर

ज्योतिष ने सिद्ध किया पुर्नजंम

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बीसवी सदी के प्रारम्भ मे। जन्म लुग्दीबाई ने जब 1926 में पुर्नजन्म शांति देवी के रूप में लेकर अपने पूर्वजन्म की घटनाओं का विवरण दिया तो संसार भर के वैज्ञानिकों के लिये यह एक शोध का विषय बन गया। इस लेख मे हम कुछ प्रमुख घटनाओं की जानकारी ज्योतिषीय आधार पर पुर्नजन्म में शांति देवी के जन्म कुण्डली के आधार पर जानने का प्रयास करगें शांति देवी की जन्म कुण्डली जन्म दिनांक 11 दिसम्बर 1926 स्थान दिल्ली समय दोपहर 1-47। दिल्ली मीन लग्न मेष मे मंगल, मिथुन मे राहू वृश्चिक मे सूर्य, शनि, बुध धनु मे शुक्र, केतु, मकर मे गुरू कुंभ मे चन्द्र। यह पत्रिका शांति देवी की है इनके पूर्वजन्म लुग्दीबाई के जीवन के सामान्य घटनाओं की जानकारी के लिये हम नवम भाव को लग्न मानकर अवलोकन करने के प्रयास करेगें। मीन लग्न की इस पत्रिका के नवम भाव के वृश्चिक राशि है जो स्त्री संज्ञक राशि है। अतः पूर्वजन्म में भी यह स्त्री थी। वृश्चिक राशि का वर्ण विप्र होने से इसका पूर्वजन्म ब्राह्मण कुल में होना चाहिए। तथा इस राशि का स्वामी मंगल है व यह राशि स्वयं जल तत्व की राशि होने से पर्वतीय क्षेत्र में नदी का तट वाले स्थान पर जन्म होना च

बाईबिल और न्यूमरोलाजी

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बाईबिल मे नम्बर 6 को मनुष्य का अंक बताया गया है, नम्बर 7 पूर्णता का अंक है, 3 का अंक त्रिदेव या त्रिशक्ति का प्रतीक है। उत्पत्ति, विकास व विलय ग्रीक शब्दाकों के अनुसार जीसस का अंक 887 हैं जो जीसस के कथित अंक 888 से मात्र एक अंक कम है। नम्बर 6 पूर्णता के अंक से एक अंक कम है। नम्बर 777 त्रिदेवों का पूर्णता का प्रतीक है। क्राईस्ट पूर्णता से भी महान थे नम्बर 666 अपूर्णता पशुता या मानवता या मानव का प्रतीक है। लंबे समय तक 666 प्रथम प्रथम मानव आदम का प्रतीक मााना जाता है। जिन्हें सृष्टि के छठे दिन बनाये गये था साथ ही यह अपवित्र त्रिशक्ति का भी प्रतीक है। शैतान, पशु और झूठा पैगम्बर। इसे शैतान से भी जोड़ा जाता है आधुनिक काल मे इसे एण्टीक्राईस्ट से भी जोड़ा जाता है। इस अंक को हर साल सोलोमोन द्वारा जारी किये गये सोन ने भी जोड़ा जाता है कुछ इसे रोमन सम्राट नीरो सीजर से  भी जोड़ते हैं। प्रकाशित वाक्य अध्याय 13 का अन्त, पशु (मसीह विरोधी) और उसके झूठे भविष्यवक्ता के बारे मे बताता है, जिसके अनुसार जिसे बुद्धि हो वह इस पशु का अंक जोड़ ले, क्योंकि वह मनुष्य का अंक है, और उसका अंक 666 है (वचन 18)। यद्यपि, पशु

आयने की जादुई रहस्यमय शक्तियाँ

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विश्व मे अनेक धर्मों और सभ्यताओं मे यह मान्यता रही आयने, छाया, अक्स या परछाईयों में रहस्यमय शक्तियों होती है। जिन्हें काबू मे करके अच्छे या बुरे कार्य करवाये जा सकते है। जैसे क्रिस्टल बाॅल द्वारा भविष्य कथन आदि। प्रेत देखने वाले कुछ लोगों का दावा है। कि उन्हें आयने मे प्रेतात्मा के दर्शन हुये कुछ लोगों को दावा है। कि उन्हें आयने मे भविष्यसूचक शुभ या अशुभ घटनायें दिखती है। आयने की रहस्यमयता से जुड़े अनेक भय विचित्र किस्से अंधविश्वास लोक कथायें, दैवी और अलौकिक विषय समाज मे प्रचलित है भारतीय और मुस्लिम तंत्र ग्रन्थों अपनी ही छाया परछांई शूक्ष्म शरीर या छाया पुरूष को सिद्ध करने करने का वर्णन है। जिसेे ईस्लाम मे हमजाद और हिन्दुओं मे छाया पुरूष की सिद्धि कहते है जिसकी अनेक विधियों मे से एक विधि मे साधक आयने के सामने बैठकर अपने ही प्रतिविम्ब पर त्राटक करता है। कछ दिनो बाद उसे अपना ही चेहरा दिखना बंद हो जाता है। और सिद्धि प्राप्त हो जाती है। रोमन कैथोलिक तंत्र शास्त्र को आयने के सामने कुछ मोमबत्तियां जला कर विशेष रोमन मंत्रांे का 41 दिन तक जाप किया जाता है। 41 दिन बाद साधक को कुछ अजीबों गरीब सि

क्या सितम्बर 2020 के बाद भारत मे आयेगा महाविनाश

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प्राचीन भारतीय ज्योतिषियों जैसे वाराह मिहिर तथा अंय संहिता ज्योतिषियों ने भारत की प्राचीन राशि मकर बताई थी 20 वीं सदी के महान ब्रिटिश पाॅमिस्ट काउंट लुई हेमन कीरो में भी 1925 मे प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘वल्र्ड प्रैडिक्शन’ मे भारत की राशि मकर बताई है लगभग हजार वर्ष पहले भारत विदेशी मुस्लिम आक्रांताओं का गुलाम हो गया और 15 अगस्त 1947 को वृष लग्न मे भारत विदेशी गुलामी से मुक्त हुआ। भारतीय ज्योतिष मे किसी भी देश या व्यक्ति के पूर्वजंम का ज्ञान नवम भाव से और अगले जंम का ज्ञान पंचम भाव से होता है। वृष राशि मकर राशि से पंचम राशि है। अतः यह आजादी प्राचीन भारत का ही अगला जंम है। भारतीय ज्योतिष मे बृहस्पति को धर्म और अध्यात्म का कारक ग्र्रह माना गया है तथा राहू को दैत्यों, राक्षसों, मुस्लिमों, मलेच्छों नास्तिकांे, धर्म विरोधी तथा दुर्भाग्य, नर संहार का कारक ग्रह माना गया है। भारत के इतिहास मे वृष मिथुन और धनु राशियो ंकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। दुर्भाग्यवश भारत के जमांक मे धर्म गुरू की राशि धनु देश की वृष लग्न/राशि से अष्ठम भाव की राशि है। जो आयु और मृत्यु का भाव है। तथा भारत की प्राचीन राशि मकर स

कोरोना कब होगा शांत

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भारतीय ज्योतिष के अनुसार राहू व केतु वायरस के कारक ग्रह है। मेरे द्वारा विश्व मे गत 400 वर्षो हुये विभिन्न वायरस के हमलों के ज्योतिष अध्ययन के अनुसार राहू व शनि का परस्पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संबध वायरसजन्य महमारियों की उत्पत्ति व प्रसार देता है। 1. राहू व शनि परस्पर त्रिकोण मे हो या राहू या शनि का राशीश ग्रह यदि वक्री या मार्गी होकर शनि या राहू से संबध बनाये तो विश्व मे महामारी फैलती है। शनि-राहू योग व संक्रामक महामारी:- 1. 1 मार्च 1720 को योरोप मे प्लेग फैला और लाखों लोग मारे गये इस दिन वृश्चिक मे शनि व चन्द्र युति तथा कर्क मे राहू था शनि चन्द्र व राहू की त्रिकोण युति मे प्लेग की महामारी फैली।  2. 1 मार्च 1820 को मीन मे शुक्र शनि व राहू योग था कुंभ मे सूर्य गुरू बुध योग था तथा गुरू व शनि मे राशि परिवर्तन था शनि व राहू योग के कारण कालरा की महामारी फैली और लाखों लोग मारे गये।  3. 1 मार्च 1929 मे सूर्य कुम्भ मे शनि सिंह में तुला मे मंगल व राहू तथा मिथुन मे चन्द्र था शनि व सूर्य मे राशि परिवर्तन था, अतः शनि कुंभ में गया उससे त्रिकोण मे मंगल, चन्द्र व राहू थे जिसके कारण भयानक स्पैनिश फ

नास्त्रेदमस ने 2020 को तबाही का साल बताया था

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नास्त्रेदमस ने अपनी किताब द प्रोफेसीज साल 2020 को लेकर आज से तकरीबन 500 साल पहले सन् 1555 मे ऐसी भविष्यवाणी की जो रोंगटे खड़े करने वाली है, नास्त्रेदामस ने 2020 को तबाही का साल बताया है। चीन में पैदा हुए कोरोना वायरस के मामले दूसरे देशों में भी तेजी से बढ़ रहे हैं। फ्रांस, जर्मनी, जापान, अमेरिका, आॅस्ट्रेलिया, सिंगापुर, मलेशिया, कंबोडिया, श्रीलंका, यूएई, साउथ कोरिया, वियतनाम, थाईलैंड, कनाडा और नेपाल में भी कोरोना वायरस के मामले सामने आए हैं। थियोरिस्ट्स का दावा है कि नास्त्रेदमस की एक चैपाई, में कोरोना वायरस का जिक्र किया गया है। इसमें समुद्र से सटे एक शहर में बड़ी महामारी फैलने की बात कही गई है, ये महामारी लोगों को मौत के अंजाम तक पहुंचाए बिना नहीं थमेगी। बता दें कि हुबेई प्रांत पूर्वी चीन का ही एक भू-भाग है, नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी में जिस शहर का जिक्र किया गया है थियोरिस्ट्स उसे वुहान शहर ही बता रहे हैं इस शहर में समुद्री जीवों के व्यापार की एक मंडी भी लगती है। चीन से पूरी दुनिया में फैल रहे घातक कोरोना वायरस से अब हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब तक 1 लाख से

कोरोनाः क्या मंत्र शक्ति रोकेगी महामारी

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ज्योतिष डी.एस. परिहार दिल्ली विधान सभा चुनाव में अरविन्द केजरीवाल की जीत की घोषणा की थी वो सत्य साबित हुई थी। करोना वायरस पर उनका सुझाव आपके समझ है। यह घटना संवत 2017 सन 1958 की है। राजस्थान के जिला टोंक के भासू ग्राम मे चैत शुक्ल नवमी से पुर्णिमा तक विष्णु याग (यज्ञ) का आयोजन किया गया था जिसे सम्पन्न कराने वाराणासी के प्रसिद्ध वैदिक विद्वान प. वेणीराम जी गौड़ आये थे, वे यज्ञ शुरू होने के तीन दिन पहले ही आ गये थे हम लोगों ने उनसे प्रार्थना की कि यहाँ 20-25 मील के आस पास अनेकों गांव मे चेचक की महामारी फैल गई है। अकेले भासू गांव में ही छह माह से लेकर 14 साल के करीब 50 बच्चे रोज मर रहे है। जिससे हमारा यज्ञ के प्रति उत्साह नष्ट हो गया है। पण्डित जी ने कहा, आप लोग ंिचंता ना करे आज रात मैं एक अनुष्ठान करूँगा जिससे आप सबको इस महामारी से छुटकारा मिल जायेगा उन्होंने रात मे नौ बजे गांव के चैराहो पर नवग्रह आदि का पूजन करवा कर दो ब्राह्मणों को अलग-अलग रात भर मंत्र जाप करने का निर्देश दिया और कहा, आप लोग जप पूरा ना होने तक आसन नही छोड़ें रात भर दीपक ना बुझने पाये इसकी भी व्यवस्था की गई जप सम्पन्न हुआ

कोरोना: शनि-राहू योग संक्रामक महामारी

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- 1 मार्च 1720 को योरोप मे प्लेग फैला और लाखों लोग मारे गये इस दिन वृश्चिक मे शनि व चन्द्र युति तथा कर्क मे राहू था, शनि चन्द्र व राहू की त्रिकोण युति मे प्लेग की महामारी फैली।  - 1 मार्च 1820 को मीन मे शुक्र शनि व राहू योग था कुंभ में सूर्य गुरू बुध योग था तथा गुरू व शनि मे राशि परिवर्तन था शनि व राहू योग के कारण कालरा की महामारी फैली और लाखों लोग मारे गये।  - 1 मार्च 1929 मे सूर्य कुंभ मे शनि सिंह में तुला मे मंगल व राहू तथा मिथुन मे चन्द्र था शनि व सूर्य मे राशि परिवर्तन था अतः शनि कुंभ मे गया उससे त्रिकोण मे मंगल, चन्द्र व राहू थे जिसके कारण भयानक स्पैनिश फलू की जानलेवा महामारी फैली और 2 से 5 करोड़ लोग मारे गये थे। - 2020 मे कोरोना की महामारी भयानक रूप से तब फैली जब 23 जनवरी 2020 को शनि मकर मे गया और वैसे तो मिथुन के राहू शनि से षष्ठाष्ठक योग मे है। परन्तु कुंभस्थ बुध वक्री होकर मकर फल दे रहा है। और बुध शनि योग बना रहा है बुध राहू का राशीश होकर राहू का प्रतिनिधित्व कर रहा है। 31 मार्च, 2020 को गुरू के मकर राशि मे गोचर करते ही होते ही वायरस कन्ट्रोल होने लगेगा तब गुरू शनि की युति ब्र

एस्ट्रोलाजी एण्ड गायक्नोलाजी

वैदिक ज्योतिष एवं प्राच्य विद्या शोध संस्थान अलीगंज, लखनऊ के तत्वाधान मे 134 वीं मासिक सेमिनार का आयोजन वाराह वाणी ज्योतिष पत्रिका कार्यालय में सम्पन्न हुआ। सेमिनार का विषय एस्ट्रोलाजी एण्ड गायक्नोलाजी था। जिसमे डा. डी.एस. परिहार के अलावा जज लाल बहादुर उपाध्याय, प. शिव शंकर त्रिवेदी, प. के.के. तिवारी, श्री उदयराज कनौजिया, डा. पी.के. निगम, अनिल कुमार बाजपेई एडवोकेट आचार्य राजेश श्रीवास्तव, पं. एस.एस. मिश्र तथा पं. आनंद त्रिवेदी आदि ज्योतिषियोें एवं श्रोताओं ने भाग लिया गोष्ठी मे डी.एस. परिहार, पं. के.के. तिवारी, आचार्य राजेश श्रीवास्तव जज श्री लाल बहादुर उपाध्याय, उदयराज कनौजिया, तथा पं. आनंद त्रिवेदी ने अपने अनुभव और व्यक्तव्य प्रस्तुत किये। उदयराज कनौजिया ने बताया कि संतान बाधा हेतु, पंचम भाव, पंचम से पंचम नवम भाव उनके भावेश और उनके कारक भी देखें संतान प्राप्ति के लिये लग्न जो स्वस्थ्य शरीर देता है। चन्द्र ईच्छा शक्ति 11 वां भाव मनोकामना पूर्ति का है, तथा सप्तम भाव से पंचम होने के कारण पत्नी का संतान भाव भी है, तथा कारक गुरू को अवश्य देखें साथ ही वक्री ग्रह भी देखें वक्री ग्रह की दशा

होली में तंत्र का महत्व

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भारतीय तंत्र शास्त्रों के तंत्र मूहर्तो में तीन रात्रियों का विषेश महत्व है। कालरात्रि (महानिषा) दीपावली की रात्रि कार्तिक अमावस्या, नवरात्रि तथा होलिका रात्रि। इन रात्रियों में की गई छोटी सी साधना भी अधिक फल प्रदान करती है। प्रत्येक मनुष्य कठिन, जटिल और लम्बी तंत्र साधना नहीं कर सकता है। इस बात को समझते हुये, हमारे पूवजों ने हजारों वर्ष पूर्व ही हजारों सरल साधनाओं और कष्ट निवारण तरीकों को विकसित किया किया था। इनमें टोना-टोटका का विषेष महत्व है, जो सारे संसार में पाये जाते हैं। टोने में स्थानीय भाषा के मंत्रों का प्रयोग किया जाता है। तथा टोटका में बुरे प्रभाव को हटाने व शुभ प्रभाव को पैदा करने के लिये कुछ खास वनस्पतियों, खनिजों तथा जीव-जन्तुओं का विषेष मूहूर्त तथा विषेष तरीके के प्रयोग किया जाता है। इनकी संख्या लाखों में है। यहाँ पर हम जीवन की समस्याओं से सम्बन्धित कुछ सरल उपायों का वर्णन है। जो कि होली की रात्रि में सरलता से फलीभूत हो जाते हैं। शत्रु बाधाः-  यदि व्यक्ति शत्रुओं से परेषान चल रहा हो तो व्यक्ति को होली की रात्रि में लाल या सफेद गुंजा (रत्ती) के 7 दाने लेकर पीले वस्त्र मे