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विश्व एकता की शिक्षा इस युग की सबसे बड़ी आवश्यकता है!

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(1) ‘‘विश्व एकता’’ की शिक्षा इस युग की सबसे बड़ी आवश्यकता है :-                                 फारस में 12 नवम्बर 1817 को जन्मे बहाई धर्म के संस्थापक बहाउल्लाह ने 27 वर्ष की आयु में जिस काम को शुरू किया था, वह धीरे-धीरे विश्व के प्रत्येक भाग, प्रत्येक वर्ग, संस्कृति और जाति के करोड़ों लोगों की कल्पना और आस्था में समा गया है। बहाउल्लाह मानवजाति की परिपक्वता के इस युग के एक महान ईश्वरीय संदेशवाहक है। बहाउल्लाह का शाब्दिक अर्थ है - ‘ईश्वरीय प्रकाश’ या ‘परमात्मा का प्रताप’। बहाउल्लाह को प्रभु का कार्य करने के कारण तत्कालिक शासक के आदेश से 40 वर्षों तक जेल में असहनीय कष्ट सहने पड़े। जेल में उनके गले में लोहे की मोटी जंजीर डाली गई तथा उन्हें अनेक प्रकार की कठोर यातनायें दी गइंर्। जेल में ही बहाउल्लाह की आत्मा में प्रभु का प्रकाश आया। ‘बहाउल्लाह’ ने प्रभु की इच्छा और आज्ञा को पहचान लिया। (2) एक कर दे हृदय अपने सेवकों के हे प्रभु :-                 बहाउल्लाह की सीख है कि परिवार में पति-पत्नी, पिता-पुत्र, माता-पिता, भाई-बहिन सभी परिवारजनों के हृदय मिलकर एक हो जाये तो परिवार में स्वर्ग उतर आयेगा।

नई विश्व व्यवस्था

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सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ के तत्वावधान में आॅनलाइन आयोजित ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 21वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ के प्रतिभागी 63 देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, न्यायविद्, कानूनविद् व अन्य प्रख्यात हस्तियों  ने ‘लखनऊ घोषणा पत्र’ के माध्यम से संकल्प व्यक्त किया है कि वे विश्व एकता, विश्व शान्ति एवं भावी पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य हेतु ‘नई विश्व व्यवस्था’ के गठन हेतु सतत् प्रयास करते रहेंगे। विदित हो कि लगातार चार दिनों तक सम्पन्न हुए इस महासम्मेलन के अन्तर्गत विश्व की प्रख्यात हस्तियों, न्यायविद्ों व कानूनविद्ों की गहन परिचर्चा के निष्कर्ष स्वरूप ‘लखनऊ घोषणा पत्र’ जारी किया गया। न्यायविदों ने संकल्प व्यक्त किया कि वे अपने देश में अपनी सरकार के सहयोग से इस मुहिम को आगे बढायेंगे जिससे विश्व के सभी नागरिकों को नई विश्व व्यवस्था की सौगात मिल सके और प्रभावशाली विश्व व्यवस्था कायम हो सके। उक्त जानकारी सम्मेलन के संयोजक, प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी, संस्थापक, सी.एम.एस., ने दी है। लखनऊ घोषणा पत्र के विस्तृत विवरण में मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों व कानूनविद्ों ने कहा है कि - हा

नारी हूँ मैं

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महिला काव्य मंच प्रयागराज ईकाई के तत्वावधान में अध्यक्ष रचना सक्सेना और महासचिव ऋतन्धरा मिश्रा के संयोजन में पुस्तक पर आधारित एक परिचर्चा के आयोजन का किया गया था। पुस्तक परिचर्चा के अंतर्गत अनेक कवयित्रियों पर हो चुकी परिचर्चा में कवयित्री डा. उपासना पाण्डेय के काव्य संग्रह ’नारी हूँ मैं’ पर केन्द्रित परिचर्चा की गयी जिसमें मंच की अनेक महिला साहित्यकारों के साथ-साथ अन्य अनेक गुणीजनों एवं साहित्यकारों ने  भी उनके काव्य संग्रह पर अपने समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत किये। प्रयागराज की वरिष्ठ कवयित्री एवं लेखिका ’देवयानी’ पुस्तक पर अपने विचार व्यक्त करते हुऐ कहती हैं कि नारी के विविध रूपों का चित्रण है नारी हूँ मैं। काव्य संग्रह में न केवल नारी का विविध रूप है ,उसमें नारी का सौन्दर्य उसका हृदय,उसकी भावना, त्याग, पीड़ा, आजादी की तड़प और मजबूरी भी हैद्य नारी रूप और नारी संवेदनाओं का यह उत्तम संग्रह है। वरिष्ठ कवयित्री ’उमा सहाय’ लिखती है कि उपासना ने नारी को अबला न समझा और न ही कहीं दिखाया है अपितु नारी को सबला, सृजनात्मक और गुणों में पुरुष से श्रेष्ठ समझा है वरिष्ठ कवयित्री तथा लेखिका कहानीकार ’म

हारिये न हिम्मत, बिसारिये न राम!

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मानव का सम्पूर्ण जीवन ही एक संघर्ष है:- ‘हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम, तू क्यों सोचे बंदे जब सब की सोचे राम’ को अपने जीवन का मूल मंत्र मानकर यदि हम अपने जीवन को जीने लगे तो जीवन में आने वाली कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना हम आसानी से कर सकते हैं। वास्तव में मानव का सम्पूर्ण जीवन ही एक संघर्ष है। इसमें हमेशा उतार-चढ़ाव और सुख-दुख लगा रहता है। लेकिन कहते हैं कि जिनके पास साहस और प्रभु की कृपा है, वो कभी भी जीवन में असफल नहीं हो सकता है। इतिहास में भी उन्हीं के नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित हंै जिन्होंने कठिन समय में भी साहस एवं प्रभु की शरण का परित्याग नहीं किया। ईश्वर से दूर होने पर जीवन में संघर्ष बढ़ जाते हैं:- प्रत्येक बालक ईश्वर की सर्वोच्च कृति है। वह एक दयालु, पवित्र और ईश्वरीय प्रकाश से प्रकाशित हृदय लेकर इस पृथ्वी पर जन्म लेता है। लेकिन धीरे-धीरे खराब वातावरण और उद्देश्यविहीन शिक्षा के कारण बालक के जीवन में चार चीजंे पैदा हो जाती हैं- (1) सबसे पहले बालक का ईश्वर से संबंध कट जाता है (2) ईश्वर से कटकर बालक अज्ञानता के अन्धेरे में चला जाता है (3) जिसके कारण उसे सही-गलत का ज्ञान न

सबसे अलग किस्म के गीतकार थे जमादार धीरज

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नगर के वरिष्ठ कवि जमादार धीरज के निधन पर साहित्यिक संस्था गुफ्तगू की तरफ से आनलाइन शोकसभा हुई। अध्यक्ष इम्तियाज अहमद गाजी ने कहा जमादार धीरज प्रयागराज के वरिष्ठतम कवियों में से थे, उनके गीत में समाज और देश के वास्तविक संदर्भों का वर्णन मार्मिक ढंग से होता था, उनके निधन से प्रयागराज में एक खास कवि का स्थान रिक्त हो गया, जिसकी पूर्ति करना संभव नहीं होगा। श्री गाजी ने कहा कि हाल ही में उन्होंने मुझसे कहा था कि मैं अपना एक कविता संग्रह तैयार कर रहा हूं, जल्द ही प्रकाशित करने के लिए दूंगा। मनमोहन सिंह तन्हा ने कहा कि जमादार धीरज जितने अच्छे गीतकार थे, उतने ही मिलनदार और संवेदनशील इंसान भी थे। उनके काव्य सृजन और व्यक्तित्व को कभी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। प्रभाशंकर शर्मा ने कहा कि जमादार धीरज प्रयागराज की शान थे, उनके गीत दूर-दराज के इलाकों में भी गुनगुनाए जाते हैं, उनकी विशिष्ठ शैली उन्हें अन्य गीतकारों से अलग करती है। उनकी अब तक पांच पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, अगली पुस्तक की तैयारी में वे लगे हुए थे। जमादार धीरज की बेटी मधुबाला गौतम ने कहा कि पिताजी कह रहे थे कि उनका लिखा हुआ बेकार नहीं

कभी हां कभी नां

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बचपन से सुनता आ रहा हूं कि तस्वीरे बोलती हैं, इसी कारण कुछ तस्वीरे अपने मित्र से प्राप्त आपके समक्ष है। क्या अच्छा, क्या खराब सब समय-समय पर दर्ज होता रहता है। शायद इस तस्वीर देखने के बाद कुछ याद आ जाये।

वक्त ने कहां पहुचा दिया

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आजम खान कभी सदन की शान हुआ करते थे, वक्त ने कहां पहुचा दिया। पुरानी फोटो मिल गई सोचा शेयर कर दूं, जब कभी अवसर मिले कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए कि भविष्य में पछताना पड़े।  

मैं गरीब जनता के लिए संघर्ष करता रहूँगा: संजीबा

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आज से लगभग 25 वर्षों पहले आज के सत्यग्रही गांधी यानि वीररस कवि व समाज सेवक संजीबा के घर के एक कमरे में एक किरायेदार के बेटे ने आत्महत्या कर ली थी, अपने सुसाइड नोट में उसने लिखा कि मैं भारत की आर्थिक नीतियों के खिलाफ आत्महत्या कर रहा हूँ। इस घटना ने उनके जीवन को एक नई दिशा दे दिया,. बस उसके बाद समाज की व्यवस्था बदलने के लिए कानपुर की सड़कों पर पहले क्रांतिकारी कविताओं की पर्चियां बाँटने लगे और फिर सड़कों पर नुक्कड़ नाटक खेलने लगे, जिसके लिए नुक्कड़ नाटक खेलने के दौरान दर्जनों बार इन्हे जेल हथकड़ी, हवालात से गुजरना पड़ा। लेकिन उसके बाद भी वे रुके नहीं, नाटक के माध्यम से गरीबों की आवाज उठाने लगे, .सड़को पर अपनी कविता चित्रों की प्रदर्शनी लगाने लगे और आजकल संजीबा नाम से यू टियूब चैनल शुरू किया और अपने गीत-संगीत और गायन के जरिये जनता की तकलीफो को और सरकार की गलत नीतिओं को उजागर करते हैं और जनता के सामाजिक जागरण और व्यवस्था में सुधार लाना की कोशिश करते है। जिसके लिए वर्ष 2012 में सीताराम जिंदल ग्रुप ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने में 25 लाख रुपये का नकद पुरस्कार देकर दिल्ली में सम्मानित किया। संजीबा क

ईश्वर के बनाए पुतले भगवान हो गए हैं

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शाश्वत सांस्कृतिक साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था द्वारा आयोजित पुस्तक समीक्षा मे नाटक ‘एक अजीब दास्तां नाट्य लेखन श्री अख्तर अली रायपुर छत्तीसगढ़ की नाटक परिचर्चा संपन्न हुई। वरिष्ठ रंगकर्मी सुषमा शर्मा कहती है एक अजीब दास्तां श्री अख्तर अली द्वारा लिखित एक वैचारिक नाटक है इस नाटक में तीन पात्र हैं वकील आरोपी और जज वास्तव में आरोपी हम सब हैं जिनके मन में समय-समय पर बाहरी दुनिया में घटने वाली अनेक घटनाएं हमारे विश्वास को हिला देती हैं और हम यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि क्या ईश्वर कहीं नहीं है और अगर वह है तो उसका रक्षा यह संसार ऐसा क्यों है असल में हम सब अपने द्वारा किए हुए कर्मों को ईश्वर पर थोप देते हैं और उससे कर्म फल को ईश्वर का न्याय समझकर व्यतीत हो जाते हैं आगे चलकर नाटक कार्य स्पष्ट करता है कि सब धर्मों से ऊपर इंसानियत का धर्म है और मुस्कुराता हुआ इंसान ही सच्चा इंसान है बाकी सब हमारे द्वारा ही रचा हुआ पाखंड है इस नाटक का मंचन विधान सादा है और नाटकीय तामझाम से दूर है इससे ना केवल मंचित किया जा सकता है बल्कि फिल्माया भी जा सकता है अंत में नाटककार नाटकीय विधान के साथ दर्शकों पर फै

फिर से मुस्कुराएगा मुंबई

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तमाम मुश्किलों को झेलते हुए, तमाम समस्याओं का सामना करते हुए भी हमेशा चलते रहने वाला, जिंदादिल व मुस्कुराते रहने वाला एक शहर कोरोना महामारी जब पूरे विश्व में अपना आतंक फैलाते हुए भारत की ओर बढ़ रहा था, तब तक कई हजार लोग उसकी चपेट से संक्रमित हुए तो कई लोगो को अपनी जान से हाथ भी धोना पड़ा। इस महामारी के बारे में जब तक केंद्र सरकार और राज्य सरकार कुछ समझ पाती तब तक यह बीमारी भारत में दस्तक दे चुकी थी तथा इस वायरस की दवा क्या है इस खोज में पूरी दुनिया के वैज्ञानिक संशाधन में जुड ़गए किन्तु इस बीमारी से बचने का बेहतर रास्ता सरकार को नजर नहीं आया तो उसे एक ही रास्ता दिखा वो था लाॅकडाउन। जिससे लोग एक-दूसरे के सपर्क में ना आये और बीमारी की चैन को तोडा जाये इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पहला लाॅकडाउन यानि की  जनता कफ्र्यू लगाया गया किन्तु जब 25 मार्च, 2020 को राष्ट्रीय स्तर पर सम्पूर्ण भारतवर्ष में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए (फेस-1ष् यानि की 25 मार्च से 14 अप्रैल तक जिस दिन लाॅकडाउन घोषित किया गया, उस दिन से लगा की मुंबई जैसे बड़े शहर पर ग्रहण लग गया हो। इस शहर की रफ्तार, इसकी ज

एकतरफा महिला कानून

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एक तरफ विवाहित बेटियों को भी पैतृक सम्पत्ति में बेटों के बराबर हक। दूसरी तरफ मृतक आश्रित के रूप में बेटों को छोड़कर सिर्फ अविवाहित बेटियों को पिता की पेंशन में दिया जाता है हक, बेटे सिर्फ मारते रह जाते हैं झक! ऐसा बेटों के साथ भेदभाव क्यों? एक तरफ बेटा-बेटी की समानता की बातें बड़ी धड़ल्ले से होती हैं तो दूसरी तरफ समानता कब और कहाँ चली जाती है जब एकतरफा बेटी को मृतक आश्रित के रूप में पिता की पेंशन का हकदार माना जाता है। क्या ये बेटों के साथ भेदभावपूर्ण रवैया नहीं है? अगर इसी तरह बेटा-बेटी व स्त्री-पुरूष के नाम पर राजनीति करके कानून बनाये जाते रहेंगे तो इस समाज का बेड़ा बहुत जल्द ही गर्क हो जायेगा। बेटी को सिर्फ मृतक आश्रित के रूप में पिता की पेंशन का हकदार ही नहीं बल्कि  तलाकशुदा बेटी या विधवा बेटी को भी पिता की संपत्ति में कानूनन हकदार माना जाता है। भले ही बेटी पढ़ी-लिखी अपने पैरों पर खड़ी होने लायक हो। बेटों को तो सरकारी नीति व कानूनन 18 वर्ष की आयु पूरी करते ही पूर्णरूप से सक्षम मान लिया जाता है भले ही उसे अपनी पढ़ाई छोड़कर होटल पर बर्तन धुलने पड़ते हों। उन्हें किसी तरह का अनुदान क्यों नहीं द

समस्या और उसका समझदारी भरा समाधान

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5 सितम्बर को प्रत्येक बालक के चरित्र निर्माण के संकल्प के साथ सारे देश में पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली डा. राधाकृष्णन का जन्म दिवस ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में बड़े ही उल्लासपूर्ण एवं शैक्षिक वातावरण में मनाया जाता है। वह एक महान शिक्षक, विद्वान दार्शनिक तथा भारतीय संस्कृति के सर्वश्रेष्ठ व्याख्याकार थे। एक आदर्श शिक्षक के रूप में उनकी उपलब्धियों को कभी भुलाया नहीं जा सकता। एक शिक्षक के रूप में मैं अपने 61 वर्षों के शैक्षिक अनुभव को इस लेख के माध्यम से परम आदरणीय सर्वपल्ली डा. राधाकृष्णन जी को शत् शत् नमन करते हुए सभी देशवासियों से शिक्षक दिवस के महान अवसर पर साझा कर रहा हूँ।   हमारा मानना है कि शिक्षक ही एक सुन्दर, सुसभ्य एवं शांतिपूर्ण राष्ट्र व विश्व के निर्माता हैं। वे एक ओर जहां बच्चांे को विभिन्न विषयों का सर्वश्रेष्ठ ज्ञान देते हैं तो वहीं दूसरी ओर उनके चरित्र का निर्माण करके उनके भविष्य को सही आकार भी प्रदान करते हैं। हमारा मानना है कि शिक्षक एक वेतन भोगी कर्मचारी नहीं होता है। वह भावी पाढ़ी के उज्जवल भविष्य का निर्माता है। हमारी चैरिटेबल तथा शैक्षिक संस्था का उद्देश्य कभी भी व्यवसायि

हबीब तनवीर ने दुनिया के रंग कर्मियों को संदेश दिया

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आधारशिला प्रयागराज रंग मंडल द्वारा आयोजित संगोष्ठी हबीब तनवीर जी के जन्मदिन पर आनलाइन आयोजित की गई जिसमें कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार नाट्य लेखक अजीत पुष्कर थे तथा मुख्य वक्ता नाट्य लेखक अली अख्तर रायपुर छत्तीसगढ़ डॉ अनुपम आनंद, रविनंदन सिंह, रमाकांत शर्मा, प्रमोद कुमार त्रिपाठी, सुषमा शर्मा, राजेंद्र मिश्र, अजय केसरी ने अपने विचार रखे कार्यक्रम का संचालन ऋतंधरा मिश्रा ने किया। मुख्य वक्ता  अली अख्तर कहते हैं हबीब तनवीर के नाटकों में लोक तत्व की बात करें तो एक बहुत अच्छे से स्पष्ट हो जाती है कि किसी भी नाटक में लोक का कोई एक तत्व नहीं लिया जा सकता नाटक में लोक अपनी संपूर्णता के साथ होनी चाहिए। रंग निर्देशिका सुषमा शर्मा कहती हैं रंग मंच के क्षेत्र में छह दशक तक निरंतर नवीनता के साथ सक्रिय रहने वाले हबीब तनवीर ने दुनिया के रंग कर्मियों को संदेश दिया की अपनी मिट्टी से जुड़े गीत-संगीत कथानक और उनका प्रस्तुतीकरण करना मंच के माध्यम से लोगों को सकारात्मक संदेश देना ही असली रंगकर्मी का उद्देश्य है। वरिष्ठ रंगकर्मी अजय केसरी का कहना है कि हबीब तनवीर जी ने भारतीय संस्कृति को समकालीन

गोरी के होने वाले लाल सुनो रे सखियां

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महिला काव्य मंच प्रयागराज ईकाई की मासिक आनलाइन काव्य गोष्ठी महिला काव्य मंच प्रयागराज ईकाई की अध्यक्ष रचना सक्सेना के संयोजन में महिला काव्य मंच पूर्वी उत्तर प्रदेश की अध्यक्षा मंजू पाण्डेय की अध्यक्षता में वाट्सऐप द्वारा सफलता पूर्वक सम्पन्न हुई। संचालन मंच की महासचिव वरिष्ठ अधिवक्ता एवं रंगकर्मी ऋतन्धरा मिश्रा ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती को मालार्पण करने के पश्चात संतोष मिश्रा दामिनी की वाणी वंदना से हुआ।  मंच की सभी कवयित्री बहनों ने अपनी सुन्दर रचनाओं से मंच को गुंजायमान किया। काव्य गोष्ठी में महक जौनपुरी, कविता उपाध्याय, डॉ  नीलिमा मिश्रा, रचना सक्सेना, रेनू मिश्रा, जया मोहन, ललिता पाठक, ऋतम्भरा मिश्रा, सुमन दुगगल, नीना मोहन, मीरा सिन्हा, उमा सहाय, इंदू बाला, मंजू निगम, स्नेह उपाध्याय, शिवानी मिश्रा, अरविना गहलोत, डॉ अर्चना पांडेय, उपासना पांडेय, गीता सिंह, अन्नपूर्णा मालवीय, डॉ सुनीता श्रीवास्तव आदि शामिल रही। सखी सुन बहती मस्त बयार..३... संतोष मिश्रा दामिनी ने खूबसूरत पंक्तियां प्रस्तुत की  शिवानी मिश्रा ने ...  वह नारी है वह नारी है रचना प्रस्तुत की दिल को चीर कर

उर्दू शायरी के आखिरी पैरोकार थे फिराक: मुनव्वर राना

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फिराक गोरखपुरी उर्दू शायरी के आखिरी पैरोकार थे। उन्होंने अपनी शायरी से उर्दू अदब को चरम पर पहुंचा दिया था, उनके बाद उर्दू शायरी ने अपना चोला बदल सा लिया है, अब उर्दू में ऐसी शायरी नहीं होती जैसा कि फिराक जमाने में या उनसे पहले होती थी। वो पंडित जवाहर लाल नेेहरु की वजह से सिसायत में आए थे, उन्होंने कांगे्रस और देश के लिए बहुत काम किया, लेकिन अपने उसूलों से कभी समझौता नहीं किया। यह बात मशहूर शायर मुनव्वर राना ने फिराक गोरखपुरी जयंती की पूर्व संध्या पर साहित्यिक संस्था ‘गुफ्तगू’ द्वारा आयोजित वेबिनार में कही। मशहूर कथाकार ममता कालिया ने कहा कि रघुपति सहाय ‘फिराक’ ने अपनी उर्दू जबान और शायरी से सिद्ध कर दिया कि भाषा का मजहब से कोई रिश्ता नहीं होता। उनकी शायरी, बड़े-बड़े उर्दू शायरों के साथ एक पायदान पर रखी जा सकती है जैसे इकबाल, जिगर मुरादाबादी, जोश मलीहाबादी वगैरह। अपनी अलबेली जीवन शैली, मौलिक अध्यापन पद्धति और बेबाक बयानी के लिए वे मशहूर रहे। इलाहाबादी लोगों ने उनका गुस्सा और प्यार दोनों देखा है। उनकी शायरी का बड़ा संग्रह गुल ए नगमा आज भी बेजोड़ समझा जाता है। प्रो. वसीम बरेलवी ने कहा, इससे ब

खिला फूल गुलाब

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शाश्वत सांस्कृतिक साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था प्रयागराज के तत्वावधान में संस्था की महासचिव ऋतन्धरा मिश्रा के संयोजन में पुस्तक परिचर्चा संबधित एक आयोजन का प्रारम्भ किया गया जिसमें वरिष्ठ रंगकर्मी रंग निर्देशिका सुषमा शर्मा की बाल नाटक पुस्तक ‘खिला फूल गुलाब का’ पर  पुस्तक परिचर्चा चली जिसमें अनेक वरिष्ठ रंगकर्मी साहित्यकार नाट्य लेखक ने उनके बाल नाटक संग्रह पर अपने विचार रखें नाट्य लेखक अजीत पुष्कल जी ‘खिला फूल गुलाब’ का एवं अन्य बाल नाटक सुषमा शर्मा के द्वारा लिखे गए बच्चों के नाटक है। मेरे विचार से यह नाटक प्रस्तुति की दृष्टि से इस कमी को पूरा करेंगे, लेखिका का रंगमंच के अनुभव नाटकों को नाटक दूसरे निर्देशकों के लिए बेहद सहायक साबित होंगे, ऐसा मेरा विश्वास है। इन नाटकों के विषय विविधता लिए हुए है ‘लारा की टोपी’ ऐसा नाटक है जिसमें लारा के जन्मदिन पर उसकी मां एक टोपी बुनकर उसे देती है और उस टोपी पर हर किसी की नजर लगी रहती है, किंतु लारा मां के प्यार को समझते हुए टोपी को बचाकर बड़े यतन से बचा कर घर ले आता है। और बाल मनोविज्ञान के साथ एक नैतिकता का बोध एवं मां के प्रति प्यार इस नाटक में ह

श्रीराम मंदिर निर्माण आंदोलन के नायक

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5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की भूमि पूजन एवं आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा करने के बाद ही विश्व की सबसे बड़ी लड़ाई वाला अयोध्या का राम मंदिर निर्माण का सपना साकार होने लगा राम मंदिर निर्माण में भूमि पूजन में शामिल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ज्ी उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल तथा महंत नृत्य गोपाल दास जी शामिल रहे, राम मंदिर निर्माण के साथ ही सदियों तक इन्हें भी याद किया जाता रहेगा!  राम मंदिर का निर्माण को लेकर हुए आन्दोलनों की हम बात करें तो इस आंदोलन में शुरू से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के साथ ही उसके सहयोगी संगठन जनसंघ, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, हिंदू महासभा सहित इत्यादि संगठनों ने समय-समय पर इस के आंदोलनों में अपना योगदान दिया आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी के स्थापना के साथ ही उसका सबसे बड़ा मुद्दा राम मंदिर निर्माण ही रहा है। अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन के वे चेहरे, जिनके बिना यह सपना सपना रह जाता।  अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर 492 साल

श्री राम मंदिर का निर्माण हिन्दू अस्मिता के जागरण का प्रतीक है

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पर्यटन एवं विकास संस्थान, प्रयागराज के तत्वावधान में श्री राम मंदिर और हिन्दू अस्मिता विषय पर गूगल मीट के माध्यम से डा० नीलिमा मिश्रा के संयोजन और डा० शम्भुनाथ त्रिपाठी अंशुल जी के संचालन में वेबिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ अंशुल जी ने राम स्तुति से करके पटल को राममय कर दिया। इस विषय पर कार्यक्रम के अध्यक्ष डा० डी० पी० दुबे, प्रोफेसर प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने कहा कि श्री राम मंदिर का निर्माण हिन्दू अस्मिता के जागरण का प्रतीक है और हमें इस जागृति को बनाये रखना है। मुख्य वक्ता के रूप में पं उदय शंकर दुबें, रामचरितमानस एवं पाण्डुलिपि विशेषज्ञ ने कहा कि आज से 492 साल पहले जिस राम मंदिर को ध्वन्स कर हिन्दुओं के सम्मान को ठेस पहुँचायी गयी थी वह सम्मान आज हमें वापस मिल गया। डा० नीलिमा मिश्रा ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण से एक नये युग का प्रारम्भ हो रहा है, भारत की भूमि से शांति और मर्यादा का संदेश पूरे विश्व को मिल रहा है। प्रतिमा मिश्रा जो हिन्दू जागरण मंच प्रयागराज की अध्यक्ष हैं ने कहा कि रामराज्य का हमें आज दर्शन हो रहा है। ऋतन्धरा मिश्रा जो

जीवन की सफलता का आधार संतुलित ज्ञान है!

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जीवन की सफलता का आधार संतुलित ज्ञान है:- मनुष्य की सफलता, प्रसन्नता तथा समृद्धि उसकी तीनों वास्तविकतायें भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक गुणों के संतुलित ज्ञान एवं उनके विकास पर निर्भर होती हैं। जीवन बहुत बड़ी चीज है। केवल परीक्षा में प्राप्त किये गये अंकों का सफल जीवन से अधिक संबंध नहीं होता है। बालक ने भौतिक विकास कितना किया यह परीक्षा में विभिन्न विषयों में प्राप्त अंकों के रिजल्ट से मालूम चलता है। बालक ने सामाजिक या मानवीय गुणों का कितना विकास किया इसका जिक्र रिजल्ट में नहीं होता है। परिवार के सदस्यों के साथ सहयोग की भावना, बड़ों के लिए सम्मान, छोटे के लिए प्यार, अपने परिवार के सदस्यों एवं मित्रों के साथ मिलजुल कर रहने के गुणों का बालक में कितना विकास हुआ इत्यादि बातें सामाजिक विकास के अन्तर्गत आती हैं। जीवन की सफलता के लिए भौतिक विकास के साथ सामाजिक विकास भी जरूरी है। इसके साथ ही बालक ने कितना आध्यात्मिक विकास किया? इसका जिक्र भी रिजल्ट में नहीं होता है। जबकि मनुष्य भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक गुणों के संतुलित विकास से ही वह पूर्ण गुणात्मक व्यक्ति बनता है।   आध्यात्मिक शिक्षा से आत्

मेरी नजर में यार की तस्वीर इश्क है

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सीने  में   इश्क   इश्क   की   तासीर  इश्क है ! अल्लाहा   जानता   है   के   तौकीर   इश्क है ! पस्ती  में   जिसने  माना  के  तदबीर  इश्क है ! पहुँचा   बलन्दियों   पे   तो   तकदीर  इश्क है ! क्यों  देखूँ   इस  जहाँन कीं  रंगीनियाँ  तमाम ! मेरी  नजर  में   यार     की   तस्वीर   इश्क है ! हर  लम्हा  आता--जाता   बताता   है  दोस्तो ! दुनिया  है   एक  ख्वाब  तो   ताबीर  इश्क है ! मुझ सा   कोई   गनी   नहीं   सारे   जहाँन  में ! आशिक   हूँ    मेरे    वास्ते   जागीर   इश्क है ! मिलकर  न  तोड़  पायेंगीं  दुनिया की  ताकतें ! हम  आशिकों  के   पाँव  की  जंजीर  इश्क है ! महका  जो  जख्म  हो  गया  अहसास ये मुझे ! जो  दिल  के  आर-पार  है  वो  तीर   इश्क है ! कुछ इस तरह अयाँ  हुआ मुझपे ये फलसफा ! दामन पे  टपका  आँख  से  जो  नीर  इश्क है ! मन्जिल  हमारे  पाँव  की  ठोकर  में  आयेगी ! गर  जिन्दगी   की   राह  का  रहगीर  इश्क है ! उस बा-वफा से मिलके ‘कशिश’ राज ये खुला ! तारीकी--ए--हयात    में    तनवीर    इश्क  है !