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जनवरी, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पृथ्वी का वातावरण कभी पूरे विश्व के लिए वरदान था

मानवीय कार्य से निर्मित आपदा लापरवाही, भूल या व्यवस्था की असफलता मानव-निर्मित आपदा कही जाती है। मानव निर्मित आपदा तकनीकी या सामाजिक कहे जाते हैं। तकनीकी आपदा तकनीक की असफलता के परिणाम हैं। जैसे - इंजीनियरिंग असफलता, यातायात आपदा या पर्यावरण आपदा, ब्लैक होल्स आदि। सामाजिक आपदा की श्रेणी में आपराधिक क्रिया, भगदड़, दंगा और युद्ध आदि आते हैं। मानव को प्राकृतिक आपदा का सामना प्राचीन काल से ही करना पड़ रहा है। अपनी विशिष्ट भू-जलवायु के चलते परंपरागत रूप से भारत का एक बड़ा क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं के दृष्टि से अति संवेदनशील रहा है। इसके अलावा बड़ी दुर्घटनाएं भी कई बार आपदा का रूप ले लेती हैं। बीस सालों में आपदाएं पांच गुना बढ़ी हैं। सरकार को इसके लिए जीडीपी का 2.5 फीसदी खर्च करना पड़ता है। पिछले कुछ वर्षों में आपदाओं के प्रति वैश्विक स्तर पर  प्रबंधन के प्रति जागरूकता बढ़़ी है। हाल ही में शासन तथा प्रशासन की ओर से पर्याप्त जल निकासी का उचित प्रबन्ध न होने के कारण पटना शहर सहित देश के अनेकों शहरों में जलभराव से नागरिकों को भारी कष्ट उठाना पड़ा है। अभी भी उसके दुप्रभाव से लोग जूझ रहे हैं।   संयुक्त राष

इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक से निकलेगा अन्य बैंकों का पैसा

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रायबरेली। 31 जनवरी और 1 फरवरी को सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों की हड़ताल आहूत की गई है मगर जरूरतमंदों को फिक्र करने की जरूरत नहीं है । उन्हें धनराशि निकासी करनी है तो किसी भी नजदीकी डाकघर में जाकर इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम द्वारा वह धनराशि निकाल सकते हैं। मात्र खाताधारक के फिंगरप्रिंट से ही धनराशि आहरित की जा सकती है। सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। इन्हीं विशेष आकर्षणों की वजह से इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक ने बड़ा मुकाम हासिल किया है। यह जानकारी रायबरेली मंडल के डाक अधीक्षक सुनील कुमार सक्सेना ने दी।

स्कालरशिप के लिए चयन

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सिटी मोन्टेसरी स्कूल, गोमती नगर (प्रथम कैम्पस), लखनऊ के मेधावी छात्र आदित्य सुरभीत ने उच्च शिक्षा हेतु अमेरिका के 4 प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में स्कालरशिप के साथ चयनित होकर विद्यालय का नाम गौरवान्वित किया है। इस मेधावी छात्र को चार वर्षीय शिक्षा अवधि के लिए अमेरिका के नाक्स कालेज द्वारा 1,46,000 अमेरिकी डालर, यूनिवर्सिटी आफ कोलोराडो बोल्डर द्वारा 1,40,000 अमेरिकी डालर, यूनिवर्सिटी आफ मैसाचुसेट्स एमहस्र्ट द्वारा 64,000 अमेरिकी डालर एवं एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा 62,000 अमेरिकी डालर की स्कालरशिप से नवाजा गया है। इस प्रकार सी.एम.एस. के इस प्रतिभाशाली छात्र ने अपने मेधात्व एवं शैक्षिक उत्कृष्टता के दम पर विदेश में स्कालरशिप के साथ उच्चशिक्षा हेतु चयनित होकर विद्यालय का नाम रोशन किया है।    सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि प्रतिवर्ष सी.एम.एस. के 80 से अधिक मेधावी छात्र विश्व के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में उच्चशिक्षा हेतु चयनित होते हैं। इस वर्ष अभी तक सी.एम.एस. के 45 से अधिक छात्र अमेरिका, इंग्लैण्ड, कैनडा, आस्ट्रेलिया, जापान, सिंगापुर, जर्मनी

आने से उसके आये बहार जाने से जाये बहार

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रायबरेली। विकास खण्ड राही के सभागार में विशेष सचिव पंचायतीराज के पद पर मुख्य विकास अधिकारी राकेश कुमार को अपनी पूरी लगन व निष्ठा के साथ अपने दायित्वो का निर्वहन करने वे सभी अधिकारियों कर्मचारियों जन प्रतिनिधियों से मधुर व्यवहार रखने वाले बेहतर सेवा योगदान के लिए सभी एसडीएम, तहसीलदार, अधिशाषी अधिकारी, कर्मचारियों/अधिकारियों द्वारा पुष्पमाला, स्मृतिचिन्ह आदि देकर भावभीनी बिदाई पर जिलाधिकारी, रायबरेल शुभ्रा सक्सेना, पुलिस अधीक्षक स्वप्निल ममगाई, एडीएम ई राम अभिलाष व एडीएम एफआर प्रेम प्रकाश उपाध्याय, सहायक निदेशक सूचना प्रमोद कुमार, परियोजना निदेशक प्रेमचन्द्र पटेल, डीसी मनरेगा पवन कुमार, सीवीओ गजेन्द्र सिंह, बीडीओ डा. अवनिन्द्र कुमार तिवारी, प्रो. यू.वी. सिंह आदि ने भाव-भीनी बिदाई देकर उनके मंगलमय भविष्य की कामना की है। अधिकारियों ने स्थानान्तरित मुख्य विकास अधिकारी राकेश कुमार को पुष्पगुछ दे, शाल उढाकर, प्रतीक चिन्ह देकर सम्मान प्रकट करते हुए कहा कि राकेश कुमार ने अपनी सेवाओं से विकास के कार्यो को आगे बढ़ाने में योगदान देने के साथ ही जनपद के महत्वपूर्ण कार्यक्रम को सकुशल सम्पन्न कराने के

कालरात्रि

दीपावली मात्र एक पर्व अथवा त्योहार नहीं, अपितु पर्वपूंज है। कार्तिक कृष्ण एकादशी अर्थात रमा एकादशी से प्रारम्भ हो कर गोवत्स एकादशी धन्वंतरि त्रयोदशी, नरक चर्तुदशी एवं हनुमान जयन्ती, कमला जयन्ती एवं दीपावली, अन्नकूट गोवर्धन विश्वकर्मा प्रतिपदा और भ्रातृ अथवा यम द्वितीया तक पूरे सात दिन तक, यत्र तत्र सर्वत्र दीपमालिका का प्रकाश दृष्टिगोचर होता है। यह श्रेष्ठ पर्वपूंज भारतीय संस्कृति का अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रसंग है।  प्रचलित मान्यताओं के अनुसार इस महापर्व पर रघुवंशी भगवान श्री राम की रावण पर विजय के बाद अयोध्या आगमन पर नागरिकों ने दीपावली को आलोक पर्व के रूप में मनाया। तभी से यह दीप महोत्सव राष्ट्र के विजय पर्व के रूप में मनाया जाता है।  एक पौराणिक कथा में यह प्रसंग आता है कि एक बार भगवान श्री कृष्ण के साथ महारानी रूक्मिणी बैकुंठ में पधारी रूक्मिणी जी माता लक्ष्मी को देखकर भाव विभोर हो उठी। उन्होने लक्ष्मी जी से आग्रह किया कि हे देवी! अपना रहस्य प्रकट करे लक्ष्मी जी अति प्रसन्न हो आग्रह स्वीकार कर कहना प्रारम्भ किया ‘‘मैं सभी देवियों की शक्तियों की मूल महालक्ष्मी है सारा विश्व मुझमें है स

विश्वासघात

यह अपने आप मे एक अजीबों गरीब केस था यह कोई नही जानता कि किस्मत ने उसकी जिंदगी में क्या क्या राज छुपा रखे हैं। कभी-कभी इंसान भाग्य के हाथों मजबूर होकर किस्मत की कठपुतली बन जाता है। और राजपाठ, पद सम्मान छोड़कर दर-दर की ठोकरें खाता है। ऐसा ही कुछ हुआ असम के मशहूर जज उपेन्द्र नाथ राजखोवा के साथ। वे एक मेघावी छात्र, स्वतंत्रता सेनानी, सम्मानित, न्यायप्रिय जज, एक बेरहम हत्यारा, एक सजायाफता मुजरिम बने। राजखोवा जंम सन् 1910 मे डिब्रूगढ़ मे एक ब्राह्मण परिवार मे हुआ था जंम के समय ही उनकी माँ चल बसी थी माँ की मौत के कुछ ही समय बाद उनके पिता योगेन्द्र नाथ भी एक आकस्मिक दुर्घटना मे मारे गये थे उनके चाचा ने उनका पालन-पोषण किया था अपनी कालेज लाइफ मे वह सच्चरित्र और मेघावी छात्र थे कानून की पढाई दौरान उन्होंने देश के स्वतंत्रता आंदोलन मे भाग लिया और वे कई बार जेल भी गये थे। सौभाग्य से वे जज बन गये सांवले रंग के राजखोवा का विवाह गोलाघाट के संभ्रान्त परिवार की अत्यंत सुन्दर कन्या पुतल देवी से हो गया समय के साथ वे तीन पुत्रियों निर्माली या लिनू, जोनाली या लूना तथा रूपाली या भान्तु या रूपलेखा के पिता बन गय

उसे देखकर दंग रह गयी

किसी मनुष्य का भूतकाल मे चले जाना या किसी ऐसे दृश्य या वस्तु को देखना जिनका कोई अस्तित्व ना हो असंभव सा लगता है। परन्तु इतिहास मे कुछ ऐसी प्रामाणिक घटनायें घटी जो ना केवल अचरज भरी थीं बल्कि उन्हें नकार पाना संभव नही है। कुछ वैज्ञानिको ने समय के फिसलन के सिद्धान्त के आधार पर इन घटनाओं की व्याख्या करने की कोशिश की है।  घटना 10 अगस्त 1901 की है, इंग्लैण्ड के आक्सफोर्ड युनिवर्सिटी के सेंट हम्स कालेज की प्रचार्या शालेटी एनी मोरबल तथा उपप्रचार्या एलिएनोर फ्रान्सिस जूरडैन फ्रान्स के ‘पैलेस आफ वर्सेल्टन’ के वैसल्स सुन्दर उद्यान मे दोपहर मे घूम रही थी अचानक वे भारी अवसाद अनुभव करने लगीं अचानक उन्होने पेटिट ट्रायनन देखने का निश्चय किया जो किसी जमाने मे फ्रान्स के राजा लुई 16 वें तथा उनकी रानी मेरी एण्ट्वायनेट का निजी आवास था वे बातचीत करते हुये रास्ता भटक गयीं अचानक उन्होंने खुद को एक विचित्र बगीचे मे खड़ा पाया उन्हें दो आदमी दिखे जिन्होंने सदियों पुराने लंबे कोट और पुराने ढंग के टोप पहने थे जिन्होंने दोनों महिलाओं को आगे बढ जाने का संकेत दिया आगे उन्हें पुराने ढंग के वस्त्र पहने एक बदसूरत सा आदम

संपत्ति का ज्ञान कराये चतुर्थांश चक्र

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- डी.एस. परिहार जंमपत्री का चैथा वर्ग चतुर्थांश या पद्यमांश चक्र कहलाता है। चतुथांश चक्र चतुर्थ भाव का विस्तार और उपवर्ग है। पाराशर जी के अनुसार ‘तूर्यांशे भाग्य चिन्तनम’ जो भौतिक संपत्ति, जमीन, मकान, खेती, दुकान तथा शिक्षा व वाहन को छोड़ कर चैथे भाव की अंय सभी वस्तुओं दिमाग, माता, धन से प्राप्त सुख दुःख, विदेश या घरेलू यात्रा, ट्रान्सफर, हृदय, बचत, नकदी, सोना, पारिवारिक सुख, मानसिक शांति, वाहन दुर्घटना, गांव, निवास, भाग्य को बताता है। प्रत्येक राशि को 7.30 अंश के चार समान भागों मे बांटा जाता है। जो विभाग किसी राशि के चार केन्द्र होते हैं। चार केन्द्र चर्तुभुज विष्णु या भगवान विष्णु की चार भुजायें है, जो जीवन के चार पुरूषार्थों के प्रतीक हैं। लग्न धर्म, दशम कर्म या अर्थ, सप्तम पत्नी या काम, तथा चतुर्थ पारिवारिक, मानसिक सुख शान्ति या मोक्ष के प्रतीक है।    स्वक्र्षदिकेन्द्रपत स्तुर्यांशेशा त्रियायितु।  कोई ग्रह किसी राशि के प्रथम भाग (0-7.30) पर स्थित हो तो चतुर्थांश मे वह उसी राशि मे स्थित होगा यदि ग्रह राशि के द्वितीय भाग (7.30-15.00) पर स्थित हो तो चतुर्थांश मे वह उससे चतुर्थ राशि मे

केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री होंगे

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ज्योतिष डी.एस परिहार ने अपनी ज्योतिषीय गणना से दावा किया है कि दिल्ली विधान सभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की पार्टी की जीत होगी और अरविन्द केजरीवाल फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री बनेंगे। श्री अरविन्द केजरीवाल जी का जन्म 16 अगस्त 1968 को रात्रि 11.46 बजे हिसार, हरियाणा मे वृष लग्न मे हुआ है। उनका जमांक इस प्रकार है। वृष लग्न: 5.25 अंशं लग्न मे उच्च का चन्द्र: 7.46 कर्क मे नीच का मंगल नीच भंगराज योग मे: 13.42 सिंह मे स्वग्रही सूर्य: 00.30, शुक्र: 16.15, बुध: 9.1 व गुरू: 17.58  कन्या मे केतु:16.55 मीन मे राहू: 16.55 मेष मे नीच का शनि वक्री: 2.01 नीच भंगराज योग मे। लग्नेश चतर्थेश पंचमेश व भाग्येश की युति महाराज्य योग बना रही है। जाब व कर्म कारक शनि राज्यकारक रायल राशि मेष मे राज योग बना है। मेष मे सूर्य उच्च का होता है, त्रिकोण मे राज्य कारक सूर्य पुण्य कारक व गुरू का योग धर्माधिकारी व राजप्रताप योग बना रहा है, शनि से त्रिकोण मे उसके दो मित्र ग्रह बुध शुक्र भी ज्योतिष का सबसे बड़ा राजयोग बना रहा है। शनि से द्वितीय स्थान पर राष्ट्रध्वज कारक केतु की दृष्टि है। यह भी राज्य मे उच्च पद देगा वर्तमान म

सदगुरू के समान कोई अपना सगा नही है

सतगुरू सवाँ न को सगा, सोधी सई न दाति। हरि जी सवाँ न को हितु, हरिजन सन न जाति।। कबीरदासजी इस साखी में कहते है, ‘‘ सदगुरू के समान कोई अपना सगा नही है। विद्वान के समान कोई देने वाला नही है, भगवान के समान कोई हितैषि नही है और भक्त के समान कोई जाति नही है। ग्रीस के दार्शनिक प्लेटो से दूर-दूर के लोग कुछ सीखने आते थे, पर वे बताने के साथ-साथ वह बात उनसे भी पूछते थे जो उन्हे नही आती थी। लोगो ने कहा- ‘‘ जो आपसे पूछने आते है, आप उनसे भी जानने का प्रयत्न करते है। इसमें आपकी इज्जत घटती है। प्लेटो ने कहा- मैं जीवन भर विद्यार्थी बने रहना चाहता हूँ। यह पदवी मुझे सबसे अच्छी लगती है। जब प्लेटो जैसे दार्शनिक जीवन भर विद्यार्थी बने रहने की इच्छा रखते है और उन्हंे यह पदवी सबसे अच्छी लगती है। तो वास्तव में विद्यार्थी को कभी अपनी इच्छा, कुछ जानने की, कुछ सीखने की, पढ़ने की, ज्ञान अर्पन करने की कमजोर नही पड़ने देना चाहिए। स्वामी रामकृष्ण परमहंस कहा करते थे कि लोटे की चमक को बनाये रखने के लिए उसे बार बार माँजना पड़ता है, नित्य प्रति उसकी रगड़ाई करनी पड़ती है। जिसके कारण चमक बनी रहती है। समय का सही उपयोग और निरन्तर

युवा, बेरोगारी और सरकारी नीति

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 बेरोजगारी भारत की सबसे विषम सामाजिक समस्याओं में से एक है। साल दर साल, चुनाव दर चुनाव सरकार दर सरकार, बेरोजगारी मुद्दा भारत के जनतंत्र के लिए हमेशा ही एक ज्वलंत मुद्दा रहता है। सरकारे बेरोगारी के मुद्दे पर बनती है और गिर भी जाती हैं। मगर बेरोजगारी जस की तस रहती है।  मनरेगा 2005 जिसके तहद भारत के गामीण क्षेत्रों में हर घर के एक व्यस्क सदस्य को प्रतिवर्ष 100 दिन का अप्राशीक्षित रोजगार देने का प्रावधान है, भारतीय सरकार की बेरोजगारी के खिलाफ एक अग्रणी नीति है। यद्यपि सैद्धांतिक तौर पर मनरेगा एक प्रशंनीय नीति है जिस अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है, अंनतः जमीनी हकीकत और कागजी उत्कृष्टता के बीच की दूरी मनरेगा अभी भी पूरी नही कर पाया है। हांलाकि यह कहना गलत होगा कि यह नीति पूर्णतः असफल रही है क्योंकि निश्चय ही इसके अनेक पहलू काफी हद तक सफल रह हैं। मगर क्या मनरेगा भारतीय बेरोजगारी का सटीक जवाब शायद ही हाँ में होगा।  मोदी सरकार ने अपने चुनावी वादों में बेरोजगारी को एक अहम् मुद्दा बनाया था व सत्ता में आने के बाद रोजगार के ढेरों नए द्वार खोलने का वादा किया था। आज लगभग 4 वर्ष बीत चुके है और अन

नवरात्र का महत्व

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सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति में नवरात्र का अपना अलग ही महत्व है। शिव और शक्ति की उपासना भारत मे आदि काल से ही की जाती है। भगवान शिव सूर्य और शक्ति पृथ्वी की प्रतीक है। भारतीय ज्योतिष मे नवरात्रि एक आकाशीय घटना है। कन्या राशि माता दुर्गा की प्रतीक है। और कुंभ राशि महिषासुर का प्रतीक है। नवरात्रि का पर्व दुर्गा जी की उपासना हेतु मनाया जाता है। जो माता पार्वती का ही एक रूप है। नवरात्रि के नौ दिनों में माता पार्वती के ही नौ विभिन्न रूपों का पूजन किया जाता है। नवरात्रि पूजन की अनेक विधियों समाज में प्रचलित हैं। नवरात्रि मे लोेग तंात्रिक और सात्विक तरीको से माता दुर्गा का पूजन करते हैं। तांत्रिक लोग बलि आदि देते है। और सात्विक लोग अपनी सुविधा के अनुसार नौ दिन या पहली व आखिरी नवरात्रि का व्रत करते है और पहले दिन कलश की स्थापना करके नौ दिन तक दुर्गा सप्तशती का पाठ करते है। अष्ठमी को दुर्गा जी का हवन करके नवमी को नौ कुंवारी कन्याओं और एक बालक का लंगूर स्वरूप का पूजन करके उनको भोजन कराते हैं। इनमें पूरी, सब्जी, हलवा या दही, जलेबी की परम्परा है। दुर्गा पूजन की विधि का सविस्तार से वर्णन दुर्गा स

नैसर्गिक दशा के चमत्कार

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वृहत पाराशर होराशास्त्र के दशाध्याय में पाराशर जी ने 42 प्रकार की दशाओं का वर्णन किया है।   ‘‘द्विचत्वारिंशदभेदाः स्युः कथयामि तवाग्रता।’’ पाराशर जी बोले मैं अनेक प्रकार की दशाओं के भेद को कह रहा हँू।  ‘‘अथाता सम्प्रवक्ष्यामि दशाभेदानेननेकशः।’’ आगे वह पिंड दशा, अंश दशा, नैसर्गिक दशा तथा अष्ट दशा के बारे मे बताते हैं।  ‘‘तता पैण्ड्यदशा ज्ञेया तथांशक दशा द्विज।  नैसर्गिक दशा विप्र अष्टवर्ग दशा स्मृता।।  हाँलाकि पाराशर जी ने नैसर्गिक दशा बारे में विस्तार से नही बताया है किन्तु बाद के अन्य लेखकों ने इस पर अच्छा प्रकाश डाला है। विशोंत्तरी आदि कई अंय दशाओं के समान ही इसके जंमदाता भी महर्षि भृगु ही थे। इस तकनीक का भृगु संहिता खूब प्रयोग किया गया है। यह एक सरल, प्राचीन और विश्वव्यापी तकनीक है। जिसका ज्योतिष शास्त्र, हस्तरेखा विज्ञान और शारीरिक शास्त्र में प्रयोग किया जाता है। इसमें मनुष्य की परमायु को ग्रहों के अनुसार सात से नौ खण्डो में बाँटा जाता है। जंमपत्री मे जो ग्रह पाप प्रभाव मे हो या हस्तरेखा में जो पर्वत व रेखा व शरीर का जो अंग अशुभ चिन्हों से युत हो तो उस ग्रह के आयु खण्डों में जातक

कदमों का रूख

आज के दौर में किशोर व किशोरियों में बढ़ता असभ्य व्यवहार वाकई चिन्ता का विषय है। उत्तेजना या आवेश में आकर वे ऐसा कुछ कर बैठते हैं। जिनसे परिवार की मान मर्यादा को गहरा धक्का लगता है। पकड़े जाने पर शर्मिन्दगी भी होती है। इसके बावजूद कुछ तो ऐसे होते हैं कि जो बार-बार गलतियाँ करने पर भी नहीं सुधरते।   आधुनिकता की आड़ में मौज-मस्ती करने वाले किशोर भूल जाते हैं कि उनके भद्दे आचरणों का अंजाम क्या होगा? वे नशा, सेक्सुअल गतिविधि और कई दूसरे खतरे मोल लेकर जीवन को बेहद रोमांचक बनाए रखना चाहते हैं। अधिकतर समय दोस्तों के साथ घूमने-फिरने, सिनेमा देखने, पार्टियों में बर्बाद करते हैं। अक्सर ऐसे बच्चे उन घरों से आते हैं जहाँ रूपये-पैसे की कोई चिन्ता नहीं होती। उनमें अपनी सभी इच्छाओं की तत्कालिक पूर्ति करने और दूसरों को अपने नियन्त्रण में रखने की प्रबल इच्छा होती है। आर्थिक रूप से कमजोर किशोर भी इनसे प्रभावित होकर साथ मिल जाते है।   हिंसा, प्रतिस्पर्धा, बाजारीकरण के माहौल में एक दूसरे से किसी भी तरह आगे निकलने की होड़ आजकल हर किशोर युवा में देखी जा सकती है। जो छात्र माधवी व समझदार होते हैं, वे मेहनत व लगन पर

मनुष्य की बुद्धि में प्रश्न यह है कि सही क्या है?

तर्क दो तरह के होते हैं। पहला तर्क वह है, जिससे हम औरों को गलत साबित करना चाहते हैं। वह क्या कह रहा है, इससे कोई खास लेना-देना नहीं है। बस, उसे गलत ठहराना ही है। इस तर्क से केवल हम अपने अहंकार को सिद्ध करना चाहते हैं। ऐसा तर्क व्यर्थ तथा भ्रष्ट है इसको भारत की बौद्धिकता अर्थात विवेक ने कुतर्क कहा है। कुतर्क को कैसे भी और कितना भी विकसित कर लिया जाए, इससे किसी मनुष्य के जीवन का न तो कल्याण हो सकता है और न ही जीवन का रूपांतरण। इसके अलावा इससे भिन्न एक तर्क और भी है। इसका प्रयोग विवेक की खोज के लिए होता है। तब सवाल यह नहीं है कि दूसरा गलत है। तब सवाल यह है कि सही क्या है?   कौन कह रहा है, यह कीमती तथा विशेष नहीं है। विशेष यह है कि सत्य क्या है? इस तर्क के लिए कोई व्यक्ति नहीं वरन् सत्य मूल्यवान है जो सच है, वही सच है, फिर वह मेरे पक्ष में हो अथवा विपक्ष में। ऐसा तर्क सत्य को परखता है। उसे सोने की तरह परखता है कसौटी पर। ऐसा तर्क विचार की क्षमता, निर्णय और निर्णय का शास्त्र एक कला है। ऐसी स्थिति में पक्ष या विपक्ष कोई कसौटी नहीं होता। कसौटी होता है तर्क, एकदम निष्पक्ष कसौटी। इसमें अपने को भ

पृथ्वी की सुरक्षा प्रत्येक विश्ववासी का दायित्व है

वर्ष 1992 में ब्राजील के रियो डी जनेरियो शहर में हुए ‘पृथ्वी ग्रह’ नामक सम्मेलन में 172 सरकारों के जिसमें 108 राष्ट्राध्यक्षों ने भी भाग लिया था। इस सम्मेलन में ‘विश्व महासागर दिवस’ को मनाने का प्रस्ताव रखा गया था और दिसंबर, 2008 में संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा द्वारा इस दिवस को 8 जून को मनाये जाने की आधिकारिक घोषणा के बाद से यह दिवस सारे विश्व में प्रत्येक वर्ष मनाया जाने लगा। ‘विश्व महासागर दिवस’ पर हर साल वैश्विक स्तर पर कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं जिनसे महासागरों के विभिन्न पहलुओं के बारे में मानव जाति को अत्यन्त ही समाजोपयोगी जानकारियाँ मिलती हैं।  महासागर दुनियाभर के लोगों के लिए भोजन, मुख्य रूप से मछली उपलब्ध कराता है किंतु इसके साथ ही यह कस्तूरों, सागरीय स्तनधारी जीवों और सागरीय शैवाल की भी पर्याप्त आपूर्ति करता है। इनमें से कुछ को मछुआरों द्वारा पकड़ा जाता है तो कुछ की खेती पानी के भीतर की जाती है। सागर के अन्य मानव उपयोगों में व्यापार, यात्रा, खनिज दोहन, बिजली उत्पादन और नौसैनिक युद्ध शामिल हैं। वहीं आनंद के लिए की गई गतिविधियों जैसे कि तैराकी, नौकायन और स्कूबा डाइविंग

हीरा जनम अनमोल था, कौड़ी बदले जाये

आज समाज, देश और विश्व के देशों में बढ़ती हुई भुखमरी, अशिक्षा, बेरोजगारी, स्वार्थलोलुपता, अनेकता आदि समस्याओं से सारी मानवजाति चिंतित है। वास्तव में ये ऐसी मूलभूत समस्यायें हैं जिनसे निकल कर ही हत्या, लूट, मार-काट, आतंकवाद, धार्मिक विद्वेष, युद्धों की विभीषिका आदि समस्याओं ने जन्म लिया है। इस प्रकार आज इन समस्याओं ने पूरे विश्व की मानवजाति को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। ऐसी भयावह परिस्थिति में समाज को सही राह दिखाने के लिए आज कबीर दास जी जैसे युग प्रवर्तक की आवश्यकता है। कबीरदास जी ने समाज में व्याप्त भेदभाव को समाप्त करने पर बल देते हुए कहा था कि ‘‘वही महादेव वही मुहम्मद ब्रह्मा आदम कहिए। कोई हिंदू कोई तुर्क कहांव एक जमीं पर रहिए।’’ कबीरदास जी एक महान समाज सुधारक थे। उन्होंने अपने युग में व्याप्त सामाजिक अंधविश्वासों, कुरीतियों और रूढ़िवादिता का विरोध किया। उनका उद्देश्य विषमताग्रस्त समाज में जागृति पैदा कर लोगों को भक्ति का नया मार्ग दिखाना था, जिसमें वे काफी हद तक सफल भी हुए। कबीर दास जी ने कहा था कि ‘‘बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय। जो हितय ढूंढो आपनो, मुझसा बुरा न कोय।।’’   

मरने के बाद भी हमारी आंखें इस खूबसूरत दुनियाँ को देखती रहेगी

विश्व की शान्ति की सबसे बड़ी संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ की इकाई विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कार्निया की बीमारियाँ (कार्निया की क्षति, जो कि आँखों की अगली परत हैं) मोतियाबिंद और ग्लूकोमा के बाद, होने वाली दृष्टि हानि और अंधापन के प्रमुख कारणों में से एक हैं। प्रत्येक वर्ष विश्व के विभिन्न देशों में नेत्रदान की महत्ता को समझते हुए 10 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय दृष्टिदान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इसके जरिए लोगों में नेत्रदान करने की जागरूकता फैलाई जाती है। विश्व दृष्टिदान दिवस का उद्देश्य नेत्रदान के महत्व के बारे में व्यापक पैमाने पर जन जागरूकता पैदा करना है तथा लोगों को मृत्यु के बाद अपनी आँखें दान करने की शपथ लेने के लिए प्रेरित करना है। विकासशील देशों में प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक दृष्टिहीनता है।  आँखों का हमारे जीवन में जो महत्व है वह हम भलीभांति जानते हैं। संसार की प्रत्येक वस्तु का परिचय हमारी आँखें ही तो हमें देती हैं और इस रंगबिरंगी दुनिया का आनंद भी हम अपनी आँखों द्वारा ही उठा पाते हैं। बिना आँखों के रंगों की कल्पना भी नहीं की जा सकती। वर्तमान समय में बद

वसंत पंचमी मनाई गई

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सर्वप्रथम विद्यालय के प्रबंधक शिवेंद्र श्रीवास्तव ने माँ सरस्वती के चरणों मे पुष्प अर्पित कर पूजन किया साथ ही विद्यालय की प्रधानाचार्या निशी श्रीवास्तव ने मां सरस्वती के चरणों मे गीत प्रस्तुत कर हवन पूजन का शुभारंभ किया साथ ही बच्चो के साथ माँ सरस्वती के जयकारों से समस्त विद्यालय का प्रांगण गूंज गया और सभी वैदिक मंत्रो के साथ हवन पूजन सम्पन हुआ। इस मौके पे मुख्य रूप से गजेंद्र मौर्य संजय श्रीवास्तव राम बाबू गुप्ता सीताराम राजाराम यादव सावंत गौर आदि लोग उपस्थित रहे।

सभ्यता और संस्कृति कभी न भूलें

पुराने माहौल में जब देश में एमबीए, बीटेक, एमसीए जैसे गिने चुने डिग्री धारको के हाथों-हाथ लिया जाता था। इन डिग्रीयों के बगैर आपको कोई नामलेवा भी नही मिलेगा। इसलिए समय के मुताबिक आजों के युवाओं ने अपने आप ढाला और ढाल रहे है।  देश में इन दिनों कम्प्यूटर- आईटी सेक्टर, हैवी इंडस्ट्री व दूसरी माल इंडस्ट्री में ऐसे ही लोगांे की जरूरत है जो अपने काम से देश की अर्थव्यवस्था को और बेहतर बनाने में अपना सहयोग दे सकें।  कुछ कारणवश आज भी बहुत से ऐसे लोग है जो रेगुलर क्लासेज, ऊँची-ऊँची फीस की वजह से उनकी पढ़ाई में बड़ी चुनौतियाँ आती थी लेकिन इसका बहुत अच्छा विकल्प निकला ‘‘करेस्पान्डेन्स या डिस्टेंस ऐजुकेशन‘‘ जिसमें न रेगुलर क्लास की जरूरत ना बड़ी-बड़ी फीस का खर्च।  देश के कई यूनिवर्सिटी इस क्षेत्र में लगभग सभी विषयों में कोर्स आॅफर करती है तो कुछ अपना किसी खास विषय में स्पेशलाइजेश। इसी में बहुत ही जाना पहचाना नाम बन चुका ‘‘इग्नू‘‘ इन्होने अपने 77 से ज्यादा ऐकेडमिक, प्रोफेशनल, अवरनेय जेनरेटिंग प्रोग्राम के जरिये देश के लाखों छात्रों को लाभान्वित कर रहा है।  शिक्षा के क्षेत्र में इस तरह के प्रयास को देखकर ख

बिकिनी सीन देने में कोई भी झिझक नहीं होती है: रीतिका

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आज के युवा वर्ग पर बनी रोमांटिक कामेडी फिल्म, लव के फंडे ग्लैमरस, बोल्ड और सेक्सी इंटरनेशनल बिकिनी माडल रीतिका धमाकेदार भूमिका अदा की। रोमांटिक कामेडी फिल्म, लव के फंडे में का निर्माण आरवी बिग बिजनेस एंटरटेनमेंट प्राईवेट लिमिटेड के बैनर तले किया गया है। इसके निर्माता फाएज अनवार और प्रेम प्रकाश गुप्ता है और इसके लेखक-निर्देशक इन्दरवेश योगी है। इस फिल्म के संगीतकार प्रकाश प्रभाकर और फरजान फाएज है। यह फिल्म दिल्ली की रहने वाली ग्लैमरस, बोल्ड और सेक्सी इंटरनेशनल बिकिनी माडल रीतिका गुलाटी ने इस फिल्म में अनु नामक बोल्ड योगा टीचर की भूमिका निभाया है। जिसको लेकर वे चर्चा का विषय बनी हुई है। जिसके लिए फिल्म के निर्माता फाएज अनवार के मुंबई के अंधेरी स्थित आफिस में इण्डियन स्पीड के विशेष संवाददाता से रीतिका गुलाटी से की गई भेटवार्ता के प्रमुख अंश को यहाँ प्रस्तुत कर रहे है...    आप पहले अपने बारे में बताये? आपने इसके पहले क्या-क्या किया है?     मैं दिल्ली की रहने वाली हूँ। मैंने मिस दिल्ली जीता था। उसके बाद काफी माडलिंग की और किंग फिशर के लिए भी बिकिनी माडल बनी। उसके बाद कई शूट करते-करते मैं इसम

बांग्ला लेखिका महाश्ेवता देवी सशक्त पहचान

1926 ढाका में जन्मी बांग्ला लेखिका महाश्ेवता देवी साहित्यकार और सामाजिक सेवक के रूप में सशक्त पहचान कायम किया। झांसी की रानी के चरित्र से वे बहुत अधिक प्रभावित हुई और उन पर उपन्यास लिखने का निर्णय कर लिया था। सन् 1956 की बात है जब महाश्ेवता की आयु 28 वर्ष थी। वे अकेली झांसी, ग्वालियर निकल पड़ी, वहाँ के लोगों से मिलकर उनकी बातें सुनी और लोक कथायें एकत्रित किया। महाश्ेवता देवी बांग्ला ही नहीं, पूरे देश की लेखिका रही। हिन्दी में भी उनकी लोकप्रियता थी उनके व्यक्तित्व की विशेषता यह थी कि वह लेखन से ही नहीं अपनी जीवनशैली से भी जनसामान्य से जुड़ी रही। 1947 में महाश्ेवता देवी का विवाह मशहूर रंगकर्मी विजन भट्टाचार्य से हुआ। सन् 1956 में झांसी की रानी पर लिखा उपन्यास ने उन्हे काफी ख्याति दिलाई। महाश्ेवता का वैवाहिक जीवन अधिक सफल नही रहा 1962 में विजन से रिश्ता टूटने के बाद उन्होने असीत गुप्त से शादी की, लेकिन यह सम्बन्ध भी 1975 में समाप्त हो गया। इसी बीच वह पश्चिम बंगाल, झारखण्ड़ और ओड़िसा के आदिवासियों के बीच एक सामाजिक कार्यकत्र्ता की भूमिका में अपनी पहचान बना चुकी थी। महाश्ेवता की चर्चित कृतियों

आरक्षण की समीक्षा से क्यों परेशान है राजनीति

जब भी देश में चुनाव आता है देश में आरक्षण के पक्ष में और विरोध में बहस होने लगती है। आखिर देश में आरक्षण की समीक्षा के नाम से राजनीतिक दल घबराती क्यों हैं। क्या आरक्षण समर्थकों के लिए आराक्षण सिर्फ वोट बैंक है, अथवा वाकई वे इसको लेकर संवेदनशील हैं। आरक्षण समर्थकों का मानना है कि आरक्षण की समीक्षा आरक्षण को समाप्त करने की साजिश की शुरूवात है। जबकि सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि हम कोई कार्य करते है तो उसका मूल्यांकन एवं समीक्षा जरूर करते हैं। फिर आरक्षण जैसे महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील मुद्दे की समीक्षा एवं मूज्यांकन नहीं होना भी इसकी विश्वसनीयता पर संदेह को दर्शाता है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत का आरक्षण की समीक्षा के संबन्ध में पूर्व दिया गया बयान ऐसा सियासी तूफान खड़ा कर दिया था कि बिहार में भारतीय जनता पार्टी का हारना भी इससे जोड़कर देखा जाने लगा था। आनन-फानन में भारतीय जनता पार्टी नेताओं का अलग-अलग बयान आने लगा और वे दिखाने का प्रयास करने लगी कि आरक्षण के समर्थन के हम ही सबसे बड़े हितैशी हैं। राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने तो आरक्षण के समर्थन में बकायदा मो

इन्सान-इन्सान का दुश्मन होता जा रहा है

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ हम सोचते है कि आखिर हम दीपावली क्यों मनाते हैं। ऐसी मान्यता है, जब भगवान राम चैदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटकर आये थे, इसी खुशी में अयोध्या को दीपों से सजाया गया था, इसी कारण दीपावली का पर्व भी मनाये जाने का एक कारण भी है। बदलते महौल में आज का इन्सान, इन्सान नहीं, एक मशीन बनकर रह गया है, इतनी अधिक मँहगाई हो गई है कि इन्सान को अधिक मेहनत करना पड़ती है। एक वक्त था, अगर एक आदमी कमाता था तो चार लोगों का पेट भरता था। आज सब कमायें फिर भी पूरा नहीं होता। कुछ तो ऐसा है कि मनुष्य को अपनी जरूरते इतनी बढ़ा ली है कि यह कमी पूरी नहीं हो पाती। पहले एक माता-पिता 5-6 बच्चों को पाल लेते थे, अब एक भी बच्चा पालना भी मुष्किल हो जाता है। वर्तमान दौर में षिक्षा बहुत अधिक मंहगी हो गई है माता-पिता चाहते हुये भी अच्छे स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ा नही पाते, किताबे भी बहुत महंगी हो गई, जिस कारण बच्चें अच्छी किताबे भी नही खरीद पाते। कैसे सीखेंगे अच्छी बातें पढ़े-लिखे लोग एक-दो बच्चे ही पैदा करना चाहते है और जो अनपढ़ है उनके बच्चे छोटे-छोटे काम सीखने लगते है। पढ़ाई नही होगी