पृथ्वी का वातावरण कभी पूरे विश्व के लिए वरदान था
मानवीय कार्य से निर्मित आपदा लापरवाही, भूल या व्यवस्था की असफलता मानव-निर्मित आपदा कही जाती है। मानव निर्मित आपदा तकनीकी या सामाजिक कहे जाते हैं। तकनीकी आपदा तकनीक की असफलता के परिणाम हैं। जैसे - इंजीनियरिंग असफलता, यातायात आपदा या पर्यावरण आपदा, ब्लैक होल्स आदि। सामाजिक आपदा की श्रेणी में आपराधिक क्रिया, भगदड़, दंगा और युद्ध आदि आते हैं। मानव को प्राकृतिक आपदा का सामना प्राचीन काल से ही करना पड़ रहा है। अपनी विशिष्ट भू-जलवायु के चलते परंपरागत रूप से भारत का एक बड़ा क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं के दृष्टि से अति संवेदनशील रहा है। इसके अलावा बड़ी दुर्घटनाएं भी कई बार आपदा का रूप ले लेती हैं। बीस सालों में आपदाएं पांच गुना बढ़ी हैं। सरकार को इसके लिए जीडीपी का 2.5 फीसदी खर्च करना पड़ता है। पिछले कुछ वर्षों में आपदाओं के प्रति वैश्विक स्तर पर प्रबंधन के प्रति जागरूकता बढ़़ी है। हाल ही में शासन तथा प्रशासन की ओर से पर्याप्त जल निकासी का उचित प्रबन्ध न होने के कारण पटना शहर सहित देश के अनेकों शहरों में जलभराव से नागरिकों को भारी कष्ट उठाना पड़ा है। अभी भी उसके दुप्रभाव से लोग जूझ रहे हैं। ...