संदेश

नवंबर, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जब तक न सफल हो, नींद चैन की त्यागो तुम

चित्र
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती:-  कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। हमारे अंदर किसी भी बुरी से बुरी परिस्थितियों को बदलने की असीम शक्ति छिपी होती है। केवल जरूरत है अपने अंदर छिपी उस असीम शक्ति को पहचानने तथा महसूस करने की। जीवन की कठिनाइयाँ हमें इस असीम शक्ति को पहचानने तथा विकसित करने में मदद करती है। विभिन्न युगों के अवतारों तथा महापुरूषों को अपने उद्देश्य तक पहुँचने के लिए काफी कष्टपूर्ण जीवन जीना पड़ा। जीवन की चुनौतियाँ क्या होती हैं, उससे उनका अच्छी तरह परिचय हो गया था। साथ ही उससे जुझना-उबरना भी वह साधारण व्यक्ति के अपेक्षा अच्छी तरह जानते थे। किसी ने क्या खूब कहा है -कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता। अरे! एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो। अपने अन्दर की शक्ति को पहचानने के लिए हमें अपने अन्दर की आवाज भी सुनना जरूरी है। किसी महापुरूष ने कहा है कि परिपक्वता तब से शुरू नहीं होती जब से हम बड़ी चीजें बोलने लगते हैं बल्कि यह तब से शुरू होती है जब हम छोटी-छोटी चीजें समझने लगते हैं।  सर्वोच्च सफलता के लिए जुनून तथा जज्बा चाहिए:-  जीवन पुरूषार्थ का मैदान है जिसमें मनुष्य

ल्हासा की संधि

चित्र
लॉर्ड कर्जन की तिब्बत सम्बन्धी नीति उसके वायसराय काल की एक महत्त्वपूर्ण घटना है, गवर्नर जनरल लॉर्ड वारेन हेस्टिंग्स के समय में ब्रिटिश सरकार तिब्बत के साथ व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित करने का यत्न कर रही थी और इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसने अनेक दूत वहाँ भेजे थे पर उनसे कोई विशेष सफलता प्राप्त नहीं हुई थी। 1886 में चीन की सरकार ने ब्रिटिश व्यापार मंडल को तिब्बत आने की आज्ञा दी और कुछ समय के बाद अंग्रेजों को यातुंग नामक जगह में व्यापार करने की अनुमति मिल गई. परन्तु तिब्बत के लोग सामान्य रूप से अंग्रेजों के विरुद्ध थे और इसलिए चीन की सरकार से आज्ञा मिल जाने पर भी ब्रिटिश सरकार को कोई विशेष लाभ नहीं हुआ।  जब कर्जन भारत पहुँचे तो उस समय तिब्बत में कुछ नए राजनीतिक परिवर्तन हो रहे थे जिन्होंने वायसराय के ध्यान को भी आकृष्ट किया, तिब्बत के लोगों में चीन से स्वतंत्र होने की दृढ़ भावना उत्पन्न हो रही थी और उन्होंने दलाई लामा को अपना नेता बनाया। दलाई लामा ने स्वयं को शक्तिशाली स्वतंत्र शासक के रूप में प्रमाणित किया. उन्होंने व्यस्क होते ही चीन के रीजेंसी सरकार का तख्ता उलट दिया और उसपर शक्तिपूर्ण

रत्नों के उपयोग और उससे लाभ

रत्नों से मनुश्य का परिचय नया नही है, प्राचीनकाल से ही रत्न मनुष्य को आकर्षित और प्रभावित करते आये हैं। वेदों में इन्हें मणियाँ कहा गया है, जो खनिज एवं वानस्पतिक दोनो ही होती थी। इन्हें विभिन्न समस्याओं के निवारण हेतु धारण किया जाता था। रोमन और मुस्लिमों के भारत आने के बाद रत्न विज्ञान और अधिक विकसित हुआ। रत्नों का उपयोग ज्योतीषीय तथा अन्य तरह के उपचारों के लिये किया जाता है। पाश्चात्य देशों में रत्न विज्ञान पर काफी शोध हुआ है। जिसके कुछ अच्छे नतीजे सामने आये हैं, रत्न अनेक रोगों को भी शांत करते हैं। रत्नों के उपयोग और उससे लाभ के लिये दिये जा रहे हैं। पागलपन-पन्ना पागलपन में रामबांण का काम करता है, यह सभी प्रकार के पागलपन, अनिद्रा, क्रोध और बेचैनी को शांत करता है। उच्च रक्तचाप, एसिडिटी व अल्सर- ठंडे रत्न व मूत्रल रत्न इन समस्याओं पर बहुत अच्छा काम करते हैं। नीलम, पन्ना, जमुनिया, मोती, मून स्टोन रक्तचाप कम करते है। ऐसिडिटी व अल्सर शांत करते है। थाइराइड-यह एक हारमोनल रोग है। मोती, मूँगा, मून स्टोन के संयुक्त प्रयोग से थाइराइड में लाभ होता है। सुनहला, पुखराज व मोती एक साथ धारण करने पर भी

खेट कौतुकम: महाज्योतिषी रहीम की कृति

आचार्य चाणक्य का कथन है कि वैसे तो मलेच्छ निन्दनीय है। किन्तु ज्योतिश ज्ञान के कारण पूजनीय है। अनेक विदेशी विद्वानों ने भारत मे ज्योतिश का अध्ययन किया मुस्लिम विद्वान भी इसमे पीछे नही है। इनमे अलबरूनी, नवाब अब्र्दुर रहीम खानखाना, अमीर खुसरो तथा मलिक मुहम्मद जायसी प्रमुख है। अमीर खुसरो तथा मलिक मुहम्मद जायसी ने अपनी रचनाओं मे ज्योतिश का वर्णन किया है। जायसी की काव्य रचना पद्यमावत और कान्हावत मे कई जगह ज्योतिष का उल्लेख है। अलबरूनी और रहीम जी ने भारतीय ज्योतिषी पर कई स्वतंत्र ग्रन्थों की रचना की। रहीम दास जी शहंशाह अकबर के प्रधान सेनापति बैरम खान के पुत्र थे उनका जंम संवत 1610 यानि सन 1556 में हुआ था उन्हें पाटन (गुजरात) की तथा कई अंय जागीरें मिली थी वे संस्कृत, अरबी, उर्दू, फारसी, हिन्दी, ब्रज, अवधी आदि कई भाषाओं के विद्वान थे वे कृष्णभक्त,  महान दानी और परोपकारी थे उनके द्वार से कोई खाली नही जाता था फिर भी उनमे जरा भी मद नही था वे ईश्वर को ही असली दाता बताते थे  देनदार कोई और देत रहे दिन रैन।  लोग भरम मों पर करै याते नीचे नैन।।   अकबर के बाद जहांगीर किसी कारण उनसे नाराज हो गया और उनकी

नीलम जिसने बादशाहों को रंक बनाया

भारतीय मध्यकालीन इतिहास पन्नों में दर्ज है, एक मनहूस नीलम की दास्तान, जिसकी कहानी इस तरह है, सन् 1526 में पानीपत के मैदान में फरगाना के मुगल सुल्तान जहरूद्दीन बाबर ने देश के सुल्तान इब्राहीम खान लोदी को बुरी तरह शिकस्त दी जंग मे सुल्तान लोदी शहीद हो गये सुल्तान की माँ ने बाबर की पेशकदमी की और उन्हें बहुत से रत्नों की एक थैली उसे भेंट दी फिर थैली से एक नायाब नीलम निकाल कर उसे बाबर के हाथों मंे रखतेे हुये कहा, यह नायाब नीलम कभी हिन्दू सम्राट विक्रमादित्य के राजमुकट की शोभा था। कहा जाता है कि यह नगीना जिसके पास रहता है, दौलत, शोहरत और ताकत उसके पास रहती है, मेरे सुल्तान बेटे ने उसे अंधविश्वास मानकर इसे ठुकरा दिया था जिसका नतीजा सबके सामने है। बाबर ने उसे कबूल किया किन्तु वह नीलम सिवाय शंहशाह अकबर को छोड़ बाकी बादशाहों के लिये मनहूस साबित हुआ गद्दी पाने के दो साल के भीतर बाबर चल बसा हुमांयू शेरशाह से हारकर दर-दर भटका। और सीढ़ियो से गिरकर अकाल मौत मरा। शाहजहां अपने ही बेटे द्वारा कैद हुआ औरंगजेब के अत्याचारों के कारण मुगल सल्तनत का सूरज डूबने लगा नादिरशाह और अब्दाली ने लूटकर मुगल खजाना खाली क

ज्योतिषीय गंणना अनुसार उसके परिणाम

ज्योतिष में पुरूष जातक के ज्योतिषीय गंणना अनुसार उसके परिणाम को जनमानस के समक्ष लाने का प्रयास कर रहा हूं। - द्वितीय भाव में मंगल व 7 वें भाव मे केतु शुक्र या लग्नेश या सप्तमेश के साथ युत हो तो जातक को शीघ्रपतन दे। - जंम लग्न, चन्द्र लग्न से अष्ठम भाव, अष्ठमेश या वृश्चिक राशि तीनों पाप प्रभाव मे हो तो जातक जननेन्द्रियो के दोष के कारण नपुंसक हो। - द्वितीय भाव मे चन्द्र या राहू हो आठवें भाव मे बुध और 12 वें भाव मे चन्द्र हो तो जातक जननेन्द्रियो के विकास ना होने के कारण नपुंसक हो। चन्द्र, राहू, बुध व शनि नपंुसकता के कारक हैं।  - द्वितीय भाव का गुरू शीघ्र पतन देता है। - लग्न या सप्तम भाव पर शनि व बुध दोनो की युति व दृष्टि या एक ग्रह की युति व दूसरे ग्रह की दृष्टि नपुंसकता देती है। - बुध के नक्षत्र, आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती व शनि के पुष्य, अनुराधा, उ. भाद्रपद नक्षत्र और राहू के नक्षत्र के आद्रा, स्वाती और शतभिषा नपुंसकता देते हैं। यदि ये नक्षत्र सप्तम भाव पर उदित हों या लग्न, सप्तम या अष्ठम भाव या अष्ठमेश से उपरोक्त नक्षत्रों का संबध हसे तो जातक नपुंसक होता है। - यदि सप्तमेश, शुक्र या गुरू

तेलंगाना सरकार का पुतला फूंका

चित्र
हैदराबाद में हुए सामूहिक बलात्कार के बाद जलाकर निर्मम हत्या के विरोध में इलाइट चैराहे पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद झांसी महानगर के कार्यकर्ताओं के द्वारा हैदराबाद में हुए सामूहिक बलात्कार के बाद जलाकर निर्मम हत्या के आरोपियों को मृत्यु दंड की सजा दिये जाने की मांग करते हुए और डॉक्टर प्रियंका रेड्डी को न्याय मिलने के साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद झांसी महानगर इकाई के कार्यकर्ताओं ने आक्रोश व्यक्त करते हुए तेलंगाना सरकार का पुतला दहन किया।    

अन्तर्राष्ट्रीय स्टूडेन्ट क्वालिटी कन्ट्रोल सर्किल सम्मेलन सम्पन्न

चित्र
सिटी मोन्टेसरी स्कूल, कानपुर रोड कैम्पस, लखनऊ के तत्वावधान में आयोजित चार दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय स्टूडेन्ट्स क्वालिटी कन्ट्रोल सर्किल सम्मेलन (आई.सी.एस.क्यू.सी.सी.-2019) के चैथे व अन्तिम दिन विभिन्न देशों से पधारे क्वालिटी गुरुओं ने एक स्वर से कहा कि मानव जाति की बेहतरी शिक्षा में क्वालिटी विचारधारा द्वारा ही संभव है। सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में चल रहे आई.सी.एस.क्यू.सी.सी.-2019 का चैथा दिन काफी दिलचस्प रहा तथापि विश्वविख्यात क्वालिटी विशषज्ञों ने अपने सारगर्भित उद्बोधनों से गागर में सागर उड़ेल दिया। उन्होंने अपने अनुभवों को बच्चों के सामने रखकर उन्हें क्वालिटी विचारधारा को आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया। सम्मेलन के अन्तिम दिन आज विभिन्न देशों से पधारे प्रतिभागी छात्रों ने 'क्वालिटी क्विज' प्रतियोगिता में जोरदारी भागीदारी कर अपने ज्ञान-विज्ञान का प्रदर्शन किया। इसके अलावा, समापन समारोह में इस ऐतिहासिक सम्मेलन का फ्लैग नेपाल के प्रतिनिधि को सौंपा गया, जहाँ वर्ष 2020 में अगला क्वालिटी सर्किल सम्मेलन आयोजित किया जायेगा।  आई.सी.एस.क्यू.सी.सी.-2019 के चैथे व अन्तिम दिन का शु

हल्दी घाटी का समर

28 फरवरी, 1572 को मेवाड़ के राणा उदय सिंह का निधन हो गया उनकी 18 रानियों से 24 पुत्र थे, जिनमे प्रताप ज्येष्ठ थे राणा ने जैसलमेर के राव लूणकरण की पुत्री धीरकुंवर (भटियारी रानी) के पुत्र जगमल को अपना उत्तराधिकारी बनाया था राणा के दाह संस्कार के समय जगमल के गैरहाजिर रहने पर सरदारों का माथा ठनका क्यांेकि मेवाड़ मे परम्परा थी कि राजा कभी दाह संस्कार मे शामिल नही होता था उन्हांेने जगमल के भाई सगर से पूछा तो उसने बताया कि राणा जी ने जगमल को राणा बनाया है। सरदार उनके निर्णय से असहमत थे वे बोले आज अकबर जैसा शत्रु सर पर खड़ा है उससे जगमल जैसा कमजोर राजा कैसे लड़ पायेगा वह देश को गुलाम बना देगा प्रताप गृह कलह से बचने के लिये मेवाड़ छोड़ने की तैयारी कर रहे थे कि दाह संस्कार के बाद सरदार रावल किशनदास, ग्वालियर के राजा रामशाह तंवर, प्रताप के मामा अक्षयराज सोनगोरा, रावल सांगा ने गोंगूदा के महादेव जी की बावड़ी पर प्रताप का राजतिलक कर दिया और चित्तौड. के दरबार मे मेवाड़ के प्रमुख सरदार रावल किशनदास, ग्वालियर के राजा रामशाह तंवर, प्रताप के मामा अक्षयराज सोनगोरा, रावल सांगा ने जगमल का हाथ पकड़ कर उसे सिंहासन से

ग्रह मेलापक का अधूरा पन्ना

विवाह के समय ग्रह मेलापक, गुण मिलान, कुण्डली मिलान भारतीय परम्परा व मान्यता रही है। आज इस काम मे पत्रा, कम्पयूटर आदि प्रयोग में लाये जा रहे है किन्तु आज भी अधिकांश लोग नाड़ी, गण, भृकुट, तारा, ग्रह मैत्री योनि के चक्कर मे व्यर्थ भटक रहे हैं और भावी जीवन के और कई महत्वपूर्ण पहलुओं व समस्याओं को भूल जाते हैं। जो पति पत्नी के रंग, रूप, शारीरिक बनावट, चरित्र, स्वभाव आदि से संबधित होती है। कन्या की कुण्डली द्वारा पत्नी का ज्ञान:- 1. यदि कन्या के जंमाक मे लग्न में चन्द्रमा व बुध हो तो वह बुद्धिमान व दयालु स्वभाव की व ललित कलाओं मे निपुण होती है। 2. यदि लग्न मे सूर्य हो या सूर्य की दृष्टि हो तो कन्या क्रूर व चिड़चिड़ी हो। 3. यदि जमंाक लग्न में शुक्र बुध युति हो या लग्नेश शुक्र, बुध हो तो वह बुद्धिमान होगी। 4. यदि लग्न में चन्द्रमा व शुक्र हो या उसकी दृष्टि हो या उनमे से एक ग्रह लग्न मे हो दूसरे की दृष्टि हो तो जातिका सुन्दर, गरिमामय व अहंकारी होगी। लग्न मे अकेला गुरू भी अहंकारी बनाये। 5. लग्न मे बुध शुक्र, चन्द्र हो तो या इनकी या क्षय चन्द्रमा की दृष्टि हो तो जातिका उग्र स्वभाव की अति स्थूल होगी

व्यापारियों की समस्याओं का निराकरण युद्धस्तर पर करें

चित्र
जिला व्यापार बन्धु की बचत भवन के सभागार कक्ष में आयोजित बैठक जिलाधिकारी, रायबरेली शुभ्रा सक्सेना की अध्यक्षता में की गई। बैठक में जिलाधिकारी शुभ्रा सक्सेना ने अधिकारियों से कहा कि व्यापारियों की समस्याओं का निराकरण का एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म है व्यापारियों की समस्याओं का निराकरण युद्धस्तर पर करें। उन्होंने व्यापार से जुड़ी हुई समस्याओं को गम्भीरता से लिया जाये यदि समस्या का निराकरण जिलास्तर पर न हो उसे उच्चाधिकारियों  के संज्ञान में नियामनुसार रखकर कर उसका निराकरण कराये। बैठक में व्यापरियों ने शहर में आवार पशुओं की तरफ व नालियों की सफाई कह तरफ भी ध्यान आकर्षित किया जिसपर जिलाधिकारी शुभ्रा सक्सेना ईओ नगर पालिका व सीवीओं को उचित दिशा निर्देश करते हुए कार्यवाही करने को तत्काल करने को कहा साथ ही यह भी व्यापार बन्धु की बैठक में व्यापार से सम्बन्धित समस्याओं को रखा जाये। क्षेत्र में साफ-सफाई विद्युत आदि पर भी चर्चा हुई तथा साफ-सफाई, विद्युत सम्बन्धित कार्यो को दुरूस्त रखने के निर्देश सम्बन्धित अधिकारियों को दिये गये। बैठक में व्यापारियों ने सड़क/नाली निर्माण आदि प्रमुख बिन्दुओं पर विस्तार से

छोटी-छोटी लापरवाहियों से बड़ी-बड़ी दुर्घटना हो जाती है

चित्र
जिलाधिकारी शुभ्रा, रायबरेली सक्सेना व पुलिस अधीक्षक स्वप्निल ममगाई ने एआटीओं को निर्देश दिये है कि सड़क सुरक्षा नियमों के तहत अधिक से अधिक लोगों को शासन द्वारा जारी यातायात के नियमों, वाहन चलाते समय महत्वपूर्ण दिशा निर्देश के साथ ही अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में बताकर लोगों को जागरूक करें जिससे सड़क सुरक्षा और जीवन रक्षा हो सके। सड़क सुरक्षा कार्यो को अभियान तक न सीमित रखकर यह कार्यक्रम को निरन्तर चलाया जाये। कार्यक्रमों में प्रदेश के मुख्यमंत्री के सड़क सुरक्षा के लिए 10 सुनहरे नियम जिसमें हेलमेट पहने, वाहन चलाते समय स्टेण्ड न करे, शराब और वाहन का मेल सही नही, गति सीमा का पालन करे, सीट बेल्ट का प्रयोग करे, यातायात नियमों और चिन्हों का पालन करे, वाहन कभी असुरक्षित ढंग से न चलाये, बाये से ओवर टेक न करे, वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का प्रयोग न करे आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दे।   सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा चुनौतियां विषय पर आयोजित भाषण प्रतियोगिता का आयोजन जीआईसी इण्टर कालेज के हाल में आयोजित किया। मुख्य अतिथि जिला विधिक सेवा प्रधिकरण की सचिव पूजा गुप्ता ने कहा कि जनपद होने वाले द

सर्दियों मे अदरक महत्व बढ़ जाता है

चित्र
सर्दियों में हर घर में अदरक मिल जायेगा, सर्दियों मे अदरक भी महत्व बढ़ जाता है। अदरक खाद्य पदार्थ होने के साथ-साथ आयुर्वेदिक औषधि भी माना जाता है। भोजन में स्वाद के लिए अदरक का प्रयोग किया जाता है। अदरक का औषधि के रूप में भी सेवन किया जाता है। अदरक अनेकों बीमारियां के उपचार करने में सक्षम है। इन्हीं कारणों से अदरक को आयुर्वेद में विशेष महत्व दिया जाता है।  - अक्सर सर्दियों में लोगों को खांसी-जुकाम की परेशानी हो जाती है जिसमें अदरक प्रयोग बेहद ही उपयोगी माना जाता है। यह अरूची और हृदय रोगों में भी फायदेमंद है। इसके अलावा भी अदरक कई और बीमारियों के लिए भी लाभकारी मानी गई है। - अदरक सभी प्रकार के दर्द से राहत देने की इसकी क्षमता इसे बहुत ही खास बनाती है। चाहे आपके  दांत में दर्द हो या सिर में, अदरक का ज्यूस बहुत असरकारक है। - पाचन संबंधी कोई भी समस्या है तो अदरक का ज्यूस आपके पेट में पड़े हुए खाने को हिलाकर उसे निकास द्वार की तरफ धकेलता है। अदरक का यह चमत्कारी गुण आपको न केवल पाचन और गैस बल्कि सभी तरह के पेट दर्द से भी निजात दिलाता है। - अदरक को सर्दी से बचाने में सबसे अधिक कारगर माना जाता है

विभाजन में लॉर्ड माउंटबेटन की भूमिका

चित्र
देश की आजादी के पहले भारत विभाजन हुआ और लॉर्ड माउंटबेटन, भारत के विभाजन और सत्ता के त्वरित हस्तांतरण के लिए भारत आये। प्रारम्भ में यह सत्ता हस्तांतरण विभाजित भारत की भारतीय सरकारों को डोमिनियन के दर्जे के रूप में दी जानी थीं। 3 जून 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन ने अपनी योजना प्रस्तुत की जिसमे भारत की राजनीतिक समस्या को हल करने के विभिन्न चरणों की रुपरेखा प्रस्तुत की गयी थी।  - भारत को भारत और पाकिस्तान में विभाजित किया जायेगा। - बंगाल और पंजाब का विभाजन किया जायेगा और उत्तर पूर्वी सीमा प्रान्त और असम के सिलहट जिले में जनमत संग्रह कराया जायेगा। - पाकिस्तान के लिए संविधान निर्माण हेतु एक पृथक संविधान सभा का गठन किया जायेगा। - रियासतों को यह छूट होगी कि वे या तो पाकिस्तान या भारत में सम्मिलित हो जाये या फिर खुद को स्वतंत्र घोषित कर दें। - भारत और पाकिस्तान को सत्ता हस्तांतरण के लिए 15 अगस्त 1947 का दिन नियत किया गया। ब्रिटिश सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 को जुलाई 1947 में पारित कर दिया। इसमें ही वे प्रमुख प्रावधान शामिल थे जिन्हें माउंटबेटन योजना द्वारा आगे बढ़ाया गया था। विभाजन और स्

शनि नपुंसकता भी देता है

चित्र
सेक्स वैवाहिक जीवन का अनिवार्य स्तम्भ और आधार है। शनि विवाह यौन संबध को समाजिक, धार्मिक और मर्यादित मान्तयता प्रदान करता है। जो ना केवल संतानोपत्ति प्रदान करता है। बल्कि स्त्री-पुरूषों को शारीरिक व मानसिक सन्तुष्टि व उर्जा प्रदान करता है। किन्तु कभी-कभी अनेक कारणांे से स्त्री-पुरूष अपनी शारीरिक और मानसिक अक्षमताओं के कारण सामान्य सहवास नही कर पाते हैं, जो नपुंसकता कहलाता है। यह अभिशाप वैवाहिक जीवन को नष्ट कर देता है। सेक्स के प्रति अनिच्छा, भय, जननेन्द्रियों में स्वभाविक उत्तेजना ना आना, शाीघ्र पतन इस श्रेणी मे आते हैे। इसके कारण शर्मिन्दगी, अपमान, हीनभावना, अवैध संबध, हत्या आत्महत्या, काम में व्यस्तता का बहाना आदि दुष्परिणाम सामने आते हैं। नपुंसकता के अनेक ग्रह योगांे का वर्णन ज्योतिष गन्थों मे पाया जाता है, जो निम्नलिखित हैं। - शनि लग्नेश हो और उस पर मंगल केतु की दृष्टि हो तो जातक फोबिया के कारण रूप से नपंुसक हो। - लग्न में निर्बल शनि राहू से युत हो तो फोबिया के कारण रूप से नपंुसक हो। - चन्द्रमा शनि व राहू से युत हो तो फोबिया के कारण से नपंुसक हो।  - अष्ठमेश शनि व राहू के मध्य पापकर्

प्रेमिका के प्यार में पहुंचा सलाखों के पीछे

चित्र
झांसी। बरुआसागर थानान्तर्गत ग्राम बनगुआं में एक युवक की जली हुई नग्न लाश मिली थी। लाश की शिनाख्त टैक्सी चालक मुकेश रायकवार निवासी बनगुआं के रुप में हुई थी। मृतक के चाचा मनोहर की तहरीर पर पुलिस ने अज्ञात हत्यारोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था। इसके बाद बरुआसागर पुलिस ने छानबीन करते हुए मुखबिर की सूचना पर क्षेत्र में अंजनी माता मंदिर के पास से हत्यारोपी को दबोच लिया। पूछताछ में उसने अपना नाम राकेश रायकवार निवासी बनगवां थाना बरूआसागर बताया। पुलिस को उसने जो कहानी सुनायी उसने रोंगटे खड़े कर दिए। दरअसल, आरोपी राकेश रायकवार एक लड़की से प्यार करता है, उसकी प्रेमिका मृतक मुकेश की टैक्सी से अक्सर आती-जाती थी, मुकेश से प्रेमिका का मेलजोल उसे पंसद नहीं था इसलिए उसने कई बार मृतक को लड़की को बैठाने से मना किया, लेकिन जब वह नहीं माना तो उसने ऐसा निर्णय ले लिया जिसने उसे जेल की सलाखों के अंदर धकेल दिया। पुलिस के अनुसार आरोपी ने मुकेश की हत्या की ऐसी योजना बनाई जिसमें उसके फंसने के चांस कम थे। योजना के अनुसार उसने मृतक मुकेश को जंगल में धोखे से बुलाया और बातों ही बातों में उसने मुकेश की पहले पत्थरों

जब चिड़िया चुग गई खेत

यह लेख उन नवयुवक और युवतियों के लिये लिखा जा रहा है। जिन्होने अपना कैरियर बनाने या लड़कियों मे ओर कमाऊ और स्टेटस वाला वर की तलाश मे 33, 34 या 35 साल मे शादी की फिर या तो वे कन्सीव ही नही हुयी या एक एर्बाशन के बाद वे गर्भाशय, हारमोनल और अन्य स्त्रियों से संबधित रोगों से घिर गई पांच छह साल एक के बाद गायकोनोलाॅजिस्ट का इलाज चला और फिर मेनापाज की स्टेज मे आकर संतानहीन रह गई उनमें कुछ को हाई स्टेटस वाला वर मिला पर अधिकांश को अति साधारण, दुहाजू, छंटे छटाये वरों के साथ विवाह करना पड़ा कुछ अविाहित रह गई हांलाकि कुछ प्रतिशत जोंडों को संतान सुख भी मिला परन्तु पचास फीसदी से अधिक जोड़े संतानहीनता के शिकार हुये इसका सीधा कारण यह है कि सप्तम भाव, सप्तमेश तथा शुक्र, मंगल, गुरू विवाह कराते है। इन पर जब प्रभाव पड़ता है। तो विवाह विलंब होता है। और तथा अनेक विवाह विलंब कराने वाले ग्रह योग संतान बाधा भी कराते है। चिकित्सा के अनुसार महिला पहले बूढी होती है। और पुरूष बाद मे बूढा होता है। सामान्य नियम यह है। कि 35 वर्ष की उम्र के बाद महिला अविवाहित हो या विवाहित, संतानहीन हो या संतानवान वह मासिक रोंगों और हारमोन

नाड़ी ज्योतिष में षष्ठाठक योग

जब जंमाक मे दो या अधिक ग्रह एक दूसरे से छठे व आठवें भाव मे होते है। दो ग्रहों के इस संबध को षष्ठाठक योग कहते हैं।। एक अन्य योग षष्ठाठक योग का ही फल देता है। वह द्विदादश योग है जब कोई ग्रह दूसरे ग्रह से 12वें भाव मे होता है। तो द्विदादश योग बनता है। पाराशर संहिता का यह सूत्र जब कोई ग्रह दूसरे ग्रह से 6. 8. 12 वें भाव मे हो वह प्रथम ग्रह विनाश करता है। और दोनो परस्पर शत्रुवत व्यवहार करते है। इनकी व्याख्या पाराशर पद्धति और नाड़ी पद्धति मे अलग-अलग तरीके से की जाती है। पाराशर मत:- पाराशर पद्धति मे मुख्यतः इसका प्रयोग दो भावेशों के अशुभ संबध को बताने के लिये किया जाता है। कुछ व्याख्यायें इस प्रकार है। 1. यदि लग्नेश और सप्ततमेश परस्पर षष्ठाठक हो तो  जातक अपनी पत्नी या पति की के विचारांे और भावनाओं को अस्वीकार करेगा या ताऊ, बुआ, व्यापारिक पार्टनर से हानि देगा 2. यदि लग्नेश और पंचमेश परस्पर षष्ठाठक हो तो  जातक के अपने पुत्र, पुत्री या अधीनस्थ कर्मचारियों से मतभ्ज्ञेद रहेंगें और वे करेगा परस्पर शत्रुवत व्यवहार करगें। 3. उपरोक्त सूत्र सामान्य है और लग्नेश का किसी भी भावेश से षष्ठाठक या द्विदादश सं

पुराने वैद्य के तीर वार करें गंभीर

कभी हम अचानक कुछ रोगों से असमय ग्रसित हो जाते है। जहां आस-पास डाक्टर, अस्पताल मेडिकल स्टोर कुछ नही होता है। यात्रा, रात-बिरात या गाँव या शादी, बरात, जनवासे उजाड़ बरात इलाके मे ऐसे मे आयुर्वेद के कुछ सरल उपाय तत्काल फस्ट एड का का काम करके राहत देते है। रोग को गंभीर होने से रोकते है। उल्टी:- 1. अदरक का रस 1 चम्मच और प्याज का रस एक चम्मच मिला कर पीने से उल्टी रूक जाती है। 2. नीबू काट कर उसमे सेंधा नमक और काली मिर्च का चूर्ण मिला कर चुसने से उल्टी रूक जाती है। 3. गुनगुने पनी मे बताषे मिला कर पीयें। 4. एक कप पानी मे दो चम्मच शहद मिला कर पीयें। दस्त:- 1. मीठे सेब का रस दिन मे तीन बार रस पियें। 2. सौंफ और जीरा बराबर मात्रा मे लेकर पीसकर भून लें फिर उसकी आधी चम्मच की मात्रा चार चार घंटे से लें। 3. चुटकी भर सौंठ शहद के साथ लें। 4. 50 ग्राम दही मे 2 चम्मच ईसबगोल या बेल का चूर्ण मिला कर दिन मे तीन बार लें। 5. दही मे मेथी मिलाकर सेवन करें। एसिडिटी- 1. दो लौंग चूसें। तत्काल लाभ होगा। 2. छोटी या बड़ी इलायची शहद के साथ चूसें। पेट दर्द:- 1. दो ग्राम सेंधा नमक व एक ग्राम अजवायन का चूर्ण लें तुरन्त आराम म

हमारा भाग्य पुराने कर्माें पर आधारित होते हैं

हमारा यह जन्म पृथ्वी लोक पर एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय में हुआ है, जब ईश्वर स्वयं ही सारे हृदय में अवतरित होकर हनुमान जी के रूप में हम सबका कल्याण करने आ गये है। इसके लिये उन्होंने हमें अपने जीवन के उद्धार के लिए ''हनुमान उपाय'' वरदान के रूप में दिया है। इसी 'हनुमान उपाय' के अन्तर्गत उन्होंने हमें प्रसाद रूप में चींटी दाना डालने का एक बहुत ही सहज और सरल तरीका भी बताया है। चींटियों को दाना डालना हनुमान उपाय का अत्यन्त प्रभावशाली एवं महत्वपूर्ण अंग है। यह है तो एक सहज छोटी-सी प्रक्रिया परन्तु इससे होने वाला लाभ बड़ा ही अनमोल है। हनुमान जी ने साक्षात रूप में यह दिखाया है कि सारी सृष्टि के कल्याण की प्रार्थना करते हुये चींटियों को दाना डालने से बहुत ही पवित्र ईश्वरमयी तरंगें निकलती हैं। ये पवित्र एवं अलौकिक तरंगें बड़ी ही तीव्र गति से ब्राह्माण्ड में पहुँच जाती हैं। इन तरंगों में एक बहुत ही अद्भुत शक्ति होती है। जो हमारे पुराने पाप कर्माें के पहाड़ आसानी से और तीव्र गति से चूर-चूर कर देती है तथा नये कर्मों को बनने नहीं देती है। इस प्रक्रिया के महत्व को आप इस तरह से समझ

भाग्य को वही कोसते हैं जो कर्महीन होते है

- बुद्धिमान व्यक्ति क्रोध से फटते नहीं है वे उसे उचित समय के लिए सुरक्षित रखते है। - जब एक द्वार खटखटाने पर न खुले तो अपनी प्रतिष्ठा के सम्बन्ध में विचार कर लो। - जो आपके सामने औरों की निन्दा करता है वह औरों के सामने अपकी निन्दा अवश्य करेगा। - भयंकर रूप से सामने आयी हुई उलझी परिस्थितियों को शान्ति पूर्वक सुलझाना ही बुद्धिमता की कसौटी है। - आपका सबसे अच्छा दोस्त वह है जो आपकी कमजोरियों की चर्चा दूसरों से नहीं करता बल्कि आपसे से ही साफ-साफ कहता है। - अपने सुख के लिए दूसरों को कष्ट देना महा पाप है। - जो अपनी तारीफ सुनना पसंद करते है उनमें गुणों की कमी होती है। - गरीब वह नहीं जिनके पास धन कम है बल्कि वह धनवान भी सबसे अधिक गरीब है, जिसकी इच्छा कम नहीं हुई है। - दिल में बुरे विचारों को कभी मत आने दो वे अपना असर दिखाये बगैर नहीं रहते। - केवल प्रशंसा पाने के लिए कार्य करना कत्र्तव्य नहीं कहलाता। - अगर आदमी सीखना चाहे तो उसकी हर भूल उसे कुछ न कुछ शिक्षा अवश्य देती हैं। - घृणा केवल प्रेम से ही जीती जा सकती है। - जिसने गर्व किया उसका पतन अवश्य हो गया। - भाग्य को वही कोसते हैं, जो कर्महीन होते है।

अपनी वाणी में कोमलता को बनाये रखें

- जो मनुष्य परमात्मा का ध्यान एवं चिंतन प्रेम और श्रद्धापूर्वक करता है परमात्मा भी उसकी अविलम्ब सहायता करते हैं। - न तो हमें उपवास करना चाहिए और न ही अधिक भोजन। भोजन में संयम रखना शरीर और मन दोनों के लिए उत्तम है। - वही मनुष्य ईश्वर के दर्शन कर पाता है, जिसका अन्तःकरण निर्मल और पवित्र होगा। सद्गुणों को अपना मुकुट बनाओं और बुराईयों को अपने पैरों के नीचे का पायदान।- - दुःखों का मूल कारण यही है कि हम केवल अपने अधिकारों की माँग तो करते हैं पर अपने कत्र्तव्यों का पालन करने से बचते हैं। - मनुष्य के रूप में अथवा पशु-पक्षियों के रूप में परमात्मा तो सदा ही हमारी आँखों के समक्ष है-जैसे भी हो सके इन सबकी मदद एवं सेवा करें। - जो लोग वाणी के दोष को जानते हैं वह यह भी जानते हैं कि किसी भी व्यक्ति को कठोर वचन कहना वस्तुतः उस पर प्रहार करना ही है। तन के घाव तो भर जाते हैं लेकिन शब्दों के घाव चिरकाल तक बनें रहते हैं। कठोर वचनों से मन की भड़ास तो निकाली जा सकती है, लेकिन ऐसे वचनों को सुनने वाला हमारा दुश्मन भी बन जाता है इसलिए आप हमेशा अपनी वाणी में कोमलता को बनाये रखें।

उत्कृष्ट परिणाम के लिए व्यवस्था में सुधार आवश्यक

चित्र
सी.एम.एस. कानपुर रोड आडिटोरियम, लखनऊ में चल रहे अन्तर्राष्ट्रीय स्टूडेन्ट्स क्वालिटी कन्ट्रोल सर्किल (आई.सी.एस.क्यू.सी.सी.-2019) के तीसरे दिन आज विभिन्न देशों से पधारे प्रख्यात क्वालिटी विशेषज्ञों ने जोर देते हुए कहा कि उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करने के लिए व्यवस्था में सुधार आवश्यक है परन्तु इसके साथ ही हमें भी रचनात्मक बदलावों का स्वागत करने को सदैव तत्पर होना चाहिए। बदलाव हमें जागरूक एवं सजग बनाता है एवं निरन्तर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। इन विशेषज्ञों ने भावी पीढ़ी में चरित्र निर्माण, टीम वर्क, सहयोग की भावना, विचारों के आदान-प्रदान के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि मनुष्य के इरादे सदा बुलन्द होने चाहिए। आई.सी.एस.क्यू.सी.सी.-2019 के अन्तर्गत आज देश-विदेश के प्रतिभागी छात्रों ने विभिन्न रोचक प्रतियोगिताओं जैसे वाद-विवाद प्रतियोगिता, पोस्टर एवं स्लोगन प्रतियोगिता एवं नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता के माध्यम से अपने ज्ञान-विज्ञान का जोरदार प्रदर्शन किया एवं क्वालिटी की भावना को पूरे जीवन में उतारने का संदेश दिया। विदित हो कि आई.सी.एस.क्यू.सी.सी.-2019 का आयोजन सी.एम.एस. कानपुर रोड कैम्पस के तत

जर्मनी के एकीकरण

चित्र
इतिहास के झरोखों में 19वीं सदी के पूर्वार्द्ध में जर्मनी भी इटली की तरह एक भौगोलिक अभिव्यक्ति मात्र था। जर्मनी अनेक छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित था। इन राज्यों में एकता का अभाव था. ऑस्ट्रिया जर्मनी के एकीकरण का विरोधी था, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से जर्मनी पिछड़ा और विभाजित देश था, फिर भी जर्मनी के देशभक्त जर्मनी के एकीकरण के लिए प्रयास कर रहे थे, कुछ ऐसी घटनायें घटीं जिनसे जर्मन एकता को बल मिला, जर्मनी की औद्योगिक प्रगति हुई. वाणिज्य-व्यापार का विकास हुआ. नेपोलियन प्रथम ने जर्मन राज्यों का एक संघ स्थापित कर राष्ट्रीय एकता का मार्ग प्रशस्त किया। जर्मनी के निवासी स्वयं को एक राष्ट्र के रूप में देखने लगे। सन् 1830 और 1848 की क्रांतियों के द्वारा जर्मनी के लोगों में एकता आई और वे संगठित हुए। पार्सिया के नेतृत्व में आर्थिक संघ की स्थापना से राष्ट्रीय एकता की भावना को बल मिला. इससे राजनीतिक एकीकरण को भी प्रोत्साहन मिला। औद्योगिक विकास ने राजनीतिक एकीकरण को ठोस आधार प्रदान किया. जर्मनी का पूँजीपति वर्ग आर्थिक विकास और व्यापार की प्रगति के लिए जर्मनी को एक संगठित राष्ट्र बनाना चाहता था. यह व

चैपाल लगाकर ग्रामीणों की समस्याओं को सुना निराकरण के निर्देश

चित्र
रायबरेली जनपद की नोडल अधिकारी/प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला ने बछरावां ब्लाक स्थित  प्राथमिक विद्यालय पस्तौर में चैपाल लगाकर ग्रामीणों की समस्याओं को सुना तथा उसके निराकरण के निर्देश सम्बन्धित अधिकारियों को दिये। प्रमुख सचिव ने ग्रामीणों को प्रदेश व केन्द्र सरकार की लाभ परक कल्याणकारी योजनाओं के बारे में बताया उनसे कहा कि प्रधानमंत्री जनधन योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री उज्जला योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी, प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना, मुख्यमंत्री किसान एवं सर्वहित बीमा योजन आदि योजनाओं को अधिक से अधिक लाभार्थियों को लाभान्वित करने के निर्देश दिये। उन्होंने स्कूली बच्चांे से पूछा कि उन्हें डेªस, स्वेटर, बस्ता, किताबे मिली है कि नही आदि के साथ ही बच्चों से पढाई की भी

विकास एवं निर्माण कार्यो समीक्षा बैठक

चित्र
रायबरेली जनपद की नोडल अधिकारी/प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला ने रायबरेली के बछरावां ब्लाक के सभागार में अधिकारियों की शासकीय कार्यो व विकास एवं निर्माण कार्यो समीक्षा बैठक करते हुए निर्देश दिये कि निर्माण एवं विकास कार्यो को युद्ध स्तर पर पूरा करें। निर्माण एवं विकास कार्यो में गुणवत्ता एवं मानक से किसी भी प्रकार का समझौता नही किया जायेगा। उन्होंने अपर पुलिस अधीक्षक नित्यानन्द को निर्देश दिये कि जनपद में कानून एवं शान्ति व्यवस्था को दुरूस्त रखे के साथ ही अपराधों में प्रभारी तरीके से नियन्तरण के साथ ही अपराधियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही करें व शासन की मंशा के अनुरूप कार्यो में प्रगति लाये। किसी भी प्रकार की लापरवाही व शिथिलता क्षम्य नही होगी। उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि प्रत्येक थानों में भ्रमण के माध्यम से वहां के कार्यो की समीक्षा करते रहे। उन्होंने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिये कि आई0जी0आर0एस0, थाना दिवस, तहसील दिवस के प्रकरणों को समयबद्ध तरीके से निस्तारण करे तथा निस्तारण में गुणवत्ता का ध्यान रखा जाये। उन्होंने कहा कि थाना दिवस, तहसील दिवस सम्पूर्ण समाधान दिवस आदि