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स्वस्थ मन और मस्तिष्क के लिए योग का दिनचर्या मे जरूरी है

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लालगंज, रायबरेली के चंद्रशेखर मेमोरियल पब्लिक स्कूल के प्रांगण मे युवा विकास समिति द्वारा निशुल्क योग शिविर का आयोजन किया गया। योग शिविर मे गुरूकुल कांगडी विश्वविद्यालय हरिद्वार से आए योग प्रशिक्षको ने योग गुरु अमित त्रिपाठी की अगुवाई मे उपस्थित लोगों को योग की विभिन्न मुद्राओं द्वारा योगाभ्यास कराया और योग की आम आदमी के मन मस्तिष्क मे पडने वाले सकारात्मक प्रभावो के बारे मे भी विस्तार से बताया। इससे पहले योग शिविर कार्यक्रम की शुरुआत समाजसेवी वरिष्ठ भाजपा नेता दीप प्रकाश शुक्ला ने गायत्री मंत्र का उच्चारण करके किया। इस अवसर पर श्री शुक्ला ने कहा कि योग भारतीय सनातन संस्कृति व भारतीय संतो व योग वेत्ताओं द्वारा दुनिया को दी गई एक महत्वपूर्ण धरोहर है अच्छा है कि भारत सहित पूरी दुनिया योग के महत्व को स्वीकार कर रही है। वहीं युवा विकास समिति के संस्थापकध्अध्यक्ष सिद्धार्थ त्रिवेदी ने कहा आज पूरी दुनिया तमाम तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियों की चपेट मे है। योग द्वारा काफी हद तक इन बीमारियों पर अंकुश लगाया जा सकता है स्वस्थ मन और मस्तिष्क के लिए योग का दिनचर्या मे शामिल होना है जरूरी वहीं का

क्या है एक्यूप्रेशर चिकित्सा

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शरीर के विभिन्न हिस्सों खासकर हथेलियों और पैरों के तलवों के महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर दबाव डालकर विभिन्न रोगों का इलाज करने की विधि को एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति कहा जाता है। चिकित्सा शास्त्र की इस पद्दति का मानना है कि शरीर में हजारों नसों, रक्त धमनियों, मांसपेसियों, स्नायु और हड्डियों के साथ कई अन्य चीजे मिलकर इस शरीर रूपी मशीन को चलाते है। अतः किसी बिंदु पर दबाव डालने से उससे सम्बंधित जुड़ा भाग प्रभावित होता है इस पद्धति के लगातार अध्ययनों के बाद मानव शरीर के दो हजार ऐसे बिंदु पहचाने गए है जिन्हें एक्यूपाइंट कहा जाता है जिस एक्यूपाइंट पर दबाव डालने से उसमे दर्द हो उसे बार-बार दबाने से उस जगह से सम्बंधित बीमारी ठीक हो जाती है। इस पद्धति में हथेलियों, पैरों के तलवों, अँगुलियों और कभी-कभी कोहनी अथवा घुटनों पर हल्के और मध्यम दबाव डालकर शरीर में स्थित उन उर्जा केन्द्रों को फिर से सक्रीय किया जाता है जो किसी कारण अवरूद्ध हो गई हों।        बिना दवा के इलाज करने वाली यह पद्धति सरल, हानिरहित, खर्च रहित व अत्यंत प्रभावशाली व उपयोगी है जिसे कोई भी थोड़ी सी जानकारी हासिल कर कभी भी कहीं भी कर सकता ह

सूखी खांसी में मुलेठी का सेवन लाभकारी है

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स्वस्थ्य शरीर के लिए आज भी अधिकतर परिवारों के लोग जाड़े में देशी समानों का अधिक उपयोग किया जाता है इसी संदर्भ में जानें मुलेठी में पाये जाने वाले औषधीय गुण बारे में। मुलेठी में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं और कई रोगों को ठीक करने में सहायक होता है। आम तौर पर इसका प्रयोग लोग पान के साथ करते हैं। स्वाद में मीठी मुलेठी कैल्शियम, ग्लिसराइजिक एसिड, एंटी-अक्सीडेंट, एंटीबायोटिक, प्रोटीन और वसा के गुणों से भरपूर होती है. इसका इस्तेमाल नेत्र रोग, मुख रोग, कंठ रोग, उदर रोग, सांस विकार, हृदय रोग, घाव के उपचार के लिए सदियों से किया जा रहा है। यह बात, कफ, पित्त तीनों दोषों को शांत करके कई रोगों के उपचार में रामबाण का काम करती है। मुलेठी के उपयोग और फायदेः- - अगर आप सूखी खांसी या गले की समस्याओं से परेशान हैं, तो काली मिर्च के साथ पीस कर मुलेठी का सेवन, सूखी खांसी में तो लाभकारी है ही, साथ ही इसे चूसने या उबालकर सेवन करने से गले की खराश, दर्द आदि में भी लाभ होता है। - मुलेठी चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाने का काम करती है। इसे घिसकर लगाने पर चेहरे के दाग और मुंहासे ठीक हो जाते हैं, मुलेठी रक्त को भी शुद्ध करत

पालक के औषधीय गुण

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सर्दियों के मौसम में सब्जी सबसे अधिक स्वास्थ्यवर्धक मानी जाती है। इनमें भी पालक में जो गुण पाये जाते है वे समान्यतः अन्य सब्जियों में नहीं पाये जाते। पालक में लोहे का अंश भी बहुत अधिक रहता है, पालक में मौजूद लोहा शरीर द्वारा आसानी से सोख लिया जाता है। इसलिए पालक खाने से खून के लाल कणों की संख्या बढ़ती। पालक का नाम आते ही लोग कहते हैं कि पालक खाने वाला व्यक्ति को कभी भी डाक्टर के पास नहीं जाता, अर्थात पालक खाने वाला कभी बीमार नहीं पड़ता है। चिकित्सकों के अनुसार पालक में शरीर के लिए आवश्यक अनेक अमीनो अम्ल, विटामिन ए, फोलिक अम्ल, प्रोटीन और लौह तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। गर्भवती स्त्रियों के लिए भी पालक का सेवन लाभदायक होता है। पालक में कैल्शियम भी बहुत अधिक रहता है। इसलिए बढ़ते बच्चों, बूढ़े व्यक्तियों और गर्भवती स्त्रियों के लिए वह बहुत लाभदायक है। पालक खाने से स्तनपान कराने वाली माताओं के स्तनों में अधिक दूध बनता है। पालक त्वचा और शरीर के लिए भी बहत अच्छा होता है। जो लोग बाल गिरने से परेशान हैं उन्हें तो रोज पालक खाना चाहिए। पालक शरीर में आयरन की कमी को पूरा करके बालों का गिरना रो

तुलसी सर्दी-जुकाम, खॉसी और श्वास सम्बंधी रोग के लिए लाभकारी है

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देशभर के अधिकांश जगह तुलसी का विशेष महत्व है। भारतीय संस्कृति में तुलसी को बहुत अधिक मान्यता है, धार्मिक महत्व के साथ-साथ तुलसी औषधीय गुणों से भी भरपूर है। आयुर्वेद में तो तुलसी को उसके औषधीय गुणों के कारण विषेश महत्व दिया गया है। तुलसी ऐसी औषधि है जो ज्यादातर बीमारियों में काम आती है। परन्तु सर्दियों में इसका महत्व और ही बझ़ जाता है। तुलसी के उपयोग से सर्दी-जुकाम, खॉसी और श्वास सम्बंधी रोग के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता है। बाजार में खांसी के अनेकों सिरप मिलते हैं, जिनमें तुलसी होती है, किन्तु इनके अपेक्षा तुलसी के घरेलू उपचार अधिक लाभकारी हैं। जैसा कि आप जान ही चुके हैं कि तुलसी में एंटीइंफ्लेमेटरी व एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो श्वासनली से जुड़ी समस्याओं में कारगर साबित हो सकते हैं। इसलिए, खांसी के लिए तुलसी पर भरोसा किया जाता हैं। इसके लिए आप तुलसी की कुछ पत्तियों को पानी में उबालकर इस पानी को पिएं। इससे आपको आराम मिल सकता है। अगर आपको सर्दी लग रही है, तो आप तुलसी की पत्तियां चबा सकते हैं। इसके अलावा, तुलसी के पत्तों की चाय भी पी सकते हैं। इससे आपको सर्दी लगने में राहत मिल स

तुलसी से होने वाली हानि बारे में जानें

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भारतीय संस्कृति में तुलसी को पूजनीय माना जाता है, धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ तुलसी औषधीय गुणों से भी भरपूर है। आयुर्वेद में तो तुलसी को उसके औषधीय गुणों के कारण विशेष महत्व दिया गया है। तुलसी ऐसी औषधि है जो ज्यादातर बीमारियों में काम आती है। इसका उपयोग सर्दी-जुकाम, खॉसी, दंत रोग और श्वास सम्बंधी रोग के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है।  गुणकारी तुलसी से हानि भी हो सकता है। आयुर्वेद भी कहता है कि हर चीज का सेवन सेहत व परिस्थितियों के अनुसार और सीमित मात्रा में ही उपयोग करना चाहिए, तभी उसका लाभ संभव होता है, लेकिन आप तुलसी से होने वाली हानि बारे में जानें:- - गर्भवती हैं अथवा शिशु को स्तनपान करा रही हैं, तो इस परिस्थिति में तुलसी का सेवन सोच-समझ कर करना चाहिए। सबसे बेहतर यही है कि इन दोनों अवस्थाओं में तुलसी का सेवन नही करना उचित होगा।  - तुलसी शरीर में खून के थक्के नहीं बनने देती। इस कारण से कुछ मामलों में यह खून को जरूर से ज्यादा पतला कर सकती है, जिससे रक्तस्राव की समस्या हो सकती है। अगर आपको कभी ऐसा लगे, तो तुरंत तुलसी का सेवन बंद कर दें। साथ ही अगर आप खून को जमने से रोकने वाली दव

कलौंजी में रोगों से लड़ने की क्षमता है

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कलौंजी को मसाले के साथ औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसमें औषधीय गुण का भण्डार है, इसका प्रयोग सौन्दर्य प्रसाधन, मसाले तथा खुशबू के लिए पकवानों में भी किया जाता है। कलौंजी में पोशक तत्वों का अंबार है। मांस पेशियों को ढीला करती है, प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करती है और खांसी, दमा, ब्रोंकाइटिस आदि को ठीक करती है। कलौंजी कैंसर रोधी, कीटाणु रोधी, फंगस रोधी है, यकृत का रक्षक है और असंतुलित प्रतिरक्षा प्रणाली को ठीक करता है। कलौंजी का सबसे ज्यादा असर कीटाणुरोधी प्रभावी होती है। - खाँसी व दमा छाती और पीठ पर कलौंजी के तेल की मालिश करें, तीन बड़ी चम्मच तेल रोज पीयें और पानी में तेल डाल कर उसकी भाप लें। - अवसाद और सुस्ती एक गिलास संतरे के रस में एक बड़ी चम्मच तेल डाल कर 10 दिन तक सेवन करें। आप को बहुत फर्क महसूस होगा। - स्मरणशक्ति और मानसिक चेतना एक छोटी चम्मच तेल 100 ग्राम उबले हुए पुदीने के साथ सेवन करें। - कलौंजी को पेट के कीड़ो के उपचार में पिपरेजीन दवा के समकक्ष मानते हैं। पेट के कीड़ो को मारने के लिए आधी छोटी चम्मच कलौंजी के तेल को एक बड़ी चम्मच सिरके के साथ दस दिन तक दिन में तीन बार पिलात