जन्म कुंडली में वेश्यावृति के योग
- डी.एस. परिहार
हमारे समाज का बेहद कड़वा सच है वैश्यावृत्ति। कानून के प्रतिबंध के बावजूद भी वैश्यावृत्ति का व्घ्यापार सभी जगह खूब फलता-फूलता है। ग्रहों की दशा का प्रभाव भी महिलाओं के देह मंगल और शुक्र ऐसे दो ग्रह है, जब इनकी युति बनती है तो वैवाहिक जीवन तो डिस्टर्ब होता ही है, साथ ही गैर महिला के प्रति पुरूषों का आकर्षण बढ़ता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, कुंडली में ग्रहों का खास योग किसी महिला को वेश्यावृत्ति की ओर धकेल सकता है। यही नहीं, ऐसे ज्यादातर मामलों में महिला को उसके प्रेमी द्वारा बहला-फुसलाकर देह व्यापार के गंदे धंधे में धकेल दिया जाता है। यदि कुंडली में प्रेम प्रसंग और धोखेबाज प्रेमी का योग हो, महिलाओं के व्यापार में फंसने का ज्योतिषीय कारण होता है। ग्रहों की निम्न विशेष स्थिति में महिलाएं देह व्घ्यापार करने पर मजबूर हो जाती हैं।
1. जिस युवक युवती की कुंडली में चैथे भाव में शुक्र तथा मंगल इकट्ठे होंगे , तो वह अत्यधिक कामुक होगा । किसी नजदीकी सम्बन्धी से सेक्स सम्बन्ध होने के कारण उसका अपना ग्रहस्थ जीवन डंावाडोल होता है। चतुर्थ भाव सुख स्थान का है ।
2.-जिसकी कुंडली में चैथे भाव में पाप ग्रह हों , वह रोमांस करने वाला होता है ।चतुर्थ में पाप ग्रह होना अन्य जगह सेक्स सम्बन्ध होना कारण है ।
3. जातक जातिका की कुंडली में गुरू और शुक्र समसप्तक हो तो भी वे योग है, जातक के मामले में यदि मंगल और शुक्र समसप्तक हो तो भी जातक अतिकामुक हो।
4. धनु, मीन लग्न वाले स्त्री पुरूषों को शय्या सुख अन्यत्र खोजने की आवश्यकता पड़ती है ।
5. किसी भी जातक की लग्न कुंडली में मंगल ़शुक्र की युति काम वासना को उग्र कर देती है।
6. यदि लग्न और बारहवें भाव के स्वामी एक हो कर केंद्र त्रिकोण में बैठ जाएँ या एक दूसरे से केंद्रवर्ती हो या आपस में स्थान परिवर्तन कर रहे हों तो पर्वत योग का निर्माण होता है वहीं अत्यंत कामी और कभी कभी पर स्त्री गमन करने वाला भी होता है ।
7. यदि लग्न का स्वामी बारहवें भाव में हो तथा बारहवें भाव का स्वामी लग्न में हो , तो ऐसे कुंडली वाला चाहे युवक हो या युवती अत्यंत सेक्सी प्रवृति के होते हैं । क्योंकि द्वादश भाव दूसरी स्त्री के सेक्स सुख का भी स्थान कहलाता है ।
वेश्या बनने के योग-
1. यदि किसी महिला की कुंडली में सातवें, आठवें और दसवें घर में बुध या शुक्र ग्रह विराजमान हों तो उस स्त्री के वैश्यावृत्ति के व्यापार में आने के योग बनते हैं। वैश्यावृत्ति के लिए शुक्र और मंगल अधिक प्रभावकारी होते हैं। शुक्र और मंगल के दसवें और सातवें भाव में होने पर ऐसा होना संभव है।
2.-जिस इंसान की कुडली मे चाहे वह महिला हो या पुरूष 7 वां भाव और 8 वां भाव मंगल ़ शुक्र से संबंधित हो या मंगल लग्न भाव में और चंद्रमा 7 वां भाव में हो वह इंसान बहुत कामुक होता है इसके साथ राहु हो जाये।
3. इस संबंध में महिला की कुंडली के सातवें, आठवें और दसवें भावों में बुध अथवा शुक्र विराजमान हों तो इस बात की काफी संभावना होती है कि वह महिला वेश्यावृत्ति में चली जाए। खासतौर पर यदि शुक्र और मंगल कुंडली के सातवें अथवा दसवें भाव में विराजमान हों। यह योग अगर अन्य क्रूर ग्रहों की युति एवं दृष्टि से बने तो महिला का जीवन तबाह हो जाता है। उसे अपने जीवन का काफी समय वेश्यावृत्ति में बिताना पड़ता है।
4. -उच्च का चंद्रमा गंदे प्रेम प्रसंग में सफलता प्रदान करता है लेकिन यही जब नीच राशि में स्थित होता है तो जीवन में वेश्यावृ़ित्त लेकर आता है।
5. अगर महिला की कुंडली में नीच का चंद्रमा हो और अन्य ग्रह शुभ न हों तो वह भविष्य में देह व्यापार का मार्ग चुन लेती है। इस प्रकार शुक्र, मंगल और चंद्रमा का व्यापारिक देह संबंध महिला के जीवन की राह निर्धारित करता है।
6. -तुला राशि में चन्द्रमा और शुक्र की युति जातक की काम वासना को कई गुणा बड़ा देती है । अगर इस युति पर राहु-मंगल की दृष्टि भी तो जातक अपनी वासना की पूर्ति के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
7. शनि और राहु का संबंध ज्योतिष शास्त्र में अशुभं माना जाता। यह महिलाओं के लिए बहुत कष्टपूर्ण होता है। इन दोनों ग्रहों का संबंध वेश्यावृत्ति का योग बनाता है।
8. इसी प्रकार अष्टम में शुक्र या शनि, शुक्र व मंगल की युति किसी महिला के जीवन का कड़ा इम्तिहान लेती है और उसे देह व्यापार में धकेल देती है। शुक्र और राहु का योग भी वेश्यावृत्ति के लिए जिम्मेदार होता है।
9. किसी महिला की कुंडली में शुक्र और मंगल का आपस में संबंध हो अथवा यह दोनों ग्रह पीडित हों।
10. कुंडली में चंद्रमा ग्रह नीच स्थान में अथवा पीडित हो तो भी स्त्री के देह व्घ्यापार में आने की संभावना प्रबल हो जाती है।
11. शुक्र ग्रह का अष्टम भाव में होना, शनि-शुक्र की युति होना और शनि, शुक्र और मंगल की युति होने पर।
12. जिस स्त्री की कुंडली में शुक्र और राहु की युति बन रही हो उसके देह व्घ्यापार से जुड़ने की संभावना रहती है।
13. कुंडली में अष्टमेश का प्रबल होना, चंद्रमा बारहवें भाव में उपस्थित होना एवं दशम भाव में राहु का उपस्थित होना बहुत ज्यादा खराब स्थिति को दर्शाता है। शनि और राहु के संबंध में भी वैश्यावृत्ति के योग बनते हैं।