सर्पदंश से मरे व्यक्ति को जीवित किया

यह रोचक और अलौकिक घटना मेरे एक बुजुर्ग मित्र श्री संतोष कुमूार त्रिपाठी जो पेशे से एडवोकेट है। ने मुझे 8 अप्रैल 2019 की रात 10 बजे अपने निवास के पास सुनाई मेरा उनसे परिचय 1995 मे एक मित्र स्व संजय मिश्रा के द्वारा हुआ वो मेरे ज्योतिष ज्ञान और पेशे मे गहरी रूचि रखते थे उन्होने उन्हींे दिनो सर्दी की एक रात यह घटना सुनाई थी जिसकी यादें घुंधली हो गई थी अतः उन्हें पुराने प्रसंग की याद दिलाते हुये उनसे अपना अनुभव दोहराने की प्रार्थना की घटना उनके ही शब्दो मे मै 1964 मे इंटर का छात्र था उन दिनों लखनऊ के अधिकांश क्षेत्रो मे बिजली नही आई थी मै अक्सर अपने दोस्तो के साथ निशातगंज पुल के आपस पास के मंदिरों मे अपना समय गुजारता था उन दिनों गोमती नदी के किनारे भैंसा कुंड शमशान पर एक पतावर की मढैया मे एक बेहद काला कलूटा करीब 45 वर्ष का औघड़ रहा करता था निशातगंज 7 वीं गली के कुछ मछुवारों के साथ अक्सर मै भी अपने दोस्तों साथ वहां जाता और साधू की सेवा करता था अक्सर शराब की बोतल जो उन दिनों नौ रूपये की आती थी साधू को देता था साधू कभी कभी मुर्दें के मांस का भी भक्षण करता था गर्मी की एक शाम करीब शाम बजे जब मै अपने दोस्तों के साथ शमशान मे बैठा था साधू लकड़ी के टाल पर बैठा शराब पी रहा था तभी पास की कुछ धोबी धोबिनों के रोने पीटने का भारी शोर उत्पन्न हुआ औघड़ चीखा क्या बात है। यह शोर क्यांे मचा रखा है। हम सब साधू के साथ वहां पहुँचे तो पता चला कि एक आदमी को सांप ने काट लिया साधू ने कहा हटो देखे क्या बात है। हमने साफ तौर पर देखा कि एक आदमी जमीन पर बेहोश था उसकी सांस व धड़कन बंद चुकी हम सब बुरी तरह घबड़ा गये तभी साधू ने पीड़ित व्यक्ति का मुआयना करे कहा अरे यह मरा कहाँ है। यह तो जीवित है और मृतक को एक झापड़ मार कर कहा चल उठ वह युवक ऐसे उठ गया जैसे वो नींद से जागा हो हम सब युवक मरीज और आस-पास की भीड़ मे व्यस्त हो गये तभी साधू चुपचाप पतौरा मे चला गया हमने उसे पतावर मे जाते देखा फिर वो गायब हो गया हमने अदंाजा लगाया कि वो नदी पार करके चला गया फिर हमने महीनों उस साधू की खोज की पर वह दुबारा नही मिला। 
     


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