आपातकालीन स्थिति में कला विषय पर परिचर्चा

शाश्वत साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्था द्वारा रंग संवाद ऑनलाइन परिचर्चा ‘आपातकालीन स्थिति में कला’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें वरिष्ठ नाट्य साहित्यकार श्री अजीत पुष्कर की अध्यक्षता में शहर के रंग कर्मियों ने उक्त विषय पर अपने अपने विचार रखें शहर की वरिष्ठ रंगकर्मी मीना उरांव ने कहा कि कला और साहित्य करो बहुत व्यापक होता है हम देखते हैं कि जब जब हमारे सामने आपातकालीन स्थिति आती है तब तक कला और साहित्य से हमें बल मिलता है इसी क्रम में शहर की युवा निर्देशक आलोक नायर ने कहा इस समय पूरी दुनिया जिस संक्रमण से जूझ रही है उसके संक्रमण होने के तीव्रता के कारण इस वायरस ने हम लोगों को बहुत दूर कर दिया है ऐसे समय में रहकर रंगमंच जो एक जीवंत कला होने के साथ सामूहिक कला भी है इससे प्रभावित हुई है
रंगकर्मी ज्योतिर्मयी हिंदुस्तान अकैडमी की अभिव्यक्ति के तमाम रास्ते हैं जिनके माध्यम से अपने नीचे को समाज से जोड़ा जा सकता है इसी क्रम में समन्वय रंगमंडल की सचिव सुषमा शर्मा कहती है किसी भी देश में कला की स्थिति उस देश के लोगों की बौद्धिक क्षमता उच्चता को निर्धारित करती है आधारशिला के सचिव अजय केसरी का कहना है आज जिस देश में महावारी के संकट से जूझ रहा है हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है हम कला के माध्यम से लोगों को जागरूक और दूसरे के प्रति संवेदनशील बना सके ही हमारे नैतिक जिम्मेदारी बनती है डॉक्टर अनुपम आनंद रंगकर्मी का कहना है कि यह समय अकेलेपन से एकांत की यात्रा है एक आत्मा लोकन का अवसर भी देता है यही सर्जनात्मक पल उपलब्ध करता है युवा रंगकर्मी मनीष का कहना है कि कलाकारों ने सोशल मीडिया पर प्रस्तुतियां भी दी और कहानी नाटक गीत पेंटिंग साहित्य के तमाम माध्यम से जनता को सुझाव और तनाव दूर करने का प्रयास भी कर रहे हैं कलाकार इसी क्रम में रमा मंटोस का कहना है कि बचपन से ही सुनते आए हैं कि माहवारी ऐसी होती भी है कि लोग घर छोड़कर बचने के लिए इधर-उधर भागते हैं ऐसी स्थिति में हम कलाकारों को आर्थिक बंटिंग करनी चाहिए जिससे एक दूसरे की मदद हो सके और अंत में कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री अजीत पुष्कर का कथन है आपातकालीन स्थितियों का अतीत से बड़ा रचनात्मक संबंध रहा है जल प्रलय अकाल युद्ध जैसी आपातकालीन स्थितियों में विपुल साहित्य रचा गया है इस पीड़ा में आज का कलाकार सांसे ले रहा है इसके बावजूद सृजनशील है संघर्षरत है और कार्यक्रम के अंत में परिचर्चा का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन शाश्वत संस्था की सचिव ऋतंधरा मिश्रा ने किया।


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