पाखंड पर करारा प्रहार करते हैं महरानी: धीरज

सात्विक विचारों के धनी कवि नरेश जी मानव जीवन मे व्याप्त पाखंड और आडंबरों पर प्रहार करते हुए नैतिक मूल्यों की अवमूल्यन पर चिंतित हैं। लोग सच कहने से कतरा रहें हैं और अन्याय को सह रहें हैं। एक दोहे में कवि ऐसो को आईना दिखाते हुए कहता है- ‘चुप चुप बैठे लोग हैं, नहीं कोई आवाज/सच की भाषा बोल के, किसे करूं नाराज।’ कवि महारानी जी साहित्यिक ऊर्जा से भरे हूए पवित्र भाव से ओत प्रोत युवा कवि हैं। इन्होने अन्य विषयों पर भी बहुत ही अच्छे दोहो की रचना की है। यह बात वरिष्ठ कवि जमादार धीरज ने गुफ्तगू आयोजित ऑनलाइन साहित्यिक परिचर्चा में नरेश महरानी के दोहे विचार व्यक्त करते कहा। मनमोहन सिंह तन्हा ने कहा कि नरेश महारानी एक बेहतरीन शब्द शिल्पी हैं जिनकी शब्द रचना उनके दोहों में बहुत खूबसूरती से नजर आती है, वैसे भी दोहा एक ऐसी विधा है जो साहित्य जगत की सबसे कम शब्दों में सबसे मारक क्षमता रखती है। नरेश के दोहे समाज, देश, राजनीति, अध्यात्म या यूं कह लें कि सभी विषयों पर अपनी पूरी पकड़ रखते हैं। कवयित्री सुमन ढींगरा दुग्गल के मुताबिक हिंदी के प्राचीन छंद ‘दोहे’ में कवि नरेश महारानी ने अपार भाव सम्पदा का समावेश किया है। छंदों के कठोर बंधन में बंधे होने पर
भी इनकी दोहा शैली सरल और सहज है। अवधी भाषा व खड़ी बोली का प्रयोग सुंदरता से किया गया है।कई दोहे अपने कहन के कारण बेजोड़ हैं।
ऋतंधरा मिश्रा ने कहा कि नरेश महारानी जी के बारे में मैं कहना चाहूंगी कि वह एक अच्छे इंसान हैं और जब एक अच्छा इंसान साहित्य का सृजन करता है तो वह बड़ी ही इमानदारी से अपनी परख रखता है। दोहों को पढ़कर लगा नरेश जी अपने साधारण जीवन के अंदर एक गहरी सोच रखने वाले एक ऐसे रचनाकार है जो समाज मानव साहित्य अध्यात्म और राजनीति पर कटाक्ष करते हुए बहुत ही बारीकी से अपनी बात रखते हैं। कवि संजय सक्सेना ने कहा कि नरेश महारानी ने अपने दोहे में समाज मे निरंतर होने वाली व्याधियों पर तंज करते हुए, लोगो को उन व्याधियों के प्रति आगाह किया है। इनके अलावा तामेश्वर शुक्ल ‘तारक’, डॉ. ममता सरूनाथ, सागर होशियारपुरी, रमोला रूथ लाल ‘आरजू’, शगुफ्ता रहमान, शैलेंद्र जय, नीना मोहन श्रीवास्तव, इश्क सुल्तानपुरी, अनिल मानव, प्रभा शंकर शर्मा, अर्चना जायसवाल, रचना सक्सेना और डाॅ. नीलिमा मिश्रा ने भी विचार व्यक्त किए। संयोजन गुफ्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज अहमद गाजी ने किया। गुरुवार को सम्पदा मिश्रा के काव्य संग्रह ‘बस हमारी जीत हो’ पर परिचर्चा होगी।
  


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