नफरत मिटाने की बात करते हैं डाॅ. समर: रचना

प्रयागराज। डाॅ. इम्तियाज समर एक सजग गजलकार हैं, गजल की कसौटी पर खरी गजलें कहते हैं और अपनी शायरी के जरिए समाज से नफरत मिटाने की बात करते हैं। आज के समय में हमारे देश को ऐसे की गजलकार की आवश्यकता है। जिंदगी के दर्द में डूबी, अमन चैन की हवा को चूमती, प्यार मोहब्बत के भावना को रेखांकित करती इनकी गजलें बहुत ही खूबसूरत हैं। वह कहते हैं-’हम ऐसे शख्स को जालिम करार देते हैध्मसलकर फूल जो खूशबू की बात करता है।’ आपकी शायरी संवेदनशील है, आप एक सजग रचनाकार हैं। यह बात गुफ्तगू द्वारा आयोजित ऑनलाइन साहित्यिक परिचर्चा में रचना सक्सेना ने डाॅ. इम्तियाज समर की शायरी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही। 
जमादार धीरज के मुताबिक मुहब्बत और सद्भाव के शायर इम्तियाज समर नफरत से दूर रह कर प्यार विश्वास और देशभक्ति से लबरेज जिंदगी जीने के साथ जीवन के उतार चधाव में वक्त की नजाकत के साथ जीने की कला सीखने का सन्देश अपनी विभिन्न गजलों के माध्यम से देते हंै। कहते हैं-कि इस चमन में लहू
है तुम्हारे पुरखों काध्कभी न फूलों की नी लाम आबरू करना।’ उन्होंने हिंदी और उर्दू को गंगा जमुनी तहजीब के रूप में सम्मान दिया है जिसे हिन्दुस्तानी जुबान कहा जाता है। यह बात उनकी गजलों की भाषा में स्पस्ट दिखता भी है। डाॅ. नीलिमा मिश्रा ने कहा कि डाॅ. इम्तियाज समर की शायरी हम सब को समरसता का पैगाम देती हैं। एक ऐसा शायर जो हिन्दोस्तान की सरजमीं को स्वर्ग से बढ़कर मानता है और जिसके दिल में मादरेवतन की जुबान हिन्दी और उर्दू दोनों के लिए प्यार और सम्मान है। आप मानव मनोविज्ञान को बड़ी शाइस्तगी से बयां करते हैं और किस परिस्थिति में क्या करना चाहिये इसकी नसीहत भी देते हैं, कहते हैं-’नहीं जिसको सलीका बोलने काध्वही सबसे जियादा बोलता है।’ आपके दिल में नारियों, मजलूमों और पूरे समाज के लिये दर्द और फिक्र का सैलाब है, जो आपकी कलम की ताकत बनकर शायरी में उतरता है। अतिया नूर ने कहा कि इम्तियाज सम की शायरी उनकी शख्सियत का आईना है। उनकी गजलों के पर्दे में उनकी शख्सियत बोलती है। जब वो कहते हैं-‘गमे दिल की कहानी लिख रहे हैं/कि हम ऑंसू को पानी लिख रहे हैं।’ तो ऐसा लगता है कि उन्होंने अपना कलेजा निकालकर रख दिया है। डॉ. इम्तियाज समर एक ऐसे बेहतरीन शायर का नाम है जिसे अलफाज से खेलने का हुनर बखूबी आता है, बिल्कुल जादूगरों की तरह वो ऐसी गजलें, ऐसे अशआर कहते हैं कि पढ़ने और
सुनने वाला बहुत देर तक उस जादू की गिरफ्त में बना रहता है। इनके अलावा मनमोहन सिंह तन्हा, सागर होशियारपुरी, डाॅ. सुरेश चंद्र द्विवेदी, सुमन ढींगरा दुग्गल, अर्चना जायसवाल सरताज, शगुफ्ता रहमान, डॉ. ममता सरूनाथ, ऋतंधरा मिश्रा, नरेश महारानी, प्रिया श्रीवास्तव ‘दिव्यम’, इसरार अहमद और रमोला रूथ लाल ‘आरजू’ ने भी विचार व्यक्त किए। संयोजन गुफ्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज अहमद गाजी ने किया। गुरुवार को डाॅ. जमीर अहसन द्वारा रामचरित मानस को उर्दू शायरी में अनुवाद किए गए पुस्तक पर परिचर्चा होगी।


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