नियम विरुद्ध तरीके से टेण्डर प्रकाशित कराये जाने पर डीडीओ, तत्कालीन डीपीआरओ के निलम्बन की संस्तुति भेजी


आजमगढ़। मण्डलायुक्त कनक त्रिपाठी के निर्देश पर हुई जाॅंच में ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों के लिए प्रकाशित कराये जाने वाले टेण्डर्स में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता किये जाने, टेण्डर प्रकाशित कराये जाने की कार्य प्रणाली पूर्णतया विसंगतिपूर्ण एवं सरकारी नियमों के विपरीत पाये जाने पर उन्होंने सख्त नाराजगी व्यक्त करते हुए पर्यवेक्षणीय अधिकारी के रूप में जिला विकास अधिकारी रविशंकर राय एवं तत्कालीन जिला पंचायत राज अधिकारी श्रीकान्त दर्वें को इसका उत्तरदायी एवं दोषी मानते हुए उन्हें निलम्बित करते उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही संस्थित किये जाने की संस्तुति शासन को भेज दी है। इसके साथ ही उन्होंने सम्बन्धित समस्त सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) एवं ग्राम पंचायत अधिकारियों-ग्राम विकास अधिकारियों के विरुद्ध भी सख्त कार्यवाही किये जाने का निर्देश दिया गया है। मण्डलायुक्त श्रीमती त्रिपाठी ने इस सम्बन्ध में बताया कि विगत दिनों नगर के मुहल्ला गुरूटोला निवासी एक व्यक्ति ने इस आशय का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था कि जनपद आजमगढ़ में 1871 ग्राम पंचायतों में ग्राम प्रधानों से प्राप्त कार्ययोजना का ग्राम पंचायत अधिकारियों-ग्राम विकास अधिकारियों द्वारा नियमों की अनदेखी कर सर्वाधिक पढ़े जाने वाले अखबारों के बजाय ऐसे समाचार पत्रों के टेण्डर प्रकाशित कराया जाता है जिसके बारे में किसी को जानकारी भी नहीं हो पाती है। उक्त प्रार्थना पत्र में टेण्डर प्रकाशन की इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता की भी संभावना व्यक्त की गयी थी।
मण्डलायुक्त कनक त्रिपाठी ने बताया कि प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए इसकी जाॅंच हेतु समिति का गठन किया गया जिसमें अपर आयुक्त (प्रशासन) अनिल कुमार मिश्र को अध्यक्ष तथा उप निदेशक राष्ट्रीय बचत डा. विजय नाथ मिश्र एवं जेडीसी कार्यालय के सहायक लेखाधिकारी अनिल राय को सदस्य के रूप में नामित किया गया। जाॅंच समिति ने अपनी आख्या में अवगत कराया कि जिला पंचायत राज अधिकारी से प्रति विकास खण्ड की तीन बड़ी ग्राम पंचायतों की टेण्डर विषयक पत्रावलियों के साथ आख्या भी प्राप्त की गयी, जिसमें पाया गया कि नियमानुसार एक लाख रुपये से ऊपर की परियोजनाओं के लिए दो प्रचलित समाचार पत्रों में विज्ञापन का प्रकाशन कराया जाना आवश्यक है। किन्तु ग्राम पंचायतों द्वारा केवल एक समाचार पत्र में विज्ञापन का प्रकाशन कराया गया है और उसमें भी अधिकांश ग्राम पंचायतों द्वारा ऐसे समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित कराया गया है जिनका प्रचलन अल्प मात्रा में है या नही ंके बराबर है। उन्होंने यह भी बताया कि जाॅंच समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया है कि ग्राम पंचायतों द्वारा टेण्डरिंग प्रक्रिया में पारदशर््िता नहीं बरता जाना उनकी संदिग्ध एवं दोषपूर्ण कार्य प्रणाली का परिचायक है। जाॅंच समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी अवगत कराया है कि ग्राम पंचायतों द्वारा ऐसे समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित कराये जाने से उनके द्वारा अपने चिन्हित आपूर्तिकर्ताओं से मनमाने ढंग से सामग्री की आपूर्ति करने की मंशा को दर्शाता है। यह भी उल्लेख किया गया है कि यदि टेण्डर प्रक्रिया नियमानुसार की जाती तो दरों के काफी प्रतिस्पर्धी और कम होने की सम्भावना रहती तथा नियमों के अनुपालन के साथ साथ शासकीय धन की बचत भी होती। जाॅंच समिति की आख्या में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि इस विचलन के लिए पर्यवेक्षण्ीय अधिकारी के रूप में जनपद स्तर पर तत्कालीन जिला पंचायत राज अधिकारी श्रीकान्त दर्वे एवं जिला विकास अधिकारी रविशंर राय ग्राम पंचायतों द्वारा की जा रही वित्तीय अनियमितता एवं अभिलेखों के विसंगतपूर्ण रख रखाव के लिए दोषी एवं उत्तरदायी हैं। इसके अलावा जाॅंच समिति द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया है कि सम्बन्धित समस्त सहायक विकास अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत अधिकारी भी समान रूप से जिम्मेदार एवं दोषी हैं। मण्डलायुक्त श्रीमती त्रिपाठी ने कहा कि जाॅंच में टेण्डरिंग प्रक्रिया एवं अन्य स्तरों पर पाई गयी अनियमितताओं के परिप्रेक्ष्य में जिला विकास अधिकारी रविशंकर राय एवं तत्कालीन डीपीआरओ श्रीकान्त दर्वे को निलम्बित करते हुए इनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही संस्थित किये जाने की संस्तुति शासन को भेज दी गयी है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रकरण में संलिप्त अन्य समस्त दोषियों के विरुद्ध भी इसी प्रकार की कार्यवाही किये जाने हेतु स्थानीय स्तर पर निर्देशित किया गया है।


 


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