दुकान में कोई खुली आतिशबाजी न रखें, न करे प्रदर्शित


 

जिलाधिकारी रायबरेली श्रीमती माला श्रीवास्तव ने दीपावली पर्व को दृष्टिगत आतिशबाजी को देखते हुए पुलिस अधीक्षक, एडीएम, नगर मजिस्ट्रेट, समस्त एसडीएम आदि को निर्देश दिये है कि दीपावली पर्व पर आतिशबाजी के सम्बन्ध में सभी सुरक्षात्मक उपाय करते हुए यह सुनिश्चित किया जाय कि पटाखों के विनिर्माण, भण्डारण व विक्रय एवं आतिशबाजी के समय किसी प्रकार की दुर्घटना घटित न होने पाये जिससे किसी भी प्रकार की सम्भावित जन-धन हानि को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि दीपावली के पर्व पर जनपद में स्थायी तथा अस्थायी लाइसेंस धारकों द्वारा पटाखों का भण्डारण एवं विक्रय किया जाता है। लाइसेन्स की शर्तों का शत-प्रतिशत अनुपालन न करने तथा असावधानी के कारण कभी-कभी बड़ी दुर्घटनाएं घटित होती है, जिसके कारण जन-धन की हानि होती है। पुलिस तथा अग्निशमन विभाग की देखरेख में विस्फोटक नियम 2008 के सुसंगत नियमों एवं कोविड-19 के नियमों का पालन सुनिश्चित कराते हुए ही आतिशबाजी की दुकानें लगाई जाये।
जिलाधिकारी श्रीमती माला श्रीवास्तव ने शासन द्वारा दिये गये निर्देशों की जानकारी देते हुए बताया है कि पटाखों के दगाने के स्थान से 4 मीटर की दूरी पर 125 डी0बी0 (ए0आई0) अथवा 145 डी0बी0(सी0) पी0के0 से अधिक ध्वनि तीव्रता उत्पन्न करने वाले पटाखों का उत्पादन एवं विक्रय निषिद्ध किया जाता है। रात्रि 10 बजे के बाद आतिशबाजी/पटाखों का प्रयोग नही किया जाएगा। शान्त क्षेत्र में किसी भी समय पटाखे नही छोड़े जाएगे। शान्त क्षेत्र अस्पताल, शैक्षिक क्षेत्र, न्यायालय, धार्मिक स्थल या सक्षम प्राधिकारी द्वारा घोषित अन्य किसी क्षेत्र से 100 मीटर की परिधि का क्षेत्रफल होगा। यदि 18 वर्ष की आयु के बच्चों के साथ वयस्क व्यक्ति न हो तो उनको आतिशबाजी न बेचे। दुकान के अन्दर आतिशबाजी एवं ग्राहकों की भीड़ एकत्रित न होने दें एवं कोविड-19 के नियमों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाये। दुकान में कोई खुली आतिशबाजी न रखें/न प्रदर्शित करें। आतिशबाजी को कब्जे में रखने एवं विक्रय के दौरान धूम्रपान की अनुमति न दे अथवा कोई खुली लैम्प, लालटेन, मोमबत्ती आदि न रखें। पर्याप्त संख्या में अग्निशामक एवं बालू से भरी बाल्टियां उपलब्ध रखें। ढीले-ढाले कनेक्शन वाले विद्युत लाइट का प्रयोग न किया जाये। सुरक्षा के हित में दुकान के सामने आतिशबाजी के डिब्बे (खाली या भरे) एकत्रित न किये जाये। ‘‘बच्चों को पटाखे नहीं चाहिए’’ का नारा बुलंद करने के लिये प्रोत्साहित किया जाये। विदेशी आतिशबाजी का क्रय-विक्रय नहीं किया जायेगा। केवल हरित पटाखों का ही विक्रय किया जायेगा।

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