सर्वराहाकार महंत दिव्यजीवन दास को सुपुर्दगी में मिली जमीन

- संदीप रिछारिया, सहायक संपादक

भगवान की लीला अजीब है, श्रीचित्रकूटधाम में जहां एक ओर यज्ञवेदी मन्दिर पर विराजमान जमानत पर चल रहे गोपाल जी तो दूसरी तरफ शुक्रवार को अदालत के आदेश पर कोर्ट के अमीन ने निर्मोही तिराहा पर सरयू नदी के किनारे की लगभग चार बीघा व्यवसायिक जमीन को खाली कराकर महंत दिव्यजीवन दास जी महराज को सुपुर्द किया। 

मामला कुछ इस प्रकार है, लगभग तीस साल पहले निर्मोही अखाड़े के पास सरयू नदी के किनारे लगभग चार बिस्वा से कुछ ज्यादा जमीन पड़ी हुई थी। जिस पर एक पूर्व अध्यक्ष ने जबरन उस पर कुछ दुकानें व एक सुलभ काम्पलेक्स पूर्व महंत के रोकने के बाद भी बना दिया था। इस मामले को लेकर वर्तमान महंत ने अदालत की शरण ली। लगभग तीस साल तक चली अदालती कार्यवाही ने माना कि नगर पालिका ने जबरन भगवान की जमीन पर अवैध कब्जा किया हुआ है। पिछले दिनों अदालत ने भगवान के पक्ष में फैसला कर दिया। फैसले को लेकर दुकानदारों में रोष भी दिखाई दिया, दुकानदारों ने इस बात को लेकर नगर पालिका परिषद को तमाम लानत मलानत भेजी। शुक्रवार को अदालत के आदेश पर पुलिस सुरक्षा के साथ कोर्ट अमीन ने आकर जेसीबी की सहायता से सात दुकानों व सुलभ कांम्पलेक्स को गिरवाकर सर्वराहाकार महंत दिव्यजीवन दास के सुपुर्द कर दिया। 

महंत दिव्य जीवनदास जी महराज ने कहा, उन्होंने भगवान की तरफ से मुकदमा लगभग 30 साल तक लगड़ा। जीत सत्य की हुई है। 

राहुल गांधी दो बार खा चुके हैं लौकी की बरफी 

ध्वस्त की गई दुकानों में एक मिठाई व नास्ते की दुकान दिनेश कुमार मोदनवाल की भी थी। इस दुकान में दो बार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आकर लौकी की बरफी खाई। दिनेश ने बताया, वह यहां से राहुल गांधी के पास कई बार लौकी की बरफी भेज चुके हैं। उन्होंने कहा, नगर पालिका ने उनके साथ छल किया है। जब उनकी जमीन नही थी तो हमें क्यों दी गई थी।



 

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