नाड़ी ज्योतिष बताये आपकी आयु

- डा. डी एस परिहार

दव्य ज्योतिष गन्थों जैसे भृगु संहिता, रावण संहिता और नाड़ी ग्रन्थो मे जातक की मृत्यु के वर्ष तथा कहीं कहीं माह तिथी तक का सटीक वर्णन पाया जाता है। जो कभी कभी गलत भी हो जाता है। यद्यपि माता पार्वती ने ज्योतिषियों को तीन बातों की भविष्यवाणी करना निषेघ बताया है बल्कि कहा है। कि ऐसै ज्योतिषी पर शाप लगता है। किसी के अवैध संबध, जीवन पर्यन्त चलने वाली निर्धनता और आयु। परन्तु कुछ विषेष परिस्थितियों मे  आयु व अंय बातों को बताना अनिवार्य हो जाता है यदि इससे जातक या उसके परिजनों का भला होता है तब। नाड़ी ग्रन्थों की श्रंखला मे एक ग्रन्थ है भृगु नंदी नाड़ी। इसके फल आश्चर्यजनक रूप से सत्य होते है। भृगु नंदी ग्रहों के कारकत्व, उनकी राशियों उनके शत्रु मित्रों व परस्पर स्थितियों के सिद्धान्त पर आधारित है। इसमे आयु निर्णय के लिये शनि व गुरू का आधार लिया है यद्यपि कई विद्वानों जैसे दिनेश चन्द्र नेगजंधी, के राजेश गुरू श्री निवास शास्त्री शंकर एडवाल सत्य नारायन जी ने भृगु नंदी पर रिसर्च की है । परन्तु इस विषय पर विद्वान लेखक के राजेश गुरू ने पुस्तक ‘सरफरोशः ए नाड़ी एक्सपोजिशन ऑफ द लाईफ ऑफ इन्डियन रिवाल्वनेशरीज‘ अद्वितीय पुस्तक लिखी है। जिसमे उन्होने भृगु नाड़ी के सिद्धान्तों पर भारत के 108 क्रान्तिकारियों, स्वतंत्रता सेनानियों, देशभक्तों ,संतों की कुडलियों का विद्वतता पूर्ण ज्योतिषीय विश्लेषण

किया है। और महत्वपूर्ण सूत्र दिये है।

1. आयु के लिये गुरू व शनि से 10 वे व 11 वे भाव को अवश्य देखे गुरू पुण्य और जीवन तथा शनि कर्मों की यात्रा व उनके फल है।

2. यदि गुरू से 2/12 तथा 7 वां भाव खाली हो तो जातक अल्पायु हो

3. यदि गुरू अपने दो शत्रु ग्रहों शुक्र व राहू, या बुध या राहू या बुध व शुक्र से संबध बनाये तो जातक अल्पायु हो

4. कन्या शत्रु राशि मे गुरू द्वितीय मे राहू व 12 भाव मे बुध हो तथ गुरू से 7 वां भाव खाली हो तो व गुरू से 3, 4, 5, भाव खाली हो तो जातक अल्पायु हो।

5. मीन में राहू शुक्र योग हो उससे  2/12 भाव खाली 11 वे भाव मे शुक्र चन्द्र व केतु योग 10 वें सूर्य बुध मिथुन मे वक्री शनि वृष का फल देगा इससे शनि शुक्र मे राशि परिवर्तन हो जातक की आयु कम हो 

6. गुरू के पीछे पाप ग्रह हों तथा उससे अगले भाव खाली हो तो अल्पायु योग हो 

5. यदि आयु कारक शनि से पापकर्तरी मे 12 वें शत्रु ग्रह चन्द्र व द्वितीय शत्रु ग्रह सूर्य बुध कर्क जल राशि मे है। शनि शत्रु कर्तरी योग मे है। तो अल्पायु योग दे।

6. मीन मे गुरू राहू योग उससे 2/12 भाव खाली गुरू से 11 वें शुक्र चन्द्र केतु व 10 वे मे सूर्य बुध व चतुर्थ मे मिथुन  मे वक्री शनि वा सूर्य बुध की दृष्टि मकर के शुक्र का वृष के शनि से राशि परिवर्तन हो जातक अल्पायु हो

7. गुरू के पीछे पाप ग्रह हों तथा आगे भाव खाली हो अल्पायु हो

8. गुरू से 2/12 भाव खाली व 7 वें मे शत्रु ग्रह अल्पायु हो

9. गुरू से द्वितीय शुक्र व 7 वें व भाव मे शत्रु ग्रह अल्पायु हों।

10. शनि के आगे केवल शत्रु ग्रह अल्पायु हो। 

11. शनि से 2, 7, 12 भाव खाली। या शनि वक्री हो तो जातक अल्पायु हो 

12. गुरू से 10 वां 11 वां भाव खाली अल्पायु हो

13. मेष मे गुरू से 11 वे भाव मे मंगल तथा 2, 7, 10, 12 भाव खाली अल्पायु हो

मध्यायु योग-

1. गुरू से 7 वे शत्रु ग्रह सूर्य शनि ,चन्द्र व बुध मध्यायु दे।

2. गुरू पर शत्रु व मित्र दोनो का प्रभाव मध्यायु दे

3. मेष का वक्री गुरू मीन मे जाये उससे 11 भाव मे शपि पापकर्तरी मे हो शनि से 12 व 2 भाव मे मंगल व चन्द्र  हो तो जातक मध्यायु हो।

4. तुला मे गुरू 12 वें शनि द्वितीय मे राहू, व 7 वें मंगल मध्यायु दे।

5. गुरू से 12 वें बुध हो व 7 वें मे मंगल शनि से युत हो मध्यायु दे।

दीर्घायु योग-

1. गुरू से 7 वे शनि व वक्री बुध दीर्घायु योग है। 

2. गुरू से द्वितीय शनि व तृतीय सूर्य बुध दीर्घायु बनाता है। 

3. गुरू से 11 वे सूर्य बुध व 10 वें शनि लंबी आयु दे।

4. गुरू से 10 वे सूर्य बुध व 11 वें शनि दीर्घायु योग दे।

5. गुरू पर सूर्य बुध शनि का प्रभाव दीर्घायु दे।

6. गुरू से 11 वे मंगल व 10 वें शनि लंबी आयु दे। 

7. गुरू पर बुध शनि का प्रभाव दीर्घायु दे।

ाृगु ंिबंदू-भृगु ंिबंदू का वर्णन भृगु नंदी नाड़ी मे मिलता है। जिसकी खोज चंदू लाल पटेल ने की थी और उसे 1997 मे आई अपनी पुस्तक ‘ प्रेडिक्शन थ्रू नवांश एंड नाड़ी एस्ट्रोलॉजी मे भृगु ंिबदू जंमस्थ चन्द्र व राहू की स्थितियों का मध्य बिंदू है। जिसमे चन्द्रमा आगे रखा जाता है राहू और चन्द्रमा के राशि अंशों को जोड़ो तथा योगफल को दो से भाग देा जो राशि अंश आये वही भृगु बिंदू होगा भृगु बिंदू दो होते है पहला भृगु बिंदू दूसरा उससे 7 भाव के राशि अंश। इससे या इससे त्रिकोण मे जब पापी ग्रहों का गोचर होगा तब जातक या उसके परिवार मे की मृत्यु या उसकों मृत्यु तुल्य कष्ट आयेगा 

पिता की आयु-1. यदि सूर्य से 2/12 तथा 7 वां भाव खाली हो तो पिता अल्पायु हो

2. सूर्य जल राशि कर्क मे शत्रु ग्रह शुक्र युत हों 12 वें शत्रु शनि हो तथा सूर्य से 2/7 भाव खाली पिता अल्पायु हो 

3. गुरू का सूर्य शनि राहू पर गोचर पिता का अशुभ समय चले। 

4. सूर्य शनि राहू योग पर सूर्य का गोचर मृत्यु का माह बतायेगा 

5. सूर्य शनि से दृष्ट हो तथा सूर्य सें द्वितीय शत्रु शुक्र हो  पिता अल्पायु हो। 

6. सूर्य से द्वितीय शनि शुक्र योग व 12 वे ंराहू हांे सूर्य शत्रु ग्रहो ंसे घिरा पिता अल्पायु। सूर्य नीच का हो तो अल्पायु या रोगी या अति संघर्ष भोगे।

माता की आयु-

1. तुला मंे चन्द्र नीचगामी हो व दो शत्रु ग्रहों बुध व शनि से 2/12 भाव मे घिरा हो या चन्द्र से द्वितीय शुक्र केतु योग हो मां अल्पायु हो।

2.यदि चन्द्र से 2/12 तथा 7 वां भाव खाली हो तो माता अल्पायु हो

पति की मृत्यु-पति की आयुु मंगल से 7 वे 8 वें भाव से देखी जाती है। मंगल से 7 वें राहू व 12 वे ंशत्रु ग्रह शनि या मंगल से 2, 7, 12 भाव खाली पति अल्पायु होगा 

भाई की आयु-कन्या मे गया शनि पापकर्तरी में। 12 चन्द्र द्वितीय मे सूर्य बुध कर्क जलीय राशि मे भाई अल्पायु हो या मंगल से 12 वे दो शत्रु ग्रह शनि व शुक्र है। जो अल्पायु दे या मंगल शनि युत व 12 वें बुध मध्यायु दे मंगल से 2/7/12 भाव खाली हो पति अल्पायु हो।

पत्नी की आयु-शुक्र से द्वितीय दो पापी ग्रह गुरू व सूर्य तथा तृतीय मे राहू पहली पत्नी मरे। शुक्र से 2/7/12 भाव खाली हो पत्नी अल्पायु हो।

ंसंतान-सूर्य से 2/7/12 भाव खाली हो संतान या पुत्र अल्पायु हो।

हिंसक मृत्यु-गुरू का गोचर मंगल से हो तथा उसी समय राहू मकर के चन्द्र निकल कर धनु के राहू से निकले। गुरू  के आगे राहू मंगल शनि व चन्द हो हिसंक व अस्वाभाविक मृत्यु हो गुरू के आगे राहू केतु, मंगल व चन्द्र आदि हिसंक ग्रह हो हिसंक व अस्वाभाविक मृत्यु हो जंम राशि पर चन्द्र ग्रहण पड़े। गुरू पर मंगल राहू का प्रभाव युद्ध मे मृत्यु हो 

शनि पापकर्तरी मे तथा शनि के आगे गुरू व गुरू के आगे जातक को मृत्युदंड मिलेगा ( गुरू के पीछे शनि व आगे राहू हो मृत्युदंड हो।

स्वभाविक मृत्यु-गुरू सूर्य युत या दृष्ट व गुरू के आगे बुध शुक्र चन्द्र व सूर्य हो तथा राहू केतु मंगल शनि ना हो।

भृगु नाड़ी के कूछ विशेष सूत्र- पुरूष जमंाक मे केतु तथा स़्त्री जमांक मे राहू मृत्यु का कारक है। 60 वर्ष के बाद जिस ग्रह की दशा चल रही हो उससे बने मृत्यु योगों से बने ग्रह की मूल त्रिकोण राशि को जंमस्थ गुरू से गिनों जो योग आाये उसमे से एक घटाओं जो संख्या आये वही मृत्यु वर्ष होगा 

1. शनि मंगल राहू केतु को छोड़ कर अगर दो ग्रह परस्पर यदि राशि परिवर्तन करें तो जातक की आयु 72 वर्ष होगी 

2. गुरू शनि योग 72 वर्ष की आयु देता है। 

3.  पुरूष जमंाक मे केतु मृत्युकारक है गुरू से केतु गत राशि गिनो या केतु की नवम दृष्टि जिस राशि पर पड़े जंमस्थ गुरू से वह राशि गिनो जो योग आाये उसमे से एक घटाओं जो संख्या आये वही मृत्यु वर्ष होगा 

4. ़िस्त्री जंमाक मे राहू मृत्युकारक है गुरू से राहू गत राशि गिनो या राहू की नवम दृष्टि जिस राशि पर पड़े वह राशि जंमस्थ गुरू से गिनो जो योग आाये उसमे से एक घटाओं जो संख्या आये वही मृत्यु वर्ष होगा 

5. गुरू से राहू केतु के मध्य बिंदू की राशि को गिनो जो योग आाये उसमे से एक घटाओं जो संख्या आये वही मृत्यु वर्ष होगा 

6. गुरू से 8 वे राहू 67 या 80 वर्ष मे मृत्यु हो 

7. गुरू का जंमस्थ राहू या उससे त्रिकोण मे गोचर जातक या परिवार मे किसी की मृत्यु हो।

8. शनि मंगल राहू केतु का परस्पर यदि राशि परिवर्तन करें तो जातक की आयु 72 वर्ष होगी 

2. गुरू शनि योग 72 वर्ष की आयु देता है। 

10. स्त्री जमांक मे गुरू राहू योग तथ पुरूष जातक मे गुरू केतु योग हो तो जातक की मृत्यु 60, 72 या 84 वर्ष मे हो।

11. शनि मंगल केतु मृत्यु कारक ग्रह है। 

12. यदि मंगल शनि परस्पर त्रिकोण मे हो या केतु से 12 वें मंगल हो तो गुरू से मंगल की मूल त्रिकोण राशि मेष को गिनो जो योग आये उसमे से एक घटाओं जो संख्या आये वही मृत्यु वर्ष होगा 

13. गुरू से 12 वें मंगल राहू योग तो 72-1 यानि 71 वर्ष मे मृत्यु हो 

 

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पक्षी आपका भाग्य बदले

जन्म कुंडली में वेश्यावृति के योग

परिवर्तन योग से करें भविष्यवाणी