सफलता न मिले धैर्य नहीं खोना चाहिए दोबारा दोगुने उत्साह के साथ प्रयास करना चाहिए: आदित्य श्रीवास्तव

ज्ञान की रोशनी

आदित्य श्रीवास्तव ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में पहला स्थान हासिल किया

- प्रमोद कुमार, उप संपादक

लखनऊ के रहने वाले आदित्य श्रीवास्तव ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में पहला स्थान हासिल करके राजधानी का नाम रोशन किया है। आदित्य श्रीवास्तव इस समय अंडर ट्रेनी आईपीएस आफिसर के रूप में हैदराबाद में तैनात हैं। रिजल्ट जारी होते ही एल्डिको आई.आई.एम. रोड स्थित उनके आवास पर बधाई देने वालों का तांता लग गया।

आदित्य के पिता अजय श्रीवास्तव सेंट्रल आडिट डिपार्टमेंट में सहायक लेखाकार के पद पर कार्यरत हैं। उनकी मां आभा श्रीवास्तव गृहिणी, दादा शिवराम श्रीवास्तव आई.टी.आई. से सेवानिवृत्त और छोटी बहन प्रियांशी नई दिल्ली में सिविल परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। सीएमएस अलीगंज से 12वीं पास करने के बाद आदित्य ने आई.आई.टी. कानपुर से बीटेक एवं एमटेक किया और कुछ दिनों के लिए निजी कंपनियों में नौकरी करने के बाद सिविल सेवा की तैयारी शुरू की। पहली बार प्रारंभिक परीक्षा में सफलता नहीं मिली। पिछली परीक्षा में 236वीं रैंक के साथ आईपीएस के रूप में चयनित होने के बाद अब आईएएस बनने में सफलता हासिल की है

सेंट्रल आडिट डिपार्टमेंट में सहायक लेखाकार के पद पर कार्यरत अजय श्रीवास्तव और उनकी पत्नी मां आभा श्रीवास्तव मंगलवार दोपहर घर पर ही थे। इसी बीच अचानक हैदराबाद में ट्रेनी आई.पी.एस. के रूप में तैनात उनके बेटे आदित्य की वीडियो काल आई। बेटे की काल देखकर मां-पिता दोनों उत्साह से भर गए। बेटे ने जैसे ही उनको देखा तो बोला, पापा कुछ ज्यादा ही हो गया, शायद पहली रैंक आ गई। इतना सुनते ही दोनों पति-पत्नी की आंखों में आंसू आ गए।

अजय श्रीवास्तव ने बताया कि बेटा हमेशा से पढ़ाई में अच्छा था। एक बार जो ठान लेता है तो पूरा करके ही मानता है। आदित्य को क्रिकेट खेलना पसंद है और डायनासोर में रूचि है। आदित्य की मां के मामा विनोद कुमार लवासना ट्रेनिंग एकेडमी मसूरी के डायरेक्टर रहे हैं। उन्हीं से आदित्य को आई.ए.एस. बनने की प्रेरणा ली। इसलिए बीटेक करने के बाद उसने सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी। पहली बार प्री परीक्षा में सफलता नहीं मिली। इसके बावजूद उसने हिम्मत नहीं हारी और पिछली बार 236वीं रैंक हासिल की। इसके बाद वह आईपीएस की ट्रेनिंग करने लगा। अगली बार एक बार फिर से उसने तैयारी की और इस बार देश भर में पहला स्थान मिला।

संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में देश भर में पहला स्थान हासिल करने वाले आदित्य बताते हैं कि पहली बार उनको प्रारंभिक परीक्षा में सफलता नहीं मिली थी। इसकी वजह से थोड़ा नर्वस था पर हार नहीं मानी। प्रारंभिक परीक्षा में सफलता न हासिल होने के बाद नए सिरे से योजना बनाकर तैयारी शुरू की। आदित्य के मुताबिक उसने कभी किसी कोचिंग से तैयारी नहीं की। इसके बजाय सेल्फ स्टडी के दम पर ही सिविल सेवा की तैयारी शुरू की। प्रांरभिक परीक्षा पास करने के बाद सिविल सेवा में अपने वैकल्पिक विषय के रूप में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का चयन किया। तैयारी के दौरान खुद को तरोताजा रखने के लिए थोड़ी देर गाने सुनता था। इसके बाद फिर से पढ़ाई में लग जाता था। पढ़ाई के दौरान सिर्फ खाना खाने के लिए अपने कमरे से निकलता था।

टेस्ट सिरीज हल की, सिलेबस पर दिया ध्यान

आदित्य ने बताया कि सिविल सेवा का सिलेबस बहुत ज्यादा है। इसलिए पिछले साल में आए सवालों के जवाब देने का अभ्यास किया। टेस्ट सिरीज हल करने से काफी आत्मविश्वास बढ़ा। इसके साथ ही सिलेबस को देखकर उसे कवर करने की रणनीति बनाई। जो भी पढ़ा उसे बिलकुल स्पष्ट तौर पर तैयार किया। इससे परीक्षा में लिखना काफी आसान हो गया।

बहन ने बदलाया पेन

सिविल सेवा की परीक्षा देने के दौरान आदित्य की बहन ने काफी सपोर्ट किया। पिछली बार परीक्षा के दौरान उसने जो पेन उपयोग किया था इस बार बहन उसे बदल दिया। इस तरह से उसने आई.पी.एस. और आई.ए.एस. दोनों परीक्षा में अलग-अलग पेन से लिखा था। पेपर देने के दौरान उसके हाथ में सूजन आ जाती थी। बहन प्रियांशी गरम पानी में नमक डालकर उसकी सिंकाई करती थी।

स्कालरशिप से भरी फीस

आदित्य ने बताया कि उनके पिता दादाजी दादा शिवराम श्रीवास्तव आई.आई.टी. से सेवानिवृत्त हैं। बीटेक के दौरान शुरूआती दो साल की फीस उन्होंने ही भरी थी। इसके बाद उसे जर्मनी से स्कालरशिप मिली थी। इसके रूप में दो लाख रूपये की राशि मिली। इसका उपयोग अपनी पढ़ाई के लिए ही किया।

धैर्य न खोयें

सिविल सेवा की तैयारी काफी समय लेती है। इसलिए इसमें धैर्य नहीं खोना चाहिए। संभव है कि एक बार सफलता न मिले पर इससे हताश होने के बजाय दोबारा दोगुने उत्साह के साथ प्रयास करना चाहिए। सिलेबस के सभी भाग को अच्छी तरह से पढ़ें तथा नोट्स बनाएं। ऐसा करने पर सफलता जरूर मिलेगी।




 

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