पूर्वजंम मे भी परस्पर संबधी होते है जुड़वा बच्चे

- डा. डी.एस. परिहार

यह इस विषय पर लिखा गया विश्व का संभवतः पहला लेख है। जुड़वा बच्चों के जंमाकों पर काम करते हुये एक सवाल दिमाग में उभरा कि जब परिवार के लगभग सभी सदस्यों का परस्पर पूर्व जन्म का गहरा रिश्ता होता है। तो क्या जुड़वा बच्चों का भी गत जन्म का परस्पर कोई घनिष्ठ संबध होता है। इस संदर्भ मे मैंने कुछ ऐसे केसेस का अध्ययन किया जिनमे जुडव़ा बच्चों के गत जन्म के जंमाक या उनके व्यक्तिगत संपूर्ण विवरण उपलब्ध था। इन सभी केसेस मे जुड़वा बच्चे गत जन्म मे भी परस्पर जुड़ा भाई अथवा बहनें या अन्य संबध पाये गये। यद्यपि यह कोई अंतिम निष्कर्ष नही है। हो सकता है। कुछ जुडव़ा जातकों का परस्पर कोई संबध ना होता हो या वे परस्पर अजनबी रहे हो या वे गत जन्म मे ना सही पर तीन चार जन्म पूर्व संबधी रहे हों। इस विषय पर और रिसर्च करने की आवश्यकता है, जिसे भविष्य के विद्वान पूरा करेंगे। 

गत जन्म मे भी जुड़वा भाई

उत्तर प्रदेश के फरूखाबाद जिले के कन्नौज कस्बे से 13 किमी दूर जसौदा स्टेशन के पास एक किमी दूर गंगा किनारे बसे गांव श्याम नंगला मे प. रामस्वरूप शर्मा व उनकी पत्नी कपूरी देवी के घर 1965 मे श्रावण माह की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तदनुसार 5 अगस्त 1965 को जुड़वा लड़कों ने जन्म लिया इनमे बड़े लड़के का नाम राम नारायण द्विवेदी तथा छोटे का शेष नारायण द्विवेदी रखा। जन्म के समय यह बच्चे रोये नही इन बच्चों की छाती व पेट पर एक सूत मोटी धारियों के निशान थे जब ये छह साल के थे तो सन 1971 की बंसत पंचमी के दिन उंचा लाडपुर निवासी चन्द्रसेन तिवारी श्याम नगला गांव के हनुमान मंदिर मे बंद आंखों से हनुमान जी स्तुति कर रहे थे कि तभी इन बच्चों ने चन्द्रसेन तिवारी के पैर छूकर उन्हें गंत जन्म का अपना बड़ा भाई बताया, वे आश्चर्य मे पड़ गये, वे रामस्वरूप के घर आये सारी बात जानकर उन्होंने बताया कि गत जन्म मे भीमसेन व भीष्म पितामह उनके छोटे जुड़वा भाई थे, वे दबंग परन्तु इंसाफ पसंद थे भीष्म पितामह ने गंत जन्म मे सरपंच का चुनाव जीता था इन भाईया के पास साठ बीघा जमीन थी जो तीनों भाईयों मे बराबर-बराबर बंटी थी। चन्दसेन के खेत से सटा कुड़ियापुर निवासी राजाराम का भी खेत था वो और उसका बेटा जगन्नाथ हर साल मेड़ तोड़कर नई मेंड़ बना लेता था और चन्द्रसेन का कुछ खेत हड़प लेता था। इस तरह चन्द्रसेन की काफी खेत अपने में मिला लिया था, इस बात को लेकर दोनों मे रंजिश हो गई थी। इसी बीच कुड़ियापुर निवासी प्यारेलाल ने राधे नामक मजदूर की मजदूरी मार ली वो रोता हुआ भीमसेन व भीष्म के पास आया वे कुड़ियापुर मामल सुलाझाने गये, वहां बहस के दौरान भीष्म ने प्यारेलाल को गोली मार दी दंबगई और गवाही के अभाव मे यह कानून से बच गये दुलारे ने काली मंदिर मे पिता की मौत का बदला लेने की कसम खाई फिर उसने अपने गांव के ग्राम प्रधान सूबेदार सिंह के माध्यम से भीमसेन व भीष्म से सुलह कर ली दुलारे ने इन भाइयों की हत्या की योजना बनाई उसमे राजाराम व उसके बेटे जगन्नाथ को भी शामिल कर लिया। 

28 अप्रैल 1965 की रात दुलारे ने दोनों भाईयों को सत्यनारयण की पूजा की दावत मे बुलाया दोनों भाई गये, दुलारे मे उनका बड़ा स्वागत किया और उन्हें दूध पीने को दिया भीमसेेेेेेेेेेेन ज्यों ही दूध पीना शुरू किया दुलारे ने उसकी आंखों मे तेजाब फेंक दिया भीमसेन गिर पड़े और भीष्म बाहर की ओर भागे तब तक दुलारे जगन्नाथ राजाराम व अन्य लोग उन पर टूट पड़े और लाठी डंडों व चाकुओं से उन्हें गोदकर मार डाला मुकदमा चला पर साक्ष्य के अभाव मे सारे मुजरिम छूट गये, इसके तीन महीने बाद  5 अगस्त 1965 को इनका पुर्नजंम हुआ। चन्द्रसेन तिवारी ने बताया कि भीमसेन और भीष्म का गत जन्म सन् 1935 की श्रावण माह की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा दिनांक 17 जुलाई 1935 को प. कालीशंकर के घर हुआ उनके तीन पुत्रियां व तीन पुत्र थे भीष्म के एक पुत्र द्रोणाचार्य था तथा भीमसेन के तीन पुत्र राजकिशोर रामकिशोेेेेेेेेेेेर व नंदकिशोर थे।

वर्तमान जन्म

राम नारायण व शेषनारायण का जमंाक- 5 अगस्त 1965। ग्राम श्याम नगला फरूखाबाद। कर्क लग्न मे सूर्य, सिंह मे बुध व शुक्र, कन्या मे मंगल, तुला मे चन्द्र, वृश्चिक मे केतु, कुंभ मे वक्री शनि वृष मे गुरू व राहू।

गत जंम मे भी जुड़वा

भीम तिवारी व भीष्म तिवारी जन्म 17 जुलाई 1935। शाम-7 बजे फरूखाबाद-मकर लग्न लग्न मे चन्द्र, कंुभ मे शनि वक्री, मिथुन मे सूर्य केतु, बुध सिंह मे शुक्र वक्री, कन्या मे मंगल, तुला मे गुरू धनु मे राहू।

गत जंम मे भी बहने थीं

जान और फ्लोरेंस पोलक इंग्लैंड में एक छोटे किराना और दूध वितरण सेवा के व्यवसायी थे। उनकी पहली बेटी, जोआना, का जन्म 25 मार्च, 1946 को हुआ था जब जोआना 4 साल की थी, तो परिवार हेक्सहैम गांव चला गया, जहां 13 अप्रैल, 1951 को उनकी दूसरी बेटी जैकलीन का जन्म हुआ। जोआना और जैकलिन एक-दूसरे के बहुत करीब थे। 5 मई, 1957 की सुबह, लड़कियाँ संडे स्कूल में भाग लेने के लिए अपने घर से हेक्साम में अपने चर्च की ओर जा रही थीं। अचानक, एक महिला ने कार से इन बहनों को टक्कर मार दी और उनकी तुरंत मौत हो गई। जब उनकी मृत्यु हुई तब जोआना 11 वर्ष की थी और जैकलिन 6 वर्ष की थी। अपनी बेटियों की हत्या के डेढ़ साल बाद 4 अक्टूबर, 1958 को फ्लोरेंस को जुड़वाँ लड़कियाँ पैदा हुईं, जिनका नाम गिलियन और जेनिफर रखा गया। गिलियन, जो जेनिफर से 10 मिनट पहले पैदा हुई थी दोनों लड़कियों के बायें पाश्र्व भाग पर, कूल्हे के ठीक ऊपर, एक सपाट, काला तिल था, पिछले जीवन का जन्मचिह्न था जैकलीन के माथे के निशान के समान ही एक जन्मचिह्न है दाहिना माथा उसकी नाक की जड़ पर, वही स्थान जहां जैकलीन का सिर बाल्टी से टकराने पर चोट का निशान बना था। जेनिफर के शरीर मे भी एक जन्मचिह्न था।

जोआना का गत जन्म 25 मार्च, 1946 को ब्रिस्टल, इंग्लैंड में हुआ था हुआ था जमांक-सिंह लग्न तुला मे गुरू वक्री धनु मे चन्द्र -8.12 अंश केतु मीन मे सूर्य बुध वक्री व शुक्र, मिथुन मे मंगल शनि व राहूूूूूूूूूूू मूल नक्षत्र -तृतीय चरण।

दूसरी बेटी जैकलीन का गत जन्म 13 अप्रैल, 1951 को हुआ। सिंह लग्न मे केतु कन्या मे शनि वक्री कुंभ मे राहू मीन मे सूर्य गुरू मेष मे बुध व मंगल वृष मे शुक्र मिथुन मे चन्द्रमा 20.01। पुर्नवस प्रथम चरण। 

4 अक्टूबर, 1958 को, ब्रिस्टल, इंग्लैंड में हुआ था गिलियन, जो जेनिफर से 10 मिनट पहले पैदा हुई थी।

गिलियन-मकर लग्न 21.38 मीन मे केतु वृष मे मंगल मिथुन मे चन्द्र- 1.30 अंश कन्या मे सूर्य सूर्य बुध।

जुड़वा बच्चे गत जंम मे चाचा भतीजे थे

गोरखराम का जन्म सन 1902 मे हिमांचल प्रदेश के मंडी पठानकोट राजमार्ग पर कोटला स्थान के वलाह नामक गांव मे पिता सोहणुराम के घर हुआ था। उनके छह भाई और 5 बहनें थीं वे 1927 मे सेना मे भर्ती हुये अैर 1931 मे उन्होंने नौकरी छोड़ दी इसके कुछ दिन बाद पहले बड़े चाचा प्यारा सिंह फिर इनके बड़े भाई सुजेता सिंह का निधन हो गया गोरखराम को बंाये पैर मे घातक बीमारी हो गई उनका चलना फिरना मुशकिल हो गया। 1950 मे गोरखराम गंभीर रूप से बीमार पड़ गये वे सात दिन बेहोश पड़े रहे फिर शाम को उन्हें मृत घोषित कर दिया गया, पर अगले दिन वे अचानक सुबह बिलकुल ठीक हो गये उनका पैर भी पूर्णतः ठीक हो गया, उन्होंने सबको बताया कि वे मर गये थे। यमदूत उन्हें गलती से ले गये थे यमराज ने यमदूूूूूूूूतों को डांटा कि तुम्हें जवाली गांव (जवाली गांव के जिला कांगड़ी की नूरपुर तहसील मे पड़ता है) के सोहणुुुुुुुुुुुुुराम के पुुुुुुुुुुत्र गोरखराम को लाना था। यमराज के कहने से वे लौट आये यमदूतों ने मुझे शरीर पुनः प्रवेश करने को कहा मैंने कहा मुझे यहाश् बडा़ आराम है। मुझे ना भेजें मैंने उनसे पूर्व मे मृत मेरे बड़े चाचा प्यारा सिंह और बड़े भाई सुजेता सिंह से मिलवाने की प्रार्थना की उन्होंने एक मोटी पुस्तक देखकर कहा कि तुम उनसे नही मिल सकते क्योंकि उनका पुर्नजंम हो चुका है वे दोनों जुड़वा भाई के रूप मे चड़ी गांव के पास डंढल गांव नंबरदार प्रतापचन्द्र के पुत्र के रूप मे पैदा हुये है। जिनमे तुम्हारा भाई जीवित रहेगा और चाचा 10 साल मे मर जायेगा गोरखराम प्रताप चन्द्र से मिले उनके जुड़वा पुत्र जरूर मिले पर प्रतापचन्द्र ने गोरखराम की गत जन्म की चाचा व भाई वाली बात का विश्वास नही किया उन्हें भगा दिया। बाद मे गोरखराम को पता चला कि प्रतापचन्द्र के पुत्र रूमेलसिंह की 10 वें साल मे मृत्यु हो गई और दूसरा बेटा रणजोत सिंह कोटला के पास शाहपुर मे टेलीफोन एक्सचेंज मे लाईनमैन है। बाद मे गोरखराम का अपने भाई से मिलन हो गया। 

(साभार-वाराह वाणी, जुलाई-सितम्बर 2011 व कादम्बिनी, नवम्बर 1992 लेखक अशोक सरीन)


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