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सत्य का वास्तविक स्वरूप है सत्संग

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जैसे ही अन्तःकरण में ब्रह्म जिज्ञासा की तीव्रता जागृत होती है संपूर्ण सृष्टि में माधुर्य-सौंदर्य, एकत्व, परिपूर्णता आदि दिव्य-अनुभव स्थिर होने लगते हैं! ईश्वर का विचार शान्ति, आनन्द एवं सरसता प्रदाता है! संसार के सारे कार्य करते हुए स्वयं को जानना अत्यंत आवश्यक है। ष्अथातो ब्रह्म जिज्ञासा ...ष् बादरायण का ष्ब्रह्मसूत्रष् इस अत्यंत सुंदर और अर्थगर्भी वाक्य से प्रारंभ होता है। आओ, अब हम परम सत्य की जिज्ञासा करें। यह एक आवाहन है, प्रस्थान है, दिशा है और गति भी। धर्म का अर्थ है, आस्था। और, दर्शन का अर्थ है, जिज्ञासा। विवेकवान को ही शास्त्र 'जागा हुआ' कहते हैं। जागर्ति को वा ...? अर्थात् जागा हुआ कौन है? इसका उत्तर देते हुए आद्यशंकर कहते हैं, 'सदसद् विवेकी! यानी, जो सत्य-असत्य का विवेक कर सकता है, वही जागा हुआ है। नहीं तो, 'मोह निशा सब सोवन हारा ...'। अनन्त संभावनाओं से समाहित मनुष्य जीवन की नियति है, ब्रह्म। अथातो ब्रह्म जिज्ञासा! स्वयं में परम सत्ता को अनुभूत करने की दिव्य सामर्थ्य जागरण में सहायक है, सत्संग। अतः सत्संग ही सर्वथा श्रेयस्कर-हितकर है ! शास्त्रों में सत्स

गुलशन नंदा धड़कनों व जजबातों को बड़ी कुशलता से अपनी कलम मे कैद करते थे

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छठे और सातवें दशक में भारतीय फिल्म और लोकप्रिय हिन्दी साहित्य जगत मे एक ऐसा सितारा प्रकृट हुआ जिसने तेजी से बदलते भारत के जवां दिलों की धड़कनों व जजबातों को बड़ी कुशलता से अपनी कलम मे कैद कर बड़ी खूबसूरती से समाज के सामने पेश किया कि लोग उनके लेखन के दीवाने हो गये उनके पहले कोई अन्य उपन्यासकार ऐसा नही कर सका। कुछ ही समय में बड़ी भारी तादाद मे ना केवल भारत के युवा पाठक उनसे जुड़ गये बल्कि तत्कालीन विख्यात फिल्मकारों ने भी उन्हें हाथों हाथ लिया उन्होंने उस दौर के युवाओं के रोमांस, उत्साह, निराषा, संघर्ष, समस्याओं जिस सच्चे रूप मे उन्होंने पेश किया, वह बेमिसाल था। गुलशन नंदा वो नाम था जिसके उपन्यासों का लोग बुक स्टालों पर महीनों पहले से इंतजार करते थे। उन्होंने लोकप्रियता में अपने दौर के अन्य सभी उपन्यासकारों को पीछे छोड़ दिया था पर उनके दिल के छू लेने वाले उपन्यासों पर दर्जनों हिट फिल्मे बनाई गयीं जिनकी फेहरिश्त बड़ी लम्बी है। फूलों की सेज 1964, काजल (माधवी) 1965 ,नीलकमल (नीलकमल) 1968, झील के उस पार (झील के उस पार), भंवर, दाग, महबूबा 1976 (सिसकते साज), पाले खान, शर्मीली, कटी पतंग (कटी पतंग) 197

ऊंचा कद

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चार महीने बीत चुके थे, बल्कि 10 दिन ऊपर हो गए थे, किंतु बड़े भइया की ओर से अभी तक कोई खबर नहीं आई थी कि वह पापा को लेने कब आएंगे. यह कोई पहली बार नहीं था कि बड़े भइया ने ऐसा किया हो. हर बार उनका ऐसा ही रवैया रहता है. जब भी पापा को रखने की उनकी बारी आती है, वह समस्याओं से गुजरने लगते हैं. कभी भाभी की तबीयत खराब हो जाती है, कभी ऑफिस का काम बढ़ जाता है और उनकी छुट्टी कैंसिल हो जाती है. विवश होकर मुझे ही पापा को छोड़ने मुंबई जाना पड़ता है. हमेशा की तरह इस बार भी पापा की जाने की इच्छा नहीं थी, किंतु मैंने इस ओर ध्यान नहीं दिया और उनका व अपना मुंबई का रिजर्वेशन करवा लिया। दिल्ली-मुंबई राजधानी एक्सप्रेस अपने टाइम पर थी. सेकंड एसी की निचली बर्थ पर पापा को बैठाकर सामने की बर्थ पर मैं भी बैठ गया, साथवाली सीट पर एक सज्जन पहले से विराजमान थे. बाकी बर्थ खाली थीं. कुछ ही देर में ट्रेन चल पड़ी. अपनी जेब से मोबाइल निकाल मैं देख रहा था, तभी कानों से पापा का स्वर टकराया, “मुन्ना, कुछ दिन तो तू भी रहेगा न मुंबई में. मेरा दिल लगा रहेगा और प्रतीक को भी अच्छा लगेगा। पापा के स्वर की आर्द्रता पर तो मेरा ध्यान गया न

वेदान्त दर्शन के अस्तित्व

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वेदान्त दर्शन में अस्तित्व को ब्रह्म कहते हैं। पर वेदान्ती ब्रह्म के स्वरूप पर एकमत नही हैं। वेदान्त दर्शन के आधार ग्रन्थ प्रस्थान त्रयी है। उपनिषद, ब्रह्मसूत्र और गीता को मिलाकर प्रस्थानत्रयी कहाजाता है। पर इन्ही ग्रन्थो को आधार बनाकर आचार्यों ने अनेक मत मतान्तर खड़ेकर दिये हैं। इन्ही ग्रन्थो पर आचार्य शंकर का अद्वैतवाद, रामानुज का विशिष्टाद्वैतवाद, निम्बार्क का द्वैताद्वैतवाद ,माध्व का द्वैतवाद और वल्ल्भ का शुद्धाद्वैत वाद खड़ा है। लेक्न इन वादों में आचार्य शंकर का अ्द्वैतवाद अधिक विज्ञान संगत है। तो मैं अस्तित्व या ब्रह्म की व्याख्या अद्वैत मतानुसार ही करूँगा। तैत्तरीय उपनिषद में ब्रह्म को सत्यं ज्ञानमनन्तम् कहा गया है। अर्थात, ब्रह्म सत्य, ज्ञान और अनन्त है। सत्य, यहाँ सत्य का अर्थ वाचिक सत्य से न होकर आत्यन्तिक सत्य से है। सत्य को व्याख्यायित करते हुये गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं, नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतरू,ष् अर्थात असद् का किसी भी काल में भाव या अस्तित्व नही होता है और सद् का किसी भी काल में अभाव नही होता है। सत् वह है जिसका आदि, मध्य और अंत न हो, जो अनन्त हो, जो

चैपाल लगाकर शासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं कीं आम जनता से जानकारी दी

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जिलाधिकारी रायबरेली, नेहा शर्मा ने विकास खण्ड जगतपुर की ग्राम पंचायत मखदूमपुर, नसीरनपुर, कुसमी, तिवारीपुर एवं धूता में चैपाल लगाकर शासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं एवं विकास कार्यो के सम्बन्ध में आम जनता से जानकारी लेते हुए बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही लाभ परक कल्याणकारी योजनाओं के सम्बन्ध में विस्तार से बताया और कहा कि वह सरकार की लाभ परक कल्याणकारी के बारे में जाने और उसका लाभ ले। आयोजित चैपाल में विधवा पेंशन, विकलांग पेंशन, प्रधानमंत्री आवास योजना, मुख्यमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन, प्रधानमंत्री मान धन योजना, प्रधानमंत्री बीमा, फसल बीमा और आंगबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा पुष्टाहार वितरण और शिशुओं के नियमित टीकाकरण के सम्बन्ध में ग्रामीणों को बताया गया।   जिलाधिकारी ने खाद्य सुरक्षा योजना की समीक्षा में जिला पूर्ति अधिकारी से जानकारी प्राप्त करने पर बताया गया कि खाद्य सुरक्षा योजना में ई-पास मशीन द्वारा आधार प्रमाणीकरण वितरण की जानकारी ली। ग्रामीणों द्वारा जो शिकायतें आई उनका मौके पर उपस्थित विभागीय अधिकारियों से उनका निस्तारण भी कराया। जिलाधिकारी ने पशुओं के टीकारण एव

अनोखा जाल

1963 के दिसम्बर के आखिरी सप्ताह में मुझे सी.बी.सी.आई.डी. द्वारा लखीमपुर के एक अहम और पेचीदे मर्डर केस की तफतीश की जांच सौंपी गई जिसे सिविल पुलिस दो साल की कड़ी मशक्कत के बाद भी नही सुलझा पाई थी। मैने घर आकर पत्नी से सफर का सामान पैक कराया और दूसरे दिन सीतापुर को रवाना हुआ जो लखनऊ से 80 किलोमीटर दूर था जब मैं लखीमपुर पहुँचा तो दोपहर के लगभग 11 बज रहे थे मैंने हेडक्वाटर पहुँच कर रिपोर्ट की और वहाँ से दो सिपाही साथ लेकर सीतापुर की सीमा से लगी हरगांव पुलिस चैकी पहुँचा और मैंने केस फाइल और अन्य जरूरी सबूत और जानकारियां हासिल कीं। एफ आई.आर. के अनुसार 27 फरवरी 1963 की सुबह हरगांव पुलिस चैकी मे एक राहगीर रमाशंकर ने सूचना दी कि लखीमपुर-सीतापुर राजमार्ग में बांये हाथ की झाड़ियों में एक युवक की लाश पड़ी है लाश देखकर वह बुरी तरह घबरा गया और भागा-भागा सूचना देने चला आया तत्कालीन स्टेशन अफसर मंजूर आलम रिपोर्ट दर्ज करके मौकाये वारदात पर पहुँचे वहाँ झाड़ियों के बीच एक 35-36 साल के मध्यम कद के गठीले बदन के सांवले युवक की लाश पड़ी थी जिसने फुलपैंट, कमीज, जूते और पूरी बांह का स्वेटर पहना हुआ था उसकी पीठ पर चा

ट्रक चालकों से हाईवे पर लूटपाट करने वाले चार लुटेरे गिरफ्तार

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हाईवे पर सवारी बनकर ट्रक में सवार होने के बाद मौका पाकर चालकों के साथ लूटपाट करने के साथ ही हत्या की घटना को अंजाम देने वाले चार शातिर लूटरों को पूंछ थाना, जनपद-झांसी की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। लुटेरों ने डेढ़ माह पूर्व की गई लूट व हत्या की घटना को स्वीकार किया। जबकि एक फरार आरोपी की तलाश की जा रही है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, झांसी डा. ओपी सिंह ने लूटकाण्ड का खुलासा करते हुए बताया कि पूंछ थाना पुलिस सुबह अपराधियो की तलाश में लगी थी। तभी सूचना मिली कि दो दिन पूर्व मेडिकल हाइवे से सवारी बनकर ट्रक में बैठे बदमाशो ने पूंछ में ट्रक लूट कांड की घटना का प्रयास किया था। वह शातिर बदमाश ग्राम धोरका के पास कही भागने की फिराक में खड़े है। सूचना पर पूंछ थाना प्रभारी निरीक्षक गोपाल सिंह यादव पुलिस बल के साथ वहां पहुंचे तो बदमाश उन्हें देखकर भागने लगे। पुलिस टीम ने उनकी घेराबंदी करते हुए दबोच लिया। वही उनका एक साथी मौके से भागने में सफल हो गया। पूछताछ में लुटेरों ने अपने नाम पवन यादव व बलबीर यादव निवासीगण मगरपुरा थाना पनवाड़ी जिला महोबा, विक्की उर्फ शिवम यादव निवासी मातवाना थाना गुरसंराय व संजय शर्मा न