काश दिन आये वो, तुझपे दें जान हम
अय-वतन अय-वतन, तुझपे कुरबान हम । काश दिन आये वो, तुझपे दें जान हम । सरहदों पर लड़ें, तेरी रक्षा करें । गोली सीने पे खायें, न पीछे मुड़ें । अपने दिल में ये रखते, हैं अरमान हम । अय-वतन अय-वतन,तुझपे कुरबान हम । काश दिन आये वो, तुझपे दें जान हम ! हमने देकर लहू, तुझको गुलशन किया । आबरू के लिये तेरी, सर दे दिया । सारी दुनियाँ में हैं, तेरी पहचान हम । अय-वतन अय-वतन, तुझपे कुरबान हम । काश दिन आये वो, तुझपे दें जान हम ! जो हुयीं हैं खता, दर - गुजर सब करें । धर्मो-मजहब की खातिर, नहीं अब लड़ें । हिन्दू - मुस्लिम नहीं, सिर्फ इंसान हम । अय-वतन अय-वतन,तुझपे कुरबान हम । काश दिन आये वो, तुझपे दें जान हम ! आ रहे हैं बलंदी पे, हम जो नजर । देश के दुश्मनों को, भी है ये खबर । इक परिन्दा नहीं आज बे-जान हम । अय-वतन अय-वतन, तुझपे कुरबान हम । काश दिन आये वो, तुझपे दें जान हम ! मेरे दिल में है तू, मेरे प्यारे वतन । है ‘कशिश’ ये दुआ, यूँ ही महके चमन । जिन्दगी भर करें, तेरे गुणगान हम । अय-वतन अय-वतन,