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अनिद्रा से मुक्ति पाये

आज के आधुनिक युग की भागदौड़ भरी जिदंगी मे अति व्यस्तता अनेक प्रकार के तनावों में वृद्धि और कुछ विशेष बीमारियों में आम आदमी अनिद्रा का शिकार हो जाता है। पर जब यह समस्या लंबे समय तक बनी रहती है। तो अनिद्रा का रोग हो जाता है मन का इन्द्रियों से सम्पर्क का विच्छेद होना ही निद्रा की शरीर मे उत्पति है। अर्थात मन और शरीर के थक जाने पर सम्पूर्ण 10 इन्द्रियां शिथिल होकर अपना काम करना बंद कर देती है। तब मानव निद्रा की स्थिति मे होता है। यानि सो जाता है। आहार, स्वपन और ब्रह्मचर्य इन तीन उपस्तम्भों मे निद्रा को भी शरीर का पोशक होने से चैथा उपस्तम्भ कहा गया है। अतः सामांय रूप से निद्रा को प्राकृत कहा गया है। आयुर्वेद मे निद्रा को 7 प्रकार का माना है। 1. तमोभवा:-शरीर मे अधिक तमोगण बढने से निद्रा आती है। 2. श्लेष्मजा:-शरीर मे अधिक कफ बढने से निद्रा आती है। 3. मनः श्रमजा:- मन के अधिक थकने से निद्रा आती है। चेतावनी- वैद्य से सलाह के पश्चात दवा ले 4. शरीर थकने से निद्रा आती है। 5. आगन्तुकी:- आकस्मिक कारणों से आने वाली निद्रा। 6. व्याधिजन्य निद्रा-बीमारियों के कारण आने वाली निद्रा। 7. रात्रि स्वभावजा:- रा

शादी में आने वाली बाधाओं का ज्योतीषिय उपाय

मंगल दोष शादी में देरी का कारण बनता है, आग और हवा के दो, तत्वों में से एक सही संतुलन समय पर शादी का एक संकेत है, लेकिन इन दोनों तत्वों में असंतुलन के किसी भी प्रकार की देरी का कारण बनता है, नीचे कुछ ज्योतिषीय समाधान है, जो उपयोगी साबित हो सकते है कर रहे हैं। 1 व्यक्ति को गुरूवार को पीले रंग के कपड़े पहनने और इस के साथ भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करनी चाहिए। 2 हर गुरूवार पीले रंग के कपड़े पहने तथा पचांक्षरी का मंत्र 108 जप हर सोमवार की सुबह करके शिवलिंग को दूध और पानी चढाना चाहिए। कम से कम 9 गुरूवार इस उपाय करो। 3 अपने घर के बाहर एक केले के पेड़ पौधे की पूजा करें व गुरूवार को लेने वाली नमक से बचें और भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने कम से कम 3 बार के ओम का जप करना चाहिए। 4 108 बेल पत्र पत्तांे पर चंदन से भगवान राम का नाम लिखें अब इन बेल पत्र को बहा दें। 5 लगातार 16 सोमवार को व्रत रखें । 6 भगवान शिव और पार्वती की मूर्ति पर एक गांठ सूत की बांधें और यह पूजा करते हैं। 7 कमरे में शिव और पार्वती की एक तस्वीर रखें और इनकेे पैर को छूने चाहिए दैनिक गौरी शंकर मंत्र का जाप करें। 8 (1) लाल चुरा (

सड़क सुरक्षा सम्बन्धी नियमों का स्वयं भी पालन करें तथा अन्य को भी पालन करना करे सुनिश्चत

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जिलाधिकारी नेहा शर्मा व पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार सिंह रायबरेली ने सड़क सुरक्षा सप्ताह पर जनपद वासियों से अपील की है कि यातायात व सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन करके अपनी तथा दूसरों की जीवन की रक्षा करें। सड़क सुरक्षा सम्बन्धी नियमों का स्वयं भी पालन करें तथा अन्य को भी पालन करना सुनिश्चत करे। सड़क सुरक्षा संबंधी अपनी जिम्मेदारी निभाएं, हेलमेट लगाए, वाहन चलाते समय मोबाइल का प्रयोग न करे, तेज गति से वाहन न चलाए, नशे की हालत मे वाहन न चलाए, निश्चित सवारी ही गाड़ी मे बैठाए, गलत ढ़ग से ओवरटेक न करे, दुर्घटना से देर भली आदि पर बोर्ड जनपद के विभिन्न स्थलो पर लगाएं ताकि लोग जागरूक हो तथा यातायात के नियमो का पालन करें। जिलाधिकारी नेहा शर्मा के निर्देश पर पाॅलीटेक्निक कक्ष में सड़क सुरक्षा सप्ताह 17 जून से 22 जून तक होने वाले गोष्ठी जागरूकता कार्यक्रम का शुभारम्भ एडीएम ई राम अभिलाष व मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 डी0के0 सिंह, एआरटीओ संजय तिवारी, एडी सूचना प्रमोद कुमार, समाजसेवी रामूदादा द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। अपर जिलाधिकारी प्रशासन राम अभिलाष ने उपस्थितजनों का आव्हान करते हुए कहा है कि याताय

सौंदर्य और प्रकृति की कला का अनुपम उपहार है रानीखेत

गर्मियों सैर करने के लिए कहीं जाना हो तो रानीखेत जाने के लिए विचार कर सकते है। रानीखेत को पहाड़ों की रानी भी कहा जाता है। सौंदर्य और प्रकृति की कला का अनुपम उपहार है रानीखेत यहां पर दूर-दूर तक फैली घाटियां, घने जंगल तथा फूलों से ढंके रास्ते व ठंडी मस्त हवा पर्यटकों का मन बरबस ही मोह लेती है। रानीखेत की खास बात यह है कि यहां पर लोगों का कोलाहल व भीड़भाड़ बहुत कम है। यहां पहुंचने के बाद पर्यटक स्वयं को प्रकृति के निकट अनुभव करता है। अंग्रेजों के शासन के दौरान अंग्रेजी फौज की छावनी रहे इस क्षेत्र में कुमांऊ रेजीमेंट का मुख्यालय भी है। छावनी क्षेत्र होने के कारण एक तो यहां वैसे ही साफ-सफाई रहती है दूसरे यहां पर प्रदूषण की मात्रा भी अन्य जगहों की अपेक्षा बहुत कम है। चलिए सबसे पहले आपको लिए चलते हैं चैबटिया-चैबटिया में बहुत ही सुंदर बाग-बगीचे हैं। यहां पर स्थित सरकारी उद्यान व फल अनुसंधान केंद्र भी देखने योग्य हैं। यहाँ पर पास में ही एक जल प्रपात है, जिसके ऊंचाई से गिरते संगमरमर जैस.े पानी का दृश्य आपका मन मोह लेगा। द्वाराहाट-रानीखेत से लगभग 32 किमी की दूरी पर स्थित है। द्वाराहाट पुरातात्विक दृ

पक्षाघात

अनेक कारणों जैसे उच्च रक्तचाप, मस्तिष्क रोग, मस्तिष्क स्त्राव, हृदय रोग, रक्ताल्पता, आदि के प्रभाव से कुपित वायु जब शरीर के अधोभाग मे स्थित होकर शिराओं तथा स्नायुओं को सुखा कर सन्धि बन्धनो को शिथिल करती हुयी मनुष्य के दायें या बांये ओर की चेतना एवं क्रिया को नष्ट कर देती है। तो उस अवस्था को पक्षाघात या एकांग्ड. रोग कहते है। इसी प्रकार प्रकुपित वायु के सम्पूर्ण शरीर में व्याप्त होने पर सर्व शरीर की ंिक्रयाशीलता नष्ट हो जाती है। इसे पक्षवर्ध या अंगघात कहते हैं। कभी-कभी प्रकुपित वायु का प्रभाव चेहरे गले और मुख पर होता है इसे मुखाघात या फेशियल पैरालीसिस कहते हैं। केवल एक हाथ या एक पैर अर्थात दाहिनी या बांयी ओर और उसी तरफ मुख पर होने वाले वायु प्रकोप के प्रभाव सें दांयें या बांये ओर के हाथ पैर, चेहरे, जबान निष्क्रिय हो जातेे हैं। इस प्रकार के एकांगघात या अंगघात को पक्षाघात कहते हैं। चेष्ठावह संस्थान के विक्षतस्थल के अनुसार अंगघात या पक्षाघात निम्नलिखित 4 प्रकार के होते हैं। एकांगघात-(मेनोपेलेजिया) मस्तिष्क के शतकीय भाग मे विकृति होने से प्रायः एकांगघात होता है। इस भाग पर नाड़ी तन्तु एक दूसरे

साधक को मंत्र का प्रभाव कुछ समय तक दृष्टिगोचर नहीं हो पाता

वस्तुतः सिर्फ यक्षिणी के लिए नहीं बल्कि प्रत्येक साधना के लिए चिंतन पूर्ण सात्विक होना ही चाहिए, जब एक सामान्य स्त्री भी आपको देखकर मनोभाव का पता आपकी दृष्टि से लगा लेती है, तो फिर अपार शक्ति सम्पन्न यक्षिणी भला क्यूं कर आपके मनोभाव को नहीं समझ पायेगी, शायद आपको पता नहीं है कि जैसा चिंतन हमारे मन में होता है, तदनुरूप ही साधक के चारो ओर रहने वाला औरा भी हो जाता है भले ही सामान्य मानव अपनी सामान्य दृष्टि से उस औरा को नही देख पाता हो पर जिनकी आकाश दृष्टि और दिव्य दृष्टि जाग्रत होती है, उनसे ये सूक्ष्म परिवर्तन नहीं छिपाया जा सकता है। तामसिक भाव से युक्त होने पर साधक का औरा गहरे घूसर वर्ण का हो जाता है और ये एक ऐसा रंग है जिसमें निकलने वाली दृश्य अथवा अदृश्य रूप से मन को उच्चटित ही करती है और ये किरणें अन्य रंगों की प्रभावी किरणों के मुकाबले कहीं ज्यादा तीव्र गति से संवेदनशील है, जिसके कारण उस प्राणी, मानव या वर्ग को हमसे असुरक्षा का अहसास होता है। अतः उनसे आपको मन से सूक्ष्मतिशूक्ष्म परिवर्तन भी नहीं छुप पाते, अतः साधक को मन के विकारों को दूर करके ही साधना पथ पर बढ़ना चाहिए। साधक का मूल उद

लोहित की खूबसूरती से अभिभूत होकर पर्यटक यहां आते हैं

यूं तो देश के सभी प्रदेश अपने गौरवशाली इतिहास के लिए महत्व रखते हैं। इन्हीं में अरूणाचल प्रदेश है, भारत का एक उत्तर पूर्वी राज्य है। अरूणाचल का अर्थ हिन्दी मे उगते सूर्य का पर्वत है। प्रदेश की सीमाएं दक्षिण में असम दक्षिणपूर्व मे नागालैंड पूर्व मे बर्माध्म्यांमार पश्चिम मे भूटान और उत्तर मे तिब्बत से मिलती हैं। ईटानगर राज्य की राजधानी है। प्रदेश की मुख्य भाषा हिन्दी और असमिया है। भौगोलिक दृष्टि से पूर्वोत्तर के राज्यों में यह सबसे बड़ा राज्य है। पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों की तरह इस प्रदेश के लोग भी तिब्बती-बर्मी मूल के हैं। वर्तमान समय में भारत के अन्य भागों से बहुत से लोग आकर यहाँ आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ कर रहे हैं। यद्यपि अरूणाचल प्रदेश एक भारतीय राज्य है, लेकिन चीन राज्य के एक हिस्से पर अपना दावा दक्षिणी दक्षिणी तिब्बत के रूप में जताता है। प्रसिद्ध लेडो बर्मा रोड का एक भाग राज्य से होकर गुजरता है, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस सड़क ने चीन के लिये एक जीवन रेखा की भूमिका निभाई थी। अरूणाचल प्रदेश का एक जिला लोहित है। जिले का मुख्यालय तेजू है। लोहित बहुत ही खूबसूरत स्थान है। यहा