मंगली दोष कितना सत्य या निराधार
किसी वर या कन्या के माता-पिता को बहू या दामाद तलाष करते समय पता चलता है कि उनका लड़का या लड़की मंगली है तो वे हजारों परेषानियों व आषंकाओं से घिर जाते हैं। मानों उन्हें काले नाग ने डस लिया हो, हालंाकि यह आषंका पूरी तरह निराधार नही है। उनके दिमाग में पहली बात यही कौंधती है, कि कहीं उनका लड़का शादी के बाद मर ना जाये या उनकी लड़की विधवा ना हो जाये लेकिन केवल 20 फीसदी मामलों में ही मंगली दोष घातक होता है। जो जंमाक के सही अध्ययन से ही पता चलता है। सामान्यतः मंगली दोष का अध्ययन करने आधार निम्न श्लोक है। लग्ने व्यये च पाताले, जामित्रे चाष्टमे कुजे। कन्या भर्तृविनाषाय, भत्र्ता पत्नी विनाषिकृत।। अर्थात यदि जमांक मे लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्ठम व द्वादष (1, 4, 7, 8, 12) भाव में मंगल हो तो मंगली दोष होता है। जो कन्या के पति का तथा पुरूष की पत्नी का विनाष करता है। इसे वर व कन्या की लग्न व चन्द्र कुण्डली से अध्ययन करना चाहिये उपरोक्त दोषों के अनेक अपवाद है। यदि वर या कन्या लग्न या चन्द्र से दोनों मंगली हो दोष नष्ट हो जाता है।