संदेश

एकता व सहयोग से करें कोरोना का मुकाबला

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सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ के संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने समस्त प्रदेशवासियों से अपील की है कि हम सभी एकता, सहयोग व सहकार की भावना को आत्मसात कर कोरोना का मुकाबला करें एवं इस वैश्विक महामारी को परास्त करने हेतु सब मिलकर पूरी तरह से लाॅकडाउन का पालन करें। सभी प्रदेशवासियों के सामूहिक सहयोग से ही इस महामारी से निजात पाई जा सकती है क्योंकि बीमारी कभी जाति-धर्म देखकर नहीं आती, यह कभी भी और कहीं भी किसी को भी अपनी चपेट में ले जा सकती है। अतः कोरोना महामारी के कठिन दौर में जाति-धर्म की भावना को परे रखकर एकता व सहयोग से इस महामारी को जड़ से मिटाने को संकल्पित हों।  अपने संदेश में डा. गाँधी ने छात्रों का खासतौर पर आह्वान किया है कि वे घर पर रहकर सुरक्षित तरीके से ई-लर्निंग के माध्यम से अपनी शिक्षा को लगातार जारी रखें। उन्होंने छात्रों को सुझाव दिया कि लाॅकडाउन के इस दौर में व्यवस्थित दिनचर्या के माध्यम से समय का सदुपयोग सुनिश्चित करें एवं पढ़ाई के साथ ही इण्डोर गेम्स, योग एवं अपने स्वास्थ्य का खयाल रखें। इसके साथ ही, किशोर व युवा पीढ़ी अपनी समाजोपयोगी रूचियो को भी आगे बढ़ायें

कोरोना का प्रभाव व अधिवक्ता समाज

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प्रयागराज। महिला अधिवक्ता वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा आयोजित ऑनलाइन विधि संवाद संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका विषय था कोरोना का प्रभाव व अधिवक्ता समाज विषय पर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष अमरेंद्र सिंह ने अध्यक्षता की और कहां की अधिवक्ता साथी विशेष रूप से नौजवान बिना प्रचार लगातार सेवा में लगे हैं। घर में रहने की सलाह दी इसके साथ ही कहा कि सैनिटाइजर नीम और साबुन का उपयोग बराबर अधिवक्ता साथी करें हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष आरके चतुर्वेदी ने कहा कि सोसाइटी में अधिवक्ताओं का बड़े स्तर के कार्य हो रहा है और उनका योगदान है जो सराहनीय है एडवोकेट अनुराधा सुंदरम ने कहा कि सरकार द्वारा दिशा-निर्देश का निरंतर अधिवक्ता समाज पालन कर रहा है जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष हरिशंकर मिश्र ने कहा कि हम लोग अधिवक्ताओं के घर-घर जाकर उनका हाल-चाल पूछ रहे हैं एडवोकेट सुशील यादव ने कहा कि प्रकृति से छेड़छाड़ करने का नतीजा ही हम भुगत रहे हैं एडवोकेट दुर्गा तिवारी ने कहा कि इस बीमारी को रोकने के लिए हमें जागरूक होने की जरूरत है वरिष्ठ एडवोकेट आर.पी. सिंह ने कहा कि अधिवक्ता राष्ट्रहित में

रमोला की गजलों में है वैज्ञानिक दृष्टिकोण: कपिल

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रमोला रूथ लाल की गजलों को पढ़ने के बाद स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि उसकी साफगोई और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण इस समाज के लिए बेहद खास है। यह उनकी शायरी विशेषता है। उनकी गजलों को पढ़ते समय लगता है कि जिन्दगी से दोबारा साक्षात्कार हो रहा है। यह बात भुवनेश्वर के वरिष्ठ साहित्यकार शैलेंद्र कपिल ने गुफ्तगू द्वारा आयोजन ऑनलाइन साहित्यिक परिचर्चा में रमोला रुथ लाल के गजल संग्रह ‘यह दर्द ही तो बस अपना है’ पर विचार व्यक्त करते कहा। सम्पदा मिश्रा ने कहा कि रमोला रूथ लाल ‘आरजू’ की गजलों में जहाँ मानवीय संवेदनायें हैं। वही देश काल की परिस्थितियों का, घटनाक्रमों का वर्णन है। वे बहुत ही जिंदादिल और सरल व्यक्तित्व की धनी है।उनको प्रकृति से भी बहुत ज्यादा प्रेम है। मनमोहन सिंह ‘तन्हा’ ने कहा कि रमोला रूथलाल की रचनाओं में विषय का गांभीर्य बड़ी सहजता से दृष्टिगोचर होता है, भाव प्रधान काव्य मे जहां मधुरता हैं। वही शिल्प भी लाजवाब है, आपकी हर रचना साहित्य के मानकों के अनुरूप अपनी पूरी गरिमा में मौजूद है। साहित्य संसार में आपका एक सम्मानजनक स्थान स्थापित हो चुका है। नरेश महरानी के मुताबिक रमोला रुथलाल की रचनाए

उधार का अमीर

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मध्यम वर्ग की आतंरिक वेदना का चित्रण 100 नम्बर की एक गाड़ी मेन रोड पर एक दो मंजिले मकान के बाहर आकर रुकी। कांस्टेबल को फोन पर यही पता लिखाया गया था पर यहां तो सभी दुमंजिला मकान है। यहां पर खाना किसने मंगवाया होगा? यही सोचते हुए कांस्टेबल ने उसी नम्बर पर कॉल बैक की। अभी दस मिनट पहले इस नम्बर से भोजन के लिए फोन किया गया था। आप जतिन जी बोल रहे हैं क्या? हम मकान न0 112 के सामने खड़े हैं, कहाँ आना है। दूसरी तरफ से जबाब आया, आप वहीं रुकिए, मैं आ रहा हूं। एक मिनट बाद 112 न0 मकान का गेट खुला और करीब पैंसठ वर्षीय सज्जन बाहर आए। उन्हें देखते ही कांस्टेबल गुस्से में बोला आप को शर्म नही आई, इस तरह से फोन करके खाना मंगवाते हुए, गरीबों के हक का जब ’आप जैसे अमीर’ खाएंगे तो गरीब तक खाना कैसे पहुंचेगा। मेरा यहां तक आना ही बर्बाद गया। तब उस बुढ्ढे ने साहस करके बोलना  शुरू किया कि, साहब! ये शर्म ही थी जो हमें यहां तक ले आयी। सर्विस लगते ही शर्म के मारे लोन लेकर घर बनवा लिया। आधे से ज्यादा सेलरी किस्त में कटती रही और आधी बच्चों की परवरिश में जाती रही। अब रिटायरमेंट के बाद कोई पेंशन नही थी तो मकान का एक हिस्

गांव में किसान जल्दी-जल्दी गेहूं की कटाई शुरू कर दी

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अयोध्या। लाॅकडाउन और मौसम में लगातार बदलाव को देखते हुए किसानों को डर है कि कहीं उनकी फसलें बर्बाद ना हो जाए इसलिए गांव में किसान जल्दी-जल्दी अपनी गेहूं की कटाई शुरू कर दी है और घरों तक गेहूं को पहुंचाने के लिए तेजी से अंजाम दे रहे हैं।  

सी.एम.एस. में आनलाइन एडमीशन प्रारम्भ

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कोरोना महामारी के कारण सिटी मोन्टेसरी स्कूल में दाखिले की आॅनलाइन प्रक्रिया शुरू की गई है, जिससे अभिभावक सुविधाजनक तरीके से अपने बच्चों का एडमीशन सी.एम.एस. में करा सकते हैं। सी.एम.एस. ने अपनी वेबसाइट के माध्यम से छात्रों के दाखिले हेतु पेपर आधारित फार्म भरने की बजाय आॅनलाइन फार्म भरने की सुविधा प्रदान की है। सी.एम.एस. के मुख्य जन-संपर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि लाॅकडाउन के इस दौर में अभिभावक अपने बच्चों के सी.एम.एस. में एडमीशन हेतु काफी समय से घर से आवेदन करने के बारे में पूछताछ कर रहे थे। ऐसे में अभिभावकों की सुविधा हेतु सी.एम.एस. ने छात्रों की प्रवेश प्रक्रिया को आॅनलाइन कर दिया है। अब अभिभावक घर बैठे-बैठे विद्यालय की वेबसाइट के माध्यम से अपने बच्चों का दाखिला सी.एम.एस. में करा सकते हैं। इसके साथ ही, सी.एम.एस. प्रास्पेक्टस एवं डोजियर को भी डाउनलोड कर सकते हैं।  श्री शर्मा ने आगे बताया कि सी.एम.एस. लाॅकडाउन शुरू होने के दिन से ही आॅनलाइन तकनीकों का उपयोग करके प्री-प्राइमरी से लेकर 12वीं तक सभी 56,000 छात्रों के लिए आॅनलाइन कक्षाएं चला रहा है, जिससे छात्रों की पढ़ाई का नुकस

प्रभाशंकर की कविताओं में स्पष्ट यथार्थ के दर्शन: शगुफ्ता

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विभिन्न प्रतिभाओं के धनी आदरणीय प्रभा शंकर शर्मा की रचनाओं में आशावाद के साथ-साथ जीवन के यथार्थ के स्पष्ट दर्शन होते हैं। सामाजिक मुद्दों के साथ राष्ट्रीय मुद्दों को अपनी रचनाओं में शामिल करना एक संवेदनशील साहित्यकार को स्वयं में दूसरे साहित्यकार से अलग स्थापित करता है। मां के प्रति समर्पण एवं मां की छत्रछाया में संतानों का सुरक्षित महसूस करना इस का सजीव चित्रण मार्मिक है। कवि द्वारा स्पष्ट किया गया है कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए दृढ़ निश्चय होना अति आवश्यक है। यह विचार उधमसिंह नगर की कवयित्री शगुफ्ता रहमान ने शुक्रवार को गुफ्तगू द्वारा आयोजित ऑनलाइन साहित्यिक परिचर्चा में प्रभाशंकर शर्मा की कविताओं पर व्यक्त किया। भुवनेश्वर के वरिष्ठ कवि शैलेंद्र कपिल ने कहा कि प्रभाकर शर्मा की रचनाओं में हिंदी व उर्दू साहित्य से समृद्ध होने की झलक मिलती है, वे गजल लेखन में भी दखल रखते हैं। परिदृश्य शीर्षक की कविता रंगमंच की याद दिलाता है, काव्य का परिचायक होता प्रतीत होता है। हास्य व्यग्ंय की कविताएं प्रभाकर की विषयवस्तु को विस्तार प्रदान करती हैं। नरेश महारानी ने कहा कि कवि प्रभाशंकर चेहरे