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वर्तमान परिस्थिति पर केन्द्रित रही महिला काव्य गोष्ठी

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महिला काव्य मंच प्रयागराज इकाई के तत्वावधान में आनलाइन कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया प्रयागराज इकाई की अध्यक्ष रचना सक्सेना के संयोजन में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवियत्री ऊषा सिंह और अध्यक्ष के रूप में पूर्वी उत्तर प्रदेश इकाई की अध्यक्ष महक जौनपुरी मौजूद थी। कार्यक्रम का आरम्भ रेनू मिश्रा के वाणी वंदना से हुआ। सभी कवयित्रियों ने समसामयिकता को केन्द्र में रखकर काव्य पाठ किया।महक जौनपुरी ने सुनाया कि               बेपटरी जीवन की गाड़ी हुई सबसे बड़ी महामारी हुई नीलिमा मिश्रा ने सूफियाना अंदाज में सुनाया कि - दिल तेरा एक चाँद नगर है इश्क तेरा रुहानी है. रचना सक्सेना ने जीवन के संघर्षों की कहनी को कविता के माध्यम से पटल पर रखा, - सुनाया कि कड़क धूप आज की सांझ की उदासी है  उर्वशी उपाध्याय ‘प्रेरणा’ ने श्रमिकों के पलायन/दुर्दशा को व्यक्त करते हुए कहा कि -मौत की गठरी बांध पीठ पर, चला मुसाफिर धीरे - धीरे, रेनू मिश्रा ने कहा कि ओ लाडली मेरी ओ लाडली, प्राणों से प्यारी ओ लाडली,। नीलिमा मिश्रा ने खूबसूरत संचालन के साथ जिन कवयित्रियों को काव्य पाठ के लिए आमन्त्रित किया उनम

आप भूखों को खिला दें तो इबादत होगी

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साहित्यिक संस्था ‘गुफ्तगू’ द्वारा शुरू किए गए ऑनलाइन  साहित्यिक परिचर्चा के अंतिम दिन आॅनलाइन मुशायरे का आयोजन किया गया, जिसका संचालन इम्तियाज अहमद गाजी ने किया। सबसे पहले मासूम रजा ने भूखों को खाना खिलाने की गुजारिश करते हुए शेर प्रस्तुत किया-‘दान मंदिर को या मस्जिद को हिमाकत होगी/आप भूखों को खिला दें तो इबादत होगी।’ विजय प्रताप सिंह ने कहा कि-‘अभी अभी नजर से जो इश्तिहार गुजरा है/न जाने क्यों हमारे जिगर के पार गुजरा है।’ गाजियाबाद के डीएसपी डाॅ. राकेश मिश्र ‘तूफान’ ने रुमानी अशआर शायरी पेश की-‘जिसकी खातिर सभी पागल की तरह रहते हैं/उसकी आंखों में हम काजल की तरह रहते हैं।’ इश्क सुल्तानपुरी ने कोरोना के कोहराम पर कलाम पेश किया- इस कोरोना ने तो कोहराम मचा डाला है/फिर से इंसान को इंसान बना डाला है। इम्तियाज अहमद गाजी के अशआर यूं थे-‘फूल पहुंचा जो तेरे कदमों में/सुब्ह होते ही जिन्दगी महकी। बेला, चंपा, गुलाब सब थे मगर/तुम जो आए तो तीरगी महकी।’ अनिल मानव ने जिन्दगी वास्तविकता की बात की-मुहब्बत की बौछार आई हुई है/यही जिन्दगी की कमाई हुई है।’ डाॅ. शैलेष गुप्त ‘वीर’ ने दोहा पेश किया-‘तन उनका लंदन

आग उल्फत की लगानी चाहिये

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जिन्दगी   को   भी   मआनी   चाहिये ! दिल   पे    तेरे     हुक्मरानी   चाहिये ! चाहतों   का   घर   बनाने   के   लिये ! आप   जैसा    एक    बानी    चाहिये ! तेरी आमद   पर   मेरे  दिल  ने  कहा ! प्यार  की   दुनिया   सजानी   चाहिये ! इश्क    महकेगा     हमारा    उम्र  भर ! हर  कदम  पर   रुत   सुहानी  चाहिये ! इश्क  का  सजदा  हो   पाये  यार  हो ! रस्म-ए-उल्फत   यूँ   निभानी  चाहिये ! संग  दिल  को  मोम  करने  के  लिये ! आग  उल्फत   की   लगानी   चाहिये ! इश्क   के   ता लाब   को   मेरे   खुदा ! अब   समंदर    सी    रवानी   चाहिये ! तुम  सदाकत  साथ  में  रख्खो  वफा ! खुशनुमा   गर    जिन्दगानी    चाहिये ! हुस्न  पहले   बा-वफा   होकर  दिखा ! इश्क   की    गर   पासबानी   चाहिये ! आशिकों में हो ‘कशिश’ का भी शुमार ! बस    तुम्हारी     मेहरबानी    चाहिये !          

मनुष्य एक भौतिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक प्राणी है!

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मनुष्य की भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक तीन वास्तविकतायें होती हैं:- आज विद्यालयों के द्वारा बच्चों को एकांकी शिक्षा अर्थात केवल भौतिक शिक्षा ही दी जा रही है, जब कि मनुष्य की तीन वास्तविकतायें होती हैं।पहला-मनुष्य एक भौतिक प्राणी है, दूसरा-मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तथा तीसरा मनुष्य- एक आध्यात्मिक प्राणी है। मनुष्य के जीवन मेंभौतिकता, सामाजिकता तथा आध्यात्मिकता का संतुलन जरूरी है। मनुष्य के सम्पूर्ण व्यक्तित्व के विकास के लिए उसे सर्वश्रेष्ठ भौतिक शिक्षा के साथ ही साथ उसे सामाजिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा भी देनी चाहिए। प्रारम्भिक काल में शिक्षालयों में बालक को बाल्यावस्था से भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक तीनों प्रकार की शिक्षा संतुलित रूप् से मिलती थी। इस प्रकार व्यक्ति का संतुलित विकास होने से वह व्यक्ति अपनी नौकरी या व्यवसाय को ईश्वर की नौकरी करने की उच्चतम समझ से करता था। उस समय मानव जीवन एकता तथा प्रेम से भरपूर था। बालक कोई ईश्वर का उपहार एवं मानव जाति का गौरव बनायें:- यदि बालक को केवल विषयों का भौतिक ज्ञान दिया जाये और उसके सामाजिक एवं आध्यात्मिक गुणों में कमी कर दी जायें तो उससे बा

डिजाइनिंग आनलाइन असेसमेन्ट

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सिटी मोन्टेसरी स्कूल, राजाजीपुरम (प्रथम कैम्पस), लखनऊ की जूनियर कोआर्डिनेटर सुश्री कनिका कपूर ने ‘डिजाइनिंग आनलाइन असेसमेन्ट’ विषय पर आयोजित एक वेबिनार को सम्बोधित करते हुए अपने सारगर्भित विचारो से आनलाइन शिक्षक की आवश्यकता पर शिक्षा जगत को जागरूक किया एवं आनलाइन टीचिंग-लर्निंग को छात्रों के लिए उपयोगी, लाभदायक एवं प्रभावशाली बनाने के तौर-तरीकों पर देश-विदेश के शिक्षाविद्ों से सार्थक परिचर्चा की। यह एक राष्ट्रीय स्तर की वेबिनार थी जिसमें देश-विदेश के लगभग 1000 शिक्षाविद् ने प्रतिभाग किया। वेबिनार का आयोजन एफ.आई.सी.सी.आई.-एराइज के तत्वावधान में दूरस्थ स्कूलिंग पर आधारित ‘टीचिंग फाॅर द न्यू नार्मल’ विषयक विभिन्न वेबिनारों की श्रृंखला के अन्तर्गत सम्पन्न हुआ। इस वेबिनार के प्रमुख वक्ताओं में श्री मनीष जैन, चेयरमैन, फिक्की-एराइज एवं को-फाउण्डर एवं डायरेक्टर ‘द हेरिटेज ग्रुप आफ स्कूल्स’, श्री प्रमोद कुमार, डिपार्टमेन्ट आफ स्कूल एजूकेशन, हरियाणा, सुश्री अर्बिल दुलुडे मेटोस, हेड आफ डिजाइन, न्यूटन कालेज, लीमा, पेरू एवं सुश्री चित्रा बालाजी, मैथ फैकल्टी, डेलही पब्लिक स्कूल, नाशिक शामिल थी जबकि

नसीहत देने वाली शायरी करते हैं हसनैन: सागर

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देखो हरगिज न हेकारत से गरीबों की तरफ/सिर्फ मकसद तो नहीं जीस्त का पैसा होना।’ यह शेर मशहूर शायर हसनैन मुस्तफाबाद के कलम से निकला हुआ है, यह उनकी शायरी का आईना है जो उनकी बुलंद ख्याली की तरफ इशारा करता है। इनके अशआर नसीहत आमेज हैं। वो एक हमदर्द इंसान भी हैं और सबको खुश देखना चाहते हैं। वो समाज में चल रही बुराइयों जैसे गरीबों और मजदूरों पर जुल्म, बुरी सियासत, बेवफाई, एहसान फरोशी वगैरह से बहुत दुखी हैं। उन्होंने हर मौजू पर बेहद उम्दा शेर कहे हैं। यह बात गुफ्तगू की ओर आयोजित आॅनलाइन साहित्यिक परिचर्चा में वरिष्ठ शायर सागर होशियारपुरी ने कही। इसरार अहमद ने कहा कि जब कोई कलमकार अपनी तालीम व इल्म के बलबूते अपने ही क्षेत्र के महान कलमकारों से प्रेरित होकर अपनी कलम चलाता है तो वह वास्तव में अन्य कलमकारों की तुलना में अतुलनीय रचना का निर्माण करता है। ऐसा हसनैन मुस्तफाबाद की गजलों को पढ़कर मालूम होता है। इनकी गजलों में इश्क-मोहब्बत से लेकर राजनीति तक पर सारगर्भित कटाक्ष साफ तौर पर नजर आता है। मनमोहन सिंह तन्हा ने कहा कि ‘दर्दो-गम की जब मेरे सर पर बला आने लगी, आह के बदले मेरे दिल से दुआ आने लगी।’ हस

क्या सितम्बर 2020 के बाद भारत मे आयेगा महाविनाश

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प्राचीन भारतीय ज्योतिषियों जैसे वाराह मिहिर तथा अंय संहिता ज्योतिषियों ने भारत की प्राचीन राशि मकर बताई थी 20 वीं सदी के महान ब्रिटिश पाॅमिस्ट काउंट लुई हेमन कीरो में भी 1925 मे प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘वल्र्ड प्रैडिक्शन’ मे भारत की राशि मकर बताई है लगभग हजार वर्ष पहले भारत विदेशी मुस्लिम आक्रांताओं का गुलाम हो गया और 15 अगस्त 1947 को वृष लग्न मे भारत विदेशी गुलामी से मुक्त हुआ। भारतीय ज्योतिष मे किसी भी देश या व्यक्ति के पूर्वजंम का ज्ञान नवम भाव से और अगले जंम का ज्ञान पंचम भाव से होता है। वृष राशि मकर राशि से पंचम राशि है। अतः यह आजादी प्राचीन भारत का ही अगला जंम है। भारतीय ज्योतिष मे बृहस्पति को धर्म और अध्यात्म का कारक ग्र्रह माना गया है तथा राहू को दैत्यों, राक्षसों, मुस्लिमों, मलेच्छों नास्तिकांे, धर्म विरोधी तथा दुर्भाग्य, नर संहार का कारक ग्रह माना गया है। भारत के इतिहास मे वृष मिथुन और धनु राशियो ंकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। दुर्भाग्यवश भारत के जमांक मे धर्म गुरू की राशि धनु देश की वृष लग्न/राशि से अष्ठम भाव की राशि है। जो आयु और मृत्यु का भाव है। तथा भारत की प्राचीन राशि मकर स